दार्शनिक चिन्तन करते हैं "भरपूरी का जीवन क्या है और यह कहाँ मिलता है?" जब कभी मैं यह प्रश्न सुनता हूँ, मुझे अपना मित्र रॉय का स्मरण हो आता है। रॉय एक शान्त, नम्र, सुशील व्यक्ति था जो कभी प्रतिष्ठा या सम्मान पाने की लालसा नहीं रखता था। उसे अपनी दैनिक आवश्यकताओं की भी कोई चिन्ता नहीं रहती थी, उसने यह चिन्ता अपने स्वर्गीय परमेश्वर पिता के हाथों में छोड़ी हुई थी। उसे बस एक ही बात की चिन्ता थी - अपने स्वर्गीय परमेश्वर पिता की इच्छा को पूरा करते रहना। उसका दृष्टीकोण स्वर्गीय था और उसे देख कर मुझे सदा स्मरण आता था कि इस पृथ्वी पर हम केवल यात्री ही तो हैं।
रॉय पिछले पतझड़ में संसार से जाता रहा। उसकी यादगार में रखी गई सभा में बहुत से मित्रों ने अपने जीवन पर उसके जीवन से पड़े प्रभाव के बारे में बताया। बहुत से लोग उसकी दयालुता, निस्वार्थ दान, नम्रता और विनम्र अनुकंपा के बारे में बोले। वह सब के लिए परमेश्वर के निस्वार्थ प्रेम का सजीव उदाहरण था। उस सभा के बाद रॉय का बेटा उसके रहने के स्थान एक वृद्ध-आश्रम पर गया कि अपने पिता की सांसारिक संपत्ति को ले और वह स्थान खाली करके आश्रम को वापस लौटा दे; उसे वहाँ मिले बस दो जोड़ी जूते, कुछ शर्ट और पैन्ट और कुछ छोटा-मोटा सामान। वह यह सब एक स्थानीय धर्मार्थ कार्य करने वाले संगठन को सौंप कर आ गया।
जैसा कुछ लोगों के अनुसार एक भरपूर जीवन होता है, वैसा जीवन रॉय के पास कभी नहीं था, लेकिन उसका जीवन परमेश्वर के प्रति भले कार्यों से भरा हुआ था। जॉर्ज मैकडौन्लड ने लिखा था, "कौन है जो स्वर्ग और पृथ्वी का स्वामी है; वह जिसके पास हज़ार बंगले हैं या वह जिसके पास एक भी रहने का ऐसा स्थान नहीं जिसका वह मालिक हो किंतु ऐसे दस स्थान हों जहाँ जाकर यदि वह द्वार खटखटकाए तो वहाँ तुरंत उल्लास की लहर दौड़ जाए?"
रॉय के पास सांसारिक संपत्ति तो नहीं थी, लेकिन बेशक रॉय का जीवन भरपूरी का जीवन था और इस का राज़ था परमेश्वर के साथ उसका संबंध जिसने उसके दृष्टिकोण को सांसारिक नहीं स्वर्गीय बना दिया था। परमेश्वर के साथ उसके ऐसे संबंध के कारण ही संसार तथा संसार के लोगों के साथ उसका हर संबंध विलक्षण था, प्रेरित करने वाला था, सकारात्मक था। क्योंकि उसका जीवन परमेश्वर को प्रशंसा देता था, परमेश्वर ने उसे संसार में प्रशंसनीय बना दिया था। जितना वह हर बात के लिए परमेश्वर की ओर देखता रहता था, परमेश्वर ने उतना ही लोगों को उसकी ओर देखने वाला बना दिया।
रॉय का जीवन उदाहरण है उस भरपूरी का जो परमेश्वर को अपने जीवन में प्रथम स्थान देने से आती है। - डेविड रोपर
परमेश्वर को जाने बिना भरपूरी का जीवन जान पाना संभव नहीं।
और अब, हे इस्राएल, तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से इसके सिवाय और क्या चाहता है, कि तू अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और उसके सारे मार्गों पर चले, उस से प्रेम रखे, और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करे - व्यवस्थाविवरण 10:12
बाइबल पाठ: कुलुस्सियों 3:1-11
Colossians 3:1 सो जब तुम मसीह के साथ जिलाए गए, तो स्वर्गीय वस्तुओं की खोज में रहो, जहां मसीह वर्तमान है और परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है।
Colossians 3:2 पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्वर्गीय वस्तुओं पर ध्यान लगाओ।
Colossians 3:3 क्योंकि तुम तो मर गए, और तुम्हारा जीवन मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है।
Colossians 3:4 जब मसीह जो हमारा जीवन है, प्रगट होगा, तब तुम भी उसके साथ महिमा सहित प्रगट किए जाओगे।
Colossians 3:5 इसलिये अपने उन अंगो को मार डालो, जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्कामना, बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्ति पूजा के बराबर है।
Colossians 3:6 इन ही के कारण परमेश्वर का प्रकोप आज्ञा न मानने वालों पर पड़ता है।
Colossians 3:7 और तुम भी, जब इन बुराइयों में जीवन बिताते थे, तो इन्हीं के अनुसार चलते थे।
Colossians 3:8 पर अब तुम भी इन सब को अर्थात क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्दा, और मुंह से गालियां बकना ये सब बातें छोड़ दो।
Colossians 3:9 एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्योंकि तुम ने पुराने मनुष्यत्व को उसके कामों समेत उतार डाला है।
Colossians 3:10 और नए मनुष्यत्व को पहिन लिया है जो अपने सृजनहार के स्वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिये नया बनता जाता है।
Colossians 3:11 उस में न तो यूनानी रहा, न यहूदी, न खतना, न खतनारिहत, न जंगली, न स्कूती, न दास और न स्वतंत्र: केवल मसीह सब कुछ और सब में है।
एक साल में बाइबल:
- भजन 49-50
- रोमियों 1
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