ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें : rozkiroti@gmail.com / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2018

औषधि



      हमारे निवास स्थान,घाना के एकरा शहर में टैक्सी चालकों तथा मिनी-बस चालकों के असावधानीपूर्ण गाड़ी चलाने के कारण, परस्पर क्रोधित व्यवहार और असभ्य भाषा का प्रयोग आम बात है। किन्तु एक ट्रैफिक घटना में मैंने एक बिलकुल ही भिन्न बात घटित होते हुए देखी। एक टैक्सी-चालक की असावधानी के कारण, उसकी टक्कर एक बस से होते-होते बची। मैंने सोचा कि अब ये दोनों चालक एक दूसरे पर क्रोधित होंगे, चिल्लाएंगे और गाली-गलौज होगी। परन्तु बस चालक ने ऐसा नहीं किया; उसने अपने सख्त चहरे को नम्र किया, दोषी टैक्सी चालक की ओर देखकर मुस्कुराया, और उसके मुस्कुराने ने चमत्कार कर दिया। टैक्सी चालक ने हाथ उठा कर उससे क्षमा माँगी, वापस बस चालक को मुस्कुराहट का प्रत्युत्तर दिया, और अपनी गाड़ी आगे बढ़ा ली – सारा तनाव जाता रहा।

      हमारे मस्तिष्क की कार्य-विधि पर मुस्कुराहट का अद्भुत मोहक प्रभाव होता है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि मुस्कुराने से मस्तिष्क में एंडोर्फिन नामक कुछ रासयनिक तत्व निकलते हैं जिनका शरीर और मन पर आरामदायक प्रभाव होता है। मुस्कुराहट से न केवल तनावपूर्ण परिस्थितियाँ जाती रहती हैं, वरन हमारे अन्दर के तनाव भी जाते रहते हैं। हमारी भावनाएँ और व्यवहार न केवल हमें वरन औरों को भी प्रभावित करते हैं, और सकारात्मक व्यवहार औरों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में सिखाया गया है, “सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए। और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो” (इफिसियों 4:31-32); और यह भी कि आनन्दित हृदय औषधि का कार्य करता है (नीतिवचन 17:22)। जब भी तनाव या कटुता, प्रभु या औरों के साथ हमारे संबंधों को प्रभावित करने लगें, तो इस औषधि का उपयोग अवश्य करें; यह हमारे लिए बहुत लाभकारी होगा। - लॉरेंस दरमानी


जब हम मसीह यीशु के प्रेम में जीना सीखते हैं, हम आन्दित रहना सीखते हैं।

मन का आनन्द अच्छी औषधि है, परन्तु मन के टूटने से हड्डियां सूख जाती हैं। - नीतिवचन 17:22

बाइबल पाठ: इफिसियों 4: 20-32
Ephesians 4:20 पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई।
Ephesians 4:21 वरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए।
Ephesians 4:22 कि तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्‍व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्‍ट होता जाता है, उतार डालो।
Ephesians 4:23 और अपने मन के आत्मिक स्‍वभाव में नये बनते जाओ।
Ephesians 4:24 और नये मनुष्यत्‍व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है।
Ephesians 4:25 इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
Ephesians 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
Ephesians 4:27 और न शैतान को अवसर दो।
Ephesians 4:28 चोरी करनेवाला फिर चोरी न करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो।
Ephesians 4:29 कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
Ephesians 4:30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।
Ephesians 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
Ephesians 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 23-25
  • फिलिप्पियों 1



गुरुवार, 4 अक्टूबर 2018

स्वतंत्र



      मैं और मेरी पत्नि, जोर्जिया प्रांत के सवान्नाह शहर में स्थित सशक्त आठवीं वायुसेना दल के राष्ट्रीय युद्ध संग्रहालय घूमने के लिए गए। वहाँ लगी प्रदर्शनियों में से एक, जर्मनी के युद्ध-बन्दी शिविर के नमूने को देखकर हम बहुत द्रवित हुए। मेरी पत्नि के पिता, जिम, इसी आठवीं वायु सेना में कार्य करते थे, और दूसरे विश्व-युद्ध में इस वायु-सेना ने यूरोप की ऊपर बहुत उड़ानें भरीं थीं। युद्ध में इस वायु-सेना के 47,000 से अधिक कर्मी घायल हुए थे, और 26,000 से अधिक की मृत्यु हो गई थी।

