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शनिवार, 12 जनवरी 2013

पृष्ठभूमि में कार्यरत


   हाल ही में मैं एक प्रसिद्ध मसीही महिला संगीतज्ञ की श्रद्धांजलि सभा में गया। उसकी श्रद्धांजलि में उसके जीवन और कार्यों से संबंधित कई वीडीयो तथा ऑडियो रिकॉर्डिंग्स के छोटे भाग, तसवीरें, संगीत वाद्य बजाने वाले एवं वक्ता सम्मिलित थे। सभा के बाद मैं लोगों के बाहर जाने तक रुका और फिर पृष्ठभूमि में रहे उन लोगों को धन्यवाद देने गया जिनकी मेहनत से यह सारा मर्मस्पर्शी कार्यक्रम सुचारू रूप से चलाया जा सका तथा संपन्न हो सका। मैंने उन से कहा, "आप लोग प्रत्यक्ष नहीं थे, किसी ने आपको देखा नहीं लेकिन यह सब आपकी मेहनत से ही संभव हो सका।" उन्होंने उत्तर दिया हम इसी रीति से कार्य करना पसन्द करते हैं।

   परमेश्वर के वचन में मत्ती ६ में प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे दान दें (पद१-४), प्रार्थना करें (पद ५-६) और उपवास भी रखें (पद १६-१८), लोगों से प्रशंसा पाने के लिए नहीं वरन परमेश्वर को प्रसन्न करने के उद्देश्य से गुप्त में करें। तब परमेश्वर जो सब कुछ देखता है उन्हें खुले में प्रतिफल देगा: "ताकि तेरा दान गुप्‍त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा" (मत्ती ६:४); "परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा" (मत्ती ६:६); "ताकि लोग नहीं परन्तु तेरा पिता जो गुप्‍त में है, तुझे उपवासी जाने; इस दशा में तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा" (मत्ती ६:१८)।

   हम सब के अंदर ऐसा कुछ है जो हमारी अच्छी बातों के लिए हमारे अंदर लोगों द्वारा पहचाने जाने और प्रशंसित होने की लालसा जगाता है। स्वाभाविक रूप से किसी से प्रोत्साहन पाने और सराहे जाने में कोई बुराई नहीं है, किंतु प्रशंसा और मान्यता पाने की लालसा रख कर सेवकाई करना हमारी सेवकाई को नष्ट कर सकता है क्योंकि इस से हमारा ध्यान दूसरों की आवश्यकताओं पर नहीं अपने आप पर ही केंद्रित हो जाता है और हम दूसरों के लिए नहीं वरन अपने लिए ही कार्य करने लगते हैं। जब सार्वजनिक रूप से धनयवाद नहीं मिले तो हम उपेक्षित अनुभव कर सकते हैं, किंतु पृष्ठभूमि में रहते हुए भी जब हम परमेश्वर की सेवकाई में लगे रहते हैं, तो वह ना केवल इसका ध्यान रखता है वरन सार्वजनिक रूप से इसका प्रतिफल भी अवश्य देता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


बेहतर है कि बिना प्राप्त किए ही मान्यता अर्जित करते रहें, ना कि बिना अर्जित किए ही मान्यता प्राप्त करने की चाह रखें।

परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। - मत्ती ६:६

बाइबल पाठ: मत्ती ६:१-६, १६-१८
Matt 6:1  सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्‍वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे।
Matt 6:2  इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके।
Matt 6:3  परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए।
Matt 6:4 ताकि तेरा दान गुप्‍त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
Matt 6:5  और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े हो कर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।
Matt 6:6  परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
Matt 6:16  जब तुम उपवास करो, तो कपटियों की नाईं तुम्हारे मुंह पर उदासी न छाई रहे, क्योंकि वे अपना मुंह बनाए रहते हैं, ताकि लोग उन्हें उपवासी जानें; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।
Matt 6:17  परन्तु जब तू उपवास करे तो अपने सिर पर तेल मल और मुंह धो।
Matt 6:18  ताकि लोग नहीं परन्तु तेरा पिता जो गुप्‍त में है, तुझे उपवासी जाने; इस दशा में तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति २९-३० 
  • मत्ती ९:१-१७

शुक्रवार, 11 जनवरी 2013

अभी क्यों नहीं?


