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बुधवार, 24 जून 2020

सान्तवना


     मैंने एक माँ के बारे में पढ़ा जो स्कूल से लौटी अपनी बेटी को कमर से नीचे कीचड़ में लथपथ देखकर चकित रह गई। उसकी बेटी ने स्पष्टीकरण दिया, स्कूल से लौटते समय उसकी एक सहेली फिसल कर कीचड़ में गिर गई, और उसका पैर चोटिल हो गया, वह खड़ी नहीं हो पा रही थी। उनकी एक अन्य सहेली दौड़कर किसी को सहायता करने के लिए लेने गई, और वह वहीं अपनी सहेली के साथ खड़ी थी। उसे अपनी सहेली को अपनी दुखती हुई टांग पकडे हुए कीचड़ में बैठे देखना अच्छा नहीं लगा, इसलिए वह भी उसके साथ वहीं कीचड़ में बैठ गई, जब तक कि सहायता के लिए उनकी शिक्षिका नहीं आ गई।

     परमेश्वर के वचन बाइबल में जब अय्यूब पर विपदाएँ आईं, उसके बच्चे और धन-संपत्ति जाते रहे, और उसके शरीर पर पीड़ादायक फोड़े निकल आए, तो उसका दुःख असहनीय था। बाइबल बताती है कि उसके तीन मित्र उसे सांत्वना देने के लिए आए। जब वे अय्यूब के पास पहुंचे और उन्होंने उसके हाल देखे, “जब उन्होंने दूर से आंख उठा कर अय्यूब को देखा और उसे न चीन्ह सके, तब चिल्लाकर रो उठे; और अपना अपना बागा फाड़ा, और आकाश की ओर धूलि उड़ाकर अपने अपने सिर पर डाली। तब वे सात दिन और सात रात उसके संग भूमि पर बैठे रहे, परन्तु उसका दु:ख बहुत ही बड़ा जान कर किसी ने उस से एक भी बात न कही” (अय्यूब 2:12-13)।

     अय्यूब के मित्रों ने आरंभ में तो सराहनीय समझदारी दिखाई। वे समझ गए कि अय्यूब को बस उसके साथ बैठकर शोक करने वाला कोई चाहिए, और उन्होंने यही किया। परन्तु आगे के अध्यायों में हम देखते हैं कि जब उन्होंने उसके साथ बोलना और परामर्श देना आरम्भ किया, तो उनकी बातें और परामर्श व्यर्थ तथा दुखदायी थे (अय्यूब 16:1-4)।

     अपने किसी दुखी मित्र को सान्तवना देने के लिए हम जो सबसे अच्छा कार्य कर सकते हैं, वह है उनके साथ उनकी परिस्थिति में आकर बैठ जाएँ। - लीसा सामरा

 

दुःख के समय में एक मित्र की उपस्थिति बहुत शान्तिदायक होती है।


प्रभु यहोवा ने मुझे सीखने वालों की जीभ दी है कि मैं थके हुए को अपने वचन के द्वारा संभालना जानूं। भोर को वह नित मुझे जगाता और मेरा कान खोलता है कि मैं शिष्य के समान सुनूं। - यशायाह 50:4

बाइबल पाठ: अय्यूब 2:7-13

अय्युब 2:7 तब शैतान यहोवा के साम्हने से निकला, और अय्यूब को पांव के तलवे से ले सिर की चोटी तक बड़े बड़े फोड़ों से पीड़ित किया।

अय्युब 2:8 तब अय्यूब खुजलाने के लिये एक ठीकरा ले कर राख पर बैठ गया।

अय्युब 2:9 तब उसकी स्त्री उस से कहने लगी, क्या तू अब भी अपनी खराई पर बना है? परमेश्वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा।

अय्युब 2:10 उसने उस से कहा, तू एक मूढ़ स्त्री की सी बातें करती है, क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें? इन सब बातों में भी अय्यूब ने अपने मुंह से कोई पाप नहीं किया।

अय्युब 2:11 जब तेमानी एलीपज, और शूही बिलदद, और नामाती सोपर, अय्यूब के इन तीन मित्रों ने इस सब विपत्ति का समाचार पाया जो उस पर पड़ी थीं, तब वे आपस में यह ठान कर कि हम अय्यूब के पास जा कर उसके संग विलाप करेंगे, और उसको शान्ति देंगे, अपने अपने यहां से उसके पास चले।

