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शुक्रवार, 6 सितंबर 2013

मापदण्ड

   जब एक हाई-स्कूल के छात्र ने एक थर्मामीटर द्वारा मेज़ की लंबाई नापने का प्रयास किया तो उसका अध्यापक डेव यह देख कर अवाक रह गया। डेव ने अपने अध्यापक होने के 15 वर्षों में अनेक चौंकाने वाली भी और दुख देने वाली बातें भी देखीं थीं, लेकिन उसके लिए यह बहुत अचरज की बात थी कि कोई हाई स्कूल तक पहुँच जाए और उसे थर्मामीटर और फुटे में अन्तर पता ना हो।

   जब मेरे एक मित्र ने मुझे यह घटना सुनाई तो मेरा मन उस छात्र और उसके समान समझ रखने वाले अन्य छात्रों के लिए बहुत दुखी हुआ कि वे अपनी शिक्षा में इतने पिछड़े हुए रह गए। वे आगे बढ़ नहीं सकते क्योंकि उन्होंने प्रतिदिन के जीवन के बुनियादी सिद्धांत और शिक्षा की आधारभूत बातें सीखीं ही नहीं हैं।

   तभी एक गंभीर और महत्वपूर्ण विचार मेरे मन में आया - क्या अनेकों बार हम भी उस छात्र के समान ही नापने का गलत मापदण्ड लेकर आत्मिकता और आत्मिक जीवन को नहीं आंकते रहते? उदाहरणस्वरूप, क्या हम यह नहीं मान लेते कि जिन चर्चों में सबसे अधिक संसाधन और संपत्ति होती है वे परमेश्वर के द्वारा सबसे आशीषित चर्च हैं? ऐसे ही, क्या हमारी यह धारणा भी नहीं रहती कि जो प्रचारक सबसे अधिक लोकप्रीय होते हैं वे उन प्रचारकों से अधिक आत्मिक और धर्मनिष्ठ होते हैं जिनकी लोकप्रीयता अधिक नहीं है? क्या परमेशवर का वचन हमें कहीं भी ऐसी धारणाएं और विश्वास रखने को कहता है? क्या स्वतः ही ऐसे मनगढ़ंत मापदण्ड बना कर हम परमेश्वर के कार्य और लोगों का अनुचित तथा गलत आंकलन नहीं करते रहते? क्या इन अनुचित मापदण्डों के कारण हमारी आत्मिक उन्नति भी बाधित नहीं हो जाती?

   परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार हमारे आत्मिक जीवन का सही मापदण्ड है हमारे अपने जीवन की गुणवनता, और यह गुणवनता नापी जाती है कुछ गुणों द्वारा, जैसे दीनता, नम्रता, धीरज, सहिषुणता, प्रेम से एक दूसरे की सह लेना आदि (इफिसियों 4:2)। इन गुणों का हमारे जीवन में विद्यमान होना एक अच्छा सूचक है कि हम परमेश्वर द्वारा हमारे लिए निर्धारित लक्षय की ओर अग्रसर हैं, और वह लक्षय है हमारे तथा समस्त जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की समानता (पद 13)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


दूसरों के प्रति हमारे प्रेम, परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम का सूचक है।

जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएं, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील डौल तक न बढ़ जाएं। - इफिसियों 4:13

बाइबल पाठ: इफिसियों 4:1-16
Ephesians 4:1 सो मैं जो प्रभु में बन्‍धुआ हूं तुम से बिनती करता हूं, कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो।
Ephesians 4:2 अर्थात सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो।
Ephesians 4:3 और मेल के बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्‍न करो।
Ephesians 4:4 एक ही देह है, और एक ही आत्मा; जैसे तुम्हें जो बुलाए गए थे अपने बुलाए जाने से एक ही आशा है।
Ephesians 4:5 एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा।
Ephesians 4:6 और सब का एक ही परमेश्वर और पिता है, जो सब के ऊपर और सब के मध्य में, और सब में है।
Ephesians 4:7 पर हम में से हर एक को मसीह के दान के परिमाण से अनुग्रह मिला है।
Ephesians 4:8 इसलिये वह कहता है, कि वह ऊंचे पर चढ़ा, और बन्‍धुवाई को बान्‍ध ले गया, और मनुष्यों को दान दिए।
Ephesians 4:9 (उसके चढ़ने से, और क्या पाया जाता है केवल यह, कि वह पृथ्वी की निचली जगहों में उतरा भी था।
Ephesians 4:10 और जो उतर गया यह वही है जो सारे आकाश से ऊपर चढ़ भी गया, कि सब कुछ परिपूर्ण करे)।
Ephesians 4:11 और उसने कितनों को भविष्यद्वक्ता नियुक्त कर के, और कितनों को सुसमाचार सुनाने वाले नियुक्त कर के, और कितनों को रखवाले और उपदेशक नियुक्त कर के दे दिया।
Ephesians 4:12 जिस से पवित्र लोग सिद्ध हों जाएं, और सेवा का काम किया जाए, और मसीह की देह उन्नति पाए।
Ephesians 4:13 जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएं, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील डौल तक न बढ़ जाएं।
Ephesians 4:14 ताकि हम आगे को बालक न रहें, जो मनुष्यों की ठग-विद्या और चतुराई से उन के भ्रम की युक्तियों की, और उपदेश की, हर एक बयार से उछाले, और इधर-उधर घुमाए जाते हों।
Ephesians 4:15 वरन प्रेम में सच्चाई से चलते हुए, सब बातों में उस में जो सिर है, अर्थात मसीह में बढ़ते जाएं।
Ephesians 4:16 जिस से सारी देह हर एक जोड़ की सहायता से एक साथ मिलकर, और एक साथ गठकर उस प्रभाव के अनुसार जो हर एक भाग के परिमाण से उस में होता है, अपने आप को बढ़ाती है, कि वह प्रेम में उन्नति करती जाए।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 148-150 
  • 1 कुरिन्थियों 15:29-58