   मेरा एक प्रीय मित्र है जिसने कई वर्ष तक एक छोटे और अनजाने से देश सुरीनाम में मसीही सेवाकाई करी, परन्तु अपने अन्तिम वर्षों में उसे लकवा मार गया। अपनी इस लकवे की दशा में कई बार उसके मन में विचार आता था कि परमेश्वर क्यों उसे अपने पास बुला नहीं लेता; उसके इस प्रकार निषक्रीय जीवन में लटके रहने का क्या उद्देश्य है? उसकी प्रबल इच्छा रहती थी कि वह शरीर से अलग होकर अपने प्रभु से जा मिले।

   हो सकता है कि आपके लिए या आपके किसी मित्र के लिए जीवन बहुत कठिन अथवा दुखदाई हो और आप भी विचार करते हों कि क्यों परमेश्वर ने आपको या आपके प्रीय जन को ऐसे लटका रखा है? जब प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वह स्वर्ग जाने पर है तो उसके एक चेले पतरस ने प्रश्न किया: "...हे प्रभु, अभी मैं तेरे पीछे क्यों नहीं आ सकता? मैं तो तेरे लिये अपना प्राण दूंगा" (यूहन्ना १३:३७)। पतरस के समान आप भी यह विचार कर सकते हैं कि स्वर्ग में आपका प्रवेश अभी रुका हुआ क्यों हैं तथा प्रश्न कर सकते हैं, "प्रभु, अभी क्यों नहीं?"

   हमें अभी यहीं इस पृथ्वी पर रखने में परमेश्वर के कुछ बुद्धिमता तथा प्रेम से भरे कारण हैं - अभी कुछ कार्य पूरा होना बाकी है जो हमारे द्वारा ही तथा इस पृथ्वी पर ही होना संभव है। हमारे कष्ट जो हमें विचलित करते हैं, उन का भी उद्देश्य है: "क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्‍लेश हमारे लिये बहुत ही महत्‍वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है" (२ कुरिन्थियों ४:१७)। हमारे द्वारा अन्य लोगों के लिए कुछ करना भी शेष है, चाहे वह केवल उनके लिए प्रार्थना करना और उनके प्रति प्रेम दिखाना ही हो। हमारी पृथ्वी पर उपस्थिति कुछ लोगों के लिए मसीही प्रेम, करुणा और जीवन के बारे में सीखने का अवसर एवं उदाहरण भी हो सकता है।

   इसलिए चाहे आप अपने या किसी प्रीय जन के लिए संसार से छुटकारा चाह सकते हैं, लेकिन पृथ्वी पर बने रहना आपके या उस प्रीय जन के लिए आशीश की भरपूरी का कारण हो सकता है (फिलिप्पियों १:२१)। प्रतीक्षा में सांत्वना इसी बात से है कि इसमें परमेश्वर के उद्देश्य हैं; ऐसे उद्देश्य जो ना केवल हमारी वरन कई अन्य लोगों की भलाई के लिए हैं। - डेविड रोपर


हमारी सबसे बड़ी सांत्वना यही है कि परमेश्वर सदैव ही नियंत्रण में है।

...दाऊद तो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार अपने समय में सेवा कर के सो गया; और अपने बाप दादों में जा मिला...। - प्रेरितों १३:३६

बाइबल पाठ: यूहन्ना १३:३३-३८
John 13:33  हे बालकों, मैं और थोड़ी देर तुम्हारे पास हूं: फिर तुम मुझे ढूंढोगे, और जैसा मैं ने यहूदियों से कहा, कि जहां मैं जाता हूं, वहां तुम नहीं आ सकते वैसा ही मैं अब तुम से भी कहता हूं।
John 13:34  मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दुसरे से प्रेम रखो।
John 13:35  यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो।
John 13:36  शमौन पतरस ने उस से कहा, हे प्रभु, तू कहां जाता है? यीशु ने उत्तर दिया, कि जहां मैं जाता हूं, वहां तू अब मेरे पीछे आ नहीं सकता! परन्तु इस के बाद मेरे पीछे आएगा।
John 13:37  पतरस ने उस से कहा, हे प्रभु, अभी मैं तेरे पीछे क्यों नहीं आ सकता? मैं तो तेरे लिये अपना प्राण दूंगा।
John 13:38  यीशु ने उत्तर दिया, क्या तू मेरे लिये अपना प्राण देगा? मैं तुझ से सच सच कहता हूं कि मुर्ग बांग न देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति २७-२८ 
  • मत्ती ८:१८-३४