अय्युब 2:12 जब उन्होंने दूर से आंख उठा कर अय्यूब को देखा और उसे न चीन्ह सके, तब चिल्लाकर रो उठे; और अपना अपना बागा फाड़ा, और आकाश की ओर धूलि उड़ाकर अपने अपने सिर पर डाली।

अय्युब 2:13 तब वे सात दिन और सात रात उसके संग भूमि पर बैठे रहे, परन्तु उसका दु:ख बहुत ही बड़ा जान कर किसी ने उस से एक भी बात न कही।    

 

एक साल में बाइबल: 

  • अय्यूब 1-2
  •  प्रेरितों 7:22-43


गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020

आराधना



      “यह कैंसर है”; जब मेरी माँ ने वह शब्द कहे, तब मैं मन पक्का करने का प्रयास कर रही थी। परन्तु उनके शब्द सुनते ही मैं फूटफूट कर रोने लग गयी, क्योंकि ये वो शब्द हैं जिन्हें आप जीवन में कभी सुनना नहीं चाहते हैं, एक बार भी नहीं। और यह तो तीसरी बार था जब माँ को कैंसर से जूझना पड़ रहा था। एक सामान्य जांच के दौरान उन्हें पता चला था की उनकी बगल में एक गाँठ है, जिसकी आगे जांच से पता चला की वह कैंसर की गाँठ है।

      यद्यपि यह बुरी खबर माँ के लिए थी, परन्तु उन्हें ही मुझे सांत्वना देनी पड़ी। इस समाचार के लिए उनकी प्रतिक्रिया विस्मित करने वाली थी; उन्होंने कहा, “मैं जानती हूँ की परमेश्वर सदा ही मेरे प्रति भला रहता है। वह पूर्णतः विश्वास योग्य है।” आगे के इलाज के दौरान, जिसमें एक कठिन ऑप्रेशन तथा रेडिएशन लगवाना सम्मिलित थे, माँ को हमेशा परमेश्वर की उनके साथ उपस्थिति और विश्वासयोग्यता का एहसास बना रहा।

      यह सब परमेश्वर के वचन बाइबल में अय्यूब के समान है। अय्यूब को अपनी संपत्ति, बच्चों, और स्वास्थ्य से हाथ धोना पड़ा; परन्तु इन सब हानियों के बाद भी हम देखते हैं की दुखद समाचार सुनने के बाद भी, “अय्यूब उठा, और बागा फाड़, सिर मुंड़ाकर भूमि पर गिरा और दण्डवत्‌ कर के कहा” (अय्यूब 1:20)। जब उससे उसके पत्नी ने कहा कि अपनी इन परिस्थितियों को लेकर वह परमेश्वर को बुरा-भला कहे, तो अय्यूब ने कहा, “...तू एक मूढ़ स्त्री की सी बातें करती है, क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें? इन सब बातों में भी अय्यूब ने अपने मुंह से कोई पाप नहीं किया” (2:10)। यह उसकी कैसी अद्भुत आरम्भिक प्रतिक्रिया थी। यद्यपि अय्यूब ने बाद में शिकायत तो की, किन्तु साथ ही उसने यह भी स्वीकार कर लिया कि परमेश्वर कभी नहीं बदलता है। अय्यूब जानता था की परमेश्वर हर समय उसके साथ है और हमेशा उसकी देखभाल करता रहता है।

      हम में से अधिकाँश के लिए, कठिनाईयों और विपरीत परिस्थितियों में, परमेश्वर की आराधना करना हमारी आरंभिक  प्रतिक्रियाओं में से नहीं होता है। कभी-कभी हमारी परिस्थितियों की पीड़ा इतना अभीभुतित कर देने वाली होती है की हम भय, क्रोध, और आवेश में बौखला उठते हैं, उलटा-सीधा बोल देते हैं। परन्तु अपनी माँ की प्रतिक्रिया को देखकर मुझे स्मरण आया कि परमेश्वर अभी भी उपस्थित है, अभी भी भला है, और हर परिस्थिति में हमारी सहायता करता है, हमें सांत्वना देता है।