गुरुवार, 5 सितंबर 2013

परिश्रम

   कुछ मसीही इस विश्वास के साथ बड़े होते हैं कि परिश्रम करना आदम और हव्वा के पाप के कारण आए श्राप का परिणाम है और भला नहीं है। यह एक बिलकुल गलत धारणा है, और इसको सही करना आवश्यक है अन्यथा लोग यह भी समझने लगेंगे कि जो परिश्रम उन्हें प्रतिदिन अपनी जीविका कमाने के लिए करना पड़ता है वह परमेश्वर के लिए महत्वपूर्ण नहीं है, या कम से कम मसीही मिशनरियों और पास्टरों के कार्य जितना महत्वपूर्ण तो नहीं है। यह सत्य नहीं है, जैसा परमेश्वर के वचन बाइबल में आरंभ में ही जगत की सृष्टि के वृतांत में ही दिया गया है।

   उत्पत्ति 1:26-31 में हम सीखते हैं कि सृष्टि की रचना परमेश्वर का कार्य है, परमेश्वर ने परिश्रम किया और फिर सातवें दिन विश्राम किया। हम यह भी सीखते हैं कि हम मनुष्य परमेश्वर के स्वरूप में सृजे गए और परमेश्वर ने हमें सृष्टि पर अधिकार दिया। इस प्रकार से अधिकार दिए जाने में यह निहित है कि मानव को सृष्टि की देखभाल की ज़िम्मेदारी दी गई, और उसे यह ज़िम्मेदारी निभानी थी। प्रत्येक दिन की सृष्टि के कार्य के बाद परमेश्वर ने उसे अच्छा कहा और फिर सृष्टि बनाने के कार्य को पूरा करने के पश्चात सारे कार्य को बहुत अच्छा कहा। अर्थात, जो ज़िम्मेदारी आदम और हव्वा में होकर परमेश्वर ने मानव जाति को सौंपी - सृष्टि की देखभाल का कार्य और उससे से संबंधित परिश्रम, परमेश्वर की नज़रों में वह भी अच्छा ठहरा। हमें इस तथ्य की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि यह सब - ज़िम्मेदारी देना और अच्छा कहना, संसार में पाप के प्रवेश से पहले हुआ; अर्थात परिश्रम करना पाप के श्राप का परिणाम नहीं है। उत्पत्ति 2:15 में परमेश्वर ने स्पष्ट रूप से आदम को अदन की वाटिका की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी सौंपी: "तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को ले कर अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उस में काम करे और उसकी रक्षा करे" (उत्पत्ति 2:15); और यह भी पाप के संसार में प्रवेश से पहले ही हुआ।

   प्रभु यीशु ने कहा: "इस पर यीशु ने उन से कहा, कि मेरा पिता अब तक काम करता है, और मैं भी काम करता हूं" (यूहन्ना 5:17); "जिसने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आने वाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता" (यूहन्ना 9:4)। प्रेरित पौलुस ने परमेश्वर की पवित्र आत्मा की अगुवाई से लिखा: "और जैसी हम ने तुम्हें आज्ञा दी, वैसे ही चुपचाप रहने और अपना अपना काम काज करने, और अपने अपने हाथों से कमाने का प्रयत्न करो" (1 थिस्सुलुनिकीयों 4:11)। परमेश्वर का वचन कहीं भी इस धारणा का समर्थन नहीं करता कि हमें काम और मेहनत को पाप के श्राप का परिणाम जान कर उस से कतराना चाहिए या उसे तुच्छ समझना चाहिए।

   हम मसीही विशिवासियों को अपने प्रतिदिन के कार्य को पूरी मेहनत, लगन और ईमानदारी के साथ निर्वाह करना चाहिए, इस एहसास के साथ कि परमेश्वर ने सृष्टि के आरंभ में ही इसे गरिमा दी और हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु ने स्वयं उस ज़िम्मेदारी को निभा कर हमारे लिए उदाहरण दिया है। - रैण्डी किलगोर


हे परमेश्वर, मेरे जीवन के अन्त तक मुझे कार्य में लगाए रख, और मेरे कार्य के पूर्ण होने तक का मुझे जीवन दे!