      जिम उनमें से एक थे जिनका विमान मार गिराया गया था और जिम ने जर्मन युद्ध-बन्दी बनकर समय बिताया था। वहाँ लगी युद्ध-बन्दी शिविर की प्रदर्शनी को देखते समय हमें जिम द्वारा युद्ध-बन्दी होने की बताई गई बातें स्मरण हो आईं, और उनका कहना कि युद्ध समाप्ति पर जब उन्हें और अन्य युद्ध-बंदियों को स्वतंत्र किया गया, तब उन्होंने कैसे अवर्णनीय तथा अविस्मरणीय आनन्द का अनुभव किया था।

      परमेश्वर के वचन बाइबल के भजन 146 में परमेश्वर द्वारा शोषित एवँ बन्दी बनाए गए लोगों की देखभाल को बताया गया है। भजनकार ने परमेश्वर को “वह पिसे हुओं का न्याय चुकाता है; और भूखों को रोटी देता है। यहोवा बन्धुओं को छुड़ाता है” कहा (पद 7)। निःसंदेह यह सब आनन्द एवं उत्सव मनाने का कारण है। परन्तु सब से महान स्वतंत्रता है प्रभु यीशु द्वारा दिए गए क्षमादान द्वारा पाप के दोष और लज्जा से मिलने वाली स्वतंत्रता। इसीलिए प्रभु यीशु ने कहा, “सो यदि पुत्र तुम्हें स्‍वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्‍वतंत्र हो जाओगे” (यूहन्ना 8:36)।

      मसीह यीशु के बलिदान के द्वारा सँसार के सभी मनुष्यों के लिए पाप से स्वतंत्र होने का मार्ग उपलब्ध है। अब हम सभी प्रभु यीशु से मिलने वाली क्षमा और प्रेम, और परिणामस्वरूप होने वाले आनन्द का अनुभव कर सकते हैं। - बिल क्राउडर


मसीह यीशु से मिलने वाले क्षमा के सामर्थ्य के आगे पाप की कैद टिक नहीं सकती है।

प्रभु यीशु ने कहा: “कि प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उसने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है, कि बन्‍धुओं को छुटकारे का और अन्‍धों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूं और कुचले हुओं को छुड़ाऊं।” – लूका 4:18

बाइबल पाठ: भजन 146
Psalms 146:1 याह की स्तुति करो। हे मेरे मन यहोवा की स्तुति कर!
Psalms 146:2 मैं जीवन भर यहोवा की स्तुति करता रहूंगा; जब तक मैं बना रहूंगा, तब तक मैं अपने परमेश्वर का भजन गाता रहूंगा।।
Psalms 146:3 तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना, न किसी आदमी पर, क्योंकि उस में उद्धार करने की भी शक्ति नहीं।
Psalms 146:4 उसका भी प्राण निकलेगा, वह भी मिट्टी में मिल जाएगा; उसी दिन उसकी सब कल्पनाएं नाश हो जाएंगी।
Psalms 146:5 क्या ही धन्य वह है, जिसका सहायक याकूब का ईश्वर है, और जिसका भरोसा अपने परमेश्वर यहोवा पर है।
Psalms 146:6 वह आकाश और पृथ्वी और समुद्र और उन में जो कुछ है, सब का कर्ता है; और वह अपना वचन सदा के लिये पूरा करता रहेगा।
Psalms 146:7 वह पिसे हुओं का न्याय चुकाता है; और भूखों को रोटी देता है। यहोवा बन्धुओं को छुड़ाता है;
Psalms 146:8 यहोवा अन्धों को आंखें देता है। यहोवा झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है; यहोवा धर्मियों से प्रेम रखता है।
Psalms 146:9 यहोवा परदेशियों की रक्षा करता है; और अनाथों और विधवा को तो सम्भालता है; परन्तु दुष्टों के मार्ग को टेढ़ा मेढ़ा करता है।
Psalms 146:10 हे सिय्योन, यहोवा सदा के लिये, तेरा परमेश्वर पीढ़ी पीढ़ी राज्य करता रहेगा। याह की स्तुति करो!


