लोग कहते हैं कि हमें विश्वास रखना चाहिए।
परन्तु इसका अर्थ क्या है? क्या कैसा भी विश्वास रखना सही और उचित है? एक शताब्दी
पहले एक सकारात्मक विचारधारा रखने वाले ने कहा “अपने आप में, और जो कुछ आप हो,
उसमें विश्वास रखो। यह मान कर चलो कि आपके अन्दर कुछ ऐसा है जो किसी भी बाधा से बढ़कर
है।” सुनने में यह बहुत अच्छा लगता है, परन्तु जब यह विचार जीवन और सँसार की
वास्तविकता से टकराता है तो चकनाचूर हो जाता है। हमें किसी ऐसे पर विश्वास की
आवश्यकता पड़ती है जो हमसे और सँसार की बातों से बढ़कर है, हर बात, हर परिस्थिति में
उनपर सामर्थी एवँ जयवंत है।
परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि
परमेश्वर ने अब्राहम से प्रतिज्ञा की, कि उसका वंश अनगिनित होगा (उत्पत्ति
15:4-5), परन्तु अब्राहम के सामने एक बड़ी बाधा थी – वह और उसकी पत्नि सारा बूढ़े
तथा निःसंतान थे! जब वे दोनों परमेश्वर द्वारा प्रतिज्ञा को पूरा करने की
प्रतीक्षा करते-करते थक गए, अधीर हो गए, तो उन्होंने अपने उपाय से इसका समाधान
करना चाहा। परिणामस्वरूप, उनके परिवार में बहुत कलह उत्पन्न हो गई, और उनका परिवार
बिखर गया (देखें उत्पत्ति 16 और 21:8-21)।
अब्राहम की अपनी कोई भी युक्ति काम नहीं आई;
अन्ततः परमेश्वर का इंतजाम ही उनके काम आया। परन्तु अब्राहम महान विश्वास का
व्यक्ति बना, और उसके विषय प्रेरित पौलुस ने लिखा, “उसने निराशा में भी आशा
रखकर विश्वास किया,
इसलिये कि उस वचन के अनुसार कि तेरा वंश ऐसा होगा वह बहुत सी
जातियों का पिता हो” (रोमियों 4:18); उसका यही विश्वास
अब्राहम के लिए धार्मिकता गिना गया (पद 22)।
अब्राहम का विश्वास अपने आप से कहीं अधिक बढ़कर
किसी हस्ती पर था – एकमात्र जीवते सच्चे परमेश्वर यहोवा पर। हमारे विश्वास का आधार
कौन है, हमारा विश्वास किस पर है – किसी सांसारिक एवँ नश्वर वस्तु अथवा व्यक्ति पर,
या सबसे महान अविनाशी परमेश्वर पर? हमारा यही निर्णय हमारे वर्तमान तथा परलोक के
लिए सबसे बढ़कर महत्वपूर्ण निर्णय है। - टिम गुस्ताफ्सन
यदि हमारे
विश्वास का आधार सही है, तब ही विश्वास सही और उचित होगा।
उन्होंने
कहा,
प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा
घराना उद्धार पाएगा। - प्रेरितों 16:31
बाइबल पाठ:
रोमियों 4:18-25
Romans 4:18 उसने निराशा में भी आशा रखकर विश्वास किया, इसलिये
कि उस वचन के अनुसार कि तेरा वंश ऐसा होगा वह बहुत सी जातियों का पिता हो।
Romans 4:19 और वह जो एक सौ वर्ष का था, अपने मरे हुए से
शरीर और सारा के गर्भ की मरी हुई की सी दशा जानकर भी विश्वास में निर्बल न हुआ।
Romans 4:20 और न अविश्वासी हो कर परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्वास में दृढ़ हो कर परमेश्वर की महिमा की।
Romans 4:21 और निश्चय जाना, कि जिस बात की उसने प्रतिज्ञा
की है, वह उसे पूरी करने को भी सामर्थी है।
Romans 4:22 इस कारण, यह उसके लिये धामिर्कता गिना गया।
Romans 4:23 और यह वचन, कि विश्वास उसके लिये धामिर्कता
गिया गया, न केवल उसी के लिये लिखा गया।
Romans 4:24 वरन हमारे लिये भी जिन के लिये विश्वास धामिर्कता गिना जाएगा,
अर्थात हमारे लिये जो उस पर विश्वास करते हैं, जिसने हमारे प्रभु यीशु को मरे हुओं में से जिलाया।
Romans 4:25 वह हमारे अपराधों के लिये पकड़वाया गया, और
हमारे धर्मी ठहरने के लिये जिलाया भी गया।
एक
साल में बाइबल:
- यशायाह 9-10
- इफिसियों 3
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