ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 28 जनवरी 2017

इच्छा


   चीनी नव-वर्ष के समय एक-दूसरे से कही जाने वाली शुभ-कामनाओं में से बहुधा प्रयुक्त होने वाली एक शुभ-कामना है, "आपकी इच्छानुसार ही सब कुछ हो।" यह सुनने में चाहे जितनी अनोखी और अच्छी लगे, किंतु जीवन की घटनाओं का सर्वोत्तम परिणाम तब ही आता है जब मेरी नहीं वरन मेरे जीवन में परमेश्वर की इच्छा पूरी होने पाए। उदाहरण स्वरूप परमेश्वर के वचन बाइबल में पुराने नियम के एक पात्र यूसुफ के जीवन को देखें।

   यदि उसकी इच्छानुसार किया जाता तो यूसुफ कभी अपने घर-परिवार से दूर मिस्त्र में गुलामी में जाने के लिए सहमत नहीं होता; परन्तु वह दासत्व में गया (उत्पत्ति 39:1)। परन्तु अपने दासत्व में होने के बावजूद वह "भाग्यवान" हुआ अर्थात सफल हुआ, क्योंकि परमेश्वर उसके साथ था (पद 2); यहाँ तक कि यूसुफ के कारण परमेश्वर ने उसके स्वामी घर पर भी आशीष दी (पद 5)।

   यदि यूसुफ की इच्छानुसार होता, तो वह कभी भी मिस्त्र के बन्दीगृह में डाले जाने को स्वीकार नहीं करता, परन्तु पूरी ईमानदारी और खराई से कार्य करने के बावजूद, उसके स्वामी की पत्नी ने उस पर दुराचार का झूठा आरोप लगाया, जिसके कारण उसे बन्दिगृह में डाला गया, लेकिन हम तब भी उसके विषय में पढ़ते हैं कि परमेश्वर वहाँ भी उसके साथ था (पद 21)। वहाँ भी उसने बन्दीगृह के दारोगा के विश्वास को प्राप्त किया (पद 22) और जो भी वह करता था परमेश्वर उसमें उसे सफलता देता था (पद 23)। बन्दीगृह जाने और वहाँ घटित हुई घटनाओं को देखने से लगता है कि यूसुफ परेशानियों में और भी गहरा धंसता जा रहा था, परन्तु आगे का घटनाक्रम दिखाता है कि वास्तव में जो उसका पतन प्रतीत हो रहा था, वह सब उसके मिस्त्र में राजा के बाद के सर्वोच्च पद तक चढ़ाए जाने के लिए सीढ़ी थी।

   परमेश्वर ने जिस प्रकार से यूसुफ को आशीषित किया और बढ़ाया, शायद ही कोई उस प्रकार से आशीषित होना और बढ़ाया जाना स्वीकार करेगा। परन्तु परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, चाहे कैसी भी विकट और कठिन ही क्यों ना हों, परमेश्वर उन सब के द्वारा अपने बच्चों को आशीष देता है। जैसा बाद में यूसुफ ने अपने उन भाइयों से कहा जिन्होंने द्वेष में होकर उसे मिस्त्र के दासत्व में बेच दिया था, कि परमेश्वर ही उसे एक उद्देश्य के अन्तर्गत मिस्त्र लेकर आया था (उत्पत्ति 50:19-20)।

   हम मसीही विश्वासी इस बात से आश्वस्त रह सकते हैं कि हम आज जहाँ भी हैं, जैसे भी हैं, हमारे वहाँ और वैसा होने के पीछे परमेश्वर का कोई उद्देश्य है। वह जो कर रहा है, हमारे हित के लिए ही कर रहा है। इसलिए बजाए इसके कि हम यही लालसा करते रहें कि सब कुछ हमारी इच्छानुसार ही हो, हमें अपने उद्धारकर्ता और प्रभु यीशु मसीह के समान परमेश्वर से कहते रहना चाहिए: "...तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो।" (मत्ती 26:39)। - सी. पी. हिया


परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने का एक उपाय है 
धीरज के साथ उसके निर्देशों की प्रतीक्षा करना।

यूसुफ ने उन से कहा, मत डरो, क्या मैं परमेश्वर की जगह पर हूं? यद्यपि तुम लोगों ने मेरे लिये बुराई का विचार किया था; परन्तु परमेश्वर ने उसी बात में भलाई का विचार किया, जिस से वह ऐसा करे, जैसा आज के दिन प्रगट है, कि बहुत से लोगों के प्राण बचे हैं। - उत्पत्ति 50:19-20

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 39:1-6;  39:19-23
Genesis 39:1 जब यूसुफ मिस्र में पहुंचाया गया, तब पोतीपर नाम एक मिस्री, जो फिरौन का हाकिम, और जल्लादों का प्रधान था, उसने उसको इश्माएलियों के हाथ, से जो उसे वहां ले गए थे, मोल लिया। 
Genesis 39:2 और यूसुफ अपने मिस्री स्वामी के घर में रहता था, और यहोवा उसके संग था; सो वह भाग्यवान पुरूष हो गया। 
Genesis 39:3 और यूसुफ के स्वामी ने देखा, कि यहोवा उसके संग रहता है, और जो काम वह करता है उसको यहोवा उसके हाथ से सफल कर देता है। 
Genesis 39:4 तब उसकी अनुग्रह की दृष्टि उस पर हुई, और वह उसकी सेवा टहल करने के लिये नियुक्त किया गया: फिर उसने उसको अपने घर का अधिकारी बना के अपना सब कुछ उसके हाथ में सौंप दिया। 
Genesis 39:5 और जब से उसने उसको अपने घर का और अपनी सारी सम्पत्ति का अधिकारी बनाया, तब से यहोवा यूसुफ के कारण उस मिस्री के घर पर आशीष देने लगा; और क्या घर में, क्या मैदान में, उसका जो कुछ था, सब पर यहोवा की आशीष होने लगी। 
Genesis 39:6 सो उसने अपना सब कुछ यूसुफ के हाथ में यहां तक छोड़ दिया: कि अपने खाने की रोटी को छोड़, वह अपनी सम्पत्ति का हाल कुछ न जानता था। और यूसुफ सुन्दर और रूपवान्‌ था। 
Genesis 39:19 अपनी पत्नी की ये बातें सुनकर, कि तेरे दास ने मुझ से ऐसा ऐसा काम किया, यूसुफ के स्वामी का कोप भड़का। 
Genesis 39:20 और यूसुफ के स्वामी ने उसको पकड़कर बन्दीगृह में, जहां राजा के कैदी बन्द थे, डलवा दिया: सो वह उस बन्दीगृह में रहने लगा। 
Genesis 39:21 पर यहोवा यूसुफ के संग संग रहा, और उस पर करूणा की, और बन्दीगृह के दरोगा के अनुग्रह की दृष्टि उस पर हुई। 
Genesis 39:22 सो बन्दीगृह के दरोगा ने उन सब बन्धुओं को, जो कारागार में थे, यूसुफ के हाथ में सौंप दिया; और जो जो काम वे वहां करते थे, वह उसी की आज्ञा से होता था। 
Genesis 39:23 बन्दीगृह के दरोगा के वश में जो कुछ था; क्योंकि उस में से उसको कोई भी वस्तु देखनी न पड़ती थी; इसलिये कि यहोवा यूसुफ के साथ था; और जो कुछ वह करता था, यहोवा उसको उस में सफलता देता था।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 19-20
  • मत्ती 18:21-35