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बुधवार, 30 नवंबर 2011

उद्देश्य

   चित्रकार होलमैन हन्ट ने अपनी कलाकृति The Shadow of Death में प्रभु यीशु मसीह की मृत्यु की निश्चितता को प्रतिबिंबित किया है। यह कलाकृति प्रभु यीशु द्वारा अपनी सेवकाई आरंभ करने के पहले के समय को लेकर बनाई गई है, जब यीशु बढ़ई का कार्य करते थे। इस चित्र में दिखाया गया है कि यीशु अपने औज़ारों और कार्य करने की बेंच के निकट खड़े हैं, लकड़ी काटने की अपनी आरी उन्होंने बेंच पर रखी है और अपनी नज़रें आकाश की ओर लगाकर, अपनी माँसपेशियों के तनाव को निकालने के लिए उन्होंने अपने हाथ आकाश की ओर फैलाए हुए हैं। डुबते सूरज की किरणें खुले दरवाज़े से आकर पीछे की दीवार पर उनकी छाया डाल रहीं हैं, जहाँ दीवार पर औज़ार लटकाने का एक तखता लगा है जिस पर उनके फैली हुई बाहों की परछाईं पड़ रही है और पूरा दृश्य प्रभु के क्रूस पर चढ़े होने का सा चित्रण कर रहा है। निकट ही भूमि पर उनकी माता मरियम घुटने टेके बैठी है, उसका हाथ उस सन्दूक पर रखा है जिसमें प्रभु के जन्म के समय आए विद्वानों द्वारा अर्पित की गई बहुमूल्य भेंटें रखी हैं और उसके चेहरे पर अपने बेटे की इस छाया को देखने से विस्मय झलक रहा है।

   यह चित्र इस केंद्रूय सत्य को दर्शाती है कि प्रभु यीशु इस संसार में संसार के पापों का निवार्ण करने ही आए थे (युहना १:२९)। वे यह कार्य हमारे पापों को अपने ऊपर लिए हुए क्रूस की मृत्यु से होकर गुज़रने के द्वारा ही कर सकते थे (१ पतरस २:२४)।

   प्रभु यीशु इस संसार में समस्त संसार के पापों के लिए मरने के लिए ही जन्में थे। उस आते क्रूस की छाया सदा उनके साथ रही, वे उसकी परछाईं ही में जीए, यह भली भांति जानते हुए कि अपने पिता के कार्य में लगे होने से (लूका २:४९) उन्हें अन्ततः क्रूस की मृत्यु का कड़ुवा घूंट पीना ही पड़ेगा (लूका २२:४२)।

   आज हम आनन्दित हो सकते हैं क्योंकि हम सब कि मुक्ति के लिए प्रभु यीशु ने क्रूस की छाया में जीवन जिया, क्रूस की मृत्यु को सहा, तीसरे दिन मृतकों से जी उठे और अपने विश्वासियों को अपने साथ स्वर्ग में ले जाने के लिए वे पुनः आने वाले हैं। प्रभु ने अपना उद्देश्य पूरा किया है। - डेव एग्नर


कीलों से छिदे यीशु के हाथ परमेश्वर के प्रेम से भरे हृदय को दर्शाते हैं।

...परन्‍तु मैं इसी कारण इस घड़ी को पहुंचा हूं। हे पिता अपने नाम की महिमा कर: तब यह आकाशवाणी हुई, कि मैं ने उस की महिमा की है, और फिर भी करूंगा। - युहन्ना १२:२७, २८

बाइबल पाठ: युहन्ना १२:२७-३६
    Joh 12:27  अब मेरा जी व्याकुल हो रहा है। इसलिये अब मैं क्‍या कहूं हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा? परन्‍तु मैं इसी कारण इस घड़ी को पहुंचा हूं।
    Joh 12:28  हे पिता अपने नाम की महिमा कर: तब यह आकाशवाणी हुई, कि मैं ने उस की महिमा की है, और फिर भी करूंगा।
    Joh 12:29  तब जो लोग खड़े हुए सुन रहे थे, उन्‍होंने कहा कि बादल गरजा, औरों ने कहा, कोई स्‍वर्गदूत उस से बोला।
    Joh 12:30  इस पर यीशु ने कहा, यह शब्‍द मेरे लिये नहीं परन्‍तु तुम्हारे लिये आया है।
    Joh 12:31  अब इस जगत का न्याय होता है, अब इस जगत का सरदार निकाल दिया जाएगा।
    Joh 12:32  और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊंचे पर चढ़ाया जाऊंगा, तो सब को अपने पास खीचूंगा।
    Joh 12:33  ऐसा कह कर उस ने यह प्रगट कर दिया, कि वह कैसी मृत्यु से मरेगा।
    Joh 12:34  इस पर लोगों ने उस से कहा, कि हम ने व्यवस्था की यह बात सुनी है, कि मसीह सर्वदा रहेगा, फिर तू क्‍यों कहता है, कि मनुष्य के पुत्र को ऊंचे पर चढ़ाया जाना अवश्य है?
    Joh 12:35  यह मनुष्य का पुत्र कौन है? यीशु ने उन से कहा, ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है, जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो; ऐसा न हो कि अन्‍धकार तुम्हें आ घेरे; जो अन्‍धकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है।
    Joh 12:36  जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है, ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति के सन्‍तान होओ।...
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल ३७-३९ 
  • २ पतरस २

मंगलवार, 29 नवंबर 2011

दोषी या धर्मी

   एक प्रचारक ने कुछ जवानों से पुछा, क्षमा प्राप्त करने के लिए उन्हें क्या करना होगा? एक ने चुटकी लेते हुए कहा, "पाप"; प्रचारक ने उत्तर दिया, "तब तो हम सब को क्षमा के प्रार्थी होना चाहिए!"

   डा० कार्ल मेनिन्गर ने एक व्यक्ति के बारे में लिखा जो शिकागो शहर में मार्गों के एक कोने पर खड़ा रहता था और अचानक किसी राह चलते की ओर अपनी ऊँगली उठा कर ऊँची आवाज़ में कहता ’दोषी’ फिर बिना अपना हाव-भाव बदले स्थिर होकर खड़ा हो जाता, और कुछ समय पश्चात फिर से यही क्रिया दोहराता। एक बार एक व्यक्ति ने, जिस की ओर उसने इशारा कर के ’दोषी’ कहा था, अपने साथ चलने वाले मित्र से पूछा, "इसे कैसे पता चल गया?" लेकिन वस्तुस्थिति यह है कि वह व्यक्ति हम में से किसी की ओर भी इशारा कर के यही बात कह सकता है, और वह गलत नहीं होगा।

   परमेश्वर का वचन बाइबल यह स्पष्ट बताती है "इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं" (रोमियों ३:२३)। समस्त मानव इतिहास में प्रभु यीशु को छोड़ कोई ऐसा नहीं हुआ है जिसने पाप न किया हो; हर कोई पाप का दोषी है - जन्म से भी और जीवन से भी - चाहे कर्मों में हो अथवा विचारों में, पाप सभी ने किया है और करते रहते हैं। इसी लिए सभी अपने अपने पाप की मज़दूरी के भी भागी हैं, जो है मृत्यु - "क्‍योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है..." (रोमियों ६:२३)। यह मृत्यु शारीरिक भी है - आत्मा का शरीर से विच्छेद; और आत्मिक भी है - आत्मा का परमेश्वर से विच्छेद। किंतु जो बाइबल का जो पद पाप की मज़दूरी के बारे में बताता है, वही उसके निवारण के बारे में भी बताता है - "...परन्‍तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्‍त जीवन है" (रोमियों ६:२३)।

   पाप का यह दोष प्रभु यीशु में विश्वास के द्वारा हटाया जा सकता है। क्योंकि प्रभु यीशु परमेश्वर का सिद्ध प्रतिरूप, परमेश्वर का पुत्र था, जन्म, कर्म और विचारों से संपूर्णतः निषपाप और निषकलंक था, इसलिए पाप के दण्ड, अर्थात मृत्यु का उस पर कभी कोई अधिकार नहीं था। हमारे पापों का दण्ड अपने ऊपर लेकर प्रभु यीशु ने हमारी म्रुत्यु भी अपने ऊपर ले ली और हमारे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सह ली, और अपने मृत्यु पर जयवंत होने के प्रमाण के लिए वह कब्र में से तीसरे दिन जी भी उठा। इसलिए अब जो कोई साधारण विश्वास से अपने पापों की क्षमा उससे माँग लेता है और उसे अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार कर लेता है, वह परमेश्वर से, प्रभु यीशु की मृत्यु और जी उठने के आधार पर, अपने पापों की क्षमा भी प्राप्त कर लेता है।

   जिस किसी ने प्रभु यीशु को अपना मुक्तिदाता स्वीकार नहीं किया है, उनके लिए आज और अभी यह अवसर है, केवल साधारण विश्वास द्वारा सच्चे मन से कही एक प्रार्थना - "हे प्रभु यीशु मेरे पाप क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें" इस के लिए काफी है। प्रभु का सेंत-मेंत उद्धार का प्रस्ताव अभी सब के लिए उपलब्ध है; वह आपको दोषी से धर्मी बनाने में सक्षम है। - रिचर्ड डी हॉन


कोई भी अपने आप में इतना भला नहीं है कि अपने आप को पाप के दण्ड से बचा सके; कोई भी पाप में इतना गिरा भी नहीं है कि दण्ड से परमेश्वर उसे बचा ना सके।

इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं। - रोमियों ३:२३
 
बाइबल पाठ: रोमियों ३:९-२५
    Rom 3:9  तो फिर क्‍या हुआ क्‍या हम उन से अच्‍छे हैं कभी नहीं? क्‍योंकि हम यहूदियों और यूनानियों दोनों पर यह दोष लगा चुके हैं कि वे सब के सब पाप के वश में हैं।
    Rom 3:10  जैसा लिखा है, कि कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं।
    Rom 3:11  कोई समझदार नहीं, कोई परमेश्वर का खोजने वाला नहीं।
    Rom 3:12  सब भटक गए हैं, सब के सब निकम्मे बन गए, कोई भलाई करने वाला नहीं, एक भी नहीं।
    Rom 3:13  उन का गला खुली हुई कब्र है: उन्‍हीं ने अपनी जीभों से छल किया है: उन के होठों में सापों का विष है।
    Rom 3:14  और उन का मुंह श्राप और कड़वाहट से भरा है।
    Rom 3:15  उन के पांव लोहू बहाने को र्फुतीले हैं।
    Rom 3:16  उन के मार्गों में नाश और क्‍लेश है।
    Rom 3:17  उन्‍होंने कुशल का मार्ग नहीं जाना।
    Rom 3:18  उन की आंखों के साम्हने परमेश्वर का भय नहीं।
    Rom 3:19  हम जानते हैं, कि व्यवस्था जो कुछ कहती है उन्‍हीं से कहती है, जो व्यवस्था के आधीन हैं: इसलिये कि हर एक मुंह बन्‍द किया जाए, और सारा संसार परमेश्वर के दण्‍ड के योग्य ठहरे।
    Rom 3:20  क्‍योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके साम्हने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है।
    Rom 3:21  पर अब बिना व्यवस्था परमेश्वर की धामिर्कता प्रगट हुई है, जिस की गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं।
    Rom 3:22  अर्थात परमेश्वर की वह धामिर्कता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है; क्‍योंकि कुछ भेद नहीं।
    Rom 3:23  इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।
    Rom 3:24  परन्‍तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं।
    Rom 3:25  उसे परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहिले किए गए, और जिन की परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता से आनाकानी की; उन के विषय में वह अपनी धामिर्कता प्रगट करे।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल ३५-३६ 
  • २ पतरस १

सोमवार, 28 नवंबर 2011

उलट-फेर

   सामान्यतः किसी व्यक्ति का कुछ लेकर उसे दूसरे को दे देना अनुचित माना जाता है, किंतु जब यह कार्य कोई ऐसा व्यक्ति करे जिसके पास इसके उपयुक्त शासनाधिकार हों तो बात भिन्न हो जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ जब दक्षिणी अमेरिका में पीरू देश के राष्ट्रपति एलन गार्सिया की पत्नि ने नशीले पदार्थ कोकेन का कारोबार करने वाले एक व्यक्ति के पकड़े जाने पर उसका विशाल रिहायशी बंगला उससे ले कर उस बंगले को अनाथालय बना देने का आदेश दिया। वह बंगला जो कभी ’विला कोकेन’ के नाम से जाना जाता था और गैरकानूनी कामों के लिए प्रयोग होता था अब अनाथ बच्चों का निवास स्थान है।

   परमेश्वर ने भी कुछ ऐसा ही किया जब उस ने इस्त्राएल को वाचा किए हुए कनान देश में लाकर बसाया। परमेश्वर ने इस्त्राएलियों के द्वारा मूर्ति-पूजक और अपने विरोधी कनानियों का न्याय किया और उन्हें उस देश से निकाल दिया। परमेश्वर ने अपने लोगों को बने-बनाए नगर, घर, बाग़, खुदे हुए कुंए आदि दिए, जिनके लिए इस्त्राएलियों ने नहीं, दूसरों ने मेहनत करी थी। परमेश्वर ने अपने विरोधियों से लेकर अपने लोगों को दे दिया, जैसा उसने उनसे वायदा किया था (व्यवस्थाविवरण ६:१०, ११)।

   स्वर्ग और पृथ्वी के वास्तविक स्वामी होने के कारण परमेश्वर हमें विश्वास दिलाता है कि उसके पास लेने का भी अधिकार है और देने का भी अधिकार है; वह घमंडियों से लेकर दीनों को देता है। हो सकता है कि कुछ समय के लिए लगे कि परमेश्वर ऐसे लोगों की अनदेखी कर रहा है जो अन्याय, हिंसा और अनुचित कार्यों के द्वारा संपत्ति जमा कर लेते हैं; लेकिन भजन ३७ हमें आश्वस्त करता है कि आता समय दिखाएगा कि जो लोग परमेश्वर के समय की बाट जोहते हैं, उनकी इस बुद्धिमानी का कितना बड़ा प्रतिफल उनके लिए रखा है। वे एक बहुत बड़ा उलट-फेर देखने पाएंगे। - मार्ट डी हॉन

जीवन के अन्त में हम पाएंगे कि हमने वही खोया है जिसे हमने संजो कर रखने का प्रयास किया था।

यहोवा की बाट जोहता रह, और उसके मार्ग पर बना रह, और वह तुझे बढ़ा कर पृथ्वी का अधिकारी कर देगा; जब दुष्ट काट डाले जाएंगे, तब तू देखेगा। - भजन ३७:३४