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 20-22
  • इफिसियों 6



बुधवार, 3 अक्टूबर 2018

चरित्र



      घाना के दूरस्थ इलाकों में, जहाँ मैं बचपन में रहा करता था, एक सामान्य कहावत थी, “भोजन के समय, कोई मित्र नहीं।” सामान्यतः भोजन के आभाव के कारण, स्थानीय लोग इसे अशिष्ट मानते थे यदि कोई मेहमान भोजन के समय किसी के घर पहुँच जाता। यह बात पड़ौसी और बाहरी लोगों दोनों पर समान लागू होती थी।

      परन्तु फिलिप्पींस में, जहाँ पर भी मैं कुछ वर्ष रहा था, आप चाहे भोजन के समय बिना बताए भी चले आते थे तो भी मेज़बान इस बात पर ज़ोर देते थे के आप उनके साथ कुछ खाएं, चाहे स्वयँ उनके लिए भी भोजन पर्याप्त न हो। अपने कुछ खास कारणों से भिन्न स्थानों पर भिन्न संस्कृतियां होती हैं।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि जब इस्राएली मिस्र से निकलकर चले, तब परमेश्वर ने उन्हें उनकी संस्कृति के लिए कुछ विशेष नियम दिए। परन्तु नियम, वे चाहे परमेश्वर ही के नियम क्यों न हों, मनुष्यों के मनों को परिवर्तित नहीं कर सकते हैं। इसीलिए मूसा ने उन से कहा, “इसलिये अपने अपने हृदय का खतना करो, और आगे को हठीले न रहो” (व्यवस्थाविवरण 10:16)। यह रोचक है कि मन परिवर्तन के इस आहवान के तुरंत बाद ही मूसा ने इस्राएलियों द्वारा परदेशियों के प्रति किए जाने वाले व्यवहार के विषय निर्देश दिए; उसने परमेश्वर के चरित्र के आधार पर उनसे कहा, “वह अनाथों और विधवा का न्याय चुकाता, और परदेशियों से ऐसा प्रेम करता है कि उन्हें भोजन और वस्त्र देता है। इसलिये तुम भी परदेशियों से प्रेम भाव रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे” (पद 18-19)।

      इस्राएली एक अति महान एवँ अनुपम परमेश्वर की सेवा करते थे: “क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वही ईश्वरों का परमेश्वर और प्रभुओं का प्रभु है, वह महान्‌ पराक्रमी और भय योग्य ईश्वर है, जो किसी का पक्ष नहीं करता और न घूस लेता है” (पद 17) । ऐसे महान और पराक्रमी परमेश्वर के जन होने के कारण उन्हें इस बात का प्रमाण परदेशियों के प्रति, वे जो उनकी संस्कृति से नहीं थे, उनके प्रति प्रेम दर्शाने के द्वारा दिखाना था।

      परमेश्वर के चरित्र का यह संक्षिप्त विवरण, आज हमारे लिए क्या अर्थ रखता है? परमेश्वर के जन होने के कारण आज हम मसीही विश्वासी, परमेश्वर के प्रेम को तिरीस्कृत और ज़रूरतमंद लोगों को किस प्रकार से दिखा सकते हैं? – टिम गुस्ताफ्सन


मसीह यीशु में कोई परदेशी नहीं है।

इसलिये तुम अब विदेशी और मुसाफिर नहीं रहे, परन्तु पवित्र लोगों के संगी स्‍वदेशी और परमेश्वर के घराने के हो गए। - इफिसियों 2:19

