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मंगलवार, 22 मार्च 2011

मार्गदर्शन या भावनाएं?

कई मसीही परमेश्वर के मार्गदर्शन को अपनी भावनाओं या भीतरी अनुभूतियों से जोड़ते हैं। किन्तु ये भावनाएं और अनुभूतियाँ परमेश्वर के मार्गदर्शन का प्रमाण नहीं हैं। प्रिंस्टन विश्वविद्यालय के एक भूत्पूर्व अधिपति, जौन हिबेन ने एक अतिथिति श्रीमान ब्युकमन को अपने घर भोज पर बुलाया। यह अतिथिति परमेश्वर के मार्गदर्शन को लेकर कुछ अपनी ही धारणाएं रखता था। भोजन के लिए न सिर्फ वह देर से पहुंचा वरन अपने साथ तीन बिन बुलाए मेहमानों को भी भोज के लिए ले आया। उस ने श्रिमति हिबेन को सफाई देते हुए कहा, "परमेश्वर ने मुझे इन तीनों को भी भोज पर लाने के लिए कहा!" श्रीमति हिबेन ने उत्तर दिया, "जी नहीं; मुझे नहीं लगता कि परमेश्वर का इससे कोई संबंध है।" ब्युकमन ने तिलमिला कर पूछा, "आप यह कैसे कह सकतीं हैं?" श्रीमति हिबेन ने उत्तर दिया, "क्योंकि मैं जानती हूँ कि परमेश्वर संभ्रांत है।"

यह किस्सा परमेश्वर के मार्गदर्शन के बारे में एक महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत करता है। विभिन्न परिस्थितियों को लेकर हमारे अन्दर कई सशक्त भावनाएं आ सकती हैं, परन्तु हमें उन्हें परमेश्वर का मार्गदर्शन मानने से पहले सदा परमेश्वर की प्रगट इच्छा के सामने रखकर जाँचना चाहिए। परमेश्वर का मार्गदर्शन कभी उसके वचन के प्रतिकूल अथवा उससे भिन्न नहीं होगा। परमेश्वर के वचनों को उनके संदर्भ में अध्ययन करने से हमें सही पहचान की सूझबूझ मिलती है, और उनका मनन करने से हम अपनी भावनाओं को जाँच पाते हैं।

अपनी पुस्तक "Knowing God" में जे. आई. पैकर चेतावनी देते हैं, "यदि कोई भावना हमारे अहम को उभारती है, या हमें अपनी मनमर्ज़ी करने को उकसाती है, या अपनी ज़िम्मेदारी से बच कर निकलने को प्रोत्साहित करती है, या हमें अपने आप को बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करने की ओर ले चलती है, तो तुरंत उसे पहचान कर निषक्रीय कर देना चाहिए, उसे परमेश्वर का मार्गदर्शन समझने की गलती नहीं करनी चाहिए।"

यह एक अच्छी सलाह है, खासकर तब जब हमारे पास परमेश्वर का वचन है जो हमारे मार्ग का दीपक और राह का उजियला है। - डेनिस डी हॉन


भावनाएं तथ्यओं एवं विश्वास का स्थान कभी नहीं ले सकतीं।

उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा। - नीतिवचन ३:६



बाइबल पाठ: नीतिवचन ३:१-१०

Pro 3:1 हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा को न भूलना, अपने ह्रृदय में मेरी आज्ञाओं को रखे रहना;
Pro 3:2 क्योंकि ऐसा करने से तेरी आयु बढ़ेगी, और तू अधिक कुशल से रहेगा।
Pro 3:3 कृपा और सच्चाई तुझ से अलग न होने पाएं वरन उनको अपने गले का हार बनाना, और अपनी हृदय रूपी पटिया पर लिखना।
Pro 3:4 और तू परमेश्वर और मनुष्य दोनों का अनुग्रह पाएगा, तू अति बुद्धिमान होगा।
Pro 3:5 तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना।
Pro 3:6 उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।
Pro 3:7 अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना, यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना।
Pro 3:8 ऐसा करने से तेरा शरीर भला चंगा, और तेरी हड्डियां पुष्ट रहेंगी।
Pro 3:9 अपनी संपत्ति के द्वारा और अपनी भूमि की पहिली उपज दे देकर यहोवा की प्रतिष्ठा करना;
Pro 3:10 इस प्रकार तेरे खत्ते भरे और पूरे रहेंगे, और तेरे रस कुण्डों से नया दाखमधु उमण्डता रहेगा।

