मोनटाना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस धारणा को चुनौती दी कि व्यायाम से पहले शक्कर की अधिक मात्रा वाला नाशता लेने से शरीर को शीघ्र उर्जा प्राप्त होती है। उन्होंने लम्बी दूरी की दौड़ में भाग लेने वाले धावकों का व्यायाम के लिये उपयोग होने वाली स्थावर साईकिलों पर परीक्षण किया। उन्होंने पाया कि जिन धावकों ने परीक्षण से पहले शक्कर रहित पेय पिये थे वे, उनके मुकाबले जिन्होंने शक्कर युक्त पेय लिये थे, २५ प्रतिशत अधिक देर तक साईकिल चला सके। उनके परीक्षणों का निष्कर्ष था कि खिलाड़ियों के लिये बेहतर होगा यदि वे व्यायाम से पहले किसी शक्कर युक्त नाशते का उपयोग न करें।
राजा सुलेमान ने भी शहद के अत्याधिक सेवन के उदाहरण को लिया, एक और गंभीर समस्या की ओर ध्यान खींचने के लिये - आत्मप्रशंसा के मधुर स्वाद में रत हो जाना। नीतिवचन के २५वें अध्याय में इस बुद्धिमान राजा ने आत्मप्रशंसा और घमंड के लिये दो चेतावनियां दीं (पद १४, २७)। लोगों में अपनी महिमा के प्रयास में लगे रहना निकट भविष्य के संदर्भ में तो अच्छा लग सकता है, लेकिन दीर्घ कालीन संदर्भ में यह हानिकारक ही होता है।
आत्मप्रशंसा और घमंड के भोजन को निरंतर लेते रहने से अधिक किसी अन्य में हमें अन्दर से कमज़ोर करने की क्षमता नहीं। कितना भला हो यदि हम मधु से मीठे इस आत्मप्रशंसा और घमंड के भोजन को तज कर परमेश्वर के प्रति विश्वास और अनुशासन में बने रहें। ऐसा करने से ही हम जीवन की चुनौतियों का सामना करने की सच्ची भीतरी सामर्थ पा सकते हैं। - मार्ट डी हॉन
जैसे बहुत मधु खाना अच्छा नहीं, वैसे ही स्वयं की महिमा ढूंढना भी अच्छा नहीं। - नीतिवचन २५:२७
बाइबल पाठ: नीतिवचन २५:१४-२८
जैसे बादल और पवन बिना वृष्टि निर्लाभ होते हैं, वैसे ही झूठ-मूठ दान देने वाले का बड़ाई मारना होता है।
धीरज धरने से न्यायी मनाया जाता है, और कोमल वचन हड्डी को भी तोड़ डालता है।
क्या तू ने मधु पाया? तो जितना तेरे लिये ठीक हो उतना ही खाना, ऐसा न हो कि अधिक खाकर उसे उगल दे।
अपने पड़ोसी के घर में बारम्बार जाने से अपने पांव को रोक ऐसा न हो कि वह खिन्न होकर घृणा करने लगे।
जो किसी के विरूद्ध झूठी साक्षी देता है, वह मानो हथौड़ा और तलवार और पैना तीर है।
विपत्ति के समय विश्वासघाती का भरोसा टूटे हुए दांत वा उखड़े पांव के समान है।
जैसा जाड़े के दिनों में किसी का वस्त्र उतारना वा सज्जी पर सिरका डालना होता है, वैसा ही उदास मन वाले के साम्हने गीत गाना होता है।
यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसको रोटी खिलाना, और यदि वह प्यासा हो तो उसे पानी पिलाना;
क्योंकि इस रीति तू उसके सिर पर अंगारे डालेगा, और यहोवा तुझे इसका फल देगा।
जैसे उत्तरीय वायु वर्षा को लाती है, वैसे ही चुगली करने से मुख पर क्रोध छा जाता है।
लम्बे चौड़े घर में झगड़ालू पत्नी के संग रहने से छत के कोने पर रहना उत्तम है।
जैसा थके मान्दे के प्राणों के लिये ठण्डा पानी होता है, वैसा ही दूर देश से आया हुआ शुभ समाचार भी होता है।
जो धर्मी दुष्ट के कहने में आता है, वह गंदले सोते और बिगड़े हुए कुण्ड के समान है।