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 10:12-22
Deuteronomy 10:12 और अब, हे इस्राएल, तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से इसके सिवाय और क्या चाहता है, कि तू अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और उसके सारे मार्गों पर चले, उस से प्रेम रखे, और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करे,
Deuteronomy 10:13 और यहोवा की जो जो आज्ञा और विधि मैं आज तुझे सुनाता हूं उन को ग्रहण करे, जिस से तेरा भला हो?
Deuteronomy 10:14 सुन, स्वर्ग और सब से ऊंचा स्वर्ग भी, और पृथ्वी और उस में जो कुछ है, वह सब तेरे परमेश्वर यहोवा ही का है;
Deuteronomy 10:15 तौभी यहोवा ने तेरे पूर्वजों से स्नेह और प्रेम रखा, और उनके बाद तुम लोगों को जो उनकी सन्तान हो सर्व देशों के लोगों के मध्य में से चुन लिया, जैसा कि आज के दिन प्रगट है।
Deuteronomy 10:16 इसलिये अपने अपने हृदय का खतना करो, और आगे को हठीले न रहो।
Deuteronomy 10:17 क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वही ईश्वरों का परमेश्वर और प्रभुओं का प्रभु है, वह महान्‌ पराक्रमी और भय योग्य ईश्वर है, जो किसी का पक्ष नहीं करता और न घूस लेता है।
Deuteronomy 10:18 वह अनाथों और विधवा का न्याय चुकाता, और परदेशियों से ऐसा प्रेम करता है कि उन्हें भोजन और वस्त्र देता है।
Deuteronomy 10:19 इसलिये तुम भी परदेशियों से प्रेम भाव रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे।
Deuteronomy 10:20 अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानना; उसी की सेवा करना और उसी से लिपटे रहना, और उसी के नाम की शपथ खाना।
Deuteronomy 10:21 वही तुम्हारी स्तुति के योग्य है; और वही तेरा परमेश्वर है, जिसने तेरे साथ वे बड़े महत्व के और भयानक काम किए हैं, जिन्हें तू ने अपनी आंखों से देखा है।
Deuteronomy 10:22 तेरे पुरखा जब मिस्र में गए तब सत्तर ही मनुष्य थे; परन्तु अब तेरे परमेश्वर यहोवा ने तेरी गिनती आकाश के तारों के समान बहुत कर दिया है।


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 17-19
  • इफिसियों 5:17-33



मंगलवार, 2 अक्टूबर 2018

स्मरण



      मेरा मित्र बॉब हौर्नर प्रभु यीशु मसीह को “स्मरण करवाने का विशेषज्ञ” कहता है। और यह भला है क्योंकि हम स्वभाव से इतने अधिक भुलक्कड़ और संदेह करने वाले हैं। प्रभु यीशु ने पृथ्वी की अपनी सेवकाई के दिनों में चाहे जितनी बार उनके पास आने वालों की आवश्यकताओं की पूर्ति की हो, किन्तु फिर भी उसके प्रथम शिष्य संदेह करते रहते थे कि उनकी आवश्यकताएँ कहीं अपूर्ण न रह जाएँ। प्रभु के अनेकों आश्चर्यकर्मों को देखने के बाद भी, वे उस बड़े और गहरे अर्थ को समझने में नाकाम रहे जो प्रभु चाहता था कि वे समझें और स्मरण रखें।

      परमेश्वर के वचन बाइबल के नए नियम खण्ड में हम एक स्थान पर पढ़ते हैं कि गलील की झील में नाव से यात्रा करते समय शिष्यों को ध्यान आया कि वे रोटी लाना भूल गए हैं, और वे दबी आवाज़ में इसके बारे में आपस में बातचीत करने लगे। प्रभु यीशु ने उनके असमंजस को देख के उनसे पूछा, “यह जानकर यीशु ने उन से कहा; तुम क्यों आपस में यह विचार कर रहे हो कि हमारे पास रोटी नहीं? क्या अब तक नहीं जानते और नहीं समझते? क्या तुम्हारा मन कठोर हो गया है? क्या आंखे रखते हुए भी नहीं देखते, और कान रखते हुए भी नहीं सुनते? और तुम्हें स्मरण नहीं” (मरकुस 8:17-18)। फिर प्रभु ने उन्हें स्मरण करवाया कि जब प्रभु ने पाँच हज़ार की भीड़ को पाँच रोटियों से खिलाया था तब शिष्यों ने बचे हुए भोजन की बारह टोकरियाँ उठाईं थीं। और जब प्रभु ने चार हज़ार की भीड़ को सात रोटियों से खिलाया था तब उन्होंने सात टोकरे भरकर बचा हुआ भोजन उठाया था। इसके बाद प्रभु ने उन शिष्यों से पूछा, “उसने उन से कहा, क्या तुम अब तक नहीं समझते?” (पद 21)।

      लोगों की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रभु यीशु द्वारा आश्चर्यजनक रीति से प्रावधान किए जाने के द्वारा प्रभु एक महान सत्य की ओर संकेत कर रहा था – कि वह ही जीवन की रोटी है, और उसके यह देह रोटी के समान, हम सब के लिए “तोड़ी” जानी थी, जिससे हम उससे जीवन पा सकें।

      प्रभु भोज के समय हम मसीही विश्वासी जब रोटी तोड़कर खाते हैं और कटोरे में से पीते हैं तो हम प्रभु यीशु द्वारा सँसार के प्रत्येक मनुष्य के प्रति रखे गए प्रेम और सभी के उद्धार के लिए किए गए प्रावधान को स्मरण करते हैं। - डेविड मैक्कैस्लैंड