क्योंकि, हे भाइयों, तुम हमारे परिश्रम और कष्‍ट को स्मरण रखते हो, कि हम ने इसलिये रात दिन काम धन्‍धा करते हुए तुम में परमेश्वर का सुसमाचार प्रचार किया, कि तुम में से किसी पर भार न हों। - 1 थिस्सुलुनिकीयों 2:9 

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 1:26-31; 2 थिस्सुलुनिकीयों 3:6-12
Genesis 1:26 फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।
Genesis 1:27 तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी कर के उसने मनुष्यों की सृष्टि की।
Genesis 1:28 और परमेश्वर ने उन को आशीष दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओ पर अधिकार रखो।
Genesis 1:29 फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं:
Genesis 1:30 और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगने वाले जन्तु हैं, जिन में जीवन के प्राण हैं, उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:31 तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवां दिन हो गया।

2 Thessalonians 3:6 हे भाइयों, हम तुम्हें अपने प्रभु यीशु मसीह के नाम से आज्ञा देते हैं; कि हर एक ऐसे भाई से अलग रहो, जो अनुचित चाल चलता, और जो शिक्षा उसने हम से पाई उसके अनुसार नहीं करता।
2 Thessalonians 3:7 क्योंकि तुम आप जानते हो, कि किस रीति से हमारी सी चाल चलनी चाहिए; क्योंकि हम तुम्हारे बीच में अनुचित चाल न चले।
2 Thessalonians 3:8 और किसी की रोटी सेंत में न खाई; पर परिश्रम और कष्‍ट से रात दिन काम धन्‍धा करते थे, कि तुम में से किसी पर भार न हो।
2 Thessalonians 3:9 यह नहीं, कि हमें अधिकार नहीं; पर इसलिये कि अपने आप को तुम्हारे लिये आदर्श ठहराएं, कि तुम हमारी सी चाल चलो।
2 Thessalonians 3:10 और जब हम तुम्हारे यहां थे, तब भी यह आज्ञा तुम्हें देते थे, कि यदि कोई काम करना न चाहे, तो खाने भी न पाए।
2 Thessalonians 3:11 हम सुनते हैं, कि कितने लोग तुम्हारे बीच में अनुचित चाल चलते हैं; और कुछ काम नहीं करते, पर औरों के काम में हाथ डाला करते हैं।
2 Thessalonians 3:12 ऐसों को हम प्रभु यीशु मसीह में आज्ञा देते और समझाते हैं, कि चुपचाप काम कर के अपनी ही रोटी खाया करें।

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 146-147 
  • 1 कुरिन्थियों 15:1-28


बुधवार, 4 सितंबर 2013

मिट्टी के ढेर

   कॉलेज का अध्यक्ष होने के नाते मेरी ज़िम्मेदारियों में से एक है सालाना दीक्षांत समारोह। एक वर्ष, जब मैं दीक्षांत समारोह के लिए जा रहा था तो मेरा मन इस विचार से प्रफुल्लित था कि हमारे कॉलेज से शिक्षा पाए हुए स्नातक अब बाहर निकल कर संसार के सामने जीवन बदल देने वाले प्रभु यीशु मसीह में पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को ले जाने के लिए तैयार हैं। चलते चलते एक स्थान पर मैंने कुछ चींटियों को बड़ी मेहनत के साथ अपने कार्य को करते देखा; वे धरती के नीचे से मिट्टी के कण ला ला कर बाहर रखती जा रही थीं और वह मिट्टी जमा होकर एक ढेर बनती जा रही थी। मेरे मन में विचार आया, अरे भई संसार में मिट्टी के ढेर बनाने से भी अधिक महत्वपूर्ण कार्य अभी शेष हैं, लेकिन उन चींटियों के लिए तो वही कार्य सबसे महत्वपूर्ण था और वे संसार की अन्य सभी बातों से बेखबर अपने उसी कार्य में लगी हुई थीं।

   कभी कभी हमारे लिए भी उन चींटियों के समान ही अपनी ही दुनिया में खो जाने और परमेश्वर की नज़र में कोई महत्वहीन कार्य करने में लगे रह जाना बहुत सरल होता है। हम अपनी ही दिनचर्या और कार्यों में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि व्यक्तिगत रीति से परमेश्वर के व्यापक और महान कार्य का आनन्द लेने से अपने आप को वंचित कर लेते हैं। परमेश्वर के आत्मा का कार्य दक्षिणी अमेरिका में फैल रहा है; अफ्रिका में प्रतिदिन हज़ारों लोग प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार कर रहे हैं और पापों से क्षमा प्राप्त कर रहे हैं; अपने मसीही विश्वास के कारण संसार के लोगों से सताव झेलने वाले अपने विश्वास और मसीही सुसमाचार के प्रचार में बिना रुके बढ़ते ही जा रहे हैं; एशिया के देशों में उद्धार का सुसमाचार जड़ पकड़ता जा रहा है। क्या अपनी ही सीमित दिनचर्या से बाहर निकल कर इन सब बातों की तरफ आपका ध्यान कभी गया है? क्या इन बातों ने आपकी प्रार्थनाओं में स्थान पाया है? क्या इनमें सहयोगी होने की इच्छा आपके अन्दर भी जागृत हुई है?

   हमारा महत्वहीन बातों में मन लगाए रखना मुझे परमेश्वर के वचन में प्रेरित पौलुस की कही एक बात याद दिलाता है: "क्योंकि देमास ने इस संसार को प्रिय जान कर मुझे छोड़ दिया है, और थिस्सलुनीके को चला गया है, और क्रेसकेंस गलतिया को और तीतुस दलमतिया को चला गया है" (2 तिमुथियुस 4:10); क्या कभी देमास को इस बात का पछतावा हुआ होगा कि उसने सुसमाचार प्रचार में संभागी होने की आशीष को छोड़कर संसार की दौलत रूपी मिट्टी के ढेर अपने लिए चुन लिए थे?