      परमेश्वर हर परिस्थिति में आराधना के योग्य है।

अपनी सबसे कमज़ोर परिस्थिति में भी हम अपनी आँखें परमेश्वर की और उठा सकते हैं।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: अय्यूब 1:13-22
Job 1:13 एक दिन अय्यूब के बेटे-बेटियां बड़े भाई के घर में खाते और दाखमधु पी रहे थे;
Job 1:14 तब एक दूत अय्यूब के पास आकर कहने लगा, हम तो बैलों से हल जोत रहे थे, और गदहियां उनके पास चर रही थी,
Job 1:15 कि शबा के लोग धावा कर के उन को ले गए, और तलवार से तेरे सेवकों को मार डाला; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।
Job 1:16 वह अभी यह कह ही रहा था कि दूसरा भी आकर कहने लगा, कि परमेश्वर की आग आकाश से गिरी और उस से भेड़-बकरियां और सेवक जलकर भस्म हो गए; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।
Job 1:17 वह अभी यह कह ही रहा था, कि एक और भी आकर कहने लगा, कि कसदी लोग तीन गोल बान्धकर ऊंटों पर धावा कर के उन्हें ले गए, और तलवार से तेरे सेवकों को मार डाला; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।
Job 1:18 वह अभी यह कह ही रहा था, कि एक और भी आकर कहने लगा, तेरे बेटे-बेटियां बड़े भाई के घर में खाते और दाखमधु पीते थे,
Job 1:19 कि जंगल की ओर से बड़ी प्रचण्ड वायु चली, और घर के चारों कोनों को ऐसा झोंका मारा, कि वह जवानों पर गिर पड़ा और वे मर गए; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।
Job 1:20 तब अय्यूब उठा, और बागा फाड़, सिर मुंड़ाकर भूमि पर गिरा और दण्डवत्‌ कर के कहा,
Job 1:21 मैं अपनी मां के पेट से नंगा निकला और वहीं नंगा लौट जाऊंगा; यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया; यहोवा का नाम धन्य है।
Job 1:22 इन सब बातों में भी अय्यूब ने न तो पाप किया, और न परमेश्वर पर मूर्खता से दोष लगाया।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 39-40
  • मत्ती 23:23-39



मंगलवार, 6 नवंबर 2018

सुरक्षित स्थान



      एक युवा जापानी व्यक्ति को समस्या थी – उसे अपना घर छोड़ने में घबराहट होती थी। अन्य लोगों के संपर्क में आने से बचने के लिए वह दिन में सोता रहता था, और रात भर जागकर टेलिविज़न देखता रहता था। वह एक हिकिकोमोरी अर्थात आधुनिक सन्यासी बन गया था। उसकी समस्या का आरंभ स्कूल के समय में कक्षा में उसके कम अंक आने से हुई; लगातार कम अंक लाते रहने के कारण उसने स्कूल जाना छोड़ दिया, और सबसे अलग होकर रहने लगा। जितना अधिक वह समाज से दूर रहता गया, अपने आप को उतना ही अधिक समाज में अनुपयुक्त समझता चला गया। अन्ततः उसने परिवार और मित्र जनों से अभी संपर्क तोड़ लिए। उसे फिर से समाज से जुड़ने में सहायता करने के लिए टोक्यो शहर के एक युवकों के क्लब में, जिसे इबाशो कहते हैं, जाना पड़ा, जो कि एक ऐसा सुरक्षित स्थान है जहाँ अन्दर से टूटे हुए लोगों को फिर से समाज के साथ जोड़ने और स्थापित करने के लिए उनकी सहायता की जाती है।

      कैसा रहे यदि हम भी चर्च को एक इबाशो, या उससे भी बढ़कर समझें; एक ऐसा सुरक्षित स्थान जहाँ पाप और सँसार से आहात एवं टूटे हुए लोगों को पुनःस्थापित करने के लिए सहायता उपलब्ध रहती है। क्योंकि, निःसंदेह हम अन्दर से टूटे हुए लोगों का समाज हैं। जब परमेश्वर के वचन बाइबल में हम कोरिन्थ के मसीही विश्वासियों को लिखी पौलुस की पहली पत्री को पढ़ते हैं, तो उसमें पाते हैं कि वह मसीही विश्वास में आने से पहले के उनके जीवन और व्यवहार के बारे में उन्हें स्मरण करवाता है, कि कैसे वे समाज-विरोधी, स्वयँ तथा औरों के लिए हानिकारक तथा खतरनाक जीवन जी रहे थे (1 कुरिन्थियों 6:9-10)। परन्तु प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास लाने के द्वारा उनके जीवन में बड़ा परिवर्तन आया, और उनके जीवन बिलकुल बदल गए। पौलुस ने इन परिवर्तित लोगों को प्रोत्साहित किया कि वे एक दूसरे से प्रेम रखें, एक दूसरे के प्रति धीराजवंत और सहनशील रहें, ईर्षालु, अहंकारी और अशिष्ट न हों (1 कुरिन्थियों 13:4-7)।