प्रभु भोज में भाग लेना प्रभु यीशु के प्रेम और प्रावधान को स्मरण करना है।

यीशु ने उन से कहा, जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा। - यूहन्ना 6:35

बाइबल पाठ: मरकुस 8:11-21
Mark 8:11 फिर फरीसी निकलकर उस से वाद-विवाद करने लगे, और उसे जांचने के लिये उस से कोई स्‍वर्गीय चिन्ह मांगा।
Mark 8:12 उसने अपनी आत्मा में आह मार कर कहा, इस समय के लोग क्यों चिन्‍ह ढूंढ़ते हैं? मैं तुम से सच कहता हूं, कि इस समय के लोगों को कोई चिन्ह नहीं दिया जाएगा।
Mark 8:13 और वह उन्हें छोड़कर फिर नाव पर चढ़ गया और पार चला गया।
Mark 8:14 और वे रोटी लेना भूल गए थे, और नाव में उन के पास एक ही रोटी थी।
Mark 8:15 और उसने उन्हें चिताया, कि देखो, फरीसियों के खमीर और हेरोदेस के खमीर से चौकस रहो।
Mark 8:16 वे आपस में विचार कर के कहने लगे, कि हमारे पास तो रोटी नहीं है।
Mark 8:17 यह जानकर यीशु ने उन से कहा; तुम क्यों आपस में यह विचार कर रहे हो कि हमारे पास रोटी नहीं? क्या अब तक नहीं जानते और नहीं समझते?
Mark 8:18 क्या तुम्हारा मन कठोर हो गया है? क्या आंखे रखते हुए भी नहीं देखते, और कान रखते हुए भी नहीं सुनते? और तुम्हें स्मरण नहीं।
Mark 8:19 कि जब मैं ने पांच हजार के लिये पांच रोटी तोड़ी थीं तो तुम ने टुकड़ों की कितनी टोकिरयां भरकर उठाईं? उन्होंने उस से कहा, बारह टोकरियां।
Mark 8:20 और जब चार हज़ार के लिये सात रोटी थीं तो तुमने टुकड़ों के कितने टोकरे भरकर उठाए थे? उन्होंने उस से कहा, सात टोकरे।
Mark 8:21 उसने उन से कहा, क्या तुम अब तक नहीं समझते?


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 14-16
  • इफिसियों 5:1-16



सोमवार, 1 अक्टूबर 2018

पकड़



      चीन के ज़हांगज़ियाजेई में स्थित तियांमेन पर्वत सँसार के सबसे सुन्दर पर्वतों में से एक माना जाता है। उसकी गगनचुंबी चोटियों को उनकी भव्य सुंदरता में देखने के लिए तियांमेन शान केबल कार द्वारा यात्रा करनी पड़ती है, जो केबल के सहारे 7,455 मीटर (4.5 मील) की दूरी तय करती है। इस केबल कार का इतनी ऊंचाई पर चढ़ना और इतनी लंबी दूरी तय करना बड़े अचरज का विषय है, क्योंकि इस केबल कार में अपनी कोई मोटर नहीं है। परन्तु वह उन ऊंचाईयों पर भी सुरक्षित यात्रा करती है क्योंकि उसकी पकड़ उसके मज़बूत केबल पर दृढ़ बनी रहती है, और उस केबल को शक्तिशाली मोटर चलाती है।

      यही सिद्धान्त हमारे मसीही विश्वास के जीवन पर भी लागू होता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस अपने जीवन के उदाहरण के द्वारा हमें प्रोत्साहित करता है: “निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है” (फिलिप्पियों 3:14)। इसके लिए प्रेरित पौलुस ने आगे लिखा, “प्रभु में स्थिर रहो” (4:1), अर्थात मसीह यीशु को दृढ़ता से थामे रहो। मसीही विश्वास के जीवन में अग्रसर होने के लिए हमारे पास अपने कोई संसाधन नहीं हैं। आगे बढ़ते रहने के लिए हम पूर्णतः प्रभु यीशु मसीह पर निर्भर हैं। वही हमें बड़ी से बड़ी चुनौतियों से सुरक्षित निकालेगा और घर तक सकुशल पहुंचाएगा।

      आपने पार्थिव जीवन के अन्त के निकट प्रेरित पौलुस ने अपने विषय कहा, “मैं अच्छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है” (2 तिमुथियुस 4:7)। प्रभु यीशु मसीह पर अपने विश्वास की पकड़ को दृढ़ बनाए रखिए, उसे दृढ़ता से थामे रहिए, और आप भी पौलुस के समान विश्वास में स्थिर एवं स्थापित बने रहेंगे। - एल्बर्ट ली


विश्वास में बने रहने का अर्थ है 
संभालने के लिए परमेश्वर की विश्वासयोग्यता पर भरोसा बनाए रखना।

यहोवा की बाट जोहता रह; हियाव बान्ध और तेरा हृदय दृढ़ रहे; हां, यहोवा ही की बाट जोहता रह! – भजन 27:14

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 3:12-4:1
Philippians 3:12 यह मतलब नहीं, कि मैं पा चुका हूं, या सिद्ध हो चुका हूं: पर उस पदार्थ को पकड़ने के लिये दौड़ा चला जाता हूं, जिस के लिये मसीह यीशु ने मुझे पकड़ा था।
Philippians 3:13 हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ।
Philippians 3:14 निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है।
Philippians 3:15 सो हम में से जितने सिद्ध हैं, यही विचार रखें, और यदि किसी बात में तुम्हारा और ही विचार हो तो परमेश्वर उसे भी तुम पर प्रगट कर देगा।
Philippians 3:16 सो जहां तक हम पहुंचे हैं, उसी के अनुसार चलें।
Philippians 3:17 हे भाइयो, तुम सब मिलकर मेरी सी चाल चलो, और उन्हें पहिचान रखो, जो इस रीति पर चलते हैं जिस का उदाहरण तुम हम में पाते हो।
Philippians 3:18 क्योंकि बहुतेरे ऐसी चाल चलते हैं, जिन की चर्चा मैं ने तुम से बार बार किया है और अब भी रो रोकर कहता हूं, कि वे अपनी चालचलन से मसीह के क्रूस के बैरी हैं।
Philippians 3:19 उन का अन्‍त विनाश है, उन का ईश्वर पेट है, वे अपनी लज्ज़ा की बातों पर घमण्‍ड करते हैं, और पृथ्वी की वस्‍तुओं पर मन लगाए रहते हैं।
Philippians 3:20 पर हमारा स्‍वदेश स्वर्ग पर है; और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के वहां से आने ही बाट जोह रहे हैं।
Philippians 3:21 वह अपनी शक्ति के उस प्रभाव के अनुसार जिस के द्वारा वह सब वस्‍तुओं को अपने वश में कर सकता है, हमारी दीन-हीन देह का रूप बदलकर, अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा।
Philippians 4:1 इसलिये हे मेरे प्रिय भाइयों, जिन में मेरा जी लगा रहता है जो मेरे आनन्द और मुकुट हो, हे प्रिय भाइयो, प्रभु में इसी प्रकार स्थिर रहो।


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 11-13
  • इफिसियों 4



रविवार, 30 सितंबर 2018

विश्वास



      लोग कहते हैं कि हमें विश्वास रखना चाहिए। परन्तु इसका अर्थ क्या है? क्या कैसा भी विश्वास रखना सही और उचित है? एक शताब्दी पहले एक सकारात्मक विचारधारा रखने वाले ने कहा “अपने आप में, और जो कुछ आप हो, उसमें विश्वास रखो। यह मान कर चलो कि आपके अन्दर कुछ ऐसा है जो किसी भी बाधा से बढ़कर है।” सुनने में यह बहुत अच्छा लगता है, परन्तु जब यह विचार जीवन और सँसार की वास्तविकता से टकराता है तो चकनाचूर हो जाता है। हमें किसी ऐसे पर विश्वास की आवश्यकता पड़ती है जो हमसे और सँसार की बातों से बढ़कर है, हर बात, हर परिस्थिति में उनपर सामर्थी एवँ जयवंत है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि परमेश्वर ने अब्राहम से प्रतिज्ञा की, कि उसका वंश अनगिनित होगा (उत्पत्ति 15:4-5), परन्तु अब्राहम के सामने एक बड़ी बाधा थी – वह और उसकी पत्नि सारा बूढ़े तथा निःसंतान थे! जब वे दोनों परमेश्वर द्वारा प्रतिज्ञा को पूरा करने की प्रतीक्षा करते-करते थक गए, अधीर हो गए, तो उन्होंने अपने उपाय से इसका समाधान करना चाहा। परिणामस्वरूप, उनके परिवार में बहुत कलह उत्पन्न हो गई, और उनका परिवार बिखर गया (देखें उत्पत्ति 16 और 21:8-21)।