   देमास को पछतावा हुआ था या नहीं, यह तो हम नहीं जानते लेकिन आज हम अपने लिए तो यह निर्णय कर ही सकते हैं कि देमास के समान हम परमेश्वर की अनन्त आशीषों के भण्डार छोड़कर संसारिक दौलत के मिट्टी के ढेर अर्जित करने में जीवन नहीं बिताएंगे वरन परमेश्वर द्वारा हमें दी गई योग्यताओं और गुणों को उसके राज्य और कार्य की बढ़ौतरी के लिए ही प्रयोग करेंगे। - जो स्टोवैल


संसार के महत्वहीन कार्य आपका ध्यान परमेश्वर के महत्वपूर्ण कार्यों से हटाने ना पाएं।

क्योंकि देमास ने इस संसार को प्रिय जान कर मुझे छोड़ दिया है, और थिस्सलुनीके को चला गया है, और क्रेसकेंस गलतिया को और तीतुस दलमतिया को चला गया है। - 2 तिमुथियुस 4:10

बाइबल पाठ: 2 तिमुथियुस 4:6-18
2 Timothy 4:6 क्योंकि अब मैं अर्घ की नाईं उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है।
2 Timothy 4:7 मैं अच्छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है।
2 Timothy 4:8 भविष्य में मेरे लिये धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी, और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा और मुझे ही नहीं, वरन उन सब को भी, जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं।
2 Timothy 4:9 मेरे पास शीघ्र आने का प्रयत्न कर।
2 Timothy 4:10 क्योंकि देमास ने इस संसार को प्रिय जान कर मुझे छोड़ दिया है, और थिस्सलुनीके को चला गया है, और क्रेसकेंस गलतिया को और तीतुस दलमतिया को चला गया है।
2 Timothy 4:11 केवल लूका मेरे साथ है: मरकुस को ले कर चला आ; क्योंकि सेवा के लिये वह मेरे बहुत काम का है।
2 Timothy 4:12 तुखिकुस को मैं ने इफिसुस को भेजा है।
2 Timothy 4:13 जो बागा मैं त्रोआस में करपुस के यहां छोड़ आया हूं, जब तू आए, तो उसे और पुस्‍तकें विशेष कर के चर्मपत्रों को लेते आना।
2 Timothy 4:14 सिकन्‍दर ठठेरे ने मुझ से बहुत बुराइयां की हैं प्रभु उसे उसके कामों के अनुसार बदला देगा।
2 Timothy 4:15 तू भी उस से सावधान रह, क्योंकि उसने हमारी बातों का बहुत ही विरोध किया।
2 Timothy 4:16 मेरे पहिले प्रत्युत्तर करने के समय में किसी ने भी मेरा साथ नहीं दिया, वरन सब ने मुझे छोड़ दिया था: भला हो, कि इस का उन को लेखा देना न पड़े।
2 Timothy 4:17 परन्तु प्रभु मेरा सहायक रहा, और मुझे सामर्थ दी: ताकि मेरे द्वारा पूरा पूरा प्रचार हो, और सब अन्यजाति सुन ले; और मैं तो सिंह के मुंह से छुड़ाया गया।
2 Timothy 4:18 और प्रभु मुझे हर एक बुरे काम से छुड़ाएगा, और अपने स्‍वर्गीय राज्य में उद्धार कर के पहुंचाएगा: उसी की महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 143-145 
  • 1 कुरिन्थियों 14:21-40


मंगलवार, 3 सितंबर 2013

आँसू

   छोटे से राष्ट्र हेती में सन 2010 में आए विनाशकारी भूकम्प से हुई बरबादी और जान-माल के नुकसान तथा उसके कारण वहाँ के लोगों द्वारा झेली जाने वाली कठिनाईयों की तसवीरें टेलिविज़न पर हम सब ने देखी हैं और उनसे अभिभूत भी हुए हैं। उन अनेक दिल दहला देने वाली तस्वीरों में से एक थी एक महिला की जो अपने चारों ओर की तबाही को देखकर फूट-फूट कर रो रही थी। उस स्त्री का मस्तिष्क अपने लोगों की उस भयानक त्रासदी को संभाल नहीं पा रहा था, उसका हृदय टूट गया था और परिणामस्वरूप उसके आँसू बहे जा रहे थे। उसकी यह प्रतिक्रीया समझ में आती थी क्योंकि कभी कभी जिस कष्ट का सामना हम करते हैं उसके लिए आँसू ही उचित प्रत्युत्तर होते हैं।

   मैं जब उस तस्वीर को ग़ौर से देख रहा था तो मुझे अपने प्रभु यीशु की अनुकंपा स्मरण हो आई। प्रभु यीशु भी आँसुओं के महत्व को जानते थे, और वे भी रोए थे। लेकिन उनका रोना एक अलग ही प्रकार के विनाश के कारण था - पाप द्वारा लाए गए विनाश के कारण। जब वे अपने पकड़वाए और क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले यरुशलेम की ओर बढ़ रहे थे, उस यरुशलेम शहर की ओर जहाँ परमेश्वर का मन्दिर भी था लेकिन जो अब भ्रष्टाचार और अन्याय जैसे दुराचारों के कारण लोगों को होने वाली परेशानियों तथा तकलीफों से भरा हुआ था, तो प्रभु के आँसू बहने लगे: "जब वह निकट आया तो नगर को देखकर उस पर रोया" (लूका 19:41)। प्रभु यीशु उस नगर के प्रति अपने दुख और वहाँ के लोगों पर तरस आने के कारण रोया।