बाइबल पाठ: भजन ३७:२७-४०
    Psa 37:27  बुराई को छोड़ भलाई कर; और तू सर्वदा बना रहेगा।
    Psa 37:28  क्योंकि यहोवा न्याय से प्रीति रखता है और अपने भक्तों को न तजेगा। उनकी तो रक्षा सदा होती है, परन्तु दुष्टों का वंश काट डाला जाएगा।
    Psa 37:29  धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।
    Psa 37:30  धर्मी अपने मुंह से बुद्धि की बातें करता, और न्याय का वचन कहता है।
    Psa 37:31  उसके परमेश्वर की व्यवस्था उसके हृदय में बनी रहती है, उसके पैर नहीं फिसलते।
    Psa 37:32  दुष्ट धर्मी की ताक में रहता है। और उसके मार डालने का यत्न करता है।
    Psa 37:33  यहोवा उसको उसके हाथ में न छोड़ेगा, और जब उसका विचार किया जाए तब वह उसे दोषी न ठहराएगा।
    Psa 37:34  यहोवा की बाट जोहता रह, और उसके मार्ग पर बना रह, और वह तुझे बढ़ा कर पृथ्वी का अधिकारी कर देगा; जब दुष्ट काट डाले जाएंगे, तब तू देखेगा।
    Psa 37:35  मैं ने दुष्ट को बड़ा पराक्रमी और ऐसा फैलता हुए देखा, जैसा कोई हरा पेड़ अपनी निज भूमि में फैलता है।
    Psa 37:36  परन्तु जब कोई उधर से गया तो देखा कि वह वहां है ही नहीं; और मैं ने भी उसे ढूंढ़ा, परन्तु कहीं न पाया।
    Psa 37:37  खरे मनुष्य पर दृष्टि कर और धर्मी को देख, क्योंकि मेल से रहने वाले पुरूष का अन्तफल अच्छा है।
    Psa 37:38  परन्तु अपराधी एक साथ सत्यानाश किए जाएंगे; दुष्टों का अन्तफल सर्वनाश है।
    Psa 37:39  धर्मियों की मुक्ति यहोवा की ओर से होती है; संकट के समय वह उनका दृढ़ गढ़ है।
    Psa 37:40  और यहोवा उनकी सहायता कर के उनको बचाता है; वह उनको दुष्टों से छुड़ा कर उनका उद्धार करता है, इसलिये कि उन्होंने उस में अपनी शरण ली है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल ३३-३४ 
  • १ पतरस ५

रविवार, 27 नवंबर 2011

पूर्वानुमान और भय

   लड़कपन से मैं जोखिम और साहस के कार्यों में बहुत रुचि रखता हूँ। मुझे अनजान स्थानों की खोज और वहाँ के यात्राओं की रोमाँचक कहानियाँ बहुत पसन्द हैं। मुझे रुडयार्ड किपलिंग कि यह पंक्तियाँ  अभी भी याद हैं:

   उन्होंने कहा, अब और आगे बढ़ने से कोई लाभ नहीं
   यह सभ्यता की अन्तिम सीमा है
   मैंने भी यह मान लिया
   जब तक कि अन्तरात्मा जैसी एक आवाज़ ने निरंतर मुझसे कहना आरंभ नहीं किया
   दिन-रात वह आवाज़ मेरे अन्दर गूँजती थी
   कुछ छुपा हुआ है, आगे बढ़ो और उसे ढूंढो
   जाओ, उन पहाड़ों के पीछे जाकर देखो
   उन पहाड़ों के पीछे कुछ रखा है
   कुछ जो तुम्हारा है, जो तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है। जाओ!

  
   यद्यपि मैं अभी भी कुछ नया आज़माने में रुचि रखता हूँ, किंतु उम्र बढ़ने के साथ वह जोखिम और रोमाँच की आत्मा कुछ सुस्त पड़ गई है। निकट भविष्य में नौकरी से अवकाश पाने, बुढ़ापा बढ़ते जाने और मृत्यु के समीप आते जाने के विचारों से मुझ में कुछ बेचैनी आ गई; अनजाने भविष्य का सामना करने की आशंका पर यह प्रतिक्रिया स्वाभाविक ही है। किंतु जब मैंने परमेश्वर पर अपना विश्वास और उसके साथ साथ नित-प्रतिदिन अपना चलते रहना कायम रखा, तो मेरी यह बेचैनी हट गई और अब स्वर्ग पहुँचने की लालसा बढ़ गई है।

   जब इस्त्राएली प्रजा मिस्त्र से निकल कर वाचा किए हुए कनान देश में प्रवेश करने पर थी तो निस्सन्देह वे आतुर किंतु बेचैन भी थे। यह पहचानते हुए उन के नायक यहोशु ने उन से कहा कि वे परमेश्वर की उन के साथ बनी हुई उपस्थिति के प्रतीक, उस वाचा के सन्दूक के पीछे पीछे चलते रहें। जो लोग वाचा का सन्दूक ले कर चल रहे थे, उन्हें यह निर्देश था कि बाकी लोगों से कुछ दूरी बना कर तो चलें, किंतु वे इस बात को ध्यान रख कर चलें कि वह सन्दूक उनके पीछे आने वाले लोगों को सदैव दिखता रहे, कभी भी दूरी इतनी न बढ़े कि पीछे आने वालों को सन्दूक दिखना बन्द हो जाए। उस सन्दूक को देखते हुए चलने से परमेश्वर की उपस्थिति पर उन इस्त्राएलियों का भरोसा बना रहा जिससे उनका साहस बढ़ा, तथा आने वाले भविष्य के पूर्वानुमान के बारे में उनका भय जाता रहा और वे उस वाचा के सन्दूक के पीछे-पीछे कनान में प्रवेश भी कर सके और बस भी सके।

   मसीही विश्वासी के लिए आने वाले भविष्य में परमेश्वर के साथ अनन्तकाल तक रहने का पूर्वानुमान भविष्य के उसके हर भय को दूर कर देता है और उस आनन्दमयी भविष्य की कल्पना के रोमाँच से भर देता है। - हर्ब वैण्डर लुग्ट

विश्वास जीवन नैया के पाल को स्वर्गीय बयार से भर देता है।

परन्तु उसके और तुम्हारे बीच में दो हजार हाथ के अटकल अन्तर रहे; तुम सन्दूक के निकट न जाना। ताकि तुम देख सको, कि किस मार्ग से तुम को चलना है, क्योंकि अब तक तुम इस मार्ग पर होकर नहीं चले। - यहोशु ३:४
 
बाइबल पाठ: यहोशु ३
    Jos 3:1  बिहान को यहोशू सवेरे उठा, और सब इस्राएलियों को साथ ले शित्तीम से कूच कर यरदन के किनारे आया; और वे पार उतरने से पहिले वहीं टिक गए।
    Jos 3:2  और तीन दिन के बाद सरदारों ने छावनी के बीच जाकर
    Jos 3:3  प्रजा के लोगों को यह आज्ञा दी, कि जब तुम को अपने परमेश्वर यहोवा की वाचा का सन्दूक और उसे उठाए हुए लेवीय याजक भी देख पड़ें, तब अपने स्थान से कूच करके उसके पीछे पीछे चलना,
Jos 3:4  परन्तु उसके और तुम्हारे बीच में दो हजार हाथ के अटकल अन्तर रहे; तुम सन्दूक के निकट न जाना। ताकि तुम देख सको, कि किस मार्ग से तुम को चलना है, क्योंकि अब तक तुम इस मार्ग पर होकर नहीं चले।
    Jos 3:5  फिर यहोशू ने प्रजा के लोगों से कहा, तुम अपने आप को पवित्र करो; क्योंकि कल के दिन यहोवा तुम्हारे मध्य में आश्चर्यकर्म करेगा।
    Jos 3:6  तब यहोशू ने याजकों से कहा, वाचा का सन्दूक उठा कर प्रजा के आगे आगे चलो। तब वे वाचा का सन्दूक उठा कर आगे आगे चले।
    Jos 3:7  तब यहोवा ने यहोशू से कहा, आज के दिन से मैं सब इस्राएलियों के सम्मुख तेरी प्रशंसा करना आरम्भ करूंगा, जिस से वे जान लें कि जैसे मैं मूसा के संग रहता था वैसे ही मैं तेरे संग भी हूं।
    Jos 3:8  और तू वाचा के सन्दूक के उठाने वाले याजकों को यह आज्ञा दे, कि जब तुम यरदन के जल के किनारे पहुंचो, तब यरदन में खड़े रहना।
    Jos 3:9  तब यहोशू ने इस्राएलियों से कहा, कि पास आकर अपने परमेश्वर यहोवा के वचन सुनो।
    Jos 3:10  और यहोशू कहने लगा, कि इस से तुम जान लोगे कि जीवित ईश्वर तुम्हारे मध्य में है, और वह तुम्हारे सामहने से नि:सन्देह कनानियों, हित्तियों, हिव्वियों, परिज्जियों, गिर्गाशियों, एमोरियों, और यबूसियों को उनके देश में से निकाल देगा।
    Jos 3:11  सुनो, पृथ्वी भर के प्रभु की वाचा का सन्दूक तुम्हारे आगे आगे यरदन में जाने पर है।
    Jos 3:12  इसलिये अब इस्राएल के गोत्रों में से बारह पुरूषों को चुन लो, वे एक एक गोत्र में से एक पुरूष हो।
    Jos 3:13  और जिस समय पृथ्वी भर के प्रभु यहोवा की वाचा का सन्दूक उठाने वाले याजकों के पांव यरदन के जल में पड़ेंगे, उस समय यरदन का ऊपर से बहता हुआ जल थम जाएगा, और ढेर होकर ठहरा रहेगा।
    Jos 3:14  सो जब प्रजा के लोगों ने अपने डेरों से यरदन पार जाने को कूच किया, और याजक वाचा का सन्दूक उठाए हुए प्रजा के आगे आगे चले,
    Jos 3:15  और सन्दूक के उठाने वाले यरदन पर पहुंचे, और सन्दूक के उठाने वाले याजकों के पांव यरदन के तीर के जल में डूब गए (यरदन का जल तो कटनी के समय के सब दिन कड़ारों के ऊपर ऊपर बहा करता है),
    Jos 3:16  तब जो जल ऊपर की ओर से बहा आता था वह बहुत दूर, अर्थात आदाम नगर के पास जो सारतान के निकट है रूक कर एक ढेर हो गया, और दीवार सा उठा रहा, और जो जल अराबा का ताल, जो खारा ताल भी कहलाता है, उसकी ओर बहा जाता था, वह पूरी रीति से सूख गया; और प्रजा के लाग यरीहो के साम्हने पार उतर गए।
    Jos 3:17  और याजक यहोवा की वाचा का सन्दूक उठाए हुए यरदन के बीचों बीच पहुंच कर स्थल पर स्थिर खड़े रहे, और सब इस्राएली स्थल ही स्थल पार उतरते रहे, निदान उस सारी जाति के लोग यरदन पार हो गए।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल ३०-३२ 
  • १ पतरस ४

शनिवार, 26 नवंबर 2011

आपका हाथ परमेश्वर के हाथ

   ब्रिटिश साम्राज्य को सन १९३९ में दिए गए अपने क्रिस्मस के सन्देश का अन्त तत्कालीन सम्राट जौर्ज (शष्टम) ने परमेश्वर की अगुवाई पर अपने विश्वास के बारे में बताकर किया। उस समय दूसरा विश्वयुद्ध आरंभ हो चुका था और हिटलर की सेनाएं ब्रिटेन पर भारी प्रहार कर रहीं थीं। सम्राट ने अपना सन्देश मिनि लुइस हैस्किन्स द्वारा लगभग ३० वर्ष पूर्व लिखित पंक्तियों के साथ समाप्त किया। मिनि ने लिखा था: "मैंने नव वर्ष के द्वार पर खड़े द्वारपाल से कहा, ’मुझे एक बत्ती दो कि मैं इस अन्जान स्थान में सुरक्षित चल सकूँ’; द्वारपाल ने उत्तर दिया ’अन्धकार में जाओ और अपना हाथ परमेश्वर के हाथ में दे दो। यह तुम्हारे लिए किसी भी बत्ती या जानी-पहचानी राह पर चलने से बेहतर होगा’ "।

   जैसे १९३९ में ब्रिटिश साम्राज्य अनिश्चितता के कगार पर खड़ा था, वैसे ही हम में से प्रत्येक एक ऐसे भविष्य के सामने खड़ा है जिसका पहचान चिन्ह है ’सतत परिवर्तन’ संभवतः आशंकापुर्ण परिस्थितियों के साथ। किंतु मसीही विश्वासी के साथ अनिश्चितता के घोर अन्धकार में भी उसके मार्गदर्शन के लिए एक विश्वासयोग्य और कभी न गलती करने वाला एक सहायक है; भजनकार ने उसी के विषय में लिखा: "तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा" (भजन १३९:१०)।

   परमेश्वर के लिए कुछ अप्रत्याशित नहीं है, कोई मार्ग अनजाना नहीं है, कोई परिस्थिति विचिलित कर देने वाली नहीं है। क्योंकि हमारे परमेश्वर पिता के सामने भविष्य बिलकुल स्पष्ट है, प्रत्येक मसीही विश्वासी पूरे भरोसे के साथ जहाँ परमेश्वर ले जाए निश्चिंत हो कर जा सकता है, चाहे मार्ग में तूफान हों अथवा शांति।

   हम पूरे विश्वास के साथ अपने हाथ परमेश्वर के हाथ में रख सकते हैं क्योंकि वही परमेश्वर हमारे भूतकाल को क्षमा, वर्तमान को नियंत्रित तथा भविष्य को निर्धारित करता है। - पौल वैन गोर्डर


जो लोग हर बात में परमेश्वर का हाथ देखते हैं वि निश्चिंत हो कर हर बात परमेश्वर के हाथ में छोड़ सकते हैं।

तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा। - भजन १३९:१०

बाइबल पाठ: भजन १३९:१-१२
    Psa 139:1  हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है।
    Psa 139:2  तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है।
    Psa 139:3  मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है।
    Psa 139:4  हे यहोवा, मेरे मुंह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो।
    Psa 139:5  तू ने मुझे आगे पीछे घेर रखा है, और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है।
    Psa 139:6  यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है; यह गम्भीर और मेरी समझ से बाहर है।
    Psa 139:7  मैं तेरे आत्मा से भागकर किधर जाऊं? वा तेरे साम्हने से किधर भागूं?
    Psa 139:8  यदि मैं आकाश पर चढूं, तो तू वहां है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊं तो वहां भी तू है!
    Psa 139:9  यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़ कर समुद्र के पार जा बसूं,
    Psa 139:10  तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा।
    Psa 139:11  यदि मैं कहूं कि अन्धकार में तो मैं छिप जाऊंगा, और मेरे चारों ओर का उजियाला रात का अन्धेरा हो जाएगा,
    Psa 139:12  तौभी अन्धकार तुझ से न छिपाएगा, रात तो दिन के तुल्य प्रकाश देगी; क्योंकि तेरे लिये अन्धियारा और उजियाला दोनों एक समान हैं।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल २७-२९ 
  • १ पतरस ३

शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

तिरिस्कार न करें, सुधारें

   कुछ वर्ष पहले की घटना है, एक मानसिक सन्तुलन खो चुका व्यक्ति दौड़ता हुआ ऐम्सटरडैम के एक अजायब घर में आया और विश्व-विख्यात कलाकार रेमब्रां के प्रसिद्ध चित्र Nightwatch पर आकर, अपनी जेब से एक चाकू निकाला और उस चित्र पर वार करके उसमें कई काटे लगा दिये। कुछ समय पश्चात, ऐसी ही एक और घटना में एक विक्षिप्त व्यक्ति रोम के प्रसिद्ध और विशाल सेंट पीटर चर्च में घुसा और मूर्तिकार माईकिलैंजलो की प्रसिद्ध और सुन्दर शिल्प The Pieta को तोड़ डाला।

   क्या अजायब घर और चर्च के रख-रखाव करने वालों ने इन बेमिसाल और अन्मोल कलाकृतियों को इस नुक्सान के कारण अब व्यर्थ और बेमोल समझ लिया और उन्हें कूड़े में फेंक दिया? कदापि नहीं; उन्होंने संसार में उपलब्ध सबसे उत्तम तकनीक और विशेषज्ञों की सहायता ली और फिर से उन्होंने इन बेश्कीमती कलाकृतियों को जहाँ तक संभव था पुनःस्थापित करने का पूरा पूरा प्रयास किया और अपने पास फिर संजो कर रख लिया।

   मसीही विश्वासियों को भी यही रवैया अपने उन साथियों के प्रति रखना चाहिए जिनकी गवाही किसी पाप द्वारा बिगड़ गई है। जब कोई परमेश्वर की सन्तान पाप में फंसती है, तो हमारा पहला प्रयास उसकी निन्दा करने का नहीं वरन उसे पुनःस्थापित करने का होना चाहिए। नम्रता और हमदर्दी के साथ हमें प्रार्थना और सहायता द्वारा उसे आत्मिक रूप से फिर से खड़े करने और मसीही संगति में स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए। मूल युनानी भाषा में जो शब्द गलतियों ६:१ में पु्नःस्थापित करने के लिए प्रयोग हुआ है, वही शब्द मत्ती ४:२१ में मछुआरों द्वारा अपने जाल सुधारने के लिए प्रयोग हुआ है। इस शब्द का अर्थ होता है पूरी तरह से ठीक कर देना।

   निन्दा करना सुधारने से अधिक सरल होता है। अपनी विरक्ति और घृणा में हमारी इच्छा एक पाप करने वाले मसीही से अपना मूँह फेर लेने की हो सकती है, किंतु परमेश्वर के वचन की सलाह निन्दा और तिरिस्कार नहीं सुधारना और अपनाना है, जैसे प्रभु यीशु मसीह ने भी हमें तथा पाप में पड़े समस्त संसार को सुधारने और अपनाने के लिए अपने प्राण दिये, ना कि नाश होने के लिए छोड़ दिया। - डेव एग्नर

यदि हम किसी को नीची निगाह से देखते रहेंगे तो फिर उसके साथ नज़र मिला कर बात कैसे कर सकेंगे?

हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो। - गलतियों ६:१

बाइबल पाठ: गलतियों ६:१-५
    Gal 6:1  हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो।
    Gal 6:2  तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।
    Gal 6:3  क्‍योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है, तो अपने आप को धोखा देता है।
    Gal 6:4  पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्‍तु अपने ही विषय में उसको घमण्‍ड करने का अवसर होगा।
    Gal 6:5  क्‍योंकि हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाएगा।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल २४-२६ 
  • १ पतरस २

गुरुवार, 24 नवंबर 2011

पुनःस्थापना

   एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी अवैध पदार्थों के प्रयोग और विक्रय करने के जुर्म में पकड़ा गया और बन्दीगृह में डाल दिया गया। उसके मित्रों ने इस बात के लिए कहा, "कैसी शर्म की बात है; ज़रा सोचो, यदि वह यह काम ना करता तो कितना कुछ प्राप्त कर सकता था, कितना अधिक आनन्द उठा सकता था।"

   इस खिलाड़ी का अपनी प्रतिभा के अनुरूप कार्य ना करना, एक तरह से समस्त मानव जाति का चित्रण है। परमेश्वर ने हमें अपने स्वरूप में बनाया जिससे हम उसकी आज्ञाकारिता में रहकर उसके साथ संगति का आनन्द उठाएं और उसकी महिमा के लिए इस पृथ्वी पर राज्य करें। किंतु ना तो हम जैसा रहना चाहिए वैसे उसकी आज्ञाकारिता में रहते हैं, ना ही उस की संगति का आनन्द लेते हैं और ना ही पृथ्वी पर जैसे हमें राज्य करना चाहिए वैसे राज्य करते हैं। संसार में लगातार बने और बढ़ते हुए अनैतिकता, अपराध, अकाल, आपसी बैर और संघर्ष, संभावित परमाणु युद्ध और विनाश के खतरे लगातार हमें स्मरण दिलाते रहते हैं कि जो प्रतिभा परमेश्वर ने हम में डालीं थीं, हमने उसके अनुरूप कार्य नहीं किया है।

   लेकिन बात यहीं समाप्त नहीं हो जाती। हमारी इस विफलता के बावजूद, परमेश्वर ने हम में से प्रत्येक को अपनी इस नैतिक असफलता से निकल कर आत्मिक सिद्धता तक उठने का मार्ग उपलब्ध कराया है। प्रभु यीशु के रूप में परमेश्वर स्वयं मनुष्य जाति का हिस्सा बन गया, जिसने सिद्ध जीवन जीया, हमारे पापों को अपने ऊपर लेकर हमारे बदले में उनका दण्ड क्रूस की मृत्यु के रूप में सहा और तीसरे दिन मृत्यु पर जयवन्त होकर फिर जीवित हो गया। आज भी वो प्रत्येक उस व्यक्ति को जो उसके इस बलिदान और उद्धार के कार्य को स्वीकार करता है, उसे स्वीकार करता है, उसके पाप क्षमा करता है और उन्हें उस सृजे गए स्वरूप में बहाल करता है। वह अपने प्रत्येक विश्वासी को अपने साथ, अपने आने वाले अनन्त साम्राज्य में, राज्य करने के लिए राजा और पुरोहित बना देता है (प्रकाशितवाक्य १:५, ६)।

   यदि हमें किसी चकनाचूर कर देने वाली हार का भी सामना करना पड़े, तौभी हमें निराषा में पड़े रहने की आवश्यक्ता नहीं है। सुसमाचार हमारे लिए अच्छी खबर है - प्रभु यीशु में विश्वास के द्वारा परमेश्वर हमें नया जीवन देता है, हमें हमारी असफलताओं से निकालता है और पुनः हम में अपने पूर्व-निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उठा कर खड़ा करता है। - हर्ब वैण्डर लुग्ट

प्रभु यीशु से मिले उद्धार द्वारा निकम्मे पापी उपयोगी सन्त बन जाते हैं।

और यीशु मसीह की ओर से, जो विश्वासयोग्य साक्षी और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा, और पृथ्वी के राजाओं का हाकिम है, तुम्हें अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे: जो हम से प्रेम रखता है, और जिस ने अपने लोहू के द्वारा हमें पापों से छुड़ाया है। और हमें एक राज्य और अपने पिता परमेश्वर के लिये याजक भी बना दिया; उसी की महिमा और पराक्रम युगानुयुग रहे। आमीन। - प्रकाशितवाक्य १:५, ६

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य १:१-८
    Rev 1:1  यीशु मसीह का प्रकाशितवाक्‍य जो उसे परमेश्वर ने इसलिये दिया, कि अपने दासों को वे बातें, जिन का शीघ्र होना अवश्य है, दिखाए: और उस ने अपने स्‍वर्गदूत को भेज कर उसके द्वारा अपने दास यूहन्ना को बताया।
    Rev 1:2  जिस ने परमेश्वर के वचन और यीशु मसीह की गवाही, अर्थात जो कुछ उस ने देखा था उस की गवाही दी।
    Rev 1:3  धन्य है वह जो इस भविष्यद्वाणी के वचन को पढ़ता है, और वे जो सुनते हैं और इस में लिखी हुई बातों को मानते हैं, क्‍योंकि समय निकट आया है।
    Rev 1:4  यूहन्ना की ओर से आसिया की सात कलीसियाओं के नाम: उस की ओर से जो है, और जो था, और जो आनेवाला है; और उन सात आत्माओं की ओर से, जो उसके सिंहासन के साम्हने है।
    Rev 1:5  और यीशु मसीह की ओर से, जो विश्वासयोग्य साक्षी और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा, और पृथ्वी के राजाओं का हाकिम है, तुम्हें अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे: जो हम से प्रेम रखता है, और जिस ने अपने लोहू के द्वारा हमें पापों से छुड़ाया है।
    Rev 1:6  और हमें एक राज्य और अपने पिता परमेश्वर के लिये याजक भी बना दिया; उसी की महिमा और पराक्रम युगानुयुग रहे। आमीन।
    Rev 1:7  देखो, वह बादलों के साथ आने वाला है; और हर एक आंख उसे देखेगी, वरन जिन्‍होंने उसे बेधा था, वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे। हां। आमीन।
    Rev 1:8  प्रभु परमेश्वर वह जो है, और जो था, और जो आनेवाला है; जो सर्वशक्तिमान है: यह कहता है, कि मैं ही अल्फा और ओमिगा हूं।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल २२-२३ 
  • १ पतरस १

बुधवार, 23 नवंबर 2011

उद्यमी क्षेत्र

   कुछ नगरों में उनके बिगड़े हुए क्षेत्रों को सुधारने के कोई प्रयास देखने को नहीं मिलते और वे क्षेत्र समय के साथ साथ बद से बदतर होते जाते हैं। कुछ अन्य नगरों में इन बिगड़े हुए क्षेत्रों को सुधारने के साहसी प्रयास देखने को मिलते हैं और समय के साथ साथ उन बिगड़े हुए क्षेत्रों की दशा में आशा से भी बहुत अधिक सुधार देखने को मिलता है। ऐसा इसलिए क्योंकि नगर की व्यवस्था के संचालन करने वालों ने इन बिगड़े हुए क्षेत्रों को "उद्यमी क्षेत्र" के रूप में देखना आरंभ किया, जिसके साथ स्वतः ही समय और प्रयास के साथ सुधार हो पाने की संभावना जुड़ जाती है। अपने नगर की समस्याओं को इस नज़रिए से देखने के कारण, वे लोग इसमें सुधार ला पाने की नई संभावनाएं तलाश पाते हैं, बिगड़े हुए को और बिगड़ने नहीं देते और फिर व्यापक सुधार के मार्ग खुलने लगते हैं, कार्यकारी होने लगते हैं और सुधार दिखने भी लगता है।

   मसीही विश्वासियों को भी ऐसा ही नज़रिया अपनाए रखना चाहिए। अपनी असफलताओं के कारण अपने जीवन के कठिन भागों में उन्नति पाने कि बजाए असफलताओं से निराश होकर बैठने वालों को अपनी असफलताओं को "उद्यमी क्षेत्र" के रूप में देखना चाहिए जहाँ निरंतर प्रार्थना और सतत प्रयास रचनात्मक सुधार ला सकता है।

   किसी मसीही विश्वासी को आत्मिक हताशा और विफलता में जीते रहने की आवश्यक्ता नहीं है क्योंकि किसी पाप अथवा असफलता में यह सामर्थ नहीं है कि वह उस पर हावी होकर रह सके। क्रूस पर मसीह यीशु के बलिदान ने, उसके अनुयायियों के जीवन से, पाप के बन्धनों और आधिपत्य को सदा के लिए पराजित कर दिया है (रोमियों ६:१४) और अब संसार कि हर सामर्थ से कहीं अधिक सामर्थी परमेश्वर की सामर्थ प्रत्येक मसीही विश्वासी में निवास करती है "हे बालको, तुम परमेश्वर के हो: और तुम ने उन पर जय पाई है; क्‍योंकि जो तुम में है, वह उस से जो संसार में है, बड़ा है" (१ युहन्ना ४:४)।

   जब कभी हम किसी पाप या कमज़ोरी या असफलता के चंगुल में फंसें तो विश्वास के साथ परमेश्वर की सहायता को पुकारें, उस बात के विषय में अपनी नकारात्मक प्रवृति को सकारात्मक बनाएं, और अपनी असफलता के उस क्षेत्र को "उद्यमी क्षेत्र" बना कर प्रार्थना और प्रयासों द्वारा अपनी असफलता को सफलता में परिवर्तित कर लें। - डेव एग्नर

बीते हुए कल की पराजयों को आते कल के प्रयासों पर हावी ना होने दें।

सो हम क्‍या कहें क्‍या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो? कदापि नहीं, हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उस में क्‍योंकर जीवन बिताएं? - रोमियों ६:१, २

बाइबल पाठ: रोमियों ६:१-१८
    Rom 6:1  सो हम क्‍या कहें क्‍या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो?
    Rom 6:2  कदापि नहीं, हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उस में क्‍योंकर जीवन बिताएं?
    Rom 6:3  क्‍या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उस की मृत्यु का बपतिस्मा लिया;
    Rom 6:4  सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें।
    Rom 6:5  क्‍योंकि यदि हम उस की मृत्यु की समानता में उसके साथ जुड़ गए हैं, तो निश्‍चय उसके जी उठने की समानता में भी जुड़ जाएंगे।
    Rom 6:6  क्‍योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्‍व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्‍व में न रहें।
    Rom 6:7  क्‍योंकि जो मर गया, वह पाप से छूट कर धर्मी ठहरा।
    Rom 6:8  सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी।
    Rom 6:9  क्‍योंकि यह जानते हैं, कि मसीह मरे हुओं में से जी उठ कर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की।
    Rom 6:10  क्‍योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया; परन्‍तु जो जीवित है, तो परमेश्वर के लिये जीवित है।
    Rom 6:11  ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्‍तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।
    Rom 6:12  इसलिये पाप तुम्हारे मरणहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के अधीन रहो।
    Rom 6:13  और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जान कर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।
    Rom 6:14  और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्‍योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो।
    Rom 6:15  तो क्‍या हुआ? क्‍या हम इसलिये पाप करें, कि हम व्यवस्था के आधीन नहीं बरन अनुग्रह के आधीन हैं? कदापि नहीं।
    Rom 6:16  क्‍या तुम नहीं जानते, कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों की नाईं सौंप देते हो, उसी के दास हो: और जिस की मानते हो, चाहे पाप के, जिस का अन्‍त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिस का अन्‍त धामिर्कता है
    Rom 6:17  परन्‍तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे तौभी मन से उस उपदेश के मानने वाले हो गए, जिस के सांचे में ढाले गए थे।
    Rom 6:18  और पाप से छुड़ाए जाकर धर्म के दास हो गए।
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल २०-२१ 
  • याकूब ५

मंगलवार, 22 नवंबर 2011

अगला प्रयास सर्वोत्तम होगा

   मैं जब भी गोल्फ खेलता हूँ तो गलतियाँ करता हूँ, क्योंकि मैं इसे इतना नहीं खेलता कि इसकी सभी बारीकियाँ समझ सकूँ और अपने खेल के स्तर को सुधार सकूँ। जब खेलता हूँ तो कभी गेंद गन्तव्य स्थान की बजाए कहीं और जा गिरती है, कभी निकट बहते किसी पानी की नाले में जा पड़ती है तो कभी बाईं ओर जाने की बजाए दाहिनी ओर घूम जाती है।

   इसलिए मुझे ग्रांटलैंड राइस द्वारा अपनी पुस्तक The Tumult and the Shouting में लिखे ये शब्द पसन्द हैं: "गोल्फ एक ऐसा खेल है जो एक साधारण सी बात - बल्ला घुमा कर गेंद को मारना, में  मनुष्य द्वारा होने वाली अनेक गलतियों और खामियों को प्रगट कर देता है, इसलिए खेलने वाले को यह खेल जितना कष्ट देता है और कुण्ठित करता है, शायद अन्य कोई नहीं करता। जितनी शीघ्र गोल्फ का खिलाड़ी अपने खेल के बिगड़े हुए प्रयास को भूल कर अगले प्रयास की तैयारी में लग जाए उतना ही उसके लिए लाभदायी और उस के खेल को सुधारने में सहायक होगा और उसे अपने खेल में आनन्द ले पाने में सक्षम करेगा। बिती गलतियों पर मन लगा कर पछतावे के साथ बैठे रहने से कुछ हासिल नहीं होता।" फिर राइस ने आगे लिखा, "गोल्फ में अगला प्रयास ही सर्वोत्तम प्रयास होता है।"

   परमेश्वर के वचन बाइबल में फिलिप्पियों को लिखी अपनी पत्री के तीसरे अध्याय में प्रेरित पौलुस ने भी अपने पाठकों को लगभग यही सलाह दी। उसने कहा कि मसीही विश्वास के जीवन में आगे बढ़ने का गुर है अपनी आँखें अपने निशाने पर गड़ाए रखना और आगे बढ़ने के प्रयास में लगे रहना। यदि हम पीछे की ओर मुड़कर देखने लगेंगे और अपनी गलतियों के बारे में सोचते रहेंगे तो शीघ्र ही निराशाओं में घिर जाएंगे।

   जब पाप हमें गिरा दे, या किसी असफलता के कारण कोई निराशा हमें घेर ले तो बाहर निकलने का सीधा सा मार्ग है - उसे परमेश्वर के सामने मान लें, उससे क्षमा माँग लें और उसकी दी गई क्षमा पर विश्वास करके तथा उस पाप अथवा असफलता पर बैठे रहने की बजाए उस को अपने पीछे करके फिर आगे की ओर बढ़ना आरंभ कर दें।

   गोल्फ के समान, मसीही विश्वास के जीवन में भी अगला प्रयास ही सर्वोत्तम प्रयास होता है। - डेव एग्नर


हमें कभी विफलता को अपनी सफलता छीनने नहीं देनी चाहिए।

हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्‍तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है। - फिलिप्पियों ३:१३, १४

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों ३:१२-१६
    Php 3:12  यह मतलब नहीं, कि मैं पा चुका हूं, या सिद्ध हो चुका हूं: पर उस पदार्थ को पकड़ने के लिये दौड़ा चला जाता हूं, जिस के लिये मसीह यीशु ने मुझे पकड़ा था।
    Php 3:13  हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्‍तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ।
    Php 3:14  निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है।
    Php 3:15  सो हम में से जितने सिद्ध हैं, यही विचार रखें, और यदि किसी बात में तुम्हारा और ही विचार हो तो परमेश्वर उसे भी तुम पर प्रगट कर देगा।
    Php 3:16  सो जहां तक हम पहुंचे हैं, उसी के अनुसार चलें।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल १८-१७ 
  • याकूब ४

सोमवार, 21 नवंबर 2011

असफलता की रचना

   मेंढक की शारीरिक संरचना ऐसी है कि वह अपने वातावरण के तापमान जैसे ही अपने शरीर के तापमान को करता रहता है। यदि धीरे-धीरे गर्म होते पानी में मेंढक को रखा जाए तो वह इस बात से अनभिज्ञ कि वह बढ़ते तापमान से मरने वाला है, अपने शरीर के तापमान को बढ़ाता रहता है और इससे पहले कि वह खतरे को भांपे, गर्म पानी द्वारा मौत उसे आ दबोचती है।

   पतरस का पतन भी अचानक घटने वाली घटना नहीं था, यह एक धीमे धीमे होने वाले आत्मिक पतन का नतीजा था। उसने प्रभु द्वारा अपने पकड़वाए जाने की चेतावनी को हलके में लिया और उसपर विश्वास नहीं किया, प्रभु यीशु के साथ अन्तिम भोज में जब प्रभु इस बारे में और सिखा रहा था तब पतरस अपने आत्मविश्वास और योग्यता के घमंड में था। फिर गतस्मनी के बाग़ में जब प्रभु ने उससे प्रार्थना के लिए कहा तो वह प्रार्थना करने की बजाए सो गया। जब उसी बाग़ में सैनिकों ने प्रभु को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाए तो पतरस ने शारीरिक प्रतिक्रीया के अन्तरगत अपनी तलवार निकाल कर चलाई और महापुरोहित के सेवक का कान काट डाला। और पतन का निम्न बिन्दु था अपने प्रभु के चेले के रूप में पहचाने जाने के बाद, भय से ग्रसित हो कर उसने तीन बार सेवक लड़की के सामने प्रभु का इन्कार किया।

   पतरस द्वारा प्रभु के इन्कार का दुख उन सभी मसीही विश्वासियों को पता है जिन्होंने विश्वास करने के बाद भी किसी न किसी रूप में अपने जीवन में प्रभु यीशु को ठोकर दी है और फिर उसका एहसास होने के बाद खेद में अपने हाथ मले हैं। पतरस के समान ही हमारी असफलताएं भी अचानक होने वाली घटना नहीं वरन एक पतन के सिलसिले का अन्त होती हैं जो किसी छोटी प्रतीत होने वाली अनआज्ञाकारिता या किसी घमण्ड से आरंभ होकर धीरे धीरे हमें भयानक अन्त तक ले आती हैं।

   इसलिए यह अनिवार्य है कि प्रतिदिन हम परमेश्वर पर निर्भर रहें और उसके वचन का पालन करते रहें। केवल यही एक तरीका है उस मेंढक के समान बिना पहचाने ही धीरे धीरे अपने आप को मृत्यु तक ले जाने से बचाने का। - मार्ट डी हॉन

मसीही जीवन में असफलता कभी अचानक नहीं होती, वह मसीही जीवन में आत्मिक पतन के सिलसिले का नतीजा होती है।

इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे कि कहीं गिर न पड़े। - १ कुरिन्थियों १०:१२

बाइबल पाठ: लूका २२:५४-६२

    Luk 22:54  फिर वे उसे पकड़ कर ले चले, और महायाजक के घर में लाए और पतरस दूर ही दूर उसके पीछे पीछे चलता था।
    Luk 22:55  और जब वे आंगन में आग सुलगा कर इकट्ठे बैठे, तो पतरस भी उन के बीच में बैठ गया।
    Luk 22:56  और एक लौंडी उसे आग के उजियाले में बैठे देख कर और उस की ओर ताक कर कहने लगी, यह भी तो उसके साथ था।
    Luk 22:57  परन्तु उस ने यह कह कर इन्‍कार किया, कि हे नारी, मैं उसे नहीं जानता।
    Luk 22:58  थोड़ी देर बाद किसी और ने उसे देख कर कहा, तू भी तो उन्‍हीं में से है: पतरस ने कहा, हे मनुष्य मैं नहीं हूं।
    Luk 22:59  कोई घंटे भर के बाद एक और मनुष्य दृढ़ता से कहने लगा, निश्‍चय यह भी तो उसके साथ था क्‍योंकि यह गलीली है।
    Luk 22:60  पतरस ने कहा, हे मनुष्य, मैं नहीं जानता कि तू क्‍या कहता है वह कह ही रहा था कि तुरन्‍त मुर्ग ने बांग दी।
    Luk 22:61  तब प्रभु ने घूम कर पतरस की ओर देखा, और पतरस को प्रभु की वह बात याद आई जो उस ने कही थी, कि आज मुर्ग के बांग देने से पहिले, तू तीन बार मेरा इन्‍कार करेगा।
    Luk 22:62  और वह बाहर निकल कर फूट फूट कर रोने लगा।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल १६-१७ 
  • याकूब ३

रविवार, 20 नवंबर 2011

खेद की दवा

   एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने अपने आप को समाज और अपने चर्च के लोगों से अलग-थलग कर लिया क्योंकि वह अपने बीते दिनों की गलती के कारण अति खेदित था, जिस कारण उसका परिवार टूट कर बिखर गया। एक वृद्ध स्त्री को बार-बार उभारे जाने और संभाले जाने की आवश्यक्ता रहती है क्योंकि वह ५० वर्ष पूर्व के एक प्रेम संबंध के खेद को भूल नहीं पा रही है। एक जवान युवती को मनोवैज्ञानिक चिकित्सा की आवश्यक्ता रहती है क्योंकि वह अपने गर्भपात कराने के निर्णय के लिए अपने आप को क्षमा नहीं कर पा रही है और इस कारण सदा खेदित रहती है। खेद बहुत से मनुष्यों के जीवन में ज़हर घोल देता है और उनके आनन्द तथा शान्ति को छीन लेता है।

   लेकिन मसीही विश्वासी के पास इसकी दवा है। यदि किसी को खेदित होकर निकम्मा हो जाने का कोई कारण था तो वह था प्रभु यीशु का चेला पतरस। उसने बहुत कायरता का व्यवहार किया जब अपने प्रभु को अपने कई दावों के बावजूद वह गतस्मनी के बाग़ में अकेला छोड़कर भाग गया, और फिर प्रभु के पकड़वाए जाने के बाद अधिकारियों की सेवक लड़कियों के सामने तीन बार उसने इस बात का भी इन्कार कर दिया कि वह प्रभु यीशु को जानता है। बाद में उसे इस बात का ऐसा खेद हुआ कि वह अपने इस व्यवहार के लिए फूट-फूट कर रोया। लेकिन उसने अपनी असफलताओं को प्रभु के लिए अपनी सेवकाई में आड़े नहीं आने दिया - क्योंकि उसने प्रभु यीशु द्वारा दी गई क्षमा को स्वीकार किया और प्रभु यीशु ही से नई सामर्थ और नई आशा प्राप्त करी, जब तीन बार प्रभु यीशु ने उससे कहा, "मेरी भेड़ों की रखवाली कर"। प्रेरितों १:१५ में हम पतरस को पहले के समान पुनः चेलों की अगुवाई करते देखते हैं। प्रभु यीशु कि क्षमा को हृदय से ग्रहण करने और फिर स्वयं अपने आप को भी क्षमा करने के कारण पतरस अपने अतीत की कमज़ोरी को मसीह के लोहू के नीचे दबा सका और उस गलती के खेद द्वारा उत्पन्न हो सकने वाले निकम्मेपन पर जयवंत हो सका।

   जब हम अपने पापों को प्रभु यीशु के समक्ष पश्चाताप के साथ मान लेते हैं, तब हम उन्हें वहीं उसके कदमों पर छोड़ कर उन्हें भुला भी सकते हैं क्योंकि, "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (१ युहन्ना १:९)।

   तब हम उस दुखदायी अतीत से आगे बढ़कर आनन्द के साथ उसकी सेवा में लग सकते हैं। खेद कभी हमारे आनन्द को नष्ट नहीं कर सकता क्योंकि प्रत्येक मसीही विश्वासी के पास खेद की कारगर दवा है। - हर्ब वैण्डर लुग्ट

जिन पापों को परमेश्वर ने अपनी क्षमा द्वारा मसीही विश्वासी के जीवन-वृतांत से हटा दिया है, उन्हें मसीही विश्वासी को अपने मन से भी हटा देना चाहिए।

और उन्‍हीं दिनों में पतरस भाइयों के बीच में जो एक सौ बीस व्यक्ति के लगभग इकट्ठे थे, खड़ा होकर कहने लगा। - प्रेरितों १:१५

बाइबल पाठ: यूहन्ना २१:१५-१९
    Joh 21:15  भोजन करने के बाद यीशु ने शमौन पतरस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्‍या तू इन से बढ़कर मुझ से प्रेम रखता है? उस ने उस से कहा, हां प्रभु तू तो जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उस ने उस से कहा, मेरे मेमनों को चरा।
    Joh 21:16  उस ने फिर दूसरी बार उस से कहा, हे शमौन यूहन्ना के पुत्र, क्‍या तू मुझ से प्रेम रखता है? उस ने उन से कहा, हां, प्रभु तू जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उस ने उस से कहा, मेरी भेड़ों की रखवाली कर।
    Joh 21:17  उस ने तीसरी बार उस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्‍या तू मुझ से प्रीति रखता है? पतरस उदास हुआ, कि उस ने उसे तीसरी बार ऐसा कहा कि क्‍या तू मुझ से प्रीति रखता है? और उस से कहा, हे प्रभु, तू तो सब कुछ जानता है: तू यह जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: यीशु ने उस से कहा, मेरी भेड़ों को चरा।
    Joh 21:18  मैं तुझ से सच सच कहता हूं, जब तू जवान था, तो अपनी कमर बान्‍ध कर जहां चाहता था, वहां फिरता था; परन्‍तु जब तू बूढ़ा होगा, तो अपने हाथ लम्बे करेगा, और दूसरा तेरी कमर बान्‍धकर जहां तू न चाहेगा वहां तुझे ले जाएगा।
    Joh 21:19  उस ने इन बातों से पता दिया कि पतरस कैसी मृत्यु से परमेश्वर की महिमा करेगा; और यह कहकर, उस से कहा, मेरे पीछे हो ले।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल १४-१५ 
  • याकूब २

शनिवार, 19 नवंबर 2011

पहचान

   साधारणतया फलों की गुणवन्ता जाँचने के लिए उनके रंग और ठोस होने को परखा जाता है, किंतु क्रैन्बेरी नामक एक फल ऐसा है जिसे उसके गेंद के समान उछाल लेने के द्वारा परखा जाता है - जितना अच्छा उछाल, क्रैनबेरी उतनी ही बेहतर मानी जाती है। Science Digest में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार ताज़ी तोड़ी गई क्रैनबेरियों को सीढ़ीनुमा पट्टीयों पर नीचे की ओर लुढ़्काया जाता है, और जो क्रैन्बेरियाँ ८-१० इंच ऊँची उछलती हैं वे ही अच्छी मानी जाती हैं और स्वीकार करी जाती हैं।

   मसीही विश्वासी भी ऐसे ही परखे जा सकते हैं; उनके विश्वास की गुण्वन्ता इस बात से परखी जा सकती है कि किसी असफलता का सामना करने के बाद वे उछल कर पुनः अपने विश्वास की पूर्व स्थिति पर आ जाते हैं कि नहीं। यद्यपि असफलता दुखदायी होती है, लेकिन वह अवसर भी देती है कि हम मसीह में अपने विश्वास की दृढ़ता को और उसके प्रति अपने समर्पण को जाँच सकें।

   प्रभु यीशु मसीह जानते थे कि पतरस अपनी योग्यताओं पर अपने अत्याधिक आत्मविश्वास और उत्साह के कारण ठोकर खाकर गिरने वाला है, और तीन बार उसका इन्कार करेगा। लेकिन प्रभु यीशु इसके आगे भी जानते थे कि इस असफलता के बाद उसके अन्दर पश्चाताप होगा और उसका विश्वास बहाल होगा। जब प्रभु यीशु ने पतरस के लिए प्रार्थना करी कि उसका विश्वास जाता ना रहे, और इसका आश्वासन पतरस को दिया, तो प्रभु यीशु का उससे कहने का तात्पर्य था कि "पतरस, मैं जानता हूँ कि तू गिरने के बाद पुनः उछल कर खड़ा हो जाएगा और मेरे लिए फिर उपयोगी होगा।"

   यदि आपने किसी आत्मिक असफलता का सामना किया है तो निराश मत हों, मसीह आपको भी बहाल कर सकता है। किसी बड़ी ठोकर और गिरने के बाद भी मसीह आपको अपने लिए पुनः उपयोगी बना सकता है। परमेश्वर की क्षमाशीलता और आपके विश्वास की उछाल आपके पुनः स्थापित हो पाने की पहचान हैं। - मार्ट डी हॉन

पराजय तब ही कड़ुवी लगती है जब हम उसे निगलते हैं।

परन्‍तु मैं ने तेरे लिये बिनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे: और जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना। - लूका २२:३२

बाइबल पाठ: लूका २२:३१-३४
    Luk 22:31  शमौन, हे शमौन, देख, शैतान ने तुम लोगों को मांग लिया है कि गेंहूं की नाई फटके।
    Luk 22:32  परन्‍तु मैं ने तेरे लिये बिनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे: और जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना।
    Luk 22:33  उस ने उस से कहा, हे प्रभु, मैं तेरे साथ बन्‍दीगृह जाने, वरन मरने को भी तैयार हूं।
    Luk 22:34  उस ने कहा, हे पतरस मैं तुझ से कहता हूं, कि आज मुर्ग बांग न देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्‍कार न कर लेगा कि मैं उसे नहीं जानता।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल ११-१३ 
  • याकूब १

शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

करुणा भाव

   वे जिनका स्वास्थ्य अच्छा होता है कई बार उनकी उपेक्षा करते हैं जो इतने भाग्यवान नहीं हैं, और कभी कभी तो उनके साथ निष्ठुरता का व्यवहार भी करते हैं। मैंने कुछ अन्य युवकों को एक मन्द बुद्धि मनुष्य का मज़ाक बनाते देखा है; मैंने कुछ ऐसे लोगों को भी देखा है जो उनकी अन्देखी करते हैं जो या तो अपंग हैं या ’दिखने’ में भिन्न होते हैं।

   इसके विपरीत मैंने अपनी एक कुटुंबी को ऐसे लोगों के प्रति बहुत करुणामय देखा है जिनकी अन्य लोग उपेक्षा करते हैं। वे प्रति सप्ताह अपने समय का एक बड़ा भाग दो ऐसे वृद्धों कि देखभाल में लगाती हैं जिनका कोई सहायक नहीं है। उनकी गली में रहने वाले एक मानसिक रोगी से भी उनकी अच्छी मित्रता है, और लगभग प्रति दिन वह उनके पास कुछ पल के लिए मिलने आता है, और उसके चेहरे की खुशी बताती है कि इस छोटी सी मुलाकात से उसे कितनी प्रसन्नता होती है और मेरी कुटुंबी उसके जीवन में कितना आनन्द देती है।

   प्रभु यीशु ने भी सदा करुणा के साथ लोगों से व्यवहार किया। वह रोगियों और दुखियों के प्रति दयालु था और वे उसे घेरे रहते थे। उसने एक अन्धे व्यक्ति को चँगा करने से पहले उसका हाथ पकड़ कर उसे भीड़ से निकाला। वे बिमारों को, यहाँ तक कि कोढियों को भी छू कर चँगा करते थे, और दुष्टात्माओं से ग्रसित लोगों को दुष्टात्माओं से छुटकारा दिलवाने के लिए समय देते थे।

   मसीही विश्वासी की मसीह से समानता का एक सूचक है उसका ऐसे अभागे लोगों से किया गया व्यवहार। क्योंकि ये त्रस्त और अभागे लोग प्रत्युत्तर में हमें कुछ नहीं दे सकते इसलिए उनके प्रति हमारी भलाई वास्तव में निस्वार्थ होती है। उनके प्रति जिन्हें बहुत की आवश्यक्ता है लेकिन प्राप्त थोड़ा ही होता है, मसीह के समान करुणा भाव दिखाने के ऐसे प्रत्येक अवसर का हम मसीही विश्वासियों को स्वागत और उपयोग करना चाहिए। - हर्ब वैण्डर लुग्ट


जो प्रत्युत्तर में हमारी सहायता नहीं कर सकते, उनकी सहायता के लिए हाथ बढ़ाना हमारे मसीही प्रेम की परीक्षा है।

और एक कोढ़ी ने उसके पास आकर, उस से बिनती की, और उसके साम्हने घुटने टेक कर, उस से कहा; यदि तू चाहे तो मुझे शुद्ध कर सकता है। उस ने उस पर तरस खाकर हाथ बढ़ाया, और उसे छूकर कहा, मैं चाहता हूं तू शुद्ध हो जा। - मरकुस १:४०, ४१

बाइबल पाठ: मरकुस १:३२-४२
    Mar 1:32  सन्‍ध्या के समय जब सूर्य डूब गया तो लोग सब बीमारों को और उन्‍हें जिन में दुष्‍टात्मा थीं उसके पास लाए।
    Mar 1:33  और सारा नगर द्वार पर इकट्ठा हुआ।
    Mar 1:34  और उस ने बहुतों को जो नाना प्रकार की बीमारियों से दुखी थे, चंगा किया; और बहुत से दुष्‍टात्माओं को निकाला; और दुष्‍टात्माओं को बोलने न दिया, क्‍योंकि वे उसे पहचानती थीं।
    Mar 1:35  और भोर को दिन निकलने से बहुत पहिले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहां प्रार्थाना करने लगा।
    Mar 1:36  तब शमौन और उसके साथी उस की खोज में गए।
    Mar 1:37  जब वह मिला, तो उस से कहा; कि सब लोग तुझे ढूंढ रहे हैं।
    Mar 1:38  उस न उन से कहा, आओ; हम और कहीं आस पास की बस्‍तियों में जाएं, कि मैं वहां भी प्रचार करूं, क्‍योंकि मैं। इसी लिये निकला हूं।
    Mar 1:39  सो वह सारे गलील में उन की सभाओं में जा जाकर प्रचार करता और दुष्‍टात्माओं को निकालता रहा।
    Mar 1:40  और एक कोढ़ी ने उसके पास आकर, उस से बिनती की, और उसके साम्हने घुटने टेककर, उस से कहा; यदि तू चाहे तो मुझे शुद्ध कर सकता है।
    Mar 1:41  उस ने उस पर तरस खाकर हाथ बढ़ाया, और उसे छूकर कहा; मैं चाहता हूं तू शुद्ध हो जा।
    Mar 1:42  और तुरन्‍त उसका कोढ़ जाता रहा, और वह शुद्ध हो गया।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल ८-१० 
  • इब्रानियों १३

गुरुवार, 17 नवंबर 2011

सर्वाधिक महिमा

   प्रभु यीशु के अनेक सच्चे विश्वासी यह मानते हैं कि अस्वस्थता मनुष्य के लिए परमेश्वर की इच्छा में नहीं है। इसलिए हमें पूरा ज़ोर लगाकर चंगाई के लिए प्रार्थना करते रहना चाहिए और प्रार्थना के उत्तर में इन्कार को स्वीकार कभी नहीं करना चाहिए। उनका मानना है कि शारीरिक अस्वस्थता इसलिए बनी रहती है क्योंकि हम उसके आदी हो गए हैं; और इस से निकलने के लिए जो हमें चाहिए वह है और भी अधिक विश्वास। वे इस बात को विश्वास की कमी का सूचक मानते हैं जब प्रार्थना में परमेश्वर से लोग कहते हैं कि "यदि आपकी इच्छा हो तो..."।

   किंतु अपने क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए पकड़वाए जाने से पहले गतसमनी के बाग़ में प्रभु यीशु की प्रार्थना पर विचार करें। यद्यपि उनकी प्रार्थना किसी बीमारी के लिए नहीं वरन उस आने वाले दुख से निकल पाने के विष्य में थी जो वे भोगने को थे, उस प्रार्थना के लिए परमेश्वर का प्रत्युत्तर स्पष्ट दिखाता है कि उसकी महिमा हमेशा परिस्थितियों के तुरंत या नाटकीय रूप से निवारण द्वारा नहीं होती।

   प्रभु जो पाप से अनजान था, निष्पाप और निष्कलंक था, समस्त मानव जाति के पापों को अपने ऊपर लेने जा रहा था, सबके लिए पाप बनकर प्रत्येक व्यक्ति के लिए पाप का दण्ड भोगने जा रहा था। ऐसे में उसका विचिलित होना, और उसका प्रार्थना करना कि यदि सम्भव हो तो यह दुख का प्याला उसे ना पीना पड़े स्वभाविक था। लेकिन उस ने अपनी इच्छा मनवाने के लिए परमेश्वर को बाध्य नहीं किया; अपने भाव व्यक्त करने के पश्चात, जो भी होना हो उसने वह परमेश्वर के हाथों में छोड़ दिया, और अपने आप को उसकी आज्ञाकारिता को समर्पित कर दिया।

   अपने प्रभु के समान हमें भी अपने दुखों और आवश्यक्ताओं में अपने परमेश्वर के सन्मुख अपनी भावनाएं व्यक्त करने और प्रार्थनाएं करने की स्वतंत्रता है, लेकिन प्रभु के समान ही उन विषयों के लिए परमेश्वर की इच्छा पुरी होने देने की भी ज़िम्मेदारी है।

   नौर्वे के एक बाइबल शिक्षक ओले हैल्सबी ने कहा कि अपनी अस्वस्थताओं के लिए हमें कुछ इस प्रकार प्रार्थना करनी चाहिए: "प्रभु, यदि आपकी महिमा हो तो मुझे तुरंत ठीक कर दीजिए; यदि अधिक महिमा उस में हो तो धीरे धीरे ठीक कीजिए; यदि उससे भी अधिक महिमा उससे होती हो तो अपने दास को कुछ समय अस्वस्थ रहने दीजिए; और यदि उससे सर्वाधिक महिमा होती हो तो अपने दास को अपने पास स्वर्ग में बुला लीजिए।"

   हर बात में हमें यह विचार करना चाहिए कि परमेश्वर की सर्वाधिक महिमा किस बात से होगी? - डेनिस डी हॉन

यदि परमेश्वर किसी बात के लिए हमें इन्कार करता है तो वह इसलिए कि वो हमें कुछ बेहतर दे सके।

और वह थोड़ा आगे बढ़ा, और भूमि पर गिर कर प्रार्थना करने लगा, कि यदि हो सके तो यह घड़ी मुझ पर से टल जाए। और कहा, हे अब्‍बा, हे पिता, तुझ से सब कुछ हो सकता है; इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले: तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, पर जो तू चाहता है वही हो। - मरकुस १४:३५, ३६

बाइबल पाठ: मरकुस १४:३२-३८
    Mar 14:32  फिर वे गतसमने नाम एक जगह में आए, और उस ने अपने चेलों से कहा, यहां बैठे रहो, जब तक मैं प्रार्थना करूं।
    Mar 14:33  और वह पतरस और याकूब और यूहन्ना को अपने साथ ले गया: और बहुत ही अधीर, और व्याकुल होने लगा।
    Mar 14:34  और उन से कहा, मेरा मन बहुत उदास है, यहां तक कि मैं मरने पर हूं: तुम यहां ठहरो, और जागते रहो।
    Mar 14:35  और वह थोड़ा आगे बढ़ा, और भूमि पर गिर कर प्रार्थना करने लगा, कि यदि हो सके तो यह घड़ी मुझ पर से टल जाए।
    Mar 14:36  और कहा, हे अब्‍बा, हे पिता, तुझ से सब कुछ हो सकता है; इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले: तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, पर जो तू चाहता है वही हो।
    Mar 14:37  फिर वह आया, और उन्‍हें सोते पाकर पतरस से कहा, हे शमौन तू सो रहा है? क्‍या तू एक घड़ी भी न जाग सका?
    Mar 14:38  जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो: आत्मा तो तैयार है, पर शरीर र्दुबल है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल ५-७ 
  • इब्रानियों १२

बुधवार, 16 नवंबर 2011

आँसुओं का मूल्य

   आँसू, भावनाएं व्यक्त करने में शब्दों से और संबंधों के बनाने में वाचाओं से अधिक सामर्थी होते हैं। सन १९४७ में तत्कालीन अमेरीकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन पड़ौसी देश मेक्सिको के दौरे पर थे और वे वहाँ के एक सैनिक प्रशिक्षण केंद्र पर श्रद्धांजलि देने गए। तब से लगभग सौ वर्ष पूर्व, अमेरीकी सैनिकों ने जब उस स्थान पर कब्ज़ा किया था तो प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण ले रहे सैनिक छात्रों ने भी युद्ध में भाग लिया और उस युद्ध में सभी शहीद हो गए। जब ट्रूमैन उन शहीदों के स्मरण में बने स्मारक पर उनके लिए अपने श्रद्धा सुमन चढ़ा कर और उनके आदर में अपने सर को झुका कर खड़े हुए तो वहाँ उपस्थित सैनिकों की आँखों से आँसू बहने लगे। उस समय पर व्यक्त किए गए इस भावोद्वेग ने दोनो देशों के संबंध को दृढ़ करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