एक साल में बाइबल:
  • यहोशू १०-१२
  • लूका १:३९-५६

शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

हर भय पर जयवंत भय

जौन हौपकिन्स विश्वविद्यालय के एक डॉकटर के अनुसार, हमारे मस्तिष्क, नाड़ीतंत्र, कोषिकाओं, आत्मा - प्रत्येक चीज़ की रचना ऐसी हुई है कि वह "विश्वास" की स्थिति में ही सबसे बेहतर कार्य करती है। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर ने हमें ऐसा बनाया है कि हम तब ही अपनी सामर्थ की पराकाष्ठता तक पहुंच सकते हैं जब हम भय के विनाशकारी प्रभाव से मुक्त हों। परन्तु हम सब किसी न किसी भय से ग्रसित रहते हैं - दूसरों का भय, अपने आप का भय, भविष्य का भय, अतीत का भय, बेरोज़गारी का भय, लोगों की राय का भय - आदि, आदि कई तरह के भय हमें सताते रहते हैं।

बाइबल में कई तरह के भय मिलते हैं, और इन विभिन्न प्रकार के भय को वर्णित करने के लिये दो दर्जन से अधिक अलग अलग शब्द प्रयोग किये गए हैं। इन शब्दों द्वारा आतंक से लेकर कायरता तक हर प्रकर के भय की विवेचना करी गई है। लेकिन एक भय है जो स्वास्थवर्धक तथा सकारात्मक है - परमेश्वर का भय।

बाइबल इस भय के बारे में कहती है कि यह परमेश्वर का भय :
  • "बुद्धि का मूल है" (नीतिवचन १:७);
  • "पवित्र" है (भजन १९:९);
  • जो "दृढ़ भरोसा" देता है (नीतिवचन १४:२६);
  • जो "जीवन का सोता" है (नीतिवचन १४:२७)
  • और सबसे बढ़कर, यही एक ऐसा भय है जिसके आधीन हम अपने आप को स्वेच्छा से कर सकते हैं (नीतिवचन १:२९)।

परमेश्वर का भय परमेश्वर पर श्रद्धापूर्ण विश्वास करना है। मूसा ने यह भय दिखाया जब जलती झाड़ी से परमेश्वर ने उसे संबोधित किया, "तब मूसा ने जो परमेश्वर की ओर निहारने से डरता था अपना मुंह ढ़ाप लिया।" - निर्गमन ३:६

"यहोवा का भय मानना बुराई से बैर रखना है" (नीतिवचन ८:१३)। हम परमेश्वर के सम्मुख उसकी पवित्रता और महानता के भय में आएं, उसके वचन, उसकी प्रतिज्ञाओं और उसकी चेतावनियों का भय मानें और उन पर विश्वास करें।

परमेश्वर का भय मान कर ही हम परमेश्वर के प्रति अपनी भक्ति को व्यक्त कर सकते हैं। यही वह भय है जो हर भय पर जयवंत है। - डेनिस डी हॉन


केवल परमेश्वर का भय ही मनुष्यों के भय से मुक्ति दे सकता है।

तब मूसा ने जो परमेश्वर की ओर निहारने से डरता या अपना मुंह ढ़ाप लिया। - निर्गमन ३:६

बाइबल पाठ: नीतिवचन २३:१५-२२

हे मेरे पुत्र, यदि तू बुद्धिमान हो, तो विशेष करके मेरा ही मन आनन्दित होगा।
और जब तू सीधी बातें बोले, तब मेरा मन प्रसन्न होगा।
तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना।
क्योंकि अन्त में सुफल होगा, और तेरी आशा न टूटेगी।
हे मेरे पुत्र, तू सुनकर बुद्धिमान हो, और अपना मन सुमार्ग में सीधा चला।
दाखमधु के पीने वालों में न होना, न मांस के अधिक खाने वालों की संगति करना;
क्योंकि पियक्कड़ और खाऊ अपना भाग खोते हैं, और पिनक वाले को चिथड़े पहिनने पड़ते हैं।
अपने जन्माने वाले की सुनना, और जब तेरी माता बुढिय़ा हो जाए, तब भी उसे तुच्छ न जानना।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था २५
  • मरकुस १:२३-४५