   आज जब हम अपने आस-पास संसार में अमानुषिकता, पीड़ा तथा पाप को देखते हैं जिसके कारण संसार में विनाश और त्रासदी व्याप्त है, तो हमारा प्रत्युत्तर क्या होता है? यदि हमारे प्रभु यीशु का हृदय संसार की इस दुर्दशा से टूटता है तो क्या हमारा नहीं टूटना चाहिए? जब हम अपने प्रभु की उस पीड़ा को पहचानेंगे तथा अनुभव करेंगे तो उसके समान ही हम भी संसार को पाप की पीड़ा और त्रासदी से छुड़ाने के लिए प्रयास करने वाले बन जाएंगे - वह छुटकारा जो प्रभु यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा के द्वारा समस्त संसार के लिए सेंत-मेंत उपलब्ध है। - बिल क्राउडर


अनुकंपा दूसरों के दुख में उन्हें आराम पहुँचाने हेतु जो भी आवश्य्क हो उसका प्रबंध करती है।

जब वह निकट आया तो नगर को देखकर उस पर रोया। - लूका 19:41

बाइबल पाठ: लूका 19:37-44
Luke 19:37 और निकट आते हुए जब वह जैतून पहाड़ की ढलान पर पहुंचा, तो चेलों की सारी मण्‍डली उन सब सामर्थ के कामों के कारण जो उन्होंने देखे थे, आनन्‍दित हो कर बड़े शब्द से परमेश्वर की स्‍तुति करने लगी।
Luke 19:38 कि धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम से आता है; स्वर्ग में शान्‍ति और आकाश मण्‍डल में महिमा हो।
Luke 19:39 तब भीड़ में से कितने फरीसी उस से कहने लगे, हे गुरू अपने चेलों को डांट।
Luke 19:40 उसने उत्तर दिया, कि तुम से कहता हूं, यदि ये चुप रहें, तो पत्थर चिल्ला उठेंगे।
Luke 19:41 जब वह निकट आया तो नगर को देखकर उस पर रोया।
Luke 19:42 और कहा, क्या ही भला होता, कि तू; हां, तू ही, इसी दिन में कुशल की बातें जानता, परन्तु अब वे तेरी आंखों से छिप गई हैं।
Luke 19:43 क्योंकि वे दिन तुझ पर आएंगे कि तेरे बैरी मोर्चा बान्‍धकर तुझे घेर लेंगे, और चारों ओर से तुझे दबाएंगे।
Luke 19:44 और तुझे और तेरे बालकों को जो तुझ में हैं, मिट्टी में मिलाएंगे, और तुझ में पत्थर पर पत्थर भी न छोड़ेंगे; क्योंकि तू ने वह अवसर जब तुझ पर कृपा दृष्टि की गई न पहिचाना।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 140-142 
  • 1 कुरिन्थियों 14:1-20


सोमवार, 2 सितंबर 2013

उद्देश्य

   बचपन में मेरा एक नायक था पीट मारविक, जो एक उच्चकोटि का बास्केटबॉल खिलाड़ी था और एक जादूगर के समान गेंद को नियंत्रित करता था। अब समस्या यह थी कि मेरी अपने नायक पीट के समान होने की इच्छा मेरे उस बात से संतुष्ट होने के आड़े आ रही थी जैसा परमेश्वर मुझे बनाना चाहता था। जब मुझे यह एहसास हुआ कि मैं कभी पीट के समान नहीं खेल पाऊँगा तो मैं बहुत निराश हो गया, और इस निराशा में कुछ समय के लिए अपनी कॉलेज की टीम में खेलना भी छोड़ दिया, केवल इसलिए क्योंकि मैं पीट के समान नहीं हो पा रहा था। आज भी बच्चे ऐसा ही करते हैं; जैसा और जिस कार्य के लिए परमेश्वर ने उन्हें बनाया है उससे असंतुष्ट होकर वे वैसा होने की लालसा रखते हैं जैसा उनका कोई सांसारिक नायक या नायिका है।

   मसीही गायक जौनी डीयाज़ ने इस प्रवृति को पहचानते हुए एक गीत लिखा और गाया जिसका शीर्षक है "More Beautiful You" (और भी अधिक सुन्दर आप)। इस गीत के आरंभ की पंक्ति का सार है: "एक 14 वर्षीय लड़की एक पत्रिका के पन्ने पलटते हुए कहती है, मुझे ऐसा बनना है।" कुछ लड़के-लड़कियों की यह लालसा होती है कि वे अपनी पसन्द के किसी नायक-नायिका के समान बनें जैसे मैं पीट मारविक के समान बनना चाहता था। डीयाज़ ने गीत में आगे कहा: "आप से सुन्दर और कोई हो नहीं सकता; संसार के लोगों के झांसों में मत आओ; तुम्हें एक उद्देश्य के लिए रचा गया है, और केवल एक तुम ही हो जो उस उद्देश्य को पूरा कर सकते हो।" डीयाज़ ने इस गीत में वही बात कही है जो परमेश्वर के वचन बाइबल में एक भजनकार ने हज़ारों वर्ष पहले कही थी: "मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक[अनुपम] और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं" (भजन 139:14)।