गुरुवार, 10 जनवरी 2013

आज्ञाकारिता


   मेरी जानकारों में से सबसे तीव्र तथा चतुर व्यक्तियों में से एक वह है जो कॉलेज के दिनों से मेरा मित्र रहा है। एक राज्य विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करते हुए वह मसीही विश्वास में आया, उच्च स्थान के साथ अपनी स्नातक पढ़ाई पूर्ण करी फिर एक सम्मानित बाइबल कॉलेज में जाकर अध्ययन किया। उसके बाद उसने कई वर्षों तक एक छोटे से चर्च के पास्टर का कार्य किया, और फिर एक और छोटे चर्च में जाने का निमंत्रण स्वीकार करके वह अपने मित्रों और परिवार जनों से दूर के उस स्थान पर चला गया। उस चर्च में १२ वर्ष कार्य करने के पश्चात उसे लगा कि उस चर्च मण्डली को अब एक नए नेतृत्व की आवश्यकता है और उसने वहां से अपना त्यागपत्र दे दिया। ऐसा करते समय उसे ना तो किसी बड़े चर्च से कोई नया कार्य मिला था और ना ही किसी बाइबल कॉलेज से अध्यापक होने की कोई नौकरी। वास्तविकता तो यह है कि त्यागपत्र देते समय उसके पास कोई कार्य या नौकरी की प्रस्तावना भी नहीं थी। उसे बस इतना पता था कि परमेश्वर उसे किसी नई दिशा में ले कर जाना चाह रहा है और वह चल निकला।

   जब मैं उससे मिली और हम इस के बारे में चर्चा कर रहे थे तो मेरे उस मित्र ने कहा, "बहुत से लोग किसी कार्य के लिए बुलाए जाने के बारे में बात करते हैं, लेकिन मैंने शायद ही कभी किसी को किसी कार्य से बुलाए जाने के बारे में सुना है।"

बहुत सी बातों में मेरे मित्र की यह आज्ञाकारिता इस्त्राएल के मूल पिता इब्राहिम की आज्ञाकारिता के समान थी जो यह जाने बिना कि कहां जाना है परमेश्वर की बुलाहट पर निकल पड़ा (इब्रानियों ११:८-१०)। उसकी इस विश्वास यात्रा में अकाल, भय और पारिवारिक कलह जैसी बातों ने शक और कठिनाईयाँ तो उत्पन्न करीं किंतु इब्राहिम अपने विश्वास में डटा रहा और उसके इस विश्वास के कारण परमेश्वर ने उसे धर्मी कहा (गलतियों ३:६)।

   परमेश्वर की आज्ञाकारिता का जीवन सहज तो नहीं होता किंतु अनन्त काल के आशीषित अवश्य होता है (लूका ११:२८)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


यदि आप इस बात में निश्चित हैं कि परमेश्वर आपका अगुवा और मार्गदर्शक है तो मार्ग तथा गन्तव्य स्थान के बारे में चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है।

इब्राहीम ने तो परमेश्वर पर विश्वास किया और यह उसके लिये धामिर्कता गिनी गई। - गलतियों ३:६

