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बुधवार, 8 जून 2016

बर्ताव


   सुप्रसिद्ध मसीही विश्वासी और लेखक सी. एस. ल्युईस ने अपनी जानी-मानी पुस्तक Mere Christianity में लिखा: "बचपन में मुझे अकसर दाँत में दर्द होता था, और मैं जानता था कि यदि मैं अपनी मां के पास गया तो वे मुझे कुछ ऐसा देंगी जिससे उस रात के लिए दर्द दब जाएगा और मैं सो सकूँगा। लेकिन मैं अपनी माँ के पास केवल तब ही जाता था जब दर्द बहुत बढ़ जाता था और सहना कठिन हो जाता था....क्योंकि मैं यह भी जानता था कि अगले दिन प्रातः ही मेरी माँ मुझे दाँतों के डॉक्टर के पास भी ले जाएंगी...मुझे दर्द से तुरंत राहत तो चाहिए होती थी लेकिन स्थाई राहत के लिए मेरे दाँतों को अन्दर गहराई से सही करवाने की भी आवश्यकता होती थी जो मैं नहीं करवाना चाहता था।"

   कुछ ऐसा ही हमारे साथ हमारे जीवनों में भी होता है: जब हम किसी समस्या में होते हैं, किसी बात को लेकर संघर्ष कर रहे होते हैं, तब अकसर हम तुरंत ही उसके निवारण के लिए परमेश्वर के पास नहीं जाते। हम जानते हैं कि परमेश्वर हमारी उस समस्या या संघर्ष का समाधान दे सकता है, लेकिन साथ ही हम यह भी जानते हैं कि वह केवल अस्थायी समाधानों से संतुष्ट नहीं होता, वह हमारे जीवनों में उस समस्या या संघर्ष की तह तक जाकर जड़ से उसका समाधान और निवारण करना चाहता है; और इस बात से हम डरते हैं क्योंकि ऐसा करने में वे बातें भी खुल कर सामने आ सकती हैं जिनका हम सामना नहीं करना चाहते या जिन्हें हम सबकी नज़रों से छिपाए या दबाए रखना चाहते हैं।

   ऐसे समयों में हमें अपने आप को यह स्मरण दिलाना चाहिए कि "तुम दुख को ताड़ना समझकर सह लो: परमेश्वर तुम्हें पुत्र जान कर तुम्हारे साथ बर्ताव करता है, वह कौन सा पुत्र है, जिस की ताड़ना पिता नहीं करता?" (इब्रानियों 12:7)। परमेश्वर का अनुशासन, चाहे हमें कष्टप्रद लगे, परन्तु वह बुद्धिमतापूर्ण, हमारी भलाई के लिए (रोमियों 8:28) और हमारे प्रति उसके प्रेम से भरा होता है। वह हमसे इतना प्रेम करता है कि हमें ऐसे ही अपनी समस्याओं और संघर्षों में पड़े देखना नहीं चाहता; वह हमारे स्वरूप को बदल कर हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की समानता में लाना चाहता है (रोमियों 8:9)।

   हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम भरे बर्ताव तथा हर बात द्वारा हमारी भलाई करने के उद्देश्यों पर हम अपनी किसी भी भावना और भय से कहीं अधिक बढ़कर भरोसा कर सकते हैं। - पोह फैंग चिया


परमेश्वर के अनुशासन का हाथ उसके प्रेम और भलाई का हाथ होता है।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। क्योंकि जिन्हें उसने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे। - रोमियों 8:28-29