   परमेश्वर ने हम में से प्रत्येक को अपनी इच्छानुसार एक उद्देश्य के लिए रचा है और गुणों से भरा है। विश्वास रखिए, उस उद्देश्य के लिए आपसे अधिक उपयोगी और बेहतर और कोई कभी हो ही नहीं सकता। संसार के नश्वर नायकों के समान बनने के प्रयासों में अविनाशी परमेश्वर द्वारा दिए स्वरूप, सुन्दरता और गुणों को नज़रन्दाज़ मत कीजिए। - डेव ब्रैनन


हम परमेश्वर की अनुपम एवं श्रेष्ठ कलाकृति हैं।

मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक[अनुपम] और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं। - भजन 139:14

बाइबल पाठ: भजन 139:1-14
Psalms 139:1 हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है।
Psalms 139:2 तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है।
Psalms 139:3 मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है।
Psalms 139:4 हे यहोवा, मेरे मुंह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो।
Psalms 139:5 तू ने मुझे आगे पीछे घेर रखा है, और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है।
Psalms 139:6 यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है; यह गम्भीर और मेरी समझ से बाहर है।
Psalms 139:7 मैं तेरे आत्मा से भाग कर किधर जाऊं? वा तेरे साम्हने से किधर भागूं?
Psalms 139:8 यदि मैं आकाश पर चढूं, तो तू वहां है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊं तो वहां भी तू है!
Psalms 139:9 यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़ कर समुद्र के पार जा बसूं,
Psalms 139:10 तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा।
Psalms 139:11 यदि मैं कहूं कि अन्धकार में तो मैं छिप जाऊंगा, और मेरे चारों ओर का उजियाला रात का अन्धेरा हो जाएगा,
Psalms 139:12 तौभी अन्धकार तुझ से न छिपाएगा, रात तो दिन के तुल्य प्रकाश देगी; क्योंकि तेरे लिये अन्धियारा और उजियाला दोनों एक समान हैं।
Psalms 139:13 मेरे मन का स्वामी तो तू है; तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा।
Psalms 139:14 मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक[अनुपम] और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 137-139 
  • 1 कुरिन्थियों 13


रविवार, 1 सितंबर 2013

महत्व

   जिस चर्च का मैं पास्टर हूँ, वहाँ एक इतवार मैंने तीन बच्चों को बुलाया और उन से कहा कि मैंने चर्च में कुछ गोल लपेटे हुए कागज़ छुपाए हैं जिन पर परमेश्वर के वचन बाइबल के कुछ पद लिखे हुए हैं। यदि वे उन्हें ढूँढ़ कर उनमें लिखे पद सबके सामने पढ़ कर सुनाएंगे तो मैं उन्हें इनाम दूँगा। बच्चों का उन कागज़ों को ढूँढ़ने का जोश देखते ही बनता था। चर्च में कोई ऐसी जगह नहीं बची जिसे उन्होंने उलट-पुलट कर देख ना लिया हो, यहाँ तक कि लोगों से आज्ञा लेकर उन्होंने उनके बटुवों और थैलों को भी छान लिया। उन कागज़ों को ढूँढ़ कर पढ़ने से उन्हें और चर्च में एकत्रित सभी लोगों को बहुत आनन्द आया। यह वास्तव में एक तरीका था चर्च के लोगों को परमेश्वर के वचन के प्रति जागरूक करने और उन्हें समय लगाकर तथा परिश्रम करके उस वचन के अद्भुत सत्यों को जानने, उन्हें दूसरों के सामने बोलने और उससे मिलने वाली आशीषों को पहचानने के लिए उत्साहित करने का।

   बाइबल में राजाओं के दूसरे वृतांत के 22 तथा 23 अध्याय में हम पढ़ते हैं कि कैसे राजा योशिय्याह और यहूदा के लोगों ने परमेश्वर के वचन के महत्व और आनन्द को पुनः प्राप्त किया। राजा योशिय्याह के निर्देश पर जब यरुशलेम के मन्दिर की सफाई और मरम्मत का कार्य हिल्कियाह याजक (पुरोहित) द्वारा करवाया गया तो उसे वहाँ परमेश्वर द्वारा इस्त्राएल को दी गई व्यवस्था की लिखित प्रति मिली। यह पुस्तक लाकर राजा योशिय्याह को पढ़कर सुनाई गई, और उसने उस पुस्तक में लिखी बातों को आदर दिया, और उन्हें और गहराई से समझने का प्रयास किया (2 राजा 22:10, 11, 12-20) और फिर अपनी प्रजा के लोगों का नेतृत्व किया कि वे भी उसके महत्व को समझें और उसके प्रति अपने समर्पण के लिए वचनबद्ध हों (2 राजा 23:1-4)।

   आज हम ऐसे समय में रह रहे हैं जब परमेश्वर का वचन संपूर्ण या आंशिक रूप में बहुतायत और बहुत सरलता से संसार की लगभग प्रत्येक भाषा में सब के लिए उपलब्ध है - छपी हुई पुस्तक-पुस्तिकाओं के रूप में, सुनने की रिकौर्डिंग्स एक रूप में और इन्टरनैट पर भिन्न रूपों में। कमी परमेश्वर के वचन की उपलब्धता या उसे समझाने वाले सहायकों की नहीं है वरन लोगों की उस जीवनदायी वचन के प्रति रुचि रखने की है, उस वचन के महत्व को समझने की है। आईए हम निर्णय लें कि परमेश्वर के वचन बाइबल को प्रतिदिन नियमित रूप से अपने जीवनों में स्थान देंगे, उसके अद्भुत सत्यों के खोजी होंगे और उन सत्यों को फिर दूसरों के सामने रखने वाले भी बनेंगे।

