ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 25 नवंबर 2013

आशावान


   मिनिसोटा विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि अमेरिका के लगभग 15% किशोर यह मानते हैं कि वे अपने 35वें जन्मदिन से पूर्व ही मर जाएंगे। अध्ययनकर्ताओं ने यह भी पाया कि जो किशोर ऐसा निराशावादी दृष्टिकोण रखते हैं उनकी उतावलेपन और लापरवाही से कार्य करने की संभावना अन्य लोगों से कहीं अधिक होती है। ’पीडियैट्रिक्स’ पत्रिका में छपे इस अध्ययन की लेखिका, डॉ० आईरिस ब्राउस्की ने कहा: "ये किशोर जोखिम उठाते हैं क्योंकि उन्हें भविष्य से कोई आशा नहीं है तथा उन्हें लगता है कि खोने को कुछ विशेष नहीं है।"

   यह सच है कि निराशा की भावना से कोई बच नहीं सकता। परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार, निराशा के अन्धकार से सहायता के लिए परमेश्वर को अनेक बार पुकारते हैं। भजन 42:5 में भजनकार कहता है: "हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है? और तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर आशा लगाए रह; क्योंकि मैं उसके दर्शन से उद्धार पाकर फिर उसका धन्यवाद करूंगा"। विश्वास का एक दृढ़ कदम उठाते हुए भजनकार अपने आप से कहता है कि परमेश्वर को ना भूल क्योंकि परमेश्वर तुझे कभी नहीं भूलता।

   कर्टिस एमक्विस्ट ने लिखा: "आशा परमेश्वर की उपस्थिति से बल पाती है....साथ ही आशा परमेश्वर द्वारा निर्धारित हमारे भविष्य से भी बल पाती है।" हम भी भजनकार के साथ कह सकते हैं "मैं उसके दर्शन से उद्धार पाकर फिर उसका धन्यवाद करूंगा"।

   मसीह यीशु के किसी भी अनुयायी को निराशा में सहायता माँगने के लिए कभी भी हिचकिचाना नहीं चाहिए, और ना ही हम मसीही विश्वासियों को कभी यह समझना चाहिए कि प्रार्थना और विश्वास सहायता पाने के लिए बहुत ही साधारण और बेबुनियाद उपाय हैं। जो परमेश्वर पर विश्वास रखते हैं, परमेश्वर सदा उनकी आशा बना रहता है, उन्हें आशावान बनाए रखता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


आशा मसीही विश्वासी के लिए निश्चितता है - क्योंकि उसकी आशा का आधार मसीह यीशु है।

हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है। मेरे मन ने कहा, यहोवा मेरा भाग है, इस कारण मैं उस में आशा रखूंगा। - विलापगीत 3:22-24

बाइबल पाठ: भजन 42:1-11
Psalms 42:1 जैसे हरिणी नदी के जल के लिये हांफती है, वैसे ही, हे परमेश्वर, मैं तेरे लिये हांफता हूं। 
Psalms 42:2 जीवते ईश्वर परमेश्वर का मैं प्यासा हूं, मैं कब जा कर परमेश्वर को अपना मुंह दिखाऊंगा? 
Psalms 42:3 मेरे आंसू दिन और रात मेरा आहार हुए हैं; और लोग दिन भर मुझ से कहते रहते हैं, तेरा परमेश्वर कहां है? 
Psalms 42:4 मैं भीड़ के संग जाया करता था, मैं जयजयकार और धन्यवाद के साथ उत्सव करने वाली भीड़ के बीच में परमेश्वर के भवन को धीरे धीरे जाया करता था; यह स्मरण कर के मेरा प्राण शोकित हो जाता है। 
Psalms 42:5 हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है? और तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर आशा लगाए रह; क्योंकि मैं उसके दर्शन से उद्धार पाकर फिर उसका धन्यवाद करूंगा।
Psalms 42:6 हे मेरे परमेश्वर; मेरा प्राण मेरे भीतर गिरा जाता है, इसलिये मैं यर्दन के पास के देश से और हर्मोन के पहाड़ों और मिसगार की पहाड़ी के ऊपर से तुझे स्मरण करता हूं। 
Psalms 42:7 तेरी जलधाराओं का शब्द सुनकर जल, जल को पुकारता है; तेरी सारी तरंगों और लहरों में मैं डूब गया हूं। 
Psalms 42:8 तौभी दिन को यहोवा अपनी शक्ति और करूणा प्रगट करेगा; और रात को भी मैं उसका गीत गाऊंगा, और अपने जीवन दाता ईश्वर से प्रार्थना करूंगा।
Psalms 42:9 मैं ईश्वर से जो मेरी चट्टान है कहूंगा, तू मुझे क्यों भूल गया? मैं शत्रु के अन्धेर के मारे क्यों शोक का पहिरावा पहिने हुए चलता फिरता हूं? 
Psalms 42:10 मेरे सताने वाले जो मेरी निन्दा करते हैं मानो उस में मेरी हडि्डयां चूर चूर होती हैं, मानो कटार से छिदी जाती हैं, क्योंकि वे दिन भर मुझ से कहते रहते हैं, तेरा परमेश्वर कहां है? 
Psalms 42:11 हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर भरोसा रख; क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्वर है, मैं फिर उसका धन्यवाद करूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल 24-26 
  • 1 पतरस 2