बाइबल पाठ: इब्रानियों 12:1-14
Hebrews 12:1 इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। 
Hebrews 12:2 और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिसने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्‍ता न कर के, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। 
Hebrews 12:3 इसलिये उस पर ध्यान करो, जिसने अपने विरोध में पापियों का इतना वाद-विवाद सह लिया कि तुम निराश हो कर हियाव न छोड़ दो। 
Hebrews 12:4 तुम ने पाप से लड़ते हुए उस से ऐसी मुठभेड़ नहीं की, कि तुम्हारा लोहू बहा हो। 
Hebrews 12:5 और तुम उस उपदेश को जो तुम को पुत्रों की नाईं दिया जाता है, भूल गए हो, कि हे मेरे पुत्र, प्रभु की ताड़ना को हलकी बात न जान, और जब वह तुझे घुड़के तो हियाव न छोड़। 
Hebrews 12:6 क्योंकि प्रभु, जिस से प्रेम करता है, उस की ताड़ना भी करता है; और जिसे पुत्र बना लेता है, उसको कोड़े भी लगाता है। 
Hebrews 12:7 तुम दुख को ताड़ना समझकर सह लो: परमेश्वर तुम्हें पुत्र जान कर तुम्हारे साथ बर्ताव करता है, वह कौन सा पुत्र है, जिस की ताड़ना पिता नहीं करता? 
Hebrews 12:8 यदि वह ताड़ना जिस के भागी सब होते हैं, तुम्हारी नहीं हुई, तो तुम पुत्र नहीं, पर व्यभिचार की सन्तान ठहरे! 
Hebrews 12:9 फिर जब कि हमारे शारीरिक पिता भी हमारी ताड़ना किया करते थे, तो क्या आत्माओं के पिता के और भी आधीन न रहें जिस से जीवित रहें। 
Hebrews 12:10 वे तो अपनी अपनी समझ के अनुसार थोड़े दिनों के लिये ताड़ना करते थे, पर यह तो हमारे लाभ के लिये करता है, कि हम भी उस की पवित्रता के भागी हो जाएं। 
Hebrews 12:11 और वर्तमान में हर प्रकार की ताड़ना आनन्द की नहीं, पर शोक ही की बात दिखाई पड़ती है, तौभी जो उसको सहते सहते पक्के हो गए हैं, पीछे उन्हें चैन के साथ धर्म का प्रतिफल मिलता है। 
Hebrews 12:12 इसलिये ढीले हाथों और निर्बल घुटनों को सीधे करो। 
Hebrews 12:13 और अपने पांवों के लिये सीधे मार्ग बनाओ, कि लंगड़ा भटक न जाए, पर भला चंगा हो जाए।
Hebrews 12:14 सब से मेल मिलाप रखने, और उस पवित्रता के खोजी हो जिस के बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 30-31
  • यूहन्ना 18:1-18


शुक्रवार, 6 मार्च 2015

अनुग्रह और क्षमा


   जीवन कई बातों में मनोरंजन स्थलों पर पाई जाने वाली "बम्पर कारों" के समान होता है। उन कारों में आप यह जानते हुए बैठते हैं कि आपको टक्कर अवश्य लगेगी, बस यह नहीं पता कि किसके द्वारा और कितनी ज़ोर से लगेगी। जब किसी के द्वारा आपकी कार को टक्कर लगती है, तो फिर आप उसकी कार का पीछा करके उसे टक्कर मारने का प्रयास करते हैं, और वह भी उसकी दी हुई टक्कर से अधिक ज़ोर से!

   किसी मनोरंजन स्थल में, विशेष रीति से बनाई गई कारों में बैठकर ऐसा करना मनोरंजक हो सकता है, लेकिन वास्तविक जीवन में ऐसा करना बहुत हानिकारक होता है। यदि जीवन में कोई आपको टक्कर या ठोकर दे तो पलट कर उसे टक्कर या ठोकर देना समस्या का समाधान नहीं करता वरन बात को बढ़ाता ही है, और अन्ततः यह सभी के लिए हानिकारक होता है।

   प्रभु यीशु के पास ऐसे में अपनाने के लिए एक भिन्न तथा बेहतर कार्यनीति है - जो आपको टक्कर या ठोकर दें उन्हें क्षमा कर दो। प्रभु यीशु के चेले प्रेरित पतरस के समान हम भी प्रभु से पूछ सकते हैं कि हमारे द्वारा किसी को कितनी बार क्षमा करना उचित होगा? जो उत्तर प्रभु यीशु ने पतरस को दिया था, वही हमारे लिए भी लागू होता है; पतरस ने पूछा क्या सात बार क्षमा करना उचित होगा, तो प्रभु यीशु का उत्तर था, सात के सत्तर गुना बार (मत्ती 18:21-22)! दूसरे शब्दों में, जो प्रभु यीशु कहना चाह रहे थे वह था कि अनुग्रह तथा क्षमा की कोई सीमा नहीं है, हमें सदा ही अनुग्रह और क्षमा के भाव से बर्ताव करना चाहिए। इस संदर्भ में प्रभु यीशु ने एक नीतिकथा द्वारा समझाया कि अनुग्रह और क्षमा इसलिए नहीं है क्योंकि हमारा विरोध करने वाला इसके योग्य है, वरन इसलिए अनुग्रह और क्षमा का बर्ताव बनाए रखना है क्योंकि परमेश्वर हमारे प्रति यही बर्ताव बनाए रखता है: "तब उसके स्‍वामी ने उसको बुलाकर उस से कहा, हे दुष्‍ट दास, तू ने जो मुझ से बिनती की, तो मैं ने तो तेरा वह पूरा कर्ज क्षमा किया। सो जैसा मैं ने तुझ पर दया की, वैसे ही क्या तुझे भी अपने संगी दास पर दया करना नहीं चाहिए था?" (मत्ती 18:32-33)

