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बुधवार, 27 जनवरी 2010

प्रार्थना के घेरे

छठे दरजे में पढ़ने वाली लड़कियां, एक दूसरे के लिए बाइबल अध्ययन समूह में बारी बारी से एक दूसरे के लिये प्रार्थना कर रहीं थीं। अन्ना ने प्रार्थना की, "हे स्वर्ग में हमारे पिता, तोनिया को लड़कों के प्रति इतना दीवाना होने से बचावें।" तोनिया ने हंसकर प्रार्थना में जोड़ दिया कि, " और अन्ना की मदद करें कि वह स्कूल में अपना खराब व्याहार बन्द करे तथा दूसरों को तंग करना बन्द कर दे।" फिर तालिया ने प्रार्थना की, "हे प्रभु, तोनिया की मदद करें कि वह माँ का कहना माने और उससे ढिटाई न करे"।

लड़कियों की प्रार्थनाओं के विष्य तो सही थे, लेकिन वे सबके के सामने एक दूसरे की कमियां प्रगट करके परिहास कर रहीं थीं; उन्हें अपने लिए परमेश्वर की आवश्यक्ता की परवाह नहीं थी। उनकी अगुवाई करने वाली लड़की ने उन्हें याद दिलाया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर से वार्तलाप करना गंभीर बात है और इसके लिये सव्यं अपने मन की जांच करना आवश्यक है।

अगर हम प्रार्थना का उपयोग अपने दोषों को बिना देखे, दूसरों की गलतियां निकालने के लिये करते हैं, तो हम यीशु द्वारा दिये गये दृष्टांत के फरीसी जैसे होंगे, जिसने प्रार्थना की, "हे परमेश्वर मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि मैं और मनुष्यों की नाईं अन्धेर करने वाला, अन्यायी और व्यभिचारी नहीं, और न ही इस चुंगी लेने वाले के समान हूँ" (लूका १८:११)। इसके विपरीत हमें इसी दृष्टांत के उस मनुष्य के समान होना चाहिये जिसने केवल इतना ही कहा "हे परमेश्वर मुझ पापी पर दया कर" (पद १३)।

हम चौकस रहें कि हमारी प्रार्थनाएं दूसरों की गलतियों की सूची न बन जाएं। परमेश्वर को वह प्रार्थना पसन्द है जो दीनता के साथ हमारे पापी हृदय के सच्चे मूल्यांकन से निकलती है। - ऐन्नी सेटास

उच्चतम प्रार्थना नम्र हृदय की गहराई से निकलती है।

जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा। - लूका १८:१४ बाइबल पाठ: लूका १८:९-१४ एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन १६-१८
  • मत्ती १८:१-२०