मंगलवार, 25 जनवरी 2011

मधु से मीठा

मोनटाना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस धारणा को चुनौती दी कि व्यायाम से पहले शक्कर की अधिक मात्रा वाला नाशता लेने से शरीर को शीघ्र उर्जा प्राप्त होती है। उन्होंने लम्बी दूरी की दौड़ में भाग लेने वाले धावकों का व्यायाम के लिये उपयोग होने वाली स्थावर साईकिलों पर परीक्षण किया। उन्होंने पाया कि जिन धावकों ने परीक्षण से पहले शक्कर रहित पेय पिये थे वे, उनके मुकाबले जिन्होंने शक्कर युक्त पेय लिये थे, २५ प्रतिशत अधिक देर तक साईकिल चला सके। उनके परीक्षणों का निष्कर्ष था कि खिलाड़ियों के लिये बेहतर होगा यदि वे व्यायाम से पहले किसी शक्कर युक्त नाशते का उपयोग न करें।

राजा सुलेमान ने भी शहद के अत्याधिक सेवन के उदाहरण को लिया, एक और गंभीर समस्या की ओर ध्यान खींचने के लिये - आत्मप्रशंसा के मधुर स्वाद में रत हो जाना। नीतिवचन के २५वें अध्याय में इस बुद्धिमान राजा ने आत्मप्रशंसा और घमंड के लिये दो चेतावनियां दीं (पद १४, २७)। लोगों में अपनी महिमा के प्रयास में लगे रहना निकट भविष्य के संदर्भ में तो अच्छा लग सकता है, लेकिन दीर्घ कालीन संदर्भ में यह हानिकारक ही होता है।

आत्मप्रशंसा और घमंड के भोजन को निरंतर लेते रहने से अधिक किसी अन्य में हमें अन्दर से कमज़ोर करने की क्षमता नहीं। कितना भला हो यदि हम मधु से मीठे इस आत्मप्रशंसा और घमंड के भोजन को तज कर परमेश्वर के प्रति विश्वास और अनुशासन में बने रहें। ऐसा करने से ही हम जीवन की चुनौतियों का सामना करने की सच्ची भीतरी सामर्थ पा सकते हैं। - मार्ट डी हॉन


जब घमंड जीवन से बाहर निकलता है, तब ही परमेश्वर पर विश्वास अन्दर आता है।

जैसे बहुत मधु खाना अच्छा नहीं, वैसे ही स्वयं की महिमा ढूंढना भी अच्छा नहीं। - नीतिवचन २५:२७


बाइबल पाठ: नीतिवचन २५:१४-२८

जैसे बादल और पवन बिना वृष्टि निर्लाभ होते हैं, वैसे ही झूठ-मूठ दान देने वाले का बड़ाई मारना होता है।
धीरज धरने से न्यायी मनाया जाता है, और कोमल वचन हड्डी को भी तोड़ डालता है।
क्या तू ने मधु पाया? तो जितना तेरे लिये ठीक हो उतना ही खाना, ऐसा न हो कि अधिक खाकर उसे उगल दे।
अपने पड़ोसी के घर में बारम्बार जाने से अपने पांव को रोक ऐसा न हो कि वह खिन्न होकर घृणा करने लगे।
जो किसी के विरूद्ध झूठी साक्षी देता है, वह मानो हथौड़ा और तलवार और पैना तीर है।
विपत्ति के समय विश्वासघाती का भरोसा टूटे हुए दांत वा उखड़े पांव के समान है।
जैसा जाड़े के दिनों में किसी का वस्त्र उतारना वा सज्जी पर सिरका डालना होता है, वैसा ही उदास मन वाले के साम्हने गीत गाना होता है।
यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसको रोटी खिलाना, और यदि वह प्यासा हो तो उसे पानी पिलाना;
क्योंकि इस रीति तू उसके सिर पर अंगारे डालेगा, और यहोवा तुझे इसका फल देगा।
जैसे उत्तरीय वायु वर्षा को लाती है, वैसे ही चुगली करने से मुख पर क्रोध छा जाता है।
लम्बे चौड़े घर में झगड़ालू पत्नी के संग रहने से छत के कोने पर रहना उत्तम है।
जैसा थके मान्दे के प्राणों के लिये ठण्डा पानी होता है, वैसा ही दूर देश से आया हुआ शुभ समाचार भी होता है।
जो धर्मी दुष्ट के कहने में आता है, वह गंदले सोते और बिगड़े हुए कुण्ड के समान है।
जैसे बहुत मधु खाना अच्छा नहीं, वैसे ही स्वयं की महिमा ढूंढना भी अच्छा नहीं।
जिसकी आत्मा वश में नहीं वह ऐसे नगर के समान है जिसकी शहरपनाह नाका करके तोड़ दी गई हो।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन १२-१३
  • मत्ती १६