      चर्च को भी सँसार के सभी लोगों के लिए एक ऐसा ही इबाशो अर्थात सुरक्षित स्थान होना है, जहाँ आने से कोई भी व्यक्ति, वह चाहे कैसी भी समस्या से जूझ रहा हो, किसी भी बात से टूट गया हो, परमेश्वर के प्रेम और करुणा का अनुभव कर सकता है। जहाँ प्रभु यीशु मसीह के अनुयायियों से सँसार के दुखी लोग्शान्ति और सांत्वना पा सकें। - पो फैंग चिया


केवल परमेश्वर ही पाप से बिगड़ी हुई आत्मा को 
अनुग्रह से सुधरी हुई उत्कृष्ठ कलाकृति बना सकता है।

सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें। - रोमियों 5:1

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 6:9-11; 13:4-7
1 Corinthians 6:9 क्या तुम नहीं जानते, कि अन्यायी लोग परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे? धोखा न खाओ, न वेश्यागामी, न मूर्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न लुच्‍चे, न पुरूषगामी।
1 Corinthians 6:10 न चोर, न लोभी, न पियक्कड़, न गाली देने वाले, न अन्‍धेर करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस होंगे।
1 Corinthians 6:11 और तुम में से कितने ऐसे ही थे, परन्तु तुम प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए, और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे।
1 Corinthians 13:4 प्रेम धीरजवन्‍त है, और कृपाल है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं।
1 Corinthians 13:5 वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता।
1 Corinthians 13:6 कुकर्म से आनन्‍दित नहीं होता, परन्तु सत्य से आनन्‍दित होता है।
1 Corinthians 13:7 वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है।


एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 37-39
  • इब्रानियों 3



रविवार, 2 अगस्त 2015

सहायक


   मसीही विश्वासियों की मण्डलियों से संबंधित अपने अनेक वर्षों के अनुभवों में मैंने देखा है कि जो लोग किसी कठिनाई से होकर निकले हैं वे कठिनाई में पड़े दूसरे लोगों की सहायाता करने में तत्पर होते हैं। जब किसी युवा दंपत्ति के बच्चे की हानि होती है, कोई अन्य दंपत्ति जिसने अपने बच्चे की हानि झेली है उन्हें सांत्वना देने, उनकी सहायता करने के लिए आगे आ जाता है। यदि कोई दंपत्ति अपने जीवन-यापन के मुख्य स्त्रोत को गंवा देता है तो कोई अन्य दंपत्ति, जिसने पहले कभी ऐसी ही परिस्थिति झेली थी, उनकी सहयाता करने के लिए आ जाता है। मसीह यीशु की देह, उसके विश्वासियों की मण्डली, में हम बारंबर एक दूसरे के सहायक होने, एक दूसरे को प्रोत्साहित करते रहने के उदाहरण देखते हैं। इन मसीही विश्वासियों ने सीखा है कि वे अपनी कटु परिस्थित्यों के अनुभवों के कारण, आज विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहे लोगों के सहायक बनें।

   क्या आप बीमार हैं? किसी प्रीय जन को खो दिया है? बन्दी बनाए गए हैं? अनुचित व्यवहार के शिकार हुए हैं? हर परीक्षा, परेशानी और संघर्ष के लिए परमेश्वर का वायदा है कि वह हमारे लिए कुछ भला ही करेगा, हमारे सबसे अन्धकारपूर्ण समय द्वारा भी (याकूब1:2-4)। ऐसा होने का प्रमुख ज़रिया है उन परिस्थित्यों में हमें मिली सांत्वना को दूसरों के साथ बाँटना, जो वैसी ही परिस्थितियों से होकर निकल रहे हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उन्हें उत्साहित किया कि हमें सांत्वना और शान्ति देने वाला हमारा ऐसा उद्धारकर्ता है जो स्वयं संघर्षों और सताव से होकर निकला है (2 कुरिन्थियों 1:3-7); और उसके समान ही जब हम उससे हमें मिली सान्तवना को दूसरों तक पहुँचाते हैं तो हम उसका आदर करते हैं।