   जीवन में महत्वपूर्ण बनाना है तो परमेश्वर के वचन को अपने जीवन में महत्व दीजिए। - मार्विन विलियम्स


लिखित वचन बाइबल से प्रेम करना ही जीवित वचन प्रभु यीशु को जानना है।

और हिलकिय्याह महायाजक ने शापान मंत्री से कहा, मुझे यहोवा के भवन में व्यवस्था की पुस्तक मिली है; तब हिलकिय्याह ने शापान को वह पुस्तक दी, और वह उसे पढ़ने लगा। - 2 राजा 22:8

बाइबल पाठ: 2 राजा 22:8-23:3
2 Kings 22:8 और हिलकिय्याह महायाजक ने शापान मंत्री से कहा, मुझे यहोवा के भवन में व्यवस्था की पुस्तक मिली है; तब हिलकिय्याह ने शापान को वह पुस्तक दी, और वह उसे पढ़ने लगा।
2 Kings 22:9 तब शापान मंत्री ने राजा के पास लौट कर यह सन्देश दिया, कि जो चान्दी भवन में मिली, उसे तेरे कर्मचारियो ने थैलियों में डाल कर, उन को सौंप दिया जो यहोवा के भवन में काम कराने वाले हैं।
2 Kings 22:10 फिर शपान मंत्री ने राजा को यह भी बता दिया, कि हिलकिय्याह याजक ने उसे एक पुस्तक दी है। तब शपान उसे राजा को पढ़कर सुनाने लगा।
2 Kings 22:11 व्यवस्था की उस पुस्तक की बातें सुन कर राजा ने अपने वस्त्र फाड़े।
2 Kings 22:12 फिर उसने हिलकिय्याह याजक, शापान के पुत्र अहीकाम, मीकायाह के पुत्र अकबोर, शापान मंत्री और असाया नाम अपने एक कर्मचारी को आज्ञा दी,
2 Kings 22:13 कि यह पुस्तक जो मिली है, उसकी बातों के विष्य तुम जा कर मेरी और प्रजा की और सब यहूदियों की ओर से यहोवा से पूछो, क्योंकि यहोवा की बड़ी ही जलजलाहट हम पर इस कारण भड़की है, कि हमारे पुरखाओं ने इस पुस्तक की बातें न मानी कि कुछ हमारे लिये लिखा है, उसके अनुसार करते।
2 Kings 22:14 हिलकिय्याह याजक और अहीकाम, अकबोर, शापान और असाया ने हुल्दा नबिया के पास जा कर उस से बातें की, वह उस शल्लूम की पत्नी थी जो तिकवा का पुत्र और हर्हस का पोता और वस्त्रों का रखवाला था, (और वह स्त्री यरूशलेम के नये टोले में रहती थी)।
2 Kings 22:15 उसने उन से कहा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि जिस पुरुष ने तुम को मेरे पास भेजा, उस से यह कहो,
2 Kings 22:16 यहोवा यों कहता है, कि सुन, जिस पुस्तक को यहूदा के राजा ने पढ़ा है, उसकी सब बातों के अनुसार मैं इस स्थान और इसके निवासियों पर विपत्ति डाला चाहता हूँ।
2 Kings 22:17 उन लोगों ने मुझे त्याग कर पराये देवताओं के लिये धूप जलाया और अपनी बनाई हुई सब वस्तुओं के द्वारा मुझे क्रोध दिलाया है, इस कारण मेरी जलजलाहट इस स्थान पर भड़केगी और फिर शांत न होगी।
2 Kings 22:18 परन्तु यहूदा का राजा जिसने तुम्हें यहोवा से पूछने को भेजा है उस से तुम यों कहो, कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है।
2 Kings 22:19 इसलिये कि तू वे बातें सुन कर दीन हुआ, और मेरी वे बातें सुन कर कि इस स्थान और इसके निवासियों देख कर लोग चकित होंगे, और शाप दिया करेंगे, तू ने यहोवा के साम्हने अपना सिर नवाया, और अपने वस्त्र फाड़ कर मेरे साम्हने रोया है, इस कारण मैं ने तेरी सुनी है, यहोवा की यही वाणी है।
2 Kings 22:20 इसलिये देख, मैं ऐसा करूंगा, कि तू अपने पुरखाओं के संग मिल जाएगा, और तू शांति से अपनी कबर को पहुंचाया जाएगा, और जो विपत्ति मैं इस स्थान पर डाला चाहता हूँ, उस में से तुझे अपनी आंखों से कुछ भी देखना न पड़ेगा। तब उन्होंने लौट कर राजा को यही सन्देश दिया।
2 Kings 23:1 राजा ने यहूदा और यरूशलेम के सब पुरनियों को अपने पास इकट्ठा बुलवाया।
2 Kings 23:2 और राजा, यहूदा के सब लोगों और यरूशलेम के सब निवासियों और याजकों और नबियों वरन छोटे बड़े सारी प्रजा के लोगों को संग ले कर यहोवा के भवन में गया। तब उसने जो वाचा की पुस्तक यहोवा के भवन में मिली थी, उसकी सब बातें उन को पढ़ कर सुनाईं।
2 Kings 23:3 तब राजा ने खम्भे के पास खड़ा हो कर यहोवा से इस आशय की वाचा बान्धी, कि मैं यहोवा के पीछे पीछे चलूंगा, और अपने सारे मन और सारे प्राण से उसकी आज्ञाएं, चितौनियां और विधियों का नित पालन किया करूंगा, और इस वाचा की बातों को जो इस पुस्तक में लिखी है पूरी करूंगा। और सब प्रजा वाचा में सम्भागी हुई।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 135-136 
  • 1 कुरिन्थियों 12


