ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 9 नवंबर 2011

शांति

   भूतपूर्व अमेरीकी राष्ट्रपति जेरालड फोर्ड ने अपनी एक पुस्तक A Time to Heal में एक ऐसी कहानी बताई जो कुछ वर्ष पहले उन्होंने सुनी थी - ग्रीस (युनान) देश के गृह युद्ध के समय, सन १९४८ में, अमेरीका में बसने जा रहे एक गाँव वाले ने अपने साथ के लोगों से पूछा, "अमेरीका पहुँच कर मैं तुम्हारे लिए क्या भेजूँ - पैसा, भोजन, कपड़े?" उसके एक गरीब पड़ौसी ने उत्तर दिया, "नहीं, इन में से कुछ नहीं, बस एक टन शान्ति भेज देना।" आज भी मन-मस्तिष्क की शान्ति हमारे लिए बहुत दुर्लभ और अति आवश्यक वस्तु बनी हुई है।

   जब प्रभु यीशु अपने क्रूस पर चढ़ाए जाने से थोड़ा पहले अपने चेलों के साथ वार्तलाप कर रहे थे तब वे आते समय में घटने वाले उन दुखों को जानते थे जो वे और उनके चेले अनुभव करने पर थे। उन्हें पता था कि कुछ समय में ही उनके चेले उनका विश्वासघात होते, उन्हें पकड़े जाते और फिर क्रूरता के साथ क्रूस पर बलिदान होते देखेंगे। वे ये भी जानते थे कि उनके पुनरुत्थान और स्वर्गारोहण के बाद चेलों को संसार के वैमनस्य का सामना करना पड़ेगा; जहाँ भी चेले प्रभु यीशु द्वारा पापों की क्षमा और उद्धार का सुसमाचार लेकर जाएंगे, उन्हें हर जगह विरोध, उपहास और सताव का सामना करना होगा। इसलिए उन अन्तिम क्षणों में प्रभु यीशु ने अपने चेलों से अनन्त शान्ति की प्रतिज्ञा करी, उन्होंने चेलों से कहा, "मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे" (युहन्ना १४:२७)।

   जब संसार में हम बोझिल हों और क्लेषों से दबने लगें, तब हमें शान्ति की आवश्यक्ता होती है, ऐसी शान्ति जो अलौकिक हो। ऐसे में मसीही विश्वासी अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की शान्ति की प्रतिज्ञा में विश्वास कर सकते हैं कि उसने अपनी शान्ति उन्हें उपलब्ध करवा रखी है। जब हम स्मरण करें कि उसने हमारे लिए क्या कुछ किया है तो उसकी प्रेम भरी बाहों में सिमट कर हम उसकी शान्ति के लिए आश्वस्त हो सकते हैं और शान्ति के राजकुमार की सामर्थ का अनुभव कर सकते हैं। - डेव एग्नर

जब मसीह हृदय पर राज्य करता है तब उसकी शान्ति मन में भर जाती है।

यहोवा अपनी प्रजा को बल देगा; यहोवा अपनी प्रजा को शान्ति की आशीष देगा। - भजन २९:११

बाइबल पाठ: युहन्ना १४:२५-३१
Joh 14:25  ये बातें मैं ने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कहीं।
Joh 14:26  परन्‍तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।
Joh 14:27  मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे।
Joh 14:28  तुम ने सुना, कि मैं ने तुम से कहा, कि मैं जाता हूं, और तुम्हारे पास फिर आता हूं: यदि तुम मुझ से प्रेम रखते, तो इस बात से आनन्‍दित होते, कि मैं पिता के पास जाता हूं क्‍योंकि पिता मुझ से बड़ा है।
Joh 14:29  और मैं ने अब इस के होने के पहिले तुम से कह दिया है, कि जब वह हो जाए, तो तुम प्रतीति करो।
Joh 14:30  मैं अब से तुम्हारे साथ और बहुत बातें न करूंगा, क्‍योंकि इस संसार का सरदार आता है, और मुझ में उसका कुछ नहीं।
Joh 14:31  परन्‍तु यह इसलिये होता है कि संसार जाने कि मैं पिता से प्रेम रखता हूं, और जिस तरह पिता ने मुझे आज्ञा दी, मैं वैसे ही करता हूं: उठो, यहां से चलें।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह ४६-४७ 
  • इब्रानियों ६

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें