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शनिवार, 7 मार्च 2015

लालसा


   ग्रैण्ड रैपिड्स, मिशिगन में स्थित फ़्रेड्रिक मेइजर उद्यान में तितलियों के लिए एक विशेष कक्ष बनाया गया है जहाँ उनके स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक तापमान और नमी के वातावरण को वर्ष भर बनाए रखा जाता है, काँच से बनी छत से धूप तथा रौशनी आती रहती है, उनके लिए उपयुक्त भोजन उपलब्ध करवाया जाता है। उन तितलियों को बाहर कहीं जाने, भोजन ढ़ूँढ़ने, खतरे उठाने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि प्राकृतिक फूल, स्वच्छ वातावरण और उपयुक्त भोजन सब वहीं उस कक्ष में उनके लिए उपलब्ध करवाया गया है। लेकिन फिर भी कुछ तितलियाँ उस कक्ष की काँच की बनी छत के निकट मंडराती रहती हैं, उसपर बैठी रहती हैं; उस सुरक्षित और बहुतायत के कक्ष से बाहर निकलने की लालसा शायद उन्हें ऐसा करने को उकसाती है। मेरा मन होता है कि उन तितलियों से कहूँ, "क्या तुम को एहसास नहीं है कि जो कुछ तुम्हें चाहिए वह सब इस कक्ष में तुम्हारे लिए पहले से ही उपलब्ध करवाया गया है; यहाँ सुरक्षा है। बाहर ठंडा है, खतरे हैं और बाहर निकलने की लालसा के पूरे होने के कुछ ही समय में वहाँ तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी।"

   मेरे लिए शायद यही सन्देश परमेश्वर की ओर से भी है - परमेश्वर ने मुझे अपने सुरक्षा और देख-रेख के बाड़े में बनाए रखा है; वह मेरी प्रत्येक आवश्यकता को जानता है, उसे पूरा करता है, लेकिन फिर भी मेरी नज़रें बाहर के संसार और संसार की बातों की ओर जाती रहती हैं। इसलिए मैं अपने आप से पूछती हूँ, क्या मैं उन बातों की लालसा करती रहती हूँ जो मेरे लिए हानिकारक हैं? क्या मैं अपनी शक्ति और सामर्थ उन बातों पर व्यय करती हूँ जिनकी ना तो मुझे आवश्यकता है और जो ना ही मेरे लिए उचित हैं? उसे नज़रन्दाज़ करके जो मुझे उपलब्ध है, उसे बेहतर मानकर तथा उसकी लालसा में जो मेरी पकड़ के बाहर है, क्या मैं परमेश्वर द्वारा बहुतायत से उपलब्ध करवाई गई आशीशों को महत्वहीन कर देती हूँ? क्या मैं अपने मसीही विश्वास को भरपूरी से जीने की बजाए, उस विश्वास की ज़िम्मेदारियों की सीमाओं को तोड़ने की लालसा में दिन बिताती हूँ?

   परमेश्वर अपने बहुतायत के खज़ानों से हमारी हर आवश्यकता को पूरा करता रहता है (फिलिप्पियों 4:19); इसलिए बजाए इसके कि हम अपना समय उन बातों की लालसाओं में व्यतीत करें जो हमें उपलब्ध नहीं करवाई गई हैं, हम उन बातों के लिए जो परमेश्वर ने हमारे लिए उपलब्ध करवाई हैं, उस देख-रेख एवं सुरक्षा के लिए जो वह हमारे प्रति लगातार बनाए रखता है, हम उसके धन्यवादी हों तथा अपने मसीही विश्वास को अपने आशीषपूर्ण जीवन द्वारा प्रकट करें। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हमारी आवश्यकताएं परमेश्वर के भण्डार को कभी अपर्याप्त नहीं जता सकतीं।

और परमेश्वर सब प्रकार का अनुग्रह तुम्हें बहुतायत से दे सकता है जिस से हर बात में और हर समय, सब कुछ, जो तुम्हें आवश्यक हो, तुम्हारे पास रहे, और हर एक भले काम के लिये तुम्हारे पास बहुत कुछ हो। - 2 कुरिन्थियों 9:8

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:10-20
Philippians 4:10 मैं प्रभु में बहुत आनन्‍दित हूं कि अब इतने दिनों के बाद तुम्हारा विचार मेरे विषय में फिर जागृत हुआ है; निश्‍चय तुम्हें आरम्भ में भी इस का विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला। 
Philippians 4:11 यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं। 
Philippians 4:12 मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। 
Philippians 4:13 जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं। 
Philippians 4:14 तौभी तुम ने भला किया, कि मेरे क्‍लेश में मेरे सहभागी हुए। 
Philippians 4:15 और हे फिलप्‍पियो, तुम आप भी जानते हो, कि सुसमाचार प्रचार के आरम्भ में जब मैं ने मकिदुनिया से कूच किया तब तुम्हें छोड़ और किसी मण्‍डली ने लेने देने के विषय में मेरी सहयता नहीं की। 
Philippians 4:16 इसी प्रकार जब मैं थिस्सलुनीके में था; तब भी तुम ने मेरी घटी पूरी करने के लिये एक बार क्या वरन दो बार कुछ भेजा था। 
Philippians 4:17 यह नहीं कि मैं दान चाहता हूं परन्तु मैं ऐसा फल चाहता हूं, जो तुम्हारे लाभ के लिये बढ़ता जाए। 
Philippians 4:18 मेरे पास सब कुछ है, वरन बहुतायत से भी है: जो वस्तुएं तुम ने इपफ्रुदीतुस के हाथ से भेजी थीं उन्हें पाकर मैं तृप्‍त हो गया हूं, वह तो सुगन्‍ध और ग्रहण करने के योग्य बलिदान है, जो परमेश्वर को भाता है। 
Philippians 4:19 और मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा। 
Philippians 4:20 हमारे परमेश्वर और पिता की महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 3-4
  • मरकुस 10:32-52



शनिवार, 22 नवंबर 2014

उदारता और बहुतायत


   हाल ही की बात है मैं एक होटल में आया; उस होटल के स्वागत कक्ष में फूलों की सजावट हो रखी थी। इतनी बहुतायत के साथ फूलों की सजावट मैंने पहले कभी नहीं देखी थी। वह स्थान सुन्दरता से सजाए गए विभिन्न रंगों के फूलों और उनकी सुगन्ध से भरा हुआ था, और उस सारे दृश्य का प्रभाव अद्भुत था। मैं चलते चलते रुक गया और उस सुन्दरता को निहारने लगा। मुझे विचार आया कि बहुतायत में कुछ बात है जो हमारे मनों को भाती है। ज़रा भिन्न रस भरे फलों से भरी हुए किसी टोकरी के बारे सोचिए, या फिर कई प्रकार की मिठाईयों से सजी मेज़ के बारे में - बहुतायत को देखने, सोचने का आनन्द ही कुछ और होता है।

   इस बहुतायत के आनन्द से मुझे परमेश्वर की उदारता की याद आती है। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें परमेश्वर और उसकी उदारता के बारे में बहुत कुछ बताती है। बाइबल बताती है कि परमेश्वर हमारे कटोरे को उमड़ने देता है (भजन 23:5); वह "ऐसा सामर्थी है, कि हमारी बिनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है" (इफिसियों 3:20); उसका अनुग्रह हमारे जीवन में आने वाली प्रत्येक कठिनाई से पार पाने के लिए सक्षम है (2 कुरिन्थियों 12:9); और जब कोई पश्चाताप के साथ लौट कर उसके पास वापस आता है तो वह उस के आनन्द को मनाने के लिए एक भव्य भोज का आयोजन करता है (लूका 15:20-24)।

   इसीलिए भजनकार आनन्दित होकर कहता है कि, "हे परमेश्वर तेरी करूणा, कैसी अनमोल है! मनुष्य तेरे पंखो के तले शरण लेते हैं। वे तेरे भवन के चिकने भोजन से तृप्त होंगे, और तू अपनी सुख की नदी में से उन्हें पिलाएगा" (भजन 36:7-8)। हमारा परमेश्वर बहुतायत का परमेश्वर है, हमारे प्रति उसकी भलाई बहुतायत से है। उसके द्वारा उदारता और बहुतायत से मिलने वाली आशीषों के लिए आईए हम बहुतायत से उसकी आराधना और स्तुति करें। - जो स्टोवैल


परमेश्वर की, जो सब आशीषों का स्त्रोत है, निरंतर प्रशंसा और स्तुति करते रहें।

तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है। - भजन - 16:11

बाइबल पाठ: भजन 36:5-12
Psalms 36:5 हे यहोवा तेरी करूणा स्वर्ग में है, तेरी सच्चाई आकाश मण्डल तक पहुंची है। 
Psalms 36:6 तेरा धर्म ऊंचे पर्वतों के समान है, तेरे नियम अथाह सागर ठहरे हैं; हे यहोवा तू मनुष्य और पशु दोनों की रक्षा करता है।
Psalms 36:7 हे परमेश्वर तेरी करूणा, कैसी अनमोल है! मनुष्य तेरे पंखो के तले शरण लेते हैं। 
Psalms 36:8 वे तेरे भवन के चिकने भोजन से तृप्त होंगे, और तू अपनी सुख की नदी में से उन्हें पिलाएगा। 
Psalms 36:9 क्योंकि जीवन का सोता तेरे ही पास है; तेरे प्रकाश के द्वारा हम प्रकाश पाएंगे।
Psalms 36:10 अपने जानने वालों पर करूणा करता रह, और अपने धर्म के काम सीधे मन वालों में करता रह! 
Psalms 36:11 अहंकारी मुझ पर लात उठाने न पाए, और न दुष्ट अपने हाथ के बल से मुझे भगाने पाए। 
Psalms 36:12 वहां अनर्थकारी गिर पड़े हैं; वे ढकेल दिए गए, और फिर उठ न सकेंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • रोमियों 12-16


शनिवार, 15 फ़रवरी 2014

सन्तुष्टि


   मेरी बेटी अब बोलने लगी है, तथा उसने एक शब्द सीख लिया है जो उसे बहुत प्रीय है - ’और’। वो हर बात जो उसे पसन्द है उसके लिए वह कहती है ’और’; जैसे, ’और’ कहते हुए वह टोस्ट और जैम की ओर इशारा करेगी, मेरे पति ने हाल ही में उसकी गुल्लक में डालने के लिए उसे कुछ सिक्के दिए तो उसने हाथ फैला कर उनसे कहा ’और’। एक प्रातः जब मेरे पति काम के लिए निकले तो वो पीछे से पुकारने लगी ’और पापा’।

   जैसे मेरी वह छोटी बेटी करती है वैसे ही हम व्यसक भी प्रायः अपने चारों ओर की वस्तुओं या किसी अन्य के पास की चीज़ों को देखकर कहते रहते हैं, ’और’; दुर्भाग्यवश हमारे लिए पर्याप्त कभी पर्याप्त नहीं होता, हमें भी हर चीज़ अधिक, और अधिक ही चाहिए होती है। सांसारिक बातों की इस लालसा और लालच की मनसा से बच पाने की सामर्थ केवल प्रभु यीशु में होकर ही हमें मिल सकती है। जैसा प्रेरित पौलुस ने अपने अनुभव के आधार पर कहा, "यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं" (फिलिप्पियों 4:11) वैसे ही हमारे लिए भी यही सामर्थ पौलुस के समान ही उप्लब्ध है।

