ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 22 जनवरी 2018

केंद्रित


   मैंने एक कार्यस्थल पर कुछ लोगों के लिए मसीही विश्वास से संबंधित एक पाठ्यक्रम-कार्यशाला को संचालित किया था; कार्यशाला के बाद एक अधेड़ व्यक्ति मेरे पास आया और उसने मुझ से पूछा, “मैं लगभग अपने पूरे जीवन भर मसीही रहा हूँ, परन्तु मैं बारंबार अपने आप से निरुत्साहित होता हूँ। ऐसा क्यों है कि मैं वही काम करता रहता हूँ जिन्हें मैं करना नहीं चाहता हूँ; और जो मुझे करना चाहिए वह नहीं कर पाता हूँ। क्या परमेश्वर मुझसे थक नहीं गया होगा?” मेरे पास खड़े दो और व्यक्ति भी उसके इस प्रश्न का उत्तर सुनने के लिए आतुर लग रहे थे।

   यह एक सामान्य संघर्ष है जिसका अनुभव प्रेरित पौलुस ने भी किया था। परमेश्वर के वचन बाइबल में, पौलुस ने रोम के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में लिखा, “और जो मैं करता हूं, उसको नहीं जानता, क्योंकि जो मैं चाहता हूं, वह नहीं किया करता, परन्तु जिस से मुझे घृणा आती है, वही करता हूं” (रोमियों 7:15)। परन्तु एक अच्छा समाचार भी है: हमें निराशा के इस फंदे में फंसे हुए नहीं रहना है। पौलुस ने इससे निकलने का जो मार्ग रोमियों 8 में लिखा, उसका सार यह है कि विधियों और नियमों को निभाने और पूरा करने के प्रयासों पर केंद्रित होने के स्थान पर हमें मसीह यीशु पर केंद्रित होना चाहिए। हम अपनी सामर्थ्य से अपनी पाप-प्रवृत्ति के बारे में कुछ नहीं कर सकते हैं; इसलिए नियम निभाने और विधियों को पूरा करने के और अधिक सबल प्रयास करने से कोई लाभ होने वाला नहीं है। इसके स्थान पर हमें उस पर अपने आप को केंद्रित करना चाहिए जो हम पर अनुग्रह करता है, और हमें परिवर्तित करने वाले उसके पवित्र-आत्मा के साथ सहयोग करना चाहिए।

   जब हम विधियों और नियमों पर केंद्रित रहते हैं, तो हमें निरंतर यह एहसास होता रहता है कि परमेश्वर के अनुग्रह को प्राप्त करने के योग्य भले हम कभी नहीं होने पाएँगे। परन्तु जब हम मसीह यीशु पर केंद्रित रहते हैं, तो हमें ध्यान रहता है कि वह हमारा सहायक बनकर सदा हमारे पक्ष में परमेश्वर के सम्मुख कार्य करता रहता है। - रैंडी किल्गोर


प्रभु यीशु पर केंद्रित रहें।

हे मेरे बालकों, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात धार्मिक यीशु मसीह। और वही हमारे पापों का प्रायश्‍चित्त है: और केवल हमारे ही नहीं, वरन सारे जगत के पापों का भी। - 1 यूहन्ना 2:1-2

बाइबल पाठ: रोमियों 7:15- 8:4
Romans 7:15 और जो मैं करता हूं, उसको नहीं जानता, क्योंकि जो मैं चाहता हूं, वह नहीं किया करता, परन्तु जिस से मुझे घृणा आती है, वही करता हूं।
Romans 7:16 और यदि, जो मैं नहीं चाहता वही करता हूं, तो मैं मान लेता हूं, कि व्यवस्था भली है।
Romans 7:17 तो ऐसी दशा में उसका करने वाला मैं नहीं, वरन पाप है, जो मुझ में बसा हुआ है।
Romans 7:18 क्योंकि मैं जानता हूं, कि मुझ में अर्थात मेरे शरीर में कोई अच्छी वस्तु वास नहीं करती, इच्छा तो मुझ में है, परन्तु भले काम मुझ से बन नहीं पड़ते।
Romans 7:19 क्योंकि जिस अच्छे काम की मैं इच्छा करता हूं, वह तो नहीं करता, परन्तु जिस बुराई की इच्छा नहीं करता वही किया करता हूं।
Romans 7:20 परन्तु यदि मैं वही करता हूं, जिस की इच्छा नहीं करता, तो उसका करने वाला मैं न रहा, परन्तु पाप जो मुझ में बसा हुआ है।
Romans 7:21 सो मैं यह व्यवस्था पाता हूं, कि जब भलाई करने की इच्छा करता हूं, तो बुराई मेरे पास आती है।
Romans 7:22 क्योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न रहता हूं।
Romans 7:23 परन्तु मुझे अपने अंगो में दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की व्यवस्था से लड़ती है, और मुझे पाप की व्यवस्था के बन्धन में डालती है जो मेरे अंगों में है।
Romans 7:24 मैं कैसा अभागा मनुष्य हूं! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा?
Romans 7:25 मैं अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं: निदान मैं आप बुद्धि से तो परमेश्वर की व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूं।
Romans 8:1 सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं: क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं।
Romans 8:2 क्योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया।
Romans 8:3 क्योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के कारण दुर्बल हो कर न कर सकी, उसको परमेश्वर ने किया, अर्थात अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में, और पाप के बलिदान होने के लिये भेज कर, शरीर में पाप पर दण्ड की आज्ञा दी।
Romans 8:4 इसलिये कि व्यवस्था की विधि हम में जो शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं, पूरी की जाए।


एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 4-6
  • मत्ती 14:22-36



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें