मानव शरीर का सबसे शक्तिशाली अंग कौन सा है? कुछ का कहना है कि वह जीभ है। यह देखने में छोटी अवश्य है, परन्तु यह बहुत अधिक हानि पहुँचाने की क्षमता रखती है। जीभ माँसपेशियों से बना एक छोटा सा अंग है, जिसकी सहायता से हम खाते हैं, निगलते हैं, स्वाद लेते हैं, और पाचन क्रिया का आरंभ करते हैं। इसी की सहायता से हम बोलते भी हैं, और इसी से वह भी कह देते हैं जो नहीं कहना चाहिए। जीभ से ही चापलूसी, श्राप देना, झूठ बोलना, डींग मारना, और दूसरों को हानि पहुँचाना होता है; और यह तो जीभ के कार्यों की एक छोटी सी सूची है।
यह बहुत ही खतरनाक अंग प्रतीत होता है; है न? लेकिन भली बात यह है कि ऐसा होना ज़रूरी भी नहीं है। जब हम अपना नियंत्रण परमेश्वर के पवित्र आत्मा के हाथों में समर्पित कर देते हैं तो वह हमारी जीभ को भी भले के लिए प्रयुकत कर सकता है। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि ऐसे समर्पित व्यक्ति अपने जीभ से परमेश्वर की धार्मिकता (भजन 35:28) तथा न्याय (भजन 37:30) के बारे में बता सकते हैं। परमेश्वर को समर्पित लोग, अपनी जीभ से सच बोलने वाले बन सकते हैं (भजन 15:2), प्रेम प्रदर्शित कर सकते हैं (1 यूहन्ना 3:18), और अपने पापों का अंगीकार (1 यूहन्ना 1:9) कर सकते हैं।
बाइबल में नीतिवचन का लेखक जीभ द्वारा होने वाली बातों में से एक अति उत्तम बात के विषय लिखता है: "ऐसे लोग हैं जिनका बिना सोच विचार का बोलना तलवार की नाईं चुभता है, परन्तु बुद्धिमान के बोलने से लोग चंगे होते हैं" (नीतिवचन 12:18)। ज़रा विचार करें, यदि हम अपनी जीभ का प्रयोग बुद्धिमानी से करें, दूसरों की हानि के लिए नहीं वरन उनकी चंगाई के लिए करें तो जिस परमेश्वर ने हमें और हमारी जीभ को बनाया है, हम उसकी कितनी महिमा और बड़ाई करने पाएंगे। - डेव ब्रैनन
इस कारण एक दूसरे को शान्ति दो, और एक दूसरे की उन्नति के कारण बनो,
निदान, तुम ऐसा करते भी हो। - 1 थिस्सलुनीकियों 5:11
धर्मी अपने मुंह से बुद्धि की बातें करता, और न्याय का वचन कहता है। - भजन 37:30
बाइबल पाठ: याकूब 3:5-12
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है।
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है।
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं।
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है।
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं।
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं।
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए।
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।
एक साल में बाइबल:
- नहेम्याह 7-9
- प्रेरितों 3
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