   जब पौलुस कहता है कि "मैं ने यह सीखा है" तो इससे मैं समझती हूँ कि पौलुस के लिए परिस्थितियाँ सरल अथवा सहज नहीं थी। हम जानते हैं कि उसे अपने मसीही विश्वास के जीवन में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा; यह सन्तोष करना सीखने के लिए उसे अभ्यास आवश्यक था। जब हम पौलुस के जीवन को परमेश्वर के वचन बाइबल में देखते हैं तो पाते हैं कि उसके जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव आए; वह कठिनाईयों में रहा, सांप से भी डसा गया, झूठे आरोपों का शिकार हुआ, मारा-पीटा भी गया, तिरस्कृत भी हुआ इत्यादि लेकिन वह आत्माओं को बचाने और मसीही विश्वासियों की मण्डलियाँ स्थापित करने में लगा ही रहा और इन सब कठिनाईयों में कहता रहा कि उसकी आत्मा की तृप्ति का स्त्रोत प्रभु यीशु ही है। उसने प्रभु यीशु के सन्दर्भ में कहा, "जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं" (फिलिप्पियों 4:13)। प्रभु यीशु ने उसे वह आत्मिक बल दिया था जो उसे कठिनाईयों के समयों में संभालता था और बहुतायत तथा समृद्धि के समयों के फंदों से बच कर निकलना भी सिखाता था।

   यदि आप भी अपने जीवन में ’और’, ’और’, ’और’ की लालसा को कार्य करते हुए पाते हैं तो पौलुस के उदाहरण पर ध्यान कीजिए और स्मरण रखिए कि वास्तविक सन्तुष्टि प्रभु यीशु में अधिकाई से बने रहने में ही है ना कि सांसारिक वस्तुओं की बहुतायत के होने से। - जेनिफर बेनसन शुल्ट


सच्ची सन्तुष्टि इस नश्वर संसार की किसी वस्तु भी वस्तु पर निर्भर ना रहने में है।

और उस[प्रभु यीशु]ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता। - लूका 12:15

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:10-20
Philippians 4:10 मैं प्रभु में बहुत आनन्‍दित हूं कि अब इतने दिनों के बाद तुम्हारा विचार मेरे विषय में फिर जागृत हुआ है; निश्‍चय तुम्हें आरम्भ में भी इस का विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला। 
Philippians 4:11 यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं। 
Philippians 4:12 मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। 
Philippians 4:13 जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं। 
Philippians 4:14 तौभी तुम ने भला किया, कि मेरे क्‍लेश में मेरे सहभागी हुए। 
Philippians 4:15 और हे फिलप्‍पियो, तुम आप भी जानते हो, कि सुसमाचार प्रचार के आरम्भ में जब मैं ने मकिदुनिया से कूच किया तब तुम्हें छोड़ और किसी मण्‍डली ने लेने देने के विषय में मेरी सहयता नहीं की। 
Philippians 4:16 इसी प्रकार जब मैं थिस्सलुनीके में था; तब भी तुम ने मेरी घटी पूरी करने के लिये एक बार क्या वरन दो बार कुछ भेजा था। 
Philippians 4:17 यह नहीं कि मैं दान चाहता हूं परन्तु मैं ऐसा फल चाहता हूं, जो तुम्हारे लाभ के लिये बढ़ता जाए। 
Philippians 4:18 मेरे पास सब कुछ है, वरन बहुतायत से भी है: जो वस्तुएं तुम ने इपफ्रुदीतुस के हाथ से भेजी थीं उन्हें पाकर मैं तृप्‍त हो गया हूं, वह तो सुगन्‍ध और ग्रहण करने के योग्य बलिदान है, जो परमेश्वर को भाता है। 
Philippians 4:19 और मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा। 
Philippians 4:20 हमारे परमेश्वर और पिता की महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 34-36


शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

बहुतायत का जीवन


   चीनी नव वर्ष का उत्सव मनाते समय पारस्परिक संपर्क में कुछ विशेष शब्दों का लिखित एवं मौखिक प्रयोग करना पारंपरिक है। ऐसा ही एक शब्द जो बहुत प्रयोग होता है वह है ’बहुतायत’ और इसे दूसरों को आते संपूर्ण वर्ष भर भौतिक समृद्धि मिलते रहने की कामना करने के भाव के साथ प्रयोग किया जाता है।

   जब मूसा इस्त्राएलियों को मिस्त्र की गुलामी से निकालकर वाचा किए हुए कनान देश को लेकर चला तो उस देश में उनके प्रवेश करने से पहले मूसा ने इस्त्राएलियों को स्मरण दिलाया कि परमेश्वर उन्हें एक धनी और समृद्ध देश में लिए जा रहा है (व्यवस्थाविवरण 8:7-9)। मूसा ने उन्हें बताया कि उस देश में उनकी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बहुतायत से उपलब्ध होगा, जो भी उन्हें चाहिए वह वहाँ होगा। लेकिन साथ ही मूसा ने इस्त्राएलियों को चेतावनी भी दी कि इस समृद्धी में आने और सभी आवश्यकताओं के पूरे हो जाने के बाद वे परमेश्वर को भूल ना जाएं, क्योंकि परमेश्वर ही है जो उन्हें मिस्त्र से निकाल कर लाया, मार्ग में उनकी रक्षा करी, इस बहुतायत के देश तक पहुँचाया और यहाँ बस जाने की सामर्थ दी। मूसा ने कहा: "परन्तु तू अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण रखना, क्योंकि वही है जो तुझे सम्पति प्राप्त करने का सामर्थ्य इसलिये देता है, कि जो वाचा उसने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर बान्धी थी उसको पूरा करे, जैसा आज प्रगट है"(व्यवस्थाविवरण 8:18)।

   समृद्धि केवल भौतिक वस्तुओं ही की नहीं होती - जो कुछ भी हमारे पास है वह सब परमेश्वर का ही दिया हुआ तो है। प्रभु यीशु मसीह ने चेलों से कहा, "...मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं" (यूहन्ना 10:10)। जैसे उन इस्त्राएलियों के लिए, आज हमारे लिए भी यही चेतावनी है कि हम यह कभी ना भूलें कि हमारे पास जो कुछ भी है वह परमेश्वर के अनुग्रह और उसकी आशीष से ही है। जब तक हम और हमारे जीवन परमेश्वर प्रभु यीशु के साथ जुड़े रहेंगे, वे संतुष्टि के और परमेश्वर की आशीषों की बहुतायत से भरे हुए जीवन होंगे। - सी० पी० हिया


परमेश्वर के उपहारों की बहुतायत में कभी उस अनुग्रह से देने वाले को भूल ना जाएं।

क्योंकि उस की परिपूर्णता से हम सब ने प्राप्त किया अर्थात अनुग्रह पर अनुग्रह। - यूहन्ना 1:16 