   ऐसा कभी ना हो कि हम किसी को परेशानियों का सामना करने के लिए अकेला छोड़ दें; हमें उनके सहायक बनना है, उन्हें आश्वस्त तथा प्रोत्साहित करके परमेश्वर पिता के पास लाना है जहाँ से वह अपनी प्रत्येक समस्या का समाधान पा सकता है। - रैंडी किलगोर


परमेश्वर हमें सांत्वना देता है ताकि हम औरों को सांत्वना दे सकें।

हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे। - याकूब1:2-4

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 1:3-7
2 Corinthians 1:3 हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है। 
2 Corinthians 1:4 वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है; ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों। 
2 Corinthians 1:5 क्योंकि जैसे मसीह के दुख हम को अधिक होते हैं, वैसे ही हमारी शान्‍ति भी मसीह के द्वारा अधिक होती है। 
2 Corinthians 1:6 यदि हम क्‍लेश पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति और उद्धार के लिये है और यदि शान्‍ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति के लिये है; जिस के प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्‍लेशों को सह लेते हो, जिन्हें हम भी सहते हैं। 
2 Corinthians 1:7 और हमारी आशा तुम्हारे विषय में दृढ़ है; क्योंकि हम जानते हैं, कि तुम जैसे दुखों के वैसे ही शान्‍ति के भी सहभागी हो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 60-62
  • रोमियों 5


गुरुवार, 30 जनवरी 2014

सान्तवना और शाँति


   हैरॉलड, कैथी और उनके दोनो बेटे एक जंगल के इलाके में थे, जब एक चक्रवाधी तूफान वहाँ से होकर निकला। कैथी ने इस घटना के कई वर्षों के बाद मुझसे बात करते हुए उस समय का अपना अनुभव बयान किया: "मेरे पति और बड़ा बेटा मुझसे कुछ दूर थे, मैंने और मेरे छोटे बेटे ने एक लकड़ी से बनी कोठरी में शरण ली। हमें बहुत तेज़ शोर सुनाई दिया मानों सैंकड़ों रेलगाड़ियाँ एक साथ वहाँ से निकल रही हों, और मैं तथा मेरा बेटा ज़मीन पर अपने सिर अपने हाथों में दबाए सिमटकर लेट गए। हमारी आँखों के सामने वह कोठरी टूट कर बिखरने लगी और मलबा हमारे चारों ओर उड़ने लगा। मैंने उड़ते हुए मलबे की चोट से बचने के लिए अपनी आँखें बन्द कर लीं। तभी मुझे लगा मानों मैं हवा में तेज़ी से उठ गई हूँ और फिर मैं पास की झील के पानी में जा गिरी, जहाँ अपने आप को डूबने से बचाए रखने के लिए मैं उड़ के आए हुए मलबे को थामे तैरती रही। लेकिन मेरा छोटा बेटा उस तूफान से बच नहीं पाया। अगले छः हफतों तक हम प्रतिदिन रोते रहे। लेकिन हमें परमेश्वर की सार्वभौमिकता पर पूरा विश्वास है और हम मानते हैं कि परमेश्वर ने अपनी किसी योजना के अन्तर्गत ही उस तूफान को हमारे ऊपर आने दिया। हमें यह स्मरण कर के भी शाँति है कि हमारा बेटा प्रभु यीशु को मानता था।"

   जब कोई प्रीय जन हम से बिछड़ जाता है तो हमारे मनों में अनेक प्रशन उठने लगते हैं। ऐसे समयों में हम मसीही विश्वासियों के लिए रोमियों 8:28 प्रोत्साहन और आश्वासन प्रदान करने का एक अच्छा माध्यम होता है। हम मसीही विश्वासी इस बात में आश्वस्त और शाँति से रह सकते हैं कि परमेश्वर हमारे जीवनों में जो भी आने देगा वह अन्ततः हमारे भले ही के लिए होगा; परमेश्वर कभी हमारा बुरा कर ही नहीं सकता, और ना ही हमारे साथ बुरा होने दे सकता है। वह हमारा प्रेमी पिता है जिसने जब हम पापों में उससे दूर थे तब भी हमारे उद्धार के लिए अपने एकलौते पुत्र को भी रख नहीं छोड़ा, तो फिर अब जब हम उसके परिवार का अंग हैं तो वह हमें कैसे हानि में जा लेने देगा?

