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बुधवार, 11 जुलाई 2018

संतुष्टि



      मेरी विधवा थी, और स्वास्थ्य संबंधित गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही थी; उसकी पुत्री ने उसे अपने घर के साथ लगे हुए एक वृद्धों के निवास-स्थान में रहने के लिए बुलाया। यद्यपि उस स्थान पर जाने का अर्थ होता अपने मित्रों, और अन्य परिवार जनों को छोड़कर बहुत दूर जाना, परन्तु मेरी ने परमेश्वर के इस प्रावधान के लिए उसका धन्यवाद किया, और आनदित हुई।

      नए स्थान पर रहते हुए छः माह बीतते-बीतते मेरी का आरंभिक आनन्द और संतुष्टि जाने लगे और वह अपने अन्दर कुड़कुड़ाने लगी और उसे संदेह होने लगे कि उसका यहाँ नए स्थान पर आना क्या वास्तव में परमेश्वर की सिद्ध इच्छा के अनुसार था। उसे अपने मसीही विश्वासी मित्रों की कमी खलती थी, और वह नया चर्च जहाँ उसे जाना होता था, उसके अकेले जाने के लिए बहुत दूर था।

      फिर उसने 19वीं शताब्दी के महान मसीही प्रचारक चार्ल्स स्पर्जन की लिखी कुछ बात पढ़ी; स्पर्जन ने लिखा था, “अब संतोष स्वर्ग का एक पुष्प है, और इसे पनपाने के लिए प्रयास और धैर्य आवश्यक है।” स्पर्जन ने आगे लिखा कि “पौलुस कहता है...’मैंने संतुष्ट होना सीखा है’(फिलिप्पियों 4:11), मानो एक समय पर वह संतुष्ट होना नहीं जानता था।”

      मेरी ने निष्कर्ष निकाला कि यदि पौलुस के समान एक समर्पित और दृढ़ मसीही प्रचारक, जो कैदखाने में बन्द था, मित्रों द्वारा अकेला छोड़ दिया गया था, और मृत्यु दण्ड के पूरा किए जाने की प्रतीक्षा कर रहा था, यदि संतुष्ट होना सीख सकता था, तो वो भी सीख सकती है।

      मेरी ने बताया, “मुझे एहसास हुआ कि जब तक मैं संतुष्टि का यह पाठ नहीं सीख लेती, मैं उन बातों का आनन्द नहीं लेने पाऊँगी, जिनकी योजनाएँ परमेश्वर ने मेरे लिए बनाई हैं। इसलिए मैंने अपने कुड़कुड़ाने की गलती को प्रभु परमेश्वर के सामने मान लिया, और उससे अपनी गलती के लिए क्षमा याचना की। संतुष्टि के इस पाठ को सीखने के कुछ ही समय के बाद, हाल ही में सेवा निवृत हुई एक महिला ने मुझ से चाहा के मैं प्रार्थना करने में उसकी सहयोगी बनूँ, और अन्य लोग चर्च ले जाने के लिए मुझे अपने साथ चलने के निमंत्रण देने लगे। एक अंतरंग मित्र के मिलने और आने-जाने में आसानी होने की मेरी आवश्यकताएं अद्भुत रीति से पूरी हो गईं।” – मेरियन स्ट्राउड


परमेश्वर सदा हमारी परिस्थितियों को तो नहीं बदलता है, 
परन्तु वह हमें ही बदल देता है।

पर सन्‍तोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है। - 1 तिमुथियुस 6:6

बाइबल पाठ: फिलिप्प्यों 4:10-19
Philippians 4:10 मैं प्रभु में बहुत आनन्‍दित हूं कि अब इतने दिनों के बाद तुम्हारा विचार मेरे विषय में फिर जागृत हुआ है; निश्‍चय तुम्हें आरम्भ में भी इस का विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला।
Philippians 4:11 यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं।
Philippians 4:12 मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है।
Philippians 4:13 जो मुझे सामर्थ्य देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।
Philippians 4:14 तौभी तुम ने भला किया, कि मेरे क्‍लेश में मेरे सहभागी हुए।
Philippians 4:15 और हे फिलप्‍पियो, तुम आप भी जानते हो, कि सुसमाचार प्रचार के आरम्भ में जब मैं ने मकिदुनिया से कूच किया तब तुम्हें छोड़ और किसी मण्‍डली ने लेने देने के विषय में मेरी सहयता नहीं की।
Philippians 4:16 इसी प्रकार जब मैं थिस्सलुनीके में था; तब भी तुम ने मेरी घटी पूरी करने के लिये एक बार क्या वरन दो बार कुछ भेजा था।
Philippians 4:17 यह नहीं कि मैं दान चाहता हूं परन्तु मैं ऐसा फल चाहता हूं, जो तुम्हारे लाभ के लिये बढ़ता जाए।
Philippians 4:18 मेरे पास सब कुछ है, वरन बहुतायत से भी है: जो वस्तुएं तुम ने इपफ्रुदीतुस के हाथ से भेजी थीं उन्हें पाकर मैं तृप्‍त हो गया हूं, वह तो सुगन्‍ध और ग्रहण करने के योग्य बलिदान है, जो परमेश्वर को भाता है।
Philippians 4:19 और मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा।
     

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 1-3
  • प्रेरितों 17:1-15