जैसे बहुत मधु खाना अच्छा नहीं, वैसे ही स्वयं की महिमा ढूंढना भी अच्छा नहीं।
जिसकी आत्मा वश में नहीं वह ऐसे नगर के समान है जिसकी शहरपनाह नाका करके तोड़ दी गई हो।
एक साल में बाइबल:
राजा सुलेमान ने भी शहद के अत्याधिक सेवन के उदाहरण को लिया, एक और गंभीर समस्या की ओर ध्यान खींचने के लिये - आत्मप्रशंसा के मधुर स्वाद में रत हो जाना। नीतिवचन के २५वें अध्याय में इस बुद्धिमान राजा ने आत्मप्रशंसा और घमंड के लिये दो चेतावनियां दीं (पद १४, २७)। लोगों में अपनी महिमा के प्रयास में लगे रहना निकट भविष्य के संदर्भ में तो अच्छा लग सकता है, लेकिन दीर्घ कालीन संदर्भ में यह हानिकारक ही होता है।
आत्मप्रशंसा और घमंड के भोजन को निरंतर लेते रहने से अधिक किसी अन्य में हमें अन्दर से कमज़ोर करने की क्षमता नहीं। कितना भला हो यदि हम मधु से मीठे इस आत्मप्रशंसा और घमंड के भोजन को तज कर परमेश्वर के प्रति विश्वास और अनुशासन में बने रहें। ऐसा करने से ही हम जीवन की चुनौतियों का सामना करने की सच्ची भीतरी सामर्थ पा सकते हैं। - मार्ट डी हॉन
जब घमंड जीवन से बाहर निकलता है, तब ही परमेश्वर पर विश्वास अन्दर आता है।
जैसे बहुत मधु खाना अच्छा नहीं, वैसे ही स्वयं की महिमा ढूंढना भी अच्छा नहीं। - नीतिवचन २५:२७
बाइबल पाठ: नीतिवचन २५:१४-२८
जैसे बादल और पवन बिना वृष्टि निर्लाभ होते हैं, वैसे ही झूठ-मूठ दान देने वाले का बड़ाई मारना होता है।
धीरज धरने से न्यायी मनाया जाता है, और कोमल वचन हड्डी को भी तोड़ डालता है।
क्या तू ने मधु पाया? तो जितना तेरे लिये ठीक हो उतना ही खाना, ऐसा न हो कि अधिक खाकर उसे उगल दे।
अपने पड़ोसी के घर में बारम्बार जाने से अपने पांव को रोक ऐसा न हो कि वह खिन्न होकर घृणा करने लगे।
जो किसी के विरूद्ध झूठी साक्षी देता है, वह मानो हथौड़ा और तलवार और पैना तीर है।
विपत्ति के समय विश्वासघाती का भरोसा टूटे हुए दांत वा उखड़े पांव के समान है।
जैसा जाड़े के दिनों में किसी का वस्त्र उतारना वा सज्जी पर सिरका डालना होता है, वैसा ही उदास मन वाले के साम्हने गीत गाना होता है।
यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसको रोटी खिलाना, और यदि वह प्यासा हो तो उसे पानी पिलाना;
क्योंकि इस रीति तू उसके सिर पर अंगारे डालेगा, और यहोवा तुझे इसका फल देगा।
जैसे उत्तरीय वायु वर्षा को लाती है, वैसे ही चुगली करने से मुख पर क्रोध छा जाता है।
लम्बे चौड़े घर में झगड़ालू पत्नी के संग रहने से छत के कोने पर रहना उत्तम है।
जैसा थके मान्दे के प्राणों के लिये ठण्डा पानी होता है, वैसा ही दूर देश से आया हुआ शुभ समाचार भी होता है।
जो धर्मी दुष्ट के कहने में आता है, वह गंदले सोते और बिगड़े हुए कुण्ड के समान है।
जैसे बहुत मधु खाना अच्छा नहीं, वैसे ही स्वयं की महिमा ढूंढना भी अच्छा नहीं।
जिसकी आत्मा वश में नहीं वह ऐसे नगर के समान है जिसकी शहरपनाह नाका करके तोड़ दी गई हो।
एक साल में बाइबल:
- निर्गमन १२-१३
- मत्ती १६
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.....
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