   इस दम्पति के परमेश्वर की सार्वभौमिकता और प्रभु यीशु में विश्वास ने ही उनके इस बड़े दुख की घड़ी में उन्हें सान्तवना और शाँति दी। यही शाँति और सान्तवना प्रत्येक मसीही विश्वासी के लिए प्रत्येक परिस्थिति में सदा उपलब्ध रहती है। क्या आपने प्रभु यीशु को अपनी सान्तवना और शाँति का स्त्रोत बनाया है? यदि नहीं तो अभी बना लीजिए। - डेनिस फिशर


दुख में शाँति का हमारा सबसे महान कारण है हमारा विश्वास कि हर परिस्थिति परमेश्वर के नियंत्रण में है, हमारे भले ही के लिए है।

हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है। वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है; ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों। - 2 कुरिन्थियों 1:3-4

बाइबल पाठ:  रोमियों 8:26-30
Romans 8:26 इसी रीति से आत्मा भी हमारी दुर्बलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए; परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर हैं, हमारे लिये बिनती करता है। 
Romans 8:27 और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्या है क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्छा के अनुसार बिनती करता है। 
Romans 8:28 और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। 
Romans 8:29 क्योंकि जिन्हें उसने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे। 
Romans 8:30 फिर जिन्हें उसने पहिले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 8-10


रविवार, 13 नवंबर 2011

सहायक

   एडमन्ड हिलेरी और उनके शेरपा साथी तेनज़िंग नौर्गे ने सन १९५३ में एवरेस्ट पर्वत पर एतिहासिक चढ़ाई करी एवं विजय प्राप्त करी। नीचे उतरते समय एक जगह हिलेरी का पांव फिसल गया, और तुरंत तेनज़िंग ने रस्सी को तानकर मज़बूती से पकड़ा और अपनी कुलहाड़ी बर्फ में गड़ा दी। इस स्थिरता के कारण हिलेरी अपना सन्तुलन एवं पैर पुनः जमा सके और दोनो सही सलामत नीचे उतर आए। बाद में जब पत्रकारों ने इस घटना के संदर्भ में तेनज़िंग को प्रशंसा का पात्र बनाना चाहा तो उन्होंने कोई भी श्रेय या प्रशंसा लेने से यह कह कर इन्कार कर दिया कि "यह कोई अनोखी बात नहीं है, पर्वतारोही तो सदैव एक दूसरे की सहायता करते ही हैं"।

   यही बात मसीही विश्वासियों के साथ भी होनी चाहिए। परमेश्वर तो अपने बच्चों की सहायता करता ही है (इब्रानियों १३:६)। उसने हमें प्रभु यीशु मसीह में उद्धार का मार्ग देकर हमें पाप के दण्ड से बचाया है। वह समय एवं आवश्यक्तानुसार भी हमारी सहायता कई प्रकार से करता है, और चाहता है कि हम भी एक दूसरे कि ऐसे ही सहायता किया करें, क्योंकि हम सब एक ही मार्ग के यात्री हैं।

   प्रेरित पौलुस ने उनकी प्रशंसा करी जिन्हों ने रोम में उसकी तथा वहां के विश्वासियों की सहायता करी थी। रोम के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उसने लिखा "मरियम को जिस ने तुम्हारे लिये बहुत परिश्र्म किया, नमस्‍कार" (रोमियों १६:६); तथा फीबे के लिए उसने लिखा "...जिस किसी बात में उस को तुम से प्रयोजन हो, उस की सहायता करो; क्‍योंकि वह भी बहुतों की वरन मेरी भी उपकारिणी हुई है" (रोमियों १६:२)।

   जब किसी का बोझ भारी हो जाए या किसी के कदम लड़खड़ाएं तो जो भी सहायता हम कर सकते हैं, हमें करनी चाहिए। सभी लोगों में हमारी यह पहचान होनी चाहिए "यह कोई अनोखी बात नहीं है, मसीही विश्वासी तो सदैव एक दूसरे की सहायता करते ही हैं"। - डेव एग्नर