   मसीही विश्वासी भी अपने सबसे घोर संघर्ष और सबसे उत्तम भावनाएं अपने आँसुओं के माध्यम से प्रकट कर सकते हैं। जब आँसु प्रार्थना और संवेदना के साथ मिलाकर अर्पित करे जाते हैं, तो वे विश्वासी के विश्वास और भावनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति हो जाते हैं।

   मुझे कोई संदेह नहीं है कि प्रभु यीशु भी जीवन के सच्चे आनन्दों में आनन्दित होते थे; लेकिन अपने चारों ओर विद्यमान पाप के कारण उत्पन्न दुख से भी वो आहत होते थे। वे बेझिझक अपने मित्र की कब्र पर भी रोए और यरुशलेम के अविश्वास पर भी उनके आँसू बह निकले।

   हमारे उद्धाकर्ता के आँसू हमें प्रोतसाहित करते हैं कि हम भी अपने भावों की सच्ची अभिव्यक्ति के लिए आँसू बहाने से न हिचकिचाएं, बिगड़े संबंधों को सुधारने और अवरोधों को दूर करने के लिए हम अपने आँसुओं का पवित्र आत्मा को प्रयोग करने दें।

   क्योंकि कठोर, दुखी और अविश्वासी लोगों को यीशु के प्रेम, क्षमा और उद्धार की आवश्यक्ता है, इसलिए हमें उनके लिए परमेश्वर के सन्मुख आँसू बहाने की आवश्यक्ता है। उनके लिए हमारे आँसुओं को देख कर उनके कठोर मन पिघल सकते हैं और वे भी यीशु को ग्रहण करने वाले हो सक्ते हैं। - डेनिस डी हॉन


यदि आँखों में आँसू ना हों तो आत्मा को कोई मेघधनुष दिखाई नहीं देगा।

आनन्‍द करने वालों के साथ आनन्‍द करो, और रोने वालों के साथ रोओ। - रोमियों १२:१५

बाइबल पाठ: युहन्ना ११:१७-४४
    Joh 11:17  सो यीशु को आकर यह मालूम हुआ कि उसे कब्र में रखे चार दिन हो चुके हैं।
    Joh 11:18  बैतनिय्याह यरूशलेम के समीप कोई दो मील की दूरी पर था।
    Joh 11:19  और बहुत से यहूदी मरथा और मरियम के पास उन के भाई के विषय में शान्‍ति देने के लिये आए थे।
    Joh 11:20  सो मरथा यीशु के आने का समचार सुनकर उस से भेंट करने को गई, परन्‍तु मरियम घर में बैठी रही।
    Joh 11:21  मरथा ने यीशु से कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता।
    Joh 11:22  और अब भी मैं जानती हूं, कि जो कुछ तू परमेश्वर से मांगेगा, परमेश्वर तुझे देगा।
    Joh 11:23  यीशु ने उस से कहा, तेरा भाई जी उठेगा।
    Joh 11:24  मरथा ने उस से कहा, मैं जानती हूं, कि अन्‍तिम दिन में पुनरूत्थान के समय वह जी उठेगा।
    Joh 11:25  यीशु ने उस से कहा, पुनरूत्थान और जीवन मैं ही हूं, जा कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।
    Joh 11:26  और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्‍तकाल तक न मरेगा, क्‍या तू इस बात पर विश्वास करती है
    Joh 11:27  उस ने उस से कहा, हां हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूं, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आने वाला था, वह तू ही है।
    Joh 11:28  यह कह कर वह चली गई, और अपनी बहिन मरियम को चुपके से बुला कर कहा, गुरू यहीं है, और तुझे बुलाता है।
    Joh 11:29  वह सुनते ही तुरन्‍त उठ कर उसके पास आई।
    Joh 11:30  (यीशु अभी गांव में नहीं पहुंचा था, परन्‍तु उसी स्थान में था जहां मरथा ने उस से भेंट की थी।)
    Joh 11:31  तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे, और उसे शान्‍ति दे रहे थे, यह देखकर कि मरियम तुरन्‍त उठके बाहर गई है और यह समझ कर कि वह कब्र पर रोने को जाती है, उसके पीछे हो लिये।
    Joh 11:32  जब मरियम वहां पहुंची जहां यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पांवों पर गिर के कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता तो मेरा भाई न मरता।
    Joh 11:33  जब यीशु ने उस को और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है?
    Joh 11:34  उन्‍होंने उस से कहा, हे प्रभु, चल कर देख ले।
    Joh 11:35  यीशु के आंसू बहने लगे।
    Joh 11:36  तब यहूदी कहने लगे, देखो, वह उस से कैसी प्रीति रखता था।
    Joh 11:37  परन्‍तु उन में से कितनों ने कहा, क्‍या यह जिस ने अन्‍धे की आंखें खोलीं, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता?
    Joh 11:38  यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था।
    Joh 11:39  यीशु ने कहा पत्थर को उठाओ: उस मरे हुए की बहिन मरथा उस से कहने लगी, हे प्रभु, उस में से अब तो र्दुगंध आती है क्‍योंकि उसे मरे चार दिन हो गए।
    Joh 11:40  यीशु ने उस से कहा, क्‍या मैं ने तुझ से न कहा कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी।
    Joh 11:41  तब उन्‍होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आंखें उठा कर कहा, हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं कि तू ने मेरी सुन ली है।
    Joh 11:42  और मै जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्‍तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उन के कारण मैं ने यह कहा, जिस से कि वे विश्वास करें, कि तू ने मुझे भेजा है।
    Joh 11:43  यह कह कर उस ने बड़े शब्‍द से पुकारा, कि हे लाजर, निकल आ।
    Joh 11:44  जो मर गया था, वह कफन से हाथ पांव बन्‍धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ था; यीशु ने उन से कहा, उसे खोलकर जाने दो।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल ३-४ 
  • इब्रानियों ११:२०-४०

मंगलवार, 15 नवंबर 2011

अनुकम्पा

   एक दिन प्रसिद्ध मसीही प्रचारक डी.एल.मूडी ने प्रभु यीशु मसीह की अनुकम्पा पर एक हृदय स्पर्शी सन्देश दिया। बाद में उनके एक मित्र ने पूछा कि वे इतना दिल छू लेने वाला सन्देश कैसे तैयार कर सके तो उन्होंने उत्तर दिया, "मैं एक दिन प्रभु यीशु मसीह की करुणा के बरे में विचार करने लगा; इसलिए मैंने अपनी बाइबल ली और उसे पढ़ने और ढूंढ़ने लगा कि परमेश्वर का वचन मसीह की करुणा के विषय में क्या कुछ कहता है। जैसे जैसे मुझे संबंधित पद मिलते गए, मैं उन पर मनन और प्रार्थना करता रहा, कुछ ही देर में मसीह की असीम करुणा ने मुझे ऐसा अभिभूत कर लिया कि मैं अपने अध्ययन कक्ष के फर्श पर लेटकर, बाइबल में मूँह रखकर बच्चे के समान फूट फूट कर रोने लगा।"

   कुछ लोगों को लगता है कि रोना कमज़ोरी की निशानी है। परन्तु स्वयं हमारा प्रभु यीशु रोया था। प्रेरित पौलुस भी, जब उस ने परमेश्वर के लोगों के लिए अपने हृदय के बोझ के बारे में लिखा, तो साथ ही अपने आँसुओं के विषय में लिखने से नहीं लज्जाया। मसीह के भले सेवक ऐसे ही होंगे - उनके हृदय कोमल और करुणामय होंगे; उनके मन प्रेम से ऐसे भरे होंगे कि अकसर उनकी भावनाएं आँसुओं के रूप में प्रवाहित होती मिलेंगी।

   जब हम मसीह के क्रूस की छाया में आकर खड़े होंगे, और परमेश्वर के प्रेम से अपनी आत्मा को विभोर होने देंगे, तो हमारे कठोर मन पिघल जाएंगे और मन का ठंडापन जाता रहेगा और उसकी जगह समस्त मानव जाति के लिए परमेश्वर के प्रेम की गर्माहट मन में भर जाएगी। तब ही पाप के दासत्व में पड़े लोगों के लिए मसीह की अनुकम्पा हमारी भी अनुकम्पा बन जाएगी और मसीह का प्रेम हमें वशीभूत करेगा कि हम दूसरों तक उसके प्रेम और उद्धार के सुसमाचार को पहुँचाने की लालसा रखने तथा हर कष्ट और सताव के बावजूद अपनी इस लालसा की पूर्ति के लिए प्रयास में लगे रहने वाले लोग बन सकें। - पौल वैन गोर्डर


प्रेम भरे हृदय रूपी सोते से आँसु उनमुक्त भाव से बहते हैं।

... मैं ने तीन वर्ष तक रात दिन आंसू बहा बहाकर, हर एक को चितौनी देना न छोड़ा। - प्रेरितों २०:३१
 
बाइबल पाठ: १ थिस्सलुनीकियों २:१-२०
    1Th 2:1  हे भाइयों, तुम आप ही जानते हो कि हमारा तुम्हारे पास आना व्यर्थ न हुआ।
    1Th 2:2  वरन तुम आप ही जानते हो, कि पहिले पहिल फिलिप्पी में दुख उठाने और उपद्रव सहने पर भी हमारे परमेश्वर ने हमें ऐसा हियाव दिया, कि हम परमेश्वर का सुसमाचार भारी विरोधों के होते हुए भी तुम्हें सुनाएं।
    1Th 2:3  क्‍योंकि हमारा उपदेश न भ्रम से है और न अशुद्धता से, और न छल के साथ है।
    1Th 2:4  पर जैसा परमेश्वर ने हमें योग्य ठहरा कर सुसमाचार सौंपा, हम वैसा ही वर्णन करते हैं; और इस में मनुष्यों को नहीं, परन्‍तु परमेश्वर को, जो हमारे मनों को जांचता है, प्रसन्न करते हैं।
    1Th 2:5  क्‍योंकि तुम जानते हो, कि हम न तो कभी लल्लोपत्तो की बातें किया करते थे, और न लोभ के लिये बहाना करते थे, परमेश्वर गवाह है।
    1Th 2:6  और यद्यपि हम मसीह के प्रेरित होने के कारण तुम पर बोझ डाल सकते थे, तौभी हम मनुष्यों से आदर नहीं चाहते थे, और न तुम से, न और किसी से।
    1Th 2:7  परन्‍तु जिस तरह माता अपने बालकों का पालन-पोषण करती है, वैसे ही हम ने भी तुम्हारे बीच में रह कर कोमलता दिखाई है।
    1Th 2:8  और वैसे ही हम तुम्हारी लालसा करते हुए, न केवल परमेश्वर को सुसमाचार, पर अपना अपना प्राण भी तुम्हें देने को तैयार थे, इसलिये कि तुम हमारे प्यारे हो गए थे।
    1Th 2:9  क्‍योंकि, हे भाइयों, तुम हमारे परिश्रम और कष्‍ट को स्मरण रखते हो, कि हम ने इसलिये रात दिन काम धन्‍धा करते हुए तुम में परमेश्वर का सुसमाचार प्रचार किया, कि तुम में से किसी पर भार न हों।
    1Th 2:10  तुम आप ही गवाह हो: और परमेश्वर भी, कि तुम्हारे बीच में जो विश्वास रखते हो हम कैसी पवित्रता और धामिर्कता और निर्दोषता से रहे।
    1Th 2:11  जैसे तुम जानते हो, कि जैसा पिता अपने बालकों के साथ बर्ताव करता है, वैसे ही हम तुम में से हर एक को भी उपदेश करते, और शान्‍ति देते, और समझाते थे।
    1Th 2:12  कि तुम्हारा चाल चलन परमेश्वर के योग्य हो, जो तुम्हें अपने राज्य और महिमा में बुलाता है।
    1Th 2:13  इसलिये हम भी परमेश्वर का धन्यवाद निरन्‍तर करते हैं; कि जब हमारे द्वारा परमेश्वर के सुसमाचार का वचन तुम्हारे पास पहुंचा, तो तुम ने उसे मनुष्यों का नहीं, परन्‍तु परमेश्वर का वचन समझ कर (और सचमुच यह ऐसा ही है) ग्रहण किया: और वह तुम में जो विश्वास रखते हो, प्रभावशाली है।
    1Th 2:14  इसलिये कि तुम, हे भाइयो, परमेश्वर की उन कलीसियाओं की सी चाल चलने लगे, जो यहूदिया में मसीह यीशु में हैं, क्‍योंकि तुम ने भी अपने लोगों से वैसा ही दुख पाया, जैसा उन्‍होंने यहूदियों से पाया था।
    1Th 2:15  जिन्‍होंने प्रभु यीशु को और भविष्यद्वक्ताओं को भी मार डाला और हम को सताया, और परमेश्वर उन से प्रसन्न नहीं; और वे सब मनुष्यों को विरोध करते हैं।
    1Th 2:16  और वे अन्यजातियों से उन के उद्धार के लिये बातें करने से हमें रोकते हैं, कि सदा अपने पापों का नपुआ भरते रहें; पर उन पर भयानक प्रकोप आ पहुंचा है।
    1Th 2:17  हे भाइयों, जब हम थोड़ी देर के लिये मन में नहीं बरन प्रगट में तुम से अलग हो गए थे, तो हम ने बड़ी लालसा के साथ तुम्हारा मुंह देखने के लिये और भी अधिक यत्‍न किया।
    1Th 2:18  इसलिये हम ने (अर्थात मुझ पौलुस ने) एक बार नहीं, वरन दो बार तुम्हारे पास आना चाहा, परन्‍तु शैतान हमें रोके रहा।
    1Th 2:19  भला हमारी आशा, या आनन्‍द या बड़ाई का मुकुट क्‍या है? क्‍या हमारे प्रभु यीशु के सम्मुख उसके आने के समय तुम ही न होगे?
    1Th 2:20  हमारी बड़ाई और आनन्‍द तुम ही हो।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल १-२ 
  • इब्रानियों ११:१-१९

सोमवार, 14 नवंबर 2011

संवेदनशील और कृपालु

    एक छोटी बच्ची की माँ बिमार पड़ी और उसे अस्पताल में भरती होना पड़ा। जीवन में पहली बार वह बच्ची बिना माँ के रहने जा रही थी। जब रात हुई और उसके पिता ने सोने के लिए बत्ती बुझाई, तो उसने पूछा, "पिताजी आप यहीं हैं न?" पिता ने उसे आश्वासन दिया कि वह वहीं उसके साथ है। थोड़ी देर में बच्ची ने फिर प्रश्न किया, "पिताजी, आप मुझे देख रहे हैं ना?" पिता ने फिर उसे आश्वस्त किया और उसका ढाढस बंधाया, और तब वह बच्ची निश्चिंत होकर सो गई।