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 8:7-18
Deuteronomy 8:7 क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे एक उत्तम देश में लिये जा रहा है, जो जल की नदियों का, और तराइयों और पहाड़ों से निकले हुए गहिरे गहिरे सोतों का देश है। 
Deuteronomy 8:8 फिर वह गेहूं, जौ, दाखलताओं, अंजीरों, और अनारों का देश है; और तेलवाली जलपाई और मधु का भी देश है। 
Deuteronomy 8:9 उस देश में अन्न की महंगी न होगी, और न उस में तुझे किसी पदार्थ की घटी होगी; वहां के पत्थर लोहे के हैं, और वहां के पहाड़ों में से तू तांबा खोदकर निकाल सकेगा। 
Deuteronomy 8:10 और तू पेट भर खाएगा, और उस उत्तम देश के कारण जो तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देगा उसका धन्य मानेगा। 
Deuteronomy 8:11 इसलिये सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर उसकी जो जो आज्ञा, नियम, और विधि, मैं आज तुझे सुनाता हूं उनका मानना छोड़ दे; 
Deuteronomy 8:12 ऐसा न हो कि जब तू खाकर तृप्त हो, और अच्छे अच्छे घर बनाकर उन में रहने लगे, 
Deuteronomy 8:13 और तेरी गाय-बैलों और भेड़-बकरियों की बढ़ती हो, और तेरा सोना, चांदी, और तेरा सब प्रकार का धन बढ़ जाए, 
Deuteronomy 8:14 तब तेरे मन में अहंकार समा जाए, और तू अपने परमेश्वर यहोवा को भूल जाए, जो तुझ को दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल लाया है, 
Deuteronomy 8:15 और उस बड़े और भयानक जंगल में से ले आया है, जहां तेज विष वाले सर्प और बिच्छू हैं, और जलरहित सूखे देश में उसने तेरे लिये चकमक की चट्ठान से जल निकाला, 
Deuteronomy 8:16 और तुझे जंगल में मन्ना खिलाया, जिसे तुम्हारे पुरखा जानते भी न थे, इसलिये कि वह तुझे नम्र बनाए, और तेरी परीक्षा कर के अन्त में तेरा भला ही करे। 
Deuteronomy 8:17 और कहीं ऐसा न हो कि तू सोचने लगे, कि यह सम्पत्ति मेरे ही सामर्थ्य और मेरे ही भुजबल से मुझे प्राप्त हुई। 
Deuteronomy 8:18 परन्तु तू अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण रखना, क्योंकि वही है जो तुझे सम्पति प्राप्त करने का सामर्थ्य इसलिये देता है, कि जो वाचा उसने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर बान्धी थी उसको पूरा करे, जैसा आज प्रगट है।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 11-13


सोमवार, 29 जुलाई 2013

भरपूरी का जीवन

   दार्शनिक चिन्तन करते हैं "भरपूरी का जीवन क्या है और यह कहाँ मिलता है?" जब कभी मैं यह प्रश्न सुनता हूँ, मुझे अपना मित्र रॉय का स्मरण हो आता है। रॉय एक शान्त, नम्र, सुशील व्यक्ति था जो कभी प्रतिष्ठा या सम्मान पाने की लालसा नहीं रखता था। उसे अपनी दैनिक आवश्यकताओं की भी कोई चिन्ता नहीं रहती थी, उसने यह चिन्ता अपने स्वर्गीय परमेश्वर पिता के हाथों में छोड़ी हुई थी। उसे बस एक ही बात की चिन्ता थी - अपने स्वर्गीय परमेश्वर पिता की इच्छा को पूरा करते रहना। उसका दृष्टीकोण स्वर्गीय था और उसे देख कर मुझे सदा स्मरण आता था कि इस पृथ्वी पर हम केवल यात्री ही तो हैं।

   रॉय पिछले पतझड़ में संसार से जाता रहा। उसकी यादगार में रखी गई सभा में बहुत से मित्रों ने अपने जीवन पर उसके जीवन से पड़े प्रभाव के बारे में बताया। बहुत से लोग उसकी दयालुता, निस्वार्थ दान, नम्रता और विनम्र अनुकंपा के बारे में बोले। वह सब के लिए परमेश्वर के निस्वार्थ प्रेम का सजीव उदाहरण था। उस सभा के बाद रॉय का बेटा उसके रहने के स्थान एक वृद्ध-आश्रम पर गया कि अपने पिता की सांसारिक संपत्ति को ले और वह स्थान खाली करके आश्रम को वापस लौटा दे; उसे वहाँ मिले बस दो जोड़ी जूते, कुछ शर्ट और पैन्ट और कुछ छोटा-मोटा सामान। वह यह सब एक स्थानीय धर्मार्थ कार्य करने वाले संगठन को सौंप कर आ गया।

