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गुरुवार, 20 फ़रवरी 2014

भय


   अमेरीकी राष्ट्रपति फ्रैंक्लिन रूज़वेल्ट ने 1933 में अपने राष्ट्रपतिकाल के प्रथम एवं उद्घाटन भाषण में कहा, "हमें केवल एक ही बात से डरना है और वह है स्वयं डर।" रूज़वेल्ट भारी आर्थिक मन्दी की भयानक मार से त्रस्त राष्ट्र में एक आशा की किरण जलाना चाह रहे थे, लोगों के अन्दर की निराशा को निकालकर एक सकारात्मक रवैया जगाना चाह रहे थे।

   भय हमारे जीवनों में तब दिखाई देता है जब हमें लगता है कि हम कुछ गंवा देंगे। यह गंवाना हमारी दौलत, सेहत, सम्मान, पदवी, सुरक्षा, परिवार, मित्र इत्यादि किसी का भी हो सकता है। भय हमारे अन्दर बसी उस इच्छा को प्रगट करता है जिसके अन्तर्गत हम अपने जीवन में महत्वपूर्ण बातों को अपने ही द्वारा बचा कर रखने का प्रयास करते हैं, बजाए इसके कि उनकी सुरक्षा और नियंत्रण परमेश्वर के हाथों में सौंप दें। जब भय हम पर हावी हो जाता है तो हमें भावनात्मक रीति से अपंग और आत्मिक रीति से दुर्बल कर देता है। भय की स्थिति में हम दूसरों को प्रभु यीशु के बारे में बताने से हिचकिचाते हैं, अपने जीवन और संसाधन दूसरों की भलाई के लिए लगाने से कतराते हैं, किसी नए कार्य को आरंभ करने से डरते हैं। एक भयभीत आत्मा का शत्रु शैतान द्वारा आहत होने की संभावना कहीं अधिक होती है; ऐसे में शैतान हमें उकसाता है कि हम परमेश्वर और उसके वचन बाइबल पर अपने विश्वास के साथ समझौता करें, परमेश्वर पर भरोसा रख कर उसकी बाट जोहने की बजाए, समस्याओं का समाधान अपने ही हाथों में लेकर अपनी सीमित समझ और सीमित संसाधनों के द्वारा उन्हें सुलझाने के प्रयास करें; क्योंकि वह जानता है कि ऐसा करने में हम अवश्य ही कोई ना कोई गलती करेंगे और उसके फंदों में फंस जाएंगे।

   भय का समाधान है अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर पर विश्वास को बनाए रखना। जब हम उसकी उपस्थिति, सामर्थ, सुरक्षा और संसाधनों की वास्तविकता में विश्वास रख कर जीवन व्यतीत करेंगे तब भय का कोई स्थान नहीं होगा और हम आनन्द के साथ जीवन व्यतीत करते हुए भजनकार के साथ कहने पाएंगे, "मैं यहोवा के पास गया, तब उसने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया" (भजन 34:4)। - जो स्टोवैल


भयभीत आत्मा का उपाय है परमेश्वर प्रभु यीशु पर संपूर्ण भरोसा।

यहोवा परमेश्वर मेरी ज्योति और मेरा उद्धार है; मैं किस से डरूं? यहोवा मेरे जीवन का दृढ़ गढ़ ठहरा है, मैं किस का भय खाऊं? - भजन 27:1

बाइबल पाठ: भजन 34:1-10
Psalms 34:1 मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूंगा; उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी। 
Psalms 34:2 मैं यहोवा पर घमण्ड करूंगा; नम्र लोग यह सुनकर आनन्दित होंगे। 
Psalms 34:3 मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो, और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें। 
Psalms 34:4 मैं यहोवा के पास गया, तब उसने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया। 
Psalms 34:5 जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की उन्होंने ज्योति पाई; और उनका मुंह कभी काला न होने पाया। 
Psalms 34:6 इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया।
Psalms 34:7 यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत छावनी किए हुए उन को बचाता है। 
Psalms 34:8 परखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरूष जो उसकी शरण लेता है। 
Psalms 34:9 हे यहोवा के पवित्र लोगो, उसका भय मानो, क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती! 
Psalms 34:10 जवान सिंहों तो घटी होती और वे भूखे भी रह जाते हैं; परन्तु यहोवा के खोजियों को किसी भली वस्तु की घटी न होवेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 13-16