   ऐसे ही परमेश्वर की प्रत्येक सन्तान अपने प्रेमी स्वर्गीय पिता पर आश्वस्त रह सकती है। परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, दुख चाहे कितना भी गंभीर क्यों न हो, उसकी निगाहें सर्वदा हम पर बनी रहती हैं। यह जानते हुए कि हमारे उद्धारकर्ता और परमेश्वर की निगाहें सर्वदा हम पर बनी हुई हैं, हमें भी उसके समान संवेदनशील, सहायक और प्रेम रखने वाले बनना चाहिए।

   यह संसार बहुत कठोर, दूसरों के दुखों के प्रति लापरवाह और निर्दयी हो सकता है। संसार के लोग अपने पड़ौसियों की तकलीफों के प्रति उदासीन और स्वार्थी हो सकते हैं; लेकिन प्रभु यीशु ऐसे नहीं थे। बारंबार उन्होंने दूसरों के दुख तकलीफों में उनकी सहायता करी। लूका ७ में प्रभु यीशु की संवेदना का उल्लेख है जब उन्होंने एक विध्वा को पुत्रवियोग में देखा और तुरंत उसके मृतक पुत्र को जीवित करके उसकी सहायता करी। आज भी प्रभु यीशु संसार के लोगों की ओर संवेदना से देखता है, चाहता है कि कोई पापों में नाश ना हो, उसके कलवरी के क्रूस पर दिए गए बलिदान पर साधारण विश्वास कर के प्रत्येक जन उद्धार प्राप्त करे।

   जिन्होंने उद्धार प्राप्त किया है, अपने उन अनुयायीयों से वह आशा रखता है कि वे भी उसकी तरह संवेदनशील और कृपालु हों और दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहें। - डेव एग्नर

परमेश्वर प्रत्येक व्यक्ति से ऐसे प्रेम करता है मानो उसके प्रेम का पात्र होने के लिए वही एकमात्र है।

उस ने निकलकर बड़ी भीड़ देखी, और उन पर तरस खाया, क्‍योंकि वे उन भेड़ों के समान थे, जिन का कोई रखवाला न हो; और वह उन्‍हें बहुत सी बातें सिखाने लगा। - मरकुस ६:३४
 
बाइबल पाठ: लूका ७:११-१७
    Luk 7:11  थोड़े दिन के बाद वह नाईन नाम के एक नगर को गया, और उसके चेले, और बड़ी भीड़ उसके साथ जा रही थी।
    Luk 7:12  जब वह नगर के फाटक के पास पहुंचा, तो देखो, लोग एक मुरदे को बाहर लिए जा रहे थे; जो अपनी मां का एकलौता पुत्र था, और वह विधवा थी: और नगर के बहुत से लोग उसके साथ थे।
    Luk 7:13  उसे देख कर प्रभु को तरस आया, और उस ने कहा; मत रो।
    Luk 7:14  तब उस ने पास आकर, अर्थी को छुआ, और उठाने वाले ठहर गए, तब उस ने कहा; हे जवान, मैं तुझ से कहता हूं, उठ।
    Luk 7:15  तब वह मुर्दा उठ बैठा, और बोलने लगा: और उस ने उसे उस की मां को सौप दिया।
    Luk 7:16  इस से सब पर भय छा गया और वे परमेश्वर की बड़ाई कर के कहने लगे कि हमारे बीच में एक बड़ा भविष्यद्वक्ता उठा है, और परमेश्वर ने अपने लोगों पर कृपा दृष्‍टि की है।
    Luk 7:17  और उसके विषय में यह बात सारे यहूदिया और आस पास के सारे देश में फैल गई।
 
एक साल में बाइबल: 
  • विलापगीत ३-५ 
  • इब्रानियों १०:१९-३९

रविवार, 13 नवंबर 2011

सहायक

   एडमन्ड हिलेरी और उनके शेरपा साथी तेनज़िंग नौर्गे ने सन १९५३ में एवरेस्ट पर्वत पर एतिहासिक चढ़ाई करी एवं विजय प्राप्त करी। नीचे उतरते समय एक जगह हिलेरी का पांव फिसल गया, और तुरंत तेनज़िंग ने रस्सी को तानकर मज़बूती से पकड़ा और अपनी कुलहाड़ी बर्फ में गड़ा दी। इस स्थिरता के कारण हिलेरी अपना सन्तुलन एवं पैर पुनः जमा सके और दोनो सही सलामत नीचे उतर आए। बाद में जब पत्रकारों ने इस घटना के संदर्भ में तेनज़िंग को प्रशंसा का पात्र बनाना चाहा तो उन्होंने कोई भी श्रेय या प्रशंसा लेने से यह कह कर इन्कार कर दिया कि "यह कोई अनोखी बात नहीं है, पर्वतारोही तो सदैव एक दूसरे की सहायता करते ही हैं"।

   यही बात मसीही विश्वासियों के साथ भी होनी चाहिए। परमेश्वर तो अपने बच्चों की सहायता करता ही है (इब्रानियों १३:६)। उसने हमें प्रभु यीशु मसीह में उद्धार का मार्ग देकर हमें पाप के दण्ड से बचाया है। वह समय एवं आवश्यक्तानुसार भी हमारी सहायता कई प्रकार से करता है, और चाहता है कि हम भी एक दूसरे कि ऐसे ही सहायता किया करें, क्योंकि हम सब एक ही मार्ग के यात्री हैं।

   प्रेरित पौलुस ने उनकी प्रशंसा करी जिन्हों ने रोम में उसकी तथा वहां के विश्वासियों की सहायता करी थी। रोम के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उसने लिखा "मरियम को जिस ने तुम्हारे लिये बहुत परिश्र्म किया, नमस्‍कार" (रोमियों १६:६); तथा फीबे के लिए उसने लिखा "...जिस किसी बात में उस को तुम से प्रयोजन हो, उस की सहायता करो; क्‍योंकि वह भी बहुतों की वरन मेरी भी उपकारिणी हुई है" (रोमियों १६:२)।

   जब किसी का बोझ भारी हो जाए या किसी के कदम लड़खड़ाएं तो जो भी सहायता हम कर सकते हैं, हमें करनी चाहिए। सभी लोगों में हमारी यह पहचान होनी चाहिए "यह कोई अनोखी बात नहीं है, मसीही विश्वासी तो सदैव एक दूसरे की सहायता करते ही हैं"। - डेव एग्नर

एक दूसरे के बोझ बांट लेने से हम सहजता से एक साथ चल सकेंगे।

प्रिसका और अक्‍विला को भी यीशु में मेरे सहकर्मी हैं, नमस्‍कार। - रोमियों १६:३

बाइबल पाठ: रोमियों १६:१-१४
    Rom 16:1  मैं तुम से फीबे की, जो हमारी बहिन और किंखिया की कलीसिया की सेविका है, बिनती करता हूं।
    Rom 16:2  कि तुम जैसा कि पवित्र लोगों को चाहिए, उसे प्रभु में ग्रहण करो; और जिस किसी बात में उस को तुम से प्रयोजन हो, उस की सहायता करो; क्‍योंकि वह भी बहुतों की वरन मेरी भी उपकारिणी हुई है।
    Rom 16:3  प्रिसका और अक्‍विला को भी यीशु में मेरे सहकर्मी हैं, नमस्‍कार।
    Rom 16:4  उन्‍होंने मेरे प्राण के लिये अपना सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन अन्यजातियों की सारी कलीसियाएं भी उन का धन्यवाद करती हैं।
    Rom 16:5  और उस कलीसिया को भी नमस्‍कार जो उन के घर में है। मेरे प्रिय इपैनितुस को जो मसीह के लिये आसिया का पहिला फल है, नमस्‍कार।
    Rom 16:6  मरियम को जिस ने तुम्हारे लिये बहुत परिश्रम किया, नमस्‍कार।
    Rom 16:7  अन्‍द्रुनीकुस और यूनियास को जो मेरे कुटम्बी हैं, और मेरे साथ कैद हुए थे, और प्रेरितों में नामी हैं, और मुझ से पहिले मसीह में हुए थे, नमस्‍कार।
    Rom 16:8  अम्पलियातुस को, जो प्रभु में मेरा प्रिय है, नमस्‍कार।
    Rom 16:9  उरबानुस को, जो मसीह में हमारा सहकर्मी है, और मेरे प्रिय इस्‍तखुस को नमस्‍कार।
    Rom 16:10  अपिल्लेस को जो मसीह में खरा निकला, नमस्‍कार। अरिस्‍तुबुलुस के घराने को नमस्‍कार।
    Rom 16:11  मेरे कुटुम्बी हेरोदियोन को नमस्‍कार। नरिकयुस के घराने के जो लोग प्रभु में हैं, उन को नमस्‍कार।
    Rom 16:12  त्रूफैना और त्रूफोसा को जो प्रभु में परिश्रम करती हैं, नमस्‍कार। प्रिया परसिस को जिस ने प्रभु में बहुत परिश्रम किया, नमस्‍कार।
    Rom 16:13  रूफुस को जो प्रभु में चुना हुआ है, और उस की माता को जो मेरी भी है, दोनों को नमस्‍कार।
    Rom 16:14  असुक्रितुस और फिलगोन और हिमस ओर पत्रुबास और हिमांस और उन के साथ के भाइयों को नमस्‍कार।
 
एक साल में बाइबल: 
  • विलापगीत १-२ 
  • इब्रानियों १०:१-१८

शनिवार, 12 नवंबर 2011

सहारा

   अमेरिका के कैलिफोर्निया प्रांत में एक विशेष तरह के पेड़ पाए जाते हैं जो सिकोया रेडवुड वृक्ष कहलाते हैं। ये वृक्ष धरती से ३०० फुट की ऊंचाई को प्राप्त कर लेते हैं, किंतु इनकी जड़ें धरती के अन्दर अधिक गहराई तक नहीं जातीं। इनकी जड़ें धरती की उपरी सतह में फैलती हैं और सतह पर होने वाली नमी सोख़ के वृक्ष के लिए जल अर्जित करतीं हैं। ये वृक्ष कभी अकेले नहीं बढ़ते क्योंकि तेज़ हवाएं इन्हें आसानी से गिरा सकतीं हैं। ये वृक्ष सदा झुर्मुट में बढ़ते हैं; झुर्मुट के सभी वृक्षों की जड़ें आपस में उलझी रहती हैं और इस से एक वृक्ष को दूसरे से सहारा मिल जाता है और इतनी ऊंचाई एवं उथली जड़ों के बवजूद तेज़ आंधियां भी इन्हें गिरा नहीं पातीं।

   मानव जीवन में भी यह सिद्धांत लागू होता है। क्लेष और कष्ट सभी पर आते हैं, और कुछ परिस्थितियाँ ऐसे भी होती हैं जो जिस पर आती हैं, उसे ही उन्हें सहना भी होता है; लेकिन तौ भी रिश्तेदार, मित्रगण और निकट के लोग प्रार्थनाओं द्वारा, साथ रहकर या अन्य किसी न किसी रूप में क्लेष भोगने वाले को सहारा एवं सान्तवना दे सकते हैं और उसे टूटने से बचा सकते हैं। किंतु परेशानी तब होती है जब क्लेष भोगने वाला सहायता की अपनी आवश्यक्ता को स्वीकार ना करे और अकेले ही सब कुछ सहने का प्रयास करे।

   समस्त संसार के पापों के लिए क्रूस पर अपने बलिदान से पहले गतसमनी के बाग़ में ऐसे ही सहारे की उम्मीद प्रभु यीशु ने अपने चेलों तथा मित्रों पतरस, याकूब और युहन्ना से रखी थी, जब वह उन्हें अपने साथ प्रार्थना करने के लिए लेकर गया, लेकिन उन्होंने उसे निराश ही किया। जो कष्ट प्रभु भोगने पर था, वह कोई और नहीं भोग सकता था, लेकिन वह चाहता था कि परमेश्वर पिता से उस आते दुख को झेलेने की सामर्थ पाने की प्रार्थना में उसके चेले उसके साथ हों। लेकिन उन्हें प्रार्थना करने की बजाए सोते हुए देख कर उसे अपने अकेलेपन का एहसास और भी अधिक कष्टदायी हुआ होगा।

   यदि प्रभु यीशु को प्रार्थना और सहारे की आवश्यक्ता अनुभव हुई तो हम मनुष्यों के लिए एक दूसरे को सहारा देना और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करना कितना आवश्यक है। आवश्यक्ता अनुसार अपने लिए और अपने साथ किसी को प्रार्थना के लिए तैयार रखना, अथवा किसी अन्य के लिए प्रार्थना में सदा तत्पर रहना एक दूसरे को सहारा देने का कारगर उपाय है। - डेनिस डी हॉन


जो कष्ट में होते हैं उन्हें सान्तवना से अधिक सहारे की आवश्यक्ता होती है।

तब उस ने उन से कहा; मेरा जी बहुत उदास है, यहां तक कि मेरे प्राण निकला चाहते: तुम यहीं ठहरो, और मेरे साथ जागते रहो। - मत्ती २६:३८

बाइबल पाठ: मत्ती २६:३६-४६
    Mat 26:36  तब यीशु ने अपने चेलों के साथ गतसमनी नाम एक स्थान में आया और अपने चेलों से कहने लगा कि यहीं बैठे रहना, जब तक कि मैं वहां जाकर प्रार्थाना करूं।
    Mat 26:37  और वह पतरस और जब्‍दी के दोनों पुत्रों को साथ ले गया, और उदास और व्याकुल होने लगा।
    Mat 26:38  तब उस ने उन से कहा; मेरा जी बहुत उदास है, यहां तक कि मेरे प्राण निकला चाहते: तुम यहीं ठहरो, और मेरे साथ जागते रहो।
    Mat 26:39  फिर वह थोड़ा और आगे बढ़ कर मुंह के बल गिरा, और यह प्रार्थना करने लगा, कि हे मेरे पिता, यदि हो सके, तो यह कटोरा मुझ से टल जाए, तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परन्‍तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो।
    Mat 26:40  फिर चेलों के पास आकर उन्‍हें सोते पाया, और पतरस से कहा, क्‍या तुम मेरे साथ एक घड़ी भी न जाग सके?
    Mat 26:41  जागते रहो, और प्रार्थना करते रहो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो: आत्मा तो तैयार है, परन्‍तु शरीर र्दुबल है।
    Mat 26:42  फिर उस ने दूसरी बार जाकर यह प्रार्थना की, कि हे मेरे पिता, यदि यह मेरे पीए बिना नहीं हट सकता तो तेरी इच्‍छा पूरी हो।
    Mat 26:43  तब उस ने आकर उन्‍हें फिर सोते पाया, क्‍योंकि उन की आंखें नींद से भरी थीं।
    Mat 26:44  और उन्‍हें छोड़ कर फिर चला गया, और वही बात फिर कह कर, तीसरी बार प्रार्थना की।
    Mat 26:45  तब उस ने चेलों के पास आकर उन से कहा, अब सोते रहो, और विश्राम करो: देखो, घड़ी आ पहुंची है, और मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है।
    Mat 26:46  उठो, चलें; देखो, मेरा पकड़वाने वाला निकट आ पहुंचा है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह ५१-५२ 
  • इब्रानियों ९

शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

क्या स्मरण रखें; क्या भूलें

   एक बुद्धिमान पास्टर ने मुझे बताया कि जब वे निराश होने लगते हैं तो वे उस विस्मय और अद्भुत आनन्द को स्मरण करते हैं जो उन्होंने प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण करने पर अनुभव किया था और उनका मन पुनः प्रफुल्लित हो उठता है। किंतु वे कभी भी उन दो व्यक्तियों को स्मरण करने का प्रयास नहीं करते जिन्होंने चर्च की उनकी प्रथम सेवकाई में उनको हानि पहुँचाई थी; क्योंकि उन दोनो को याद कर के वे अपनी शान्ति भंग करना नहीं चाहते और न ही पुराने विद्वेष को जाग उठने का अवसर देना चाहते हैं।

   इस्त्राएल के राजा और भजनों के लेखक दाऊद ने परमेश्वर के लिए कहा, "हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना" (भजन १०३:२)। परमेश्वर की दया को स्मरण करना और साथ ही यह भी याद करना कि कैसे उसने हमारे पाप क्षमा किए, हमें चंगा किया, अब तक हमारी देखरेख करता रहा है और हम पर अपनी आशीषें उंडेलेता रहा है भला है। ऐसा करने से हम परमेश्वर के और अधिक धन्यवादी और उस पर अधिक दृढ़ विश्वास करने वाले बन जाते हैं।

   प्रेरित पौलुस ने लिखा, "...यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है" (फिलिप्पियों ३:१३, १४)। यदि पौलुस अपने पुराने जीवन को, जिसमें वह मसीही विश्वासियों को सताने वाला था, स्मरण करता रहता तो निराशा में पड़ जाता; और यदि अपने नए मसीही जीवन की सफलताओं और परमेश्वर से मिले हुए प्रकाशनों के बारे में सोचता रहता तो घमंड में पड़ जाता। इसलिए जो कुछ बीत गया, उसे पीछे छोड़ कर वह अपना ध्यान केवल आगे के कार्य की ओर लगाए रखता था।

   आत्मिक रूप से परिपक्व मसीही विश्वासी इस बात का ध्यान रखते हैं कि वे उन बातों को स्मरण रखें जो मसीह यीशु और उसके द्वारा प्राप्त उद्धार से संबंधित हैं और उन्हें अधिक बहुमूल्य बनाती हैं, तथा उन बातों को भूल जाएं जो उनके मसीही जीवन में अग्रसर होने में बाधा बनती हैं।

   हमें क्या स्मरण रखना है और क्या नहीं इसके विष्य में सचेत रहना चहिए। - हर्ब वैण्डर लुग्ट

जिसे भूल जाना चाहिए उसे स्मरण करके तथा जिसे स्मरण रखना चाहिए उसे भूल कर हम अपने जीवन में पराजय को न्यौता देते हैं।

हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना। - भजन १०३:२
...यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है। - फिलिप्पियों ३:१३, १४

 
बाइबल पाठ: भजन १०३
    Psa 103:1  हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे!
    Psa 103:2  हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना।
    Psa 103:3  वही तो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता, और तेरे सब रोगों को चंगा करता है,
    Psa 103:4  वही तो तेरे प्राण को नाश होने से बचा लेता है, और तेरे सिर पर करूणा और दया का मुकुट बान्धता है,
    Psa 103:5  वही तो तेरी लालसा को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है, जिस से तेरी जवानी उकाब की नाईं नई हो जाती है।
    Psa 103:6  यहोवा सब पिसे हुओं के लिये धर्म और न्याय के काम करता है।
    Psa 103:7  उस ने मूसा को अपनी गति, और इस्राएलियों पर अपने काम प्रगट किए।
    Psa 103:8  यहोवा दयालु और अनुग्रहकारी, विलम्ब से कोप करने वाला और अति करूणामय है।
    Psa 103:9  वह सर्वदा वादविवाद करता न रहेगा, न उसका क्रोध सदा के लिये भड़का रहेगा।
    Psa 103:10  उस ने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया, और न हमारे अधर्म के कामों के अनुसार हम को बदला दिया है।
    Psa 103:11  जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर ऊंचा है, वैसे ही उसकी करूणा उसके डरवैयों के ऊपर प्रबल है।
    Psa 103:12  उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, उस ने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है।
    Psa 103:13  जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है।
    Psa 103:14  क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है।
    Psa 103:15  मनुष्य की आयु घास के समान होती है, वह मैदान के फूल की नाईं फूलता है,
    Psa 103:16  जो पवन लगते ही ठहर नहीं सकता, और न वह अपने स्थान में फिर मिलता है।
    Psa 103:17  परन्तु यहोवा की करूणा उसके डरवैयों पर युग युग, और उसका धर्म उनके नाती-पोतों पर भी प्रगट होता रहता है,
    Psa 103:18  अर्थात उन पर जो उसकी वाचा का पालन करते और उसके उपदेशों को स्मरण करके उन पर चलते हैं।
    Psa 103:19  यहोवा ने तो अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है, और उसका राज्य पूरी सृष्टि पर है।
    Psa 103:20  हे यहोवा के दूतों, तुम जो बड़े वीर हो, और उसके वचन के मानने से उसको पूरा करते हो उसको धन्य कहो!
    Psa 103:21  हे यहोवा की सारी सेनाओं, हे उसके टहलुओं, तुम जो उसकी इच्छा पूरी करते हो, उसको धन्य कहो!
    Psa 103:22  हे यहोवा की सारी सृष्टि, उसके राज्य के सब स्थानों में उसको धन्य कहो। हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह!
 
एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह ५० 
  • इब्रानियों ८

गुरुवार, 10 नवंबर 2011

व्याकुल हृदयों के लिए शान्ति

   एक प्रिय मित्र ने अपने पत्र में हमारे साथ एक रोचक घटना बाँटी: उनकी एक अन्य सहेली का पालन पोष्ण एक भक्तिहीन एवं नास्तिक परिवार में हुआ था और वह अपने जीवन से बहुत असन्तुष्ट और निराश रहती थी। एक दिन उसने अखबार में ’शान्ति सेना’ में भर्ती के लिए विज्ञापन देखा और उसे विचार आया कि मेरे जीवन में शान्ति ही की तो कमी है, और वह उस शान्ति की तलाश में शान्ति सेना में भर्ती हो गई और उसे एक कबायली इलाके में स्वयंसेवा के लिए भेज दिया गया। सेवा करने के कुछ समय में ही वह जान गई कि जिस शान्ति की उसे तलाश थी वह अभी भी उस से दूर ही थी। अपने कार्य के दौरान वह एक वृद्ध कबायली के संपर्क में आई, और उसने देखा कि वह अन्य जितने कबायलियों के साथ संपर्क में आई थी, यह वृद्ध अपने व्यवहार और जीवन में उन सब से भिन्न है। उसने उस वृद्ध से उसके जीवन में इस सन्तुष्टि और शान्ति का राज़ पूछा, तो व्रुद्ध ने कहा यह इसलिए है क्योंकि प्रभु यीशु मसीह उसके हृदय में राज्य करते हैं। उस वृद्ध के कहने से उस स्त्री ने बाइबल पढ़नी आरंभ करी, और परमेश्वर के वचन तथा उस वृद्ध के जीवन की गवाही ने उसके जीवन में कार्य किया और उसने मसीह यीशु में उस अद्भुत शान्ति को पा लिया।

   यही शान्ति उन सब को भी उपलब्ध है जो साधारण विश्वास द्वारा प्रभु यीशु को अपने निज उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण करते हैं। जिनके पास परमेश्वर की यह शान्ति है उनका परमेश्वर के साथ मेलमिलाप है "जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें" (रोमियों ५:१); तथा वे हर समय उस परमेश्वर और उसकी शान्ति की सुरक्षा में रहते हैं "किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्‍तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी" (फिलिप्पियों ४:६, ७)।

   व्याकुल हृदयों के लिए इसी संसार में शान्ति उपलब्ध है - परमेश्वर की अद्भुत शान्ति; जीवन में यदि प्रभु यीशु नहीं तो शान्ति भी नहीं। - रिचर्ड डी हॉन

यीशु को ग्रहण करो, उसकी शान्ति स्वतः ही आ जाएगी।

मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। - युहन्ना १४:२७
 
बाइबल पाठ: युहन्ना १४:१५-२७
    Joh 14:15  यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे।
    Joh 14:16  और मैं पिता से बिनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे।
    Joh 14:17  अर्थात सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्‍योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है: तुम उसे जानते हो, क्‍योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा।
    Joh 14:18  मैं तुम्हें अनाथ न छोडूंगा, मैं तुम्हारे पास आता हूं।
    Joh 14:19  और थोड़ी देर रह गई है कि संसार मुझे न देखेगा, परन्‍तु तुम मुझे देखोगे, इसलिये कि मैं जीवित हूं, तुम भी जीवित रहोगे।
    Joh 14:20  उस दिन तुम जानोगे, कि मैं अपने पिता में हूं, और तुम मुझ में, और मैं तुम में।
    Joh 14:21  जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्‍हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा।
    Joh 14:22  उस यहूदा ने जो इस्‍किरयोती न था, उस से कहा, हे प्रभु, क्‍या हुआ की तू अपने आप को हम पर प्रगट किया चाहता है, और संसार पर नहीं।
    Joh 14:23  यीशु ने उस को उत्तर दिया, यदि कोई मुझ से प्रेम रखे, तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उस से प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आएंगे, और उसके साथ वास करेंगे।
    Joh 14:24  जो मुझ से प्रेम नहीं रखता, वह मेरे वचन नहीं मानता, और जो वचन तुम सुनते हो, वह मेरा नहीं वरन पिता का है, जिस ने मुझे भेजा।
    Joh 14:25  ये बातें मैं ने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कहीं।
    Joh 14:26  परन्‍तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।
    Joh 14:27  मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह ४८-४९ 
  • इब्रानियों ७

बुधवार, 9 नवंबर 2011

शांति

   भूतपूर्व अमेरीकी राष्ट्रपति जेरालड फोर्ड ने अपनी एक पुस्तक A Time to Heal में एक ऐसी कहानी बताई जो कुछ वर्ष पहले उन्होंने सुनी थी - ग्रीस (युनान) देश के गृह युद्ध के समय, सन १९४८ में, अमेरीका में बसने जा रहे एक गाँव वाले ने अपने साथ के लोगों से पूछा, "अमेरीका पहुँच कर मैं तुम्हारे लिए क्या भेजूँ - पैसा, भोजन, कपड़े?" उसके एक गरीब पड़ौसी ने उत्तर दिया, "नहीं, इन में से कुछ नहीं, बस एक टन शान्ति भेज देना।" आज भी मन-मस्तिष्क की शान्ति हमारे लिए बहुत दुर्लभ और अति आवश्यक वस्तु बनी हुई है।

   जब प्रभु यीशु अपने क्रूस पर चढ़ाए जाने से थोड़ा पहले अपने चेलों के साथ वार्तलाप कर रहे थे तब वे आते समय में घटने वाले उन दुखों को जानते थे जो वे और उनके चेले अनुभव करने पर थे। उन्हें पता था कि कुछ समय में ही उनके चेले उनका विश्वासघात होते, उन्हें पकड़े जाते और फिर क्रूरता के साथ क्रूस पर बलिदान होते देखेंगे। वे ये भी जानते थे कि उनके पुनरुत्थान और स्वर्गारोहण के बाद चेलों को संसार के वैमनस्य का सामना करना पड़ेगा; जहाँ भी चेले प्रभु यीशु द्वारा पापों की क्षमा और उद्धार का सुसमाचार लेकर जाएंगे, उन्हें हर जगह विरोध, उपहास और सताव का सामना करना होगा। इसलिए उन अन्तिम क्षणों में प्रभु यीशु ने अपने चेलों से अनन्त शान्ति की प्रतिज्ञा करी, उन्होंने चेलों से कहा, "मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे" (युहन्ना १४:२७)।

   जब संसार में हम बोझिल हों और क्लेषों से दबने लगें, तब हमें शान्ति की आवश्यक्ता होती है, ऐसी शान्ति जो अलौकिक हो। ऐसे में मसीही विश्वासी अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की शान्ति की प्रतिज्ञा में विश्वास कर सकते हैं कि उसने अपनी शान्ति उन्हें उपलब्ध करवा रखी है। जब हम स्मरण करें कि उसने हमारे लिए क्या कुछ किया है तो उसकी प्रेम भरी बाहों में सिमट कर हम उसकी शान्ति के लिए आश्वस्त हो सकते हैं और शान्ति के राजकुमार की सामर्थ का अनुभव कर सकते हैं। - डेव एग्नर

जब मसीह हृदय पर राज्य करता है तब उसकी शान्ति मन में भर जाती है।

यहोवा अपनी प्रजा को बल देगा; यहोवा अपनी प्रजा को शान्ति की आशीष देगा। - भजन २९:११

बाइबल पाठ: युहन्ना १४:२५-३१
Joh 14:25  ये बातें मैं ने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कहीं।
Joh 14:26  परन्‍तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।
Joh 14:27  मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे।
Joh 14:28  तुम ने सुना, कि मैं ने तुम से कहा, कि मैं जाता हूं, और तुम्हारे पास फिर आता हूं: यदि तुम मुझ से प्रेम रखते, तो इस बात से आनन्‍दित होते, कि मैं पिता के पास जाता हूं क्‍योंकि पिता मुझ से बड़ा है।
Joh 14:29  और मैं ने अब इस के होने के पहिले तुम से कह दिया है, कि जब वह हो जाए, तो तुम प्रतीति करो।
Joh 14:30  मैं अब से तुम्हारे साथ और बहुत बातें न करूंगा, क्‍योंकि इस संसार का सरदार आता है, और मुझ में उसका कुछ नहीं।
Joh 14:31  परन्‍तु यह इसलिये होता है कि संसार जाने कि मैं पिता से प्रेम रखता हूं, और जिस तरह पिता ने मुझे आज्ञा दी, मैं वैसे ही करता हूं: उठो, यहां से चलें।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह ४६-४७ 
  • इब्रानियों ६