   हम मसीही विश्वासी यह भली भांति जानते हैं कि परमेश्वर ने कैसे प्रभु यीशु द्वारा अनुग्रह में होकर हमें क्षमा किया है, अपने साथ हमारा मेल-मिलाप किया है, हमारे साथ वह प्रेम किया है जिसके हम कभी योग्य नहीं थे। क्योंकि यह बहुतायत का अनुग्रह और क्षमा हमें सेंत-मेंत प्रदान किया गया है, इसलिए हम वे लोग बनें जो बुरे व्यवहार के बदले में वैसा ही बुरा व्यवहार नहीं वरन अनुग्रह और क्षमा का बर्ताव लौटा कर दें। - जो स्टोवैल


हमारे द्वारा दुसरों के प्रति क्षमा के व्यवहार द्वारा परमेश्वर का अनुग्रह प्रगट होता है।

और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो। - इफिसियों 4:32

बाइबल पाठ: मत्ती 18:21-35
Matthew 18:21 तब पतरस ने पास आकर, उस से कहा, हे प्रभु, यदि मेरा भाई अपराध करता रहे, तो मैं कितनी बार उसे क्षमा करूं, क्या सात बार तक? 
Matthew 18:22 यीशु ने उस से कहा, मैं तुझ से यह नहीं कहता, कि सात बार, वरन सात बार के सत्तर गुने तक। 
Matthew 18:23 इसलिये स्वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिसने अपने दासों से लेखा लेना चाहा। 
Matthew 18:24 जब वह लेखा लेने लगा, तो एक जन उसके साम्हने लाया गया जो दस हजार तोड़े धारता था। 
Matthew 18:25 जब कि चुकाने को उसके पास कुछ न था, तो उसके स्‍वामी ने कहा, कि यह और इस की पत्‍नी और लड़के बाले और जो कुछ इस का है सब बेचा जाए, और वह कर्ज चुका दिया जाए। 
Matthew 18:26 इस पर उस दास ने गिरकर उसे प्रणाम किया, और कहा; हे स्‍वामी, धीरज धर, मैं सब कुछ भर दूंगा। 
Matthew 18:27 तब उस दास के स्‍वामी ने तरस खाकर उसे छोड़ दिया, और उसका धार क्षमा किया। 
Matthew 18:28 परन्तु जब वह दास बाहर निकला, तो उसके संगी दासों में से एक उसको मिला, जो उसके सौ दीनार धारता था; उसने उसे पकड़कर उसका गला घोंटा, और कहा; जो कुछ तू धारता है भर दे। 
Matthew 18:29 इस पर उसका संगी दास गिरकर, उस से बिनती करने लगा; कि धीरज धर मैं सब भर दूंगा। 
Matthew 18:30 उसने न माना, परन्तु जा कर उसे बन्‍दीगृह में डाल दिया; कि जब तक कर्ज को भर न दे, तब तक वहीं रहे। 
Matthew 18:31 उसके संगी दास यह जो हुआ था देखकर बहुत उदास हुए, और जा कर अपने स्‍वामी को पूरा हाल बता दिया। 
Matthew 18:32 तब उसके स्‍वामी ने उसको बुलाकर उस से कहा, हे दुष्‍ट दास, तू ने जो मुझ से बिनती की, तो मैं ने तो तेरा वह पूरा कर्ज क्षमा किया। 
Matthew 18:33 सो जैसा मैं ने तुझ पर दया की, वैसे ही क्या तुझे भी अपने संगी दास पर दया करना नहीं चाहिए था? 
Matthew 18:34 और उसके स्‍वामी ने क्रोध में आकर उसे दण्‍ड देने वालों के हाथ में सौंप दिया, कि जब तक वह सब कर्जा भर न दे, तब तक उन के हाथ में रहे। 
Matthew 18:35 इसी प्रकार यदि तुम में से हर एक अपने भाई को मन से क्षमा न करेगा, तो मेरा पिता जो स्वर्ग में है, तुम से भी वैसा ही करेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 1-2
  • मरकुस 10:1-31