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बुधवार, 6 अगस्त 2014

सदा


   मैं "सदा" तथा "कभी नहीं" शब्दों को बहुत पसन्द करता हूँ। इन दोनों में कितनी आशा निहित है! मैं तो यही चाहूँगा कि मैं सदा ही आनन्दित रहूँगा और जीवन मुझे धोखा कभी नहीं दे, परन्तु वास्तविकता यही है कि इस शरीर में मैं सदा ही आनन्दित नहीं रहूँगा, और जिन बातों के कभी नहीं होने की मैं इच्छा रखता हूँ, वे घटित भी हो सकती हैं। इसलिए, ये शब्द सुनने में चाहे जितने अच्छे लगें, वे अपने में निहित संभावनाओं की पूर्ति स्वतः ही करने की क्षमता नहीं रखते - उन संभावनाओं की पूर्ति तो वह करवा सकता है जो इस समस्त सृष्टि का सृष्टिकर्ता है तथा सब कुछ को नियंत्रित करता है, सारे संसार के सभी लोगों के लिए सेंत-मेंत पाप क्षमा और उद्धार का मार्ग देने वाला है, अर्थात प्रभु यीशु।

   प्रभु यीशु के स्वर्गारोहण के समय संसार में अकेले रह जाने को लेकर घबराए हुए अपने चेलों को प्रभु ने आश्वस्त किया, "...देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं" (मत्ती 28:20)। इब्रानियों की पत्री का लेखक अपने पाठकों को स्मरण दिलाता है कि प्रभु यीशु का अपने अनुयायियों से वायदा है, "तुम्हारा स्‍वभाव लोभरहित हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। इसलिये हम बेधड़क हो कर कहते हैं, कि प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है" (इब्रानियों 13:5-6)। प्रेरित पौलुस ने, मृत्यु की संभावना को लेकर आशंकित हो रहे थिस्सुलुनिकिया के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उन्हें प्रभु यीशु के आश्वसन का स्मरण कराया कि यदि मृत्यु आ भी जाए तो कोई डरने की बात नहीं है क्योंकि मृत्योप्रांत, "...हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे" (1 थिस्सुलुनीकियों 4:17)।

   हमें आज हमारी जीवन यात्रा चाहे कितनी भी भयावह प्रतीत हो रही हो, या अपना भविष्य कितना भी अन्धकारमय दिखाई दे रहा हो, हम मसीही विश्वासियों के साथ प्रभु यीशु की सदा बनी रहने वाली उपस्थिति हमें सभी परिस्थितियों और परेशानियों में से सकुशल होकर निकल पाने की सामर्थ और सान्तवना देती रहती है; और सबसे उत्तम बात यह है कि जब हम इस थोड़े समय के पार्थिव जीवन को समाप्त कर के अनन्त काल में प्रवेश करेंगे, फिर हम सदा ही प्रभु यीशु के साथ बने रहेंगे, उसे देखते रहेंगे और किसी बात को लेकर आशंकित या भयभीत कभी नहीं होने पाएंगे। इसीलिए प्रेरित पौलुस ने आगे कहा, "सो इन बातों से एक दूसरे को शान्‍ति दिया करो" (1 थिस्सुलुनीकियों 4:18)। - जो स्टोवैल


प्रभु परमेश्वर की उपस्थिति में बने रहना ही हमारी सांत्वना है।

निदान, हे भाइयो, आनन्‍दित रहो; सिद्ध बनते जाओ; ढाढ़स रखो; एक ही मन रखो; मेल से रहो, और प्रेम और शान्‍ति का दाता परमेश्वर तुम्हारे साथ होगा। - 2 कुरिन्थियों 13:11

बाइबल पाठ: 1 थिस्सुलुनीकियों 4:13-18
1 Thessalonians 4:13 हे भाइयों, हम नहीं चाहते, कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञान रहो; ऐसा न हो, कि तुम औरों की नाईं शोक करो जिन्हें आशा नहीं। 
1 Thessalonians 4:14 क्योंकि यदि हम प्रतीति करते हैं, कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा। 
1 Thessalonians 4:15 क्योंकि हम प्रभु के वचन के अनुसार तुम से यह कहते हैं, कि हम जो जीवित हैं, और प्रभु के आने तक बचे रहेंगे तो सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे। 
1 Thessalonians 4:16 क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे। 
1 Thessalonians 4:17 तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिये जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे। 
1 Thessalonians 4:18 सो इन बातों से एक दूसरे को शान्‍ति दिया करो।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 31-33