बाइबल पाठ: इब्रानियों ११:८-१९
Heb 11:8  विश्वास ही से इब्राहीम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे मीरास में लेने वाला था, और यह न जानता था, कि मैं किधर जाता हूं; तौभी निकल गया।
Heb 11:9  विश्वास ही से उसने प्रतिज्ञा किए हुए देश में जैसे पराए देश में परदेशी रह कर इसहाक और याकूब समेत जो उसके साथ उसी प्रतिज्ञा के वारिस थे, तम्बूओं में वास किया।
Heb 11:10  क्योंकि वह उस स्थिर नेव वाले नगर की बाट जोहता था, जिस का रचने वाला और बनाने वाला परमेश्वर है।
Heb 11:11  विश्वास से सारा ने आप बूढ़ी होने पर भी गर्भ धारण करने की सामर्थ पाई; क्योंकि उसने प्रतिज्ञा करने वाले को सच्चा जाना था।
Heb 11:12  इस कारण एक ही जन से जो मरा हुआ सा था, आकाश के तारों और समुद्र के तीर के बालू की नाईं, अनगिनित वंश उत्पन्न हुआ।
Heb 11:13 ये सब विश्वास ही की दशा में मरे; और उन्होंने प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं नहीं पाईं; पर उन्हें दूर से देखकर आनन्‍दित हुए और मान लिया, कि हम पृथ्वी पर परदेशी और बाहरी हैं।
Heb 11:14 जो ऐसी ऐसी बातें कहते हैं, वे प्रगट करते हैं, कि स्‍वदेश की खोज में हैं।
Heb 11:15  और जिस देश से वे निकल आए थे, यदि उस की सुधि करते तो उन्हें लौट जाने का अवसर था।
Heb 11:16 पर वे एक उत्तम अर्थात स्‍वर्गीय देश के अभिलाषी हैं, इसी लिये परमेश्वर उन का परमेश्वर कहलाने में उन से नहीं लजाता, सो उसने उन के लिये एक नगर तैयार किया है।
Heb 11:17  विश्वास ही से इब्राहीम ने, परखे जाने के समय में, इसहाक को बलिदान चढ़ाया, और जिसने प्रतिज्ञाओं को सच माना था।
Heb 11:18  और जिस से यह कहा गया था, कि इसहाक से तेरा वंश कहलाएगा; वह अपने एकलौते को चढ़ाने लगा।
Heb 11:19 क्योंकि उसने विचार किया, कि परमेश्वर सामर्थी है, कि मरे हुओं में से जिलाए, सो उन्‍हीं में से दृष्‍टान्‍त की रीति पर वह उसे फिर मिला।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति २५-२६ 
  • मत्ती ८:१-१७

बुधवार, 9 जनवरी 2013

सदैव जागृत


   जासूस ऐलैन पिंकरटन १९वीं शताब्धी के मध्य काल में अमेरिका में अनेक ट्रेन डकैतियों को सुलझाने और तत्कालीन राष्ट्रपति लिंकन की हत्या के षड़यंत्र को निष्फल कर देने के कारण प्रसिद्ध हो गए। उनकी जासूसी एजेन्सी अमेरिका में अपनी किस्म की पहली एजेन्सी थी और यह एजेन्सी अपने पहचान चिन्ह - एक खुली हुई आँख और उसके साथ का लिखा हुआ वाक्य ’हम कभी नहीं सोते’ के कारण और भी प्रख्यात हो गई।

   इस बात का आश्वासन होना कि आप सुरक्षित हैं और कोई आपकी रक्षा कर रहा है बहुत शांतिदायक और भला अनुभव होता है। जब घर के दरवाज़े बन्द हों और आस-पास सब शांत हो तब आप बड़े आराम से सो सकते हैं क्योंकि आप सुरक्षित अनुभव करते हैं। परन्तु अनेक लोग अपने बिस्तरों में पड़े जागते रहते हैं, किसी वर्तमान या भविष्य के भयावह विचार अथवा संभावना के कारण। कोई बाहर हो रहे किसी कोलाहल के कारण विचलित और भयभीत होता है तो कोई परिवार में किसी के उग्र अथवा हिंसक व्यवहार से। कोई उपद्रवी या बलवई बच्चों के कारण चिंतित होता है तो कोई बच्चे की बीमारी के कारण। सबको इच्छा होती है कि कोई उन्हें उनकी परिस्थिति में शांति दे, उनकी चिंता और भय का समाधान दे।

   यही वे समय हैं जब हमारा प्रेमी परमेश्वर चाहता है कि हम उसे पुकारें और उसमें शरण लें, क्योंकि वह ना कभी ऊंघता है और ना कभी सोता है (भजन १२१:४), वरन "यहोवा की आंखे धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान भी उसकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं" (भजन ३४:१५)।

   संभव है कि जासूस पिंकरटन की एजेन्सी कभी ना सोने का दावा करने वाले पहली एजेन्सी हो, परन्तु वास्तव में सदैव जागृत रहने वाला और देखभाल करते तथा सुरक्षा देते रहने वाला परमेश्वर ही है। जो उस की सुरक्षा में है वही वास्तव में सुरक्षित है - इस जीवन में भी और इस जीवन के बाद भी। - सिंडी हैस कैस्पर