      अब्राहम की अपनी कोई भी युक्ति काम नहीं आई; अन्ततः परमेश्वर का इंतजाम ही उनके काम आया। परन्तु अब्राहम महान विश्वास का व्यक्ति बना, और उसके विषय प्रेरित पौलुस ने लिखा, “उसने निराशा में भी आशा रखकर विश्वास किया, इसलिये कि उस वचन के अनुसार कि तेरा वंश ऐसा होगा वह बहुत सी जातियों का पिता हो” (रोमियों 4:18); उसका यही विश्वास अब्राहम के लिए धार्मिकता गिना गया (पद 22)।

      अब्राहम का विश्वास अपने आप से कहीं अधिक बढ़कर किसी हस्ती पर था – एकमात्र जीवते सच्चे परमेश्वर यहोवा पर। हमारे विश्वास का आधार कौन है, हमारा विश्वास किस पर है – किसी सांसारिक एवँ नश्वर वस्तु अथवा व्यक्ति पर, या सबसे महान अविनाशी परमेश्वर पर? हमारा यही निर्णय हमारे वर्तमान तथा परलोक के लिए सबसे बढ़कर महत्वपूर्ण निर्णय है। - टिम गुस्ताफ्सन


यदि हमारे विश्वास का आधार सही है, तब ही विश्वास सही और उचित होगा।

उन्होंने कहा, प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा। - प्रेरितों 16:31

बाइबल पाठ: रोमियों 4:18-25
Romans 4:18 उसने निराशा में भी आशा रखकर विश्वास किया, इसलिये कि उस वचन के अनुसार कि तेरा वंश ऐसा होगा वह बहुत सी जातियों का पिता हो।
Romans 4:19 और वह जो एक सौ वर्ष का था, अपने मरे हुए से शरीर और सारा के गर्भ की मरी हुई की सी दशा जानकर भी विश्वास में निर्बल न हुआ।
Romans 4:20 और न अविश्वासी हो कर परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्वास में दृढ़ हो कर परमेश्वर की महिमा की।
Romans 4:21 और निश्चय जाना, कि जिस बात की उसने प्रतिज्ञा की है, वह उसे पूरी करने को भी सामर्थी है।
Romans 4:22 इस कारण, यह उसके लिये धामिर्कता गिना गया।
Romans 4:23 और यह वचन, कि विश्वास उसके लिये धामिर्कता गिया गया, न केवल उसी के लिये लिखा गया।
Romans 4:24 वरन हमारे लिये भी जिन के लिये विश्वास धामिर्कता गिना जाएगा, अर्थात हमारे लिये जो उस पर विश्वास करते हैं, जिसने हमारे प्रभु यीशु को मरे हुओं में से जिलाया।
Romans 4:25 वह हमारे अपराधों के लिये पकड़वाया गया, और हमारे धर्मी ठहरने के लिये जिलाया भी गया।


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 9-10
  • इफिसियों 3



शनिवार, 29 सितंबर 2018

अनुग्रह



      धार्मिक अगुओं का एक समूह एक व्यभिचार में पकड़ी गई स्त्री को लेकर प्रभु यीशु के पास आया, जब वे मंदिर में लोगों को उपदेश दे रहे थे। उनका उद्देश्य उस स्त्री के द्वारा प्रभु को समाज की दृष्टि में नीचा दिखाना था; परन्तु वे नहीं जानते थे कि वास्तव में वे उस पापी स्त्री को अनुग्रह के सागर के पास ला रहे हैं। उन्होंने प्रभु यीशु के सामने उस स्त्री को खड़ा किया और उससे पूछा कि उस स्त्री के दण्ड के बारे में उसकी राय क्या है; अब इस स्त्री के साथ क्या किया जाना चाहिए? उनके विचार में, यदि प्रभु यीशु कहते कि उसे छोड़ दो तो यह मूसा की व्यवस्था का उल्लंघन होता, और प्रभु यीशु व्यवस्था का पालन न करने के दोषी ठहरते। परन्तु यदि वे कहते कि व्यवस्था के अनुसार उसे पत्थरवाह करके मार दो, तो वे प्रेम और अनुग्रह की अपनी शिक्षाओं के विरुद्ध जाते।