एक दूसरे के बोझ बांट लेने से हम सहजता से एक साथ चल सकेंगे।

प्रिसका और अक्‍विला को भी यीशु में मेरे सहकर्मी हैं, नमस्‍कार। - रोमियों १६:३

बाइबल पाठ: रोमियों १६:१-१४
    Rom 16:1  मैं तुम से फीबे की, जो हमारी बहिन और किंखिया की कलीसिया की सेविका है, बिनती करता हूं।
    Rom 16:2  कि तुम जैसा कि पवित्र लोगों को चाहिए, उसे प्रभु में ग्रहण करो; और जिस किसी बात में उस को तुम से प्रयोजन हो, उस की सहायता करो; क्‍योंकि वह भी बहुतों की वरन मेरी भी उपकारिणी हुई है।
    Rom 16:3  प्रिसका और अक्‍विला को भी यीशु में मेरे सहकर्मी हैं, नमस्‍कार।
    Rom 16:4  उन्‍होंने मेरे प्राण के लिये अपना सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन अन्यजातियों की सारी कलीसियाएं भी उन का धन्यवाद करती हैं।
    Rom 16:5  और उस कलीसिया को भी नमस्‍कार जो उन के घर में है। मेरे प्रिय इपैनितुस को जो मसीह के लिये आसिया का पहिला फल है, नमस्‍कार।
    Rom 16:6  मरियम को जिस ने तुम्हारे लिये बहुत परिश्रम किया, नमस्‍कार।
    Rom 16:7  अन्‍द्रुनीकुस और यूनियास को जो मेरे कुटम्बी हैं, और मेरे साथ कैद हुए थे, और प्रेरितों में नामी हैं, और मुझ से पहिले मसीह में हुए थे, नमस्‍कार।
    Rom 16:8  अम्पलियातुस को, जो प्रभु में मेरा प्रिय है, नमस्‍कार।
    Rom 16:9  उरबानुस को, जो मसीह में हमारा सहकर्मी है, और मेरे प्रिय इस्‍तखुस को नमस्‍कार।
    Rom 16:10  अपिल्लेस को जो मसीह में खरा निकला, नमस्‍कार। अरिस्‍तुबुलुस के घराने को नमस्‍कार।
    Rom 16:11  मेरे कुटुम्बी हेरोदियोन को नमस्‍कार। नरिकयुस के घराने के जो लोग प्रभु में हैं, उन को नमस्‍कार।
    Rom 16:12  त्रूफैना और त्रूफोसा को जो प्रभु में परिश्रम करती हैं, नमस्‍कार। प्रिया परसिस को जिस ने प्रभु में बहुत परिश्रम किया, नमस्‍कार।
    Rom 16:13  रूफुस को जो प्रभु में चुना हुआ है, और उस की माता को जो मेरी भी है, दोनों को नमस्‍कार।
    Rom 16:14  असुक्रितुस और फिलगोन और हिमस ओर पत्रुबास और हिमांस और उन के साथ के भाइयों को नमस्‍कार।
 
एक साल में बाइबल: 
  • विलापगीत १-२ 
  • इब्रानियों १०:१-१८

शनिवार, 12 नवंबर 2011

सहारा

   अमेरिका के कैलिफोर्निया प्रांत में एक विशेष तरह के पेड़ पाए जाते हैं जो सिकोया रेडवुड वृक्ष कहलाते हैं। ये वृक्ष धरती से ३०० फुट की ऊंचाई को प्राप्त कर लेते हैं, किंतु इनकी जड़ें धरती के अन्दर अधिक गहराई तक नहीं जातीं। इनकी जड़ें धरती की उपरी सतह में फैलती हैं और सतह पर होने वाली नमी सोख़ के वृक्ष के लिए जल अर्जित करतीं हैं। ये वृक्ष कभी अकेले नहीं बढ़ते क्योंकि तेज़ हवाएं इन्हें आसानी से गिरा सकतीं हैं। ये वृक्ष सदा झुर्मुट में बढ़ते हैं; झुर्मुट के सभी वृक्षों की जड़ें आपस में उलझी रहती हैं और इस से एक वृक्ष को दूसरे से सहारा मिल जाता है और इतनी ऊंचाई एवं उथली जड़ों के बवजूद तेज़ आंधियां भी इन्हें गिरा नहीं पातीं।

   मानव जीवन में भी यह सिद्धांत लागू होता है। क्लेष और कष्ट सभी पर आते हैं, और कुछ परिस्थितियाँ ऐसे भी होती हैं जो जिस पर आती हैं, उसे ही उन्हें सहना भी होता है; लेकिन तौ भी रिश्तेदार, मित्रगण और निकट के लोग प्रार्थनाओं द्वारा, साथ रहकर या अन्य किसी न किसी रूप में क्लेष भोगने वाले को सहारा एवं सान्तवना दे सकते हैं और उसे टूटने से बचा सकते हैं। किंतु परेशानी तब होती है जब क्लेष भोगने वाला सहायता की अपनी आवश्यक्ता को स्वीकार ना करे और अकेले ही सब कुछ सहने का प्रयास करे।

   समस्त संसार के पापों के लिए क्रूस पर अपने बलिदान से पहले गतसमनी के बाग़ में ऐसे ही सहारे की उम्मीद प्रभु यीशु ने अपने चेलों तथा मित्रों पतरस, याकूब और युहन्ना से रखी थी, जब वह उन्हें अपने साथ प्रार्थना करने के लिए लेकर गया, लेकिन उन्होंने उसे निराश ही किया। जो कष्ट प्रभु भोगने पर था, वह कोई और नहीं भोग सकता था, लेकिन वह चाहता था कि परमेश्वर पिता से उस आते दुख को झेलेने की सामर्थ पाने की प्रार्थना में उसके चेले उसके साथ हों। लेकिन उन्हें प्रार्थना करने की बजाए सोते हुए देख कर उसे अपने अकेलेपन का एहसास और भी अधिक कष्टदायी हुआ होगा।

   यदि प्रभु यीशु को प्रार्थना और सहारे की आवश्यक्ता अनुभव हुई तो हम मनुष्यों के लिए एक दूसरे को सहारा देना और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करना कितना आवश्यक है। आवश्यक्ता अनुसार अपने लिए और अपने साथ किसी को प्रार्थना के लिए तैयार रखना, अथवा किसी अन्य के लिए प्रार्थना में सदा तत्पर रहना एक दूसरे को सहारा देने का कारगर उपाय है। - डेनिस डी हॉन


जो कष्ट में होते हैं उन्हें सान्तवना से अधिक सहारे की आवश्यक्ता होती है।

तब उस ने उन से कहा; मेरा जी बहुत उदास है, यहां तक कि मेरे प्राण निकला चाहते: तुम यहीं ठहरो, और मेरे साथ जागते रहो। - मत्ती २६:३८

बाइबल पाठ: मत्ती २६:३६-४६
    Mat 26:36  तब यीशु ने अपने चेलों के साथ गतसमनी नाम एक स्थान में आया और अपने चेलों से कहने लगा कि यहीं बैठे रहना, जब तक कि मैं वहां जाकर प्रार्थाना करूं।
    Mat 26:37  और वह पतरस और जब्‍दी के दोनों पुत्रों को साथ ले गया, और उदास और व्याकुल होने लगा।
    Mat 26:38  तब उस ने उन से कहा; मेरा जी बहुत उदास है, यहां तक कि मेरे प्राण निकला चाहते: तुम यहीं ठहरो, और मेरे साथ जागते रहो।
    Mat 26:39  फिर वह थोड़ा और आगे बढ़ कर मुंह के बल गिरा, और यह प्रार्थना करने लगा, कि हे मेरे पिता, यदि हो सके, तो यह कटोरा मुझ से टल जाए, तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परन्‍तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो।
    Mat 26:40  फिर चेलों के पास आकर उन्‍हें सोते पाया, और पतरस से कहा, क्‍या तुम मेरे साथ एक घड़ी भी न जाग सके?
    Mat 26:41  जागते रहो, और प्रार्थना करते रहो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो: आत्मा तो तैयार है, परन्‍तु शरीर र्दुबल है।
    Mat 26:42  फिर उस ने दूसरी बार जाकर यह प्रार्थना की, कि हे मेरे पिता, यदि यह मेरे पीए बिना नहीं हट सकता तो तेरी इच्‍छा पूरी हो।
    Mat 26:43  तब उस ने आकर उन्‍हें फिर सोते पाया, क्‍योंकि उन की आंखें नींद से भरी थीं।
    Mat 26:44  और उन्‍हें छोड़ कर फिर चला गया, और वही बात फिर कह कर, तीसरी बार प्रार्थना की।
    Mat 26:45  तब उस ने चेलों के पास आकर उन से कहा, अब सोते रहो, और विश्राम करो: देखो, घड़ी आ पहुंची है, और मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है।
    Mat 26:46  उठो, चलें; देखो, मेरा पकड़वाने वाला निकट आ पहुंचा है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह ५१-५२ 
  • इब्रानियों ९