ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 23 जनवरी 2018

पाठ


   जब मेरी बेटी ने स्कूल में उसके साथ हो रही एक समस्या के विषय में बताया, तो मेरी पहली प्रतिक्रया थी कि मैं जाकर उसके लिए उस समस्या का समाधान कर दूँ। परन्तु फिर एक और विचार मेरे मन में आया। क्या यह संभव नहीं है कि परमेश्वर ने उस समस्या को उसके जीवन में इसलिए आने दिया जिससे मेरी बेटी परमेश्वर को अपने जीवन में कार्य करता देखे, और परमेश्वर को और बेहतर जान सके, उसमें अपने विश्वास में और दृढ़ हो सके? इसलिए उसकी समस्या का समाधान करने के लिए दौड़ने की बजाए मैं ने उसके साथ इसके बारे में प्रार्थना करने का निर्णय लिया। हमने एक साथ उस समस्या के बारे में प्रार्थना करना आरंभ किया और कुछ ही समय में, मेरे किसी हस्तक्षेप के बिना, वह समस्या सुलझ गई।

   इस सारी परिस्थिति ने मेरी बेटी को सिखाया कि परमेश्वर उसकी चिंता करता है, उसका ध्यान रखता है, जब वह प्रार्थना करती है तो वह उसका उत्तर देता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा है कि ऐसे पाठ छोटी उम्र में सीखना बहुत महत्वपूर्ण है (नीतिवचन 22:6)। जब हम बच्चों का परिचय प्रभु यीशु और उसकी सामर्थ्य से करवा देते हैं, तो हम सारे जीवन भर उनकी आत्मिक उन्नति के लिए उन्हें एक आधार बना कर दे देते हैं, उन्हें एक ऐसे आश्रय-स्थल का पता दे देते हैं जहाँ वे अपनी हर बात, हर समस्या के लिए कभी भी, किसी भी दशा में, निःसंकोच जा सकते हैं, और खुले दिल से अपनी बात प्रभु के समक्ष रख सकते हैं, उस से मार्गदर्शन और सामर्थ्य प्राप्त कर सकते हैं।

   आज विचार करें कि आप किसी बच्चे के पास मसीह यीशु के प्रति विश्वास के पाठ किस प्रकार पहुँचा सकते हैं। इन पाठों को बच्चों तक पहुँचाने के कुछ तरीके हैं, बच्चों को प्रकृति में विदित परमेश्वर की रचनाओं से अवगत करवाएँ; उनके साथ अपने जीवन की किसी ऐसी घटना को बांटें जब परमेश्वर ने आपकी सहायता की, किसी समस्या से आपको छुड़ाया; उन्हें अपने साथ परमेश्वर के प्रति धन्यवादी होने और उसकी स्तुति-आराधना करने में सम्मिलित करें। इन छोटे-छोटे पाठों के द्वारा परमेश्वर आप में होकर आने वाली पीढ़ियों पर अपनी भलाई और विश्वासयोग्यता को प्रकट कर सकता है, उन्हें पाप में भटकने से बचने का मार्ग दिखा सकता है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


आज मसीह के लिए जीवन जीने के द्वारा, 
हम भावी पीढ़ियों को मसीह के लिए प्रभावित कर सकते हैं।

और ये आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं वे तेरे मन में बनी रहें; और तू इन्हें अपने बाल-बच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना। - व्यवस्थाविवरण 6:6-7

बाइबल पाठ: नीतिवचन 22:1-16
Proverbs 22:1 बड़े धन से अच्छा नाम अधिक चाहने योग्य है, और सोने चान्दी से औरों की प्रसन्नता उत्तम है।
Proverbs 22:2 धनी और निर्धन दोनों एक दूसरे से मिलते हैं; यहोवा उन दोनों का कर्त्ता है।
Proverbs 22:3 चतुर मनुष्य विपत्ति को आते देख कर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़ कर दण्ड भोगते हैं।
Proverbs 22:4 नम्रता और यहोवा के भय मानने का फल धन, महिमा और जीवन होता है।
Proverbs 22:5 टेढ़े मनुष्य के मार्ग में कांटे और फन्दे रहते हैं; परन्तु जो अपने प्राणों की रक्षा करता, वह उन से दूर रहता है।
Proverbs 22:6 लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उसको चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा।
Proverbs 22:7 धनी, निर्धन लोगों पर प्रभुता करता है, और उधार लेने वाला उधार देने वाले का दास होता है।
Proverbs 22:8 जो कुटिलता का बीज बोता है, वह अनर्थ ही काटेगा, और उसके रोष का सोंटा टूटेगा।
Proverbs 22:9 दया करने वाले पर आशीष फलती है, क्योंकि वह कंगाल को अपनी रोटी में से देता है।
Proverbs 22:10 ठट्ठा करने वाले को निकाल दे, तब झगड़ा मिट जाएगा, और वाद-विवाद और अपमान दोनों टूट जाएंगे।
Proverbs 22:11 जो मन की शुद्धता से प्रीति रखता है, और जिसके वचन मनोहर होते हैं, राजा उसका मित्र होता है।
Proverbs 22:12 यहोवा ज्ञानी पर दृष्टि कर के, उसकी रक्षा करता है, परन्तु विश्वासघाती की बातें उलट देता है।
Proverbs 22:13 आलसी कहता है, बाहर तो सिंह होगा! मैं चौक के बीच घात किया जाऊंगा।
Proverbs 22:14 पराई स्त्रियों का मुंह गहिरा गड़हा है; जिस से यहोवा क्रोधित होता, वही उस में गिरता है।
Proverbs 22:15 लड़के के मन में मूढ़ता की गाँठ बन्धी रहती है, परन्तु छड़ी की ताड़ना के द्वारा वह उस से दूर की जाती है।
Proverbs 22:16 जो अपने लाभ के निमित्त कंगाल पर अन्धेर करता है, और जो धनी को भेंट देता, वे दोनों केवल हानि ही उठाते हैं।


एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 7-8
  • मत्ती 15:1-20


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें