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गुरुवार, 16 जुलाई 2015

शुद्ध तथा बलवन्त


   हीरे मज़बूत एवं ठोस, सुन्दर और बहुमूल्य रत्न होते हैं, परन्तु उनका आरंभ बहुत साधारण से काले, भद्दे और ज्वलनशील कोएले (कार्बन) के रूप में होता है। वर्षों तक अत्याधिक तापमान और दबाव सहते सहते यह कार्बन शुद्ध, चमकीले, सुन्दर और मज़बूत हीरे में परिवर्तित हो जाता है, जिसे तराशने और संवारने से वह बहुमूल्य बन जाता है। यह उन्हें आत्मिक सामर्थ और निखार प्राप्त करने की प्रक्रिया को समझने के लिए उचित उदाहरण भी बनाता है।

   प्रेरित पौलुस ने कहा कि परमेश्वर की सामर्थ हमारी निर्बलता में सिद्ध होती है (2 कुरिन्थियों 12:9)। काश कि यह सच नहीं होता, क्योंकि मुझे निर्बल होना अच्छा नहीं लगता। शारिरिक निर्बलता क्या होती है यह मैंने अपने कैंसर के लिए दी जाने वाली कीमोथैरपी और विकिरण से इलाज द्वारा अच्छे से सीखा है। फिर एक छोटी सी घटना ने मुझे अनायास ही भावनाओं की दुर्बलता में भी डाल दिया। इलाज में अपने 3 फीट लंबे बाल गंवा कर लगभग एक साल के लिए गंजा हो जाने से गुज़रने के बाद, एक बार का गलत रीति से मेरे बालों का काटा जाना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं होनी चाहिए थी, परन्तु वह हो गई और मैं इस बात को लेकर अपने भावनात्मक रूप से निर्बल हो जाने के कारण बहुत शर्मिंदा अनुभव करती रही। हम में से कुछ लोग अपने चारों ओर सामर्थ और आत्म-निर्भरता का आवरण लपेटे रहते हैं। परन्तु कोई आक्समक दुर्घटना, या अस्वस्थता, या बेरोज़गारी या किसी प्रीय संबंध का विच्छेद हमें परमेश्वर के अनुग्रह पर अपनी पूर्ण निर्भरता का स्मरण करवा देता है।

   जब कभी हमें कष्ट की भट्टी से होकर निकलना पड़े, वह चाहे शारीरिक हो या भावनात्मक, चाहे बाहर से आने वाला सताव हो या हमारे अन्दर से उठने वाली ग्लानि और शर्मिंदगी - सदा स्मरण रखें कि परमेश्वर का उद्देश्य हमें इन सभी दबाव और कष्टों द्वारा शुद्ध तथा बलवन्त बनाना ही है, हमारी भलाई के लिए है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


कष्ट वह भट्टी हैं जिसका उपयोग परमेश्वर हमें शुद्ध तथा बलवन्त करने के लिए करता है।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 12:1-10
2 Corinthians 12:1 यद्यपि घमण्‍ड करना तो मेरे लिये ठीक नहीं तौभी करना पड़ता है; सो मैं प्रभु के दिए हुए दर्शनों और प्रकाशों की चर्चा करूंगा। 
2 Corinthians 12:2 मैं मसीह में एक मनुष्य को जानता हूं, चौदह वर्ष हुए कि न जाने देह सहित, न जाने देह रहित, परमेश्वर जानता है, ऐसा मनुष्य तीसरे स्वर्ग तक उठा लिया गया। 
2 Corinthians 12:3 मैं ऐसे मनुष्य को जानता हूं न जाने देह सहित, न जाने देह रहित परमेश्वर ही जानता है। 
2 Corinthians 12:4 कि स्वर्ग लोक पर उठा लिया गया, और एसी बातें सुनीं जो कहने की नहीं; और जिन का मुंह पर लाना मनुष्य को उचित नहीं। 
2 Corinthians 12:5 ऐसे मनुष्य पर तो मैं घमण्‍ड करूंगा, परन्तु अपने पर अपनी निर्बलताओं को छोड़, अपने विषय में घमण्‍ड न करूंगा। 
2 Corinthians 12:6 क्योंकि यदि मैं घमण्‍ड करना चाहूं भी तो मूर्ख न हूंगा, क्योंकि सच बोलूंगा; तोभी रुक जाता हूं, ऐसा न हो, कि जैसा कोई मुझे देखता है, या मुझ से सुनता है, मुझे उस से बढ़कर समझे। 
2 Corinthians 12:7 और इसलिये कि मैं प्रकाशों की बहुतायत से फूल न जाऊं, मेरे शरीर में एक कांटा चुभाया गया अर्थात शैतान का एक दूत कि मुझे घूँसे मारे ताकि मैं फूल न जाऊं। 
2 Corinthians 12:8 इस के विषय में मैं ने प्रभु से तीन बार बिनती की, कि मुझ से यह दूर हो जाए। 
2 Corinthians 12:9 और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे। 
2 Corinthians 12:10 इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 16-17
  • प्रेरितों 20:1-16