   जैसा कुछ लोगों के अनुसार एक भरपूर जीवन होता है, वैसा जीवन रॉय के पास कभी नहीं था, लेकिन उसका जीवन परमेश्वर के प्रति भले कार्यों से भरा हुआ था। जॉर्ज मैकडौन्लड ने लिखा था, "कौन है जो स्वर्ग और पृथ्वी का स्वामी है; वह जिसके पास हज़ार बंगले हैं या वह जिसके पास एक भी रहने का ऐसा स्थान नहीं जिसका वह मालिक हो किंतु ऐसे दस स्थान हों जहाँ जाकर यदि वह द्वार खटखटकाए तो वहाँ तुरंत उल्लास की लहर दौड़ जाए?"

   रॉय के पास सांसारिक संपत्ति तो नहीं थी, लेकिन बेशक रॉय का जीवन भरपूरी का जीवन था और इस का राज़ था परमेश्वर के साथ उसका संबंध जिसने उसके दृष्टिकोण को सांसारिक नहीं स्वर्गीय बना दिया था। परमेश्वर के साथ उसके ऐसे संबंध के कारण ही संसार तथा संसार के लोगों के साथ उसका हर संबंध विलक्षण था, प्रेरित करने वाला था, सकारात्मक था। क्योंकि उसका जीवन परमेश्वर को प्रशंसा देता था, परमेश्वर ने उसे संसार में प्रशंसनीय बना दिया था। जितना वह हर बात के लिए परमेश्वर की ओर देखता रहता था, परमेश्वर ने उतना ही लोगों को उसकी ओर देखने वाला बना दिया।

   रॉय का जीवन उदाहरण है उस भरपूरी का जो परमेश्वर को अपने जीवन में प्रथम स्थान देने से आती है। - डेविड रोपर


परमेश्वर को जाने बिना भरपूरी का जीवन जान पाना संभव नहीं।

और अब, हे इस्राएल, तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से इसके सिवाय और क्या चाहता है, कि तू अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और उसके सारे मार्गों पर चले, उस से प्रेम रखे, और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करे - व्यवस्थाविवरण 10:12

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों 3:1-11
Colossians 3:1 सो जब तुम मसीह के साथ जिलाए गए, तो स्‍वर्गीय वस्‍तुओं की खोज में रहो, जहां मसीह वर्तमान है और परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है।
Colossians 3:2 पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्‍वर्गीय वस्‍तुओं पर ध्यान लगाओ।
Colossians 3:3 क्योंकि तुम तो मर गए, और तुम्हारा जीवन मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है।
Colossians 3:4 जब मसीह जो हमारा जीवन है, प्रगट होगा, तब तुम भी उसके साथ महिमा सहित प्रगट किए जाओगे।
Colossians 3:5 इसलिये अपने उन अंगो को मार डालो, जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्‍कामना, बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्ति पूजा के बराबर है।
Colossians 3:6 इन ही के कारण परमेश्वर का प्रकोप आज्ञा न मानने वालों पर पड़ता है।
Colossians 3:7 और तुम भी, जब इन बुराइयों में जीवन बिताते थे, तो इन्‍हीं के अनुसार चलते थे।
Colossians 3:8 पर अब तुम भी इन सब को अर्थात क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्‍दा, और मुंह से गालियां बकना ये सब बातें छोड़ दो।
Colossians 3:9 एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्योंकि तुम ने पुराने मनुष्यत्‍व को उसके कामों समेत उतार डाला है।
Colossians 3:10 और नए मनुष्यत्‍व को पहिन लिया है जो अपने सृजनहार के स्‍वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिये नया बनता जाता है।
Colossians 3:11 उस में न तो यूनानी रहा, न यहूदी, न खतना, न खतनारिहत, न जंगली, न स्‍कूती, न दास और न स्‍वतंत्र: केवल मसीह सब कुछ और सब में है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 49-50 
  • रोमियों 1