यदि हम स्मरण रखें कि हमारी सुरक्षा के लिए परमेश्वर सदैव जागृत है तो हम शांति से सो सकते हैं।

धर्मी दोहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उन को सब विपत्तियों से छुड़ाता है। - भजन ३४:१७

बाइबल पाठ: भजन १२१
Ps 121:1  मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी?
Ps 121:2  मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।
Ps 121:3  वह तेरे पांव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा।
Ps 121:4  सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा।
Ps 121:5  यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है।
Ps 121:6  न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी।
Ps 121:7  यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा।
Ps 121:8  यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा।

एक साल में बाइबल: उत्पत्ति २३-२४ मत्ती ७

मंगलवार, 8 जनवरी 2013

शुद्ध विवेक


   पैदल चलकर पूरे संसार की यात्रा करने वाली प्रथम महिला होने की उपलब्धि से मिला आनन्द फेयोना कैम्पबेल के लिए थोड़े ही समय का था। ख्याति और प्रशंसा पाने के बावजूद ऐसा कुछ था जो उसे परेशान करता रहता था और वह उस से इतनी परेशान रहने लगी कि मानसिक असन्तुलन के कगार पर आ गई। आखिर वह क्या था जो उसे इतना परेशान किए हुए था? वह था उसका अपना विवेक!

   अन्ततः फेयोना ने कुबूल किया कि पैदल चल कर सारे संसार की यात्रा करने वाली प्रथम महिला होने का उसका दावा सच्चा नहीं था; उसने बेईमानी की थी। अपनी इस यात्रा के दौरान उसने गिनिस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा इस बारे में दिए गए निर्देषों का उल्लंघन किया था - अपनी यात्रा में एक स्थान पर उसने कुछ दूरी पैदल नहीं वरन एक ट्रक में बैठकर तय करी थी। अपने विवेक को शांत और शुद्ध करने के लिए फेयोना को अपनी यात्रा के प्रयोजकों को अपने इस धोखे से अवगत कराना पड़ा।

   परमेश्वर ने संसार के प्रत्येक जन को एक विवेक दिया है जो गलती करने पर उसे दोषी ठहराता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस रोमियों की अपनी पत्री में लिखता है "...उन के विवेक भी गवाही देते हैं, और उन की चिन्ताएं परस्पर दोष लगाती, या उन्हें निर्दोष ठहराती है" (रोमियों २:१५)। मसीह यीशु के अनुयायियों के लिए, आत्मिक कमज़ोरियों के होते हुए भी सही दिशा में चलते रहने के लिए विवेक की बातों पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। हम मसीही विश्वासियों के लिए पाप का अंगीकार करके उससे पश्चाताप करना और फिर से मसीह यीशु के मार्ग पर लौट आना मसीही विश्वास के जीवन में बढ़ने का एक अभिन्न अंग होना चाहिए (१ यूहन्ना १:९; लैव्यवस्था ६:२-५)।

   प्रेरित पौलुस ने अपने जीवन से विवेक को शुद्ध रखते हुए मसीही जीवन यात्रा में बढ़ने का अच्छा नमूना दिया है: "इस से मैं आप भी यतन करता हूं, कि परमेश्वर की, और मनुष्यों की ओर मेरा विवेक सदा निर्दोष रहे" (प्रेरितों २४:१६)। जब भी उसका विवेक उसे दोषी ठहराता था या उससे कोई गलती होती थी तो अपनी गलतियों के अंगीकार और पश्चाताप करते रहने के द्वारा वह परमेश्वर के सामने अपनी गलतियों की सूची लंबी नहीं होने देता था; इस से उसका विवेक शुद्ध और शांत रहता था और उसका मसीही जीवन तथा परमेश्वर के लिए सेवकाई खरी और प्रभावी।

   क्या आपका विवेक किसी बात के लिए आप को कचोट रहा है? पौलुस के उदाहरण का अनुसरण करें, पापों का अंगीकार और उन से पश्चाताप करें; एक शुद्ध विवेक के साथ जीवन व्यतीत करें। - डेनिस फिशर


यदि परमेश्वर का वचन आप के विवेक का मार्गदर्शक होगा, तो आपका विवेक आपको सदा सही दिशा में ही लेकर जाएगा।