शनिवार, 31 अगस्त 2013

सीखने वाली आत्मा

   एक दिन हमारे चर्च में आराधना आरंभ होने से थोड़ा सा ही पहले मैंने एक युवक को अपनी माँ के साथ वार्तालाप करते सुना। वे दोनों चर्च के सूचना पटल पर लगी सूचनाएं पढ़ रहे थे जिनमें से एक थी कि चर्च में आने वाले लोग जुलाई और अगस्त के महीनों में प्रतिदिन परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन नामक पुस्तक का एक अध्याय पढ़ने की चुनौती लें; नीतिवचन में 31 अध्याय हैं। उस युवक ने अपनी माँ से पूछा, अगस्त के अन्त पर आकर लोग क्या करेंगे, अगस्त में तो 30 ही दिन होते हैं? उसकी माँ ने उत्तर दिया, नहीं अगस्त में भी 31 दिन होते हैं, वह फिर बोला नहीं, 30 ही दिन होते हैं!

   जब आराधना के समय हमारा एक दूसरे से मिलने और अभिनंदन करने का समया आया तो मैंने पीछे मुड़कर उस जवान से हाथ मिलाया, उसे "हैलो" कहा और मुस्कुराते हुए यह भी कहा कि अगस्त में वास्तव में 31 दिन होते हैं। वह फिर अपनी बात पर अड़ गया और बोला, नहीं, 31 दिन नहीं होते; एक के बाद एक कोई भी दो महीनों में 31 दिन कैसे हो सकते हैं? इतने में आराधना में स्तुति गीत आरंभ हो गया, और मैं मुस्कुराते हुए फिर सामने की ओर मुड़ गई।

   उस छोटे सी मुलाकात और वार्तालाप ने मुझे सोचने पर मजबूर किया कि एक सीखने वाली आत्मा को विकसित करना हमारे लिए कितना आवश्यक है, अन्यथा हम कभी अपने ही विचारों की सीमाओं के आगे नहीं बढ़ पाएंगे। नीतिवचन के लेखक राजा सुलेमान ने आरंभिक अध्यायों में यही बात समझाई है, एक नम्रता का मन और सीखने वाली आत्मा को अपने अन्दर बनाए रखना जिससे अपने बुज़र्गों के अनुभवों और शिक्षाओं से तथा परमेश्वर और उसके वचन से हम उत्तम बातें सीख सकें: "हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े" (नीतिवचन 2:1); "क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं" (नीतिवचन 2:6); "अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना" (नीतिवचन 3:7)।

   अगस्त में 30 ही दिन होते हैं या 31 दिन, यह जानना चाहे कोई विशेष महत्व ना रखता हो, लेकिन नम्रता का मन और सीखने वाली आत्मा रखना बहुत महत्व रखता है, क्योंकि तभी हम दूसरों से तथा परमेश्वर से सीखने वाले हो सकेंगे। और परमेश्वर से सीखने के लिए प्रतिदिन नीतिवचन से एक अध्याय पढ़ना, उत्तम शिक्षा पाने के लिए एक अच्छा आरंभ है - क्या कल से आरंभ हो रहे नए माह से आप यह करने का संकल्प लेंगे, और उस संकल्प को पूरा भी करेंगे? - ऐनी सेटास


सच्ची बुद्धिमता परमेश्वर से ही आरंभ होती है और उसी पर अन्त भी होती है।

तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण कर के सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा। - नीतिवचन 3:5-6

बाइबल पाठ: नीतिवचन 2:1-9
Proverbs 2:1 हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े,
Proverbs 2:2 और बुद्धि की बात ध्यान से सुने, और समझ की बात मन लगा कर सोचे;
Proverbs 2:3 और प्रवीणता और समझ के लिये अति यत्न से पुकारे,
Proverbs 2:4 ओर उसको चान्दी की नाईं ढूंढ़े, और गुप्त धन के समान उसी खोज में लगा रहे;
Proverbs 2:5 तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा।
Proverbs 2:6 क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं।
Proverbs 2:7 वह सीधे लोगों के लिये खरी बुद्धि रख छोड़ता है; जो खराई से चलते हैं, उनके लिये वह ढाल ठहरता है।
Proverbs 2:8 वह न्याय के पथों की देख भाल करता, और अपने भक्तों के मार्ग की रक्षा करता है।
Proverbs 2:9 तब तू धर्म और न्याय, और सीधाई को, निदान सब भली-भली चाल समझ सकेगा;

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 132-134 
  • 1 कुरिन्थियों 11:17-34