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शनिवार, 4 सितंबर 2010

अद्भुत चिन्ह

महान वैज्ञानिक और भौतिकशास्त्री एलबर्ट आईन्स्टीन से पूछा गया कि क्या वह परमेश्वर पर विश्वास करता है? उसने उत्तर दिया, "हम उस छोटे बालक के समान हैं जो अनेक भाषाओं में लिखी गई बहुत सी पुस्तकों के एक बहुत बड़े पुस्तकालय में प्रवेश करता है। बालक इतना समझता है कि इन पुस्तकों का कोई न कोई लेखक तो होगा, लेकिन नहीं जानता कि वह कौन है और पुस्तकें कैसे लिखीं गईं। मुझे लगता है कि संसार के सबसे विद्वान व्यक्ति की परमेश्वर के प्रति प्रतिक्रीया भी ऐसी ही होगी। हम सृष्टि को अद्भुत और सुनियोजित रीति से कार्य करते देखते हैं, यह भी देखते हैं कि सारी सृष्टि कुछ नियमों का पालन कर रही है, लेकिन उन नियमों को स्पष्ट नहीं समझते।" यद्यपि आईन्स्टीन सृष्टि की अद्भुत रचना पर विस्मित रहा, किंतु उसने व्यक्तिगत सृष्टिकर्ता पर विश्वास नहीं किया।
भजनकार भी आईन्स्टीन की तरह सृष्टि की रचना से विस्मित रहा, परन्तु उसने आइन्सटीन से एक कदम आगे बढ़ाय़ा और सृष्टि के सृष्टिकर्ता पर विश्वास किया। भजनकार ने लिखा, "आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है, और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है।" (भजन १९:१)

सृष्टि को निहारने से जो अचंभा और रोमांच होता है, वह सृष्टिकर्ता की ओर इशारा करने वाला एक चिन्ह है। पवित्रशास्त्र हमें बताता है कि "सब कुछ उसी[प्रभु यीशु] के द्वारा उत्‍पन्न हुआ और जो कुछ उत्‍पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्‍तु उसके बिना उत्‍पन्न न हुई।" (यूहन्ना १:३)

क्या आपके मन में सृष्टिकर्ता पर सन्देह है? आज रात ऊपर निगाहें करके सितारों को देखिये, और उनके बारे में विचार कीजिए। वे आकाश में सृष्टिकर्ता की ओर इशारा करने वाले अद्भुत चिन्ह हैं। - डेनिस फिशर


सृष्टि की रचना उसको रचने वाले महान रचनाकार का प्रमाण है।

आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है, और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। - भजन १९:१


बाइबल पाठ: भजन १९:१-६

आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है, और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है।
दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है।
न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है।
उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूंज गया है, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं। उन में उस ने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है,
जो दुल्हे के समान अपने महल से निकलता है। वह शूरवीर की नाई अपनी दौड़ दौड़ने को हर्षित होता है।
वह आकाश की एक छोर से निकलता है, और वह उसकी दूसरी छोर तक चक्कर मारता है, और उसकी गर्मी सबको पहुंचती है।

एक साल में बाइबल:
  • भजन १४३-१४५
  • १ कुरिन्थियों १४:२१-४०