      परन्तु प्रभु यीशु ने उन षड्यंत्रकारियों पर पासा पलट दिया। परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा है कि उन दोषारोपण करने वाले धर्म के अगुवों को तुरंत सीधा उत्तर देने के बजाए, प्रभु ने झुककर धरती पर कुछ लिखना आरंभ कर दिया। जब वे उससे प्रश्न पूछते रहे, तो उसने ऊपर उनकी ओर देखकर उनसे कहा कि उनमें से जो कोई भी निर्दोष हो, जिसने कभी कोई पाप न किया हो, पहला पत्थर वही मारे, और प्रभु ने झुककर फिर से धरती पर लिखना आरंभ कर दिया। कुछ देर के बाद जब प्रभु ने आँख उठाई तो वह स्त्री अकेली खड़ी थी, उसपर दोषारोपण करने और प्रभु को षडयंत्र में फंसाने का प्रयास करने वाले सभी जा चुके थे।
      अब वहाँ केवल एक ही था जो निर्दोश और निष्पाप था, जो उस स्त्री पर पत्थर मार सकता था – स्वयँ प्रभु यीशु; परन्तु उन्होंने उस स्त्री की ओर देखा, उसपर अनुग्रह किया और उसके पापों को क्षमा करके उससे फिर पाप न करने को कहकर उसे जाने दिया।

      आज आपके स्थिति चाहे जो भी हो, चाहे आप औरों पर दोषारोपण करने के दोषी हों, या इस आश्वासन की खोज में हों कि आपके पापों का क्या होगा? निश्चिन्त होकर प्रभु यीशु के सामने अपने पापों को मान लीजिए तथा उससे क्षमा की प्रार्थना कीजिए, क्योंकि सँसार के किसी भी व्यक्ति के कैसे एवँ कितने भी पाप क्यों न हों, वे प्रभु यीशु के अनुग्रह के बाहर नहीं हैं । वह सबसे प्रेम करता है, सबको क्षमा प्रदान करना चाहता है; उसका प्रेम और करूणा आज सब के लिए उपलब्ध हैं। - रैंडी किल्गोर


हम एक ऐसे उद्धारकर्ता की सेवा करते हैं जो क्षमा देने के लिए लालायित रहता है।

क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए। - यूहन्ना 3:16-17

बाइबल पाठ: यूहन्ना 8:1-11
John 8:1 परन्तु यीशु जैतून के पहाड़ पर गया।
John 8:2 और भोर को फिर मन्दिर में आया, और सब लोग उसके पास आए; और वह बैठकर उन्हें उपदेश देने लगा।
John 8:3 तब शास्त्री और फरीसी एक स्त्री को लाए, जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी, और उसको बीच में खड़ी कर के यीशु से कहा।
John 8:4 हे गुरू, यह स्त्री व्यभिचार करते ही पकड़ी गई है।
John 8:5 व्यवस्था में मूसा ने हमें आज्ञा दी है कि ऐसी स्‍त्रियों को पत्थरवाह करें: सो तू इस स्त्री के विषय में क्या कहता है?
John 8:6 उन्होंने उसको परखने के लिये यह बात कही ताकि उस पर दोष लगाने के लिये कोई बात पाएं, परन्तु यीशु झुककर उंगली से भूमि पर लिखने लगा।
John 8:7 जब वे उस से पूछते रहे, तो उसने सीधे हो कर उन से कहा, कि तुम में जो निष्‍पाप हो, वही पहिले उसको पत्थर मारे।
John 8:8 और फिर झुककर भूमि पर उंगली से लिखने लगा।
John 8:9 परन्तु वे यह सुनकर बड़ों से ले कर छोटों तक एक एक कर के निकल गए, और यीशु अकेला रह गया, और स्त्री वहीं बीच में खड़ी रह गई।
John 8:10 यीशु ने सीधे हो कर उस से कहा, हे नारी, वे कहां गए? क्या किसी ने तुझ पर दंड की आज्ञा न दी।
John 8:11 उसने कहा, हे प्रभु, किसी ने नहीं: यीशु ने कहा, मैं भी तुझ पर दंड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना।


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 7-8
  • इफिसियों 2