क्योंकि हम अपने विवेक की इस गवाही पर घमण्‍ड करते हैं, कि जगत में और विशेष कर के तुम्हारे बीच हमारा चरित्र परमेश्वर के योग्य ऐसी पवित्रता और सच्चाई सहित था, जो शारीरिक ज्ञान से नहीं, परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह के साथ था। - २ कुरिन्थियों १:१२

बाइबल पाठ: १ यूहन्ना १:१-१०
1John 1:1  उस जीवन के वचन के विषय में जो आदि से था, जिसे हम ने सुना, और जिसे अपनी आंखों से देखा, वरन जिसे हम ने ध्यान से देखा; और हाथों से छूआ।
1John 1:2  (यह जीवन प्रगट हुआ, और हम ने उसे देखा, और उस की गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार देते हैं, जो पिता के साथ था, और हम पर प्रगट हुआ)।
1John 1:3  जो कुछ हम ने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिये कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ, और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है।
1John 1:4  और ये बातें हम इसलिये लिखते हैं, कि हमारा आनन्द पूरा हो जाए।
1John 1:5  जो समाचार हम ने उस से सुना, और तुम्हें सुनाते हैं, वह यह है; कि परमेश्वर ज्योति है: और उस में कुछ भी अन्धकार नहीं।
1John 1:6  यदि हम कहें, कि उसके साथ हमारी सहभागिता है, और फिर अन्धकार में चलें, तो हम झूठे हैं: और सत्य पर नहीं चलते।
1John 1:7  पर यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं; और उसके पुत्र यीशु का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है।
1John 1:8  यदि हम कहें, कि हम में कुछ भी पाप नहीं, तो अपने आप को धोखा देते हैं: और हम में सत्य नहीं।
1John 1:9  यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।
1John 1:10  यदि कहें कि हम ने पाप नहीं किया, तो उसे झूठा ठहराते हैं, और उसका वचन हम में नहीं है।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति २०-२२ 
  • मत्ती ६:१९-३४

सोमवार, 7 जनवरी 2013

अद्भुत प्रेमी


   मैंने एक स्त्री की वेब साईट पर लिखा हुआ पढ़ा: "मैं केवल प्रेम चाहती हूँ - और यह कि प्रेम करने वाला अद्भुत होना चाहिए।" क्या हम सभी यही नहीं चाहते - कि कोई हमसे प्रेम करे, हमारी परवाह तथा देखभाल करे? और यदि वह प्रेम करने वाला अद्भुत हो तो यह सबसे उत्तम होगा।

   केवल एक ही है जो इस वर्णन पर खरा उतरता है - प्रभु यीशु। उसके बारे में संक्षिपत में ही देखिए: वह अपने पिता के पास से स्वर्गीय महिमा और आदर-सम्मान को छोडकर एक असहाय शिशु के रूप में संसार में आ गया (लूका २)। एक गरीब घर में उसका पालन-पोषण हुआ, उसने एक निष्पाप जीवन जीया और अपने आप को हमारे संति परमेश्वर पिता के सामने क्रूस पर बलिदान कर दिया (यूहन्ना १९:१७-३०)। क्रूस की वह अत्यन्त दुखदायी और निन्दनीय मृत्यु उसने हमारे पापों के कारण स्वीकार करी: "परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा" (रोमियों ५:८); उसने हमारे पाप अपने ऊपर ले लिए और अपनी धार्मिकता हमें दे दी। मृत्यु के तीसरे दीन वह मृतकों में से जी उठा (मत्ती २८:१-८) और प्रमाणित कर दिया कि वह परमेश्वर का पुत्र और जगत का उद्धारकर्ता है।

   आज जब हम अपने पापों से पश्चाताप कर के प्रभु यीशु के अद्भुत प्रेम की भेंट को स्वीकार करते हैं तो वह हमारा उद्धारकर्ता (यूहन्ना १:१२; रोमियों ५:९), हमारा प्रभु (यूहन्ना १३:१४), हमारा शिक्षक (मत्ती २३:८) और हमारा मित्र (यूहन्ना १५:१४) बन जाता है। "देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी..." (१ यूहन्ना ३:१)।

   किसी अद्भुत प्रेमी को ढूँढ रहे हैं? प्रभु यीशु को परख कर देखिए; उसके समान प्रेम तथा अनुग्रह करने वाला और उसके व्यक्तित्व के समान कोई और नहीं है। केवल वही अद्भुत प्रेमी है। - ऐनी सेटास


सबसे बड़ा आश्चर्य - प्रभु यीशु मुझ जैसे से भी प्रेम करता है!

देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी: इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना। - १ यूहन्ना ३:१

बाइबल पाठ: रोमियों ५:६-११
Rom 5:6  क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा।
Rom 5:7  किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे।
Rom 5:8  परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
Rom 5:9  सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे?
Rom 5:10  क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे?
Rom 5:11  और केवल यही नहीं, परन्तु हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जिस के द्वारा हमारा मेल हुआ है, परमेश्वर के विषय में घमण्ड भी करते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति १८-१९ 
  • मत्ती ६:१-१८

रविवार, 6 जनवरी 2013

शामिल


   दक्षिणी फ्लोरिडा में स्थित नोरेना का घर एक भयानक तूफान से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। घर के बीमे से मिले पैसे के प्राप्त होने के बाद घर की मरम्मत का कार्य चालू हुआ किंतु जब वह राशि समाप्त हो गई तो मरम्मत करने वाले ठेकेदार ने भी काम अधूरा ही छोड़ दिया और ना ही घर में ठीक से बिजली की व्यवस्था होने पाई। नोरेना १५ वर्ष तक ऐसे ही कठिनाईयों में समय बिताती रही और उसके पड़ौसी भी उसके दुख से बेपरवाह रहे। फिर किसी से खबर मिलने पर नगर का महापौर उसके दुख और परिस्थितियों में शामिल हुआ, एक बिजली कार्य के ठेकेदार से संपर्क किया और नोरेना के घर की बिजली व्यवस्था ठीक करवाई। महापौर के मामले में शामिल होने के कुछ ही घंटों में नोरेना के घर में बिजली आपूर्ति ठीक हो गई।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में युहन्ना रचित सुसमाचार के चौथे अध्याय में हम प्रभु यीशु की एक सामरी स्त्री से वार्ता का वृतांत पाते हैं। यहूदी लोग सामरी लोगों को बहुत नीचा समझते थे और उनसे कोई संपर्क या वार्ता नहीं रखते थे। परन्तु प्रभु यीशु ने उस सामरी स्त्री से वार्ता करी, उसके जीवन में आत्मिक सामर्थ की आवश्यकता के लिए वह उसकी दिनचर्या में शामिल हुआ। इसके लिए प्रभु ने पहले उस से दोनो की एक समान आवश्यकता - पानी को आधार बना कर वार्ता आरंभ करी (पद ७)। फिर प्रभु ने उसके आत्मिक रुचि और कौतहुल को जगाया (पद ९-१४)। इसके बाद उसके जीवन में पाप का विषय संवेदनशील और अनुग्रहकारी रूप में उठाया (पद १६-१९) और बात को मुख्य मुद्दे से भटकने नहीं दिया (पद २१-२४)। फिर उस स्त्री के सामने उसने अपनी वास्तविकता को प्रगट किया - जगत का प्रतीक्षित मसीहा (पद २६)। परिणामस्वरूप स्वयं उस स्त्री ने, फिर उस स्त्री की गवाही से उस सामरी गांव के बहुत से लोगों ने प्रभु यीशु के उद्धारकर्ता होने पर विश्वास किया (पद ३९-४२)।

   प्रभु यीशु उस स्त्री का विश्वास इस लिए जीत पाया क्योंकि वह उसकी परिस्थिति में उसके साथ शामिल हुआ, उसके प्रति आलोचक नहीं वरन संवेदनशील और अनुग्रहकारी रहा। यही वह हम मसीही विश्वासियों से भी चाहता है - कि हम भी लोगों के जीवनों और परिस्थितियों में शामिल हों, उनके प्रति आलोचक और निंदक नहीं वरन संवेदनशील और अनुग्रहकारी हों, और उन्हें आत्मिक सामर्थ के स्त्रोत और मन कि शांति के दाता प्रभु यीशु के बारे में बताएं। - मार्विन विलियम्स


यदि मसीही विश्वास स्वीकार करने के योग्य है तो वह दूसरों के साथ बांटने के योग्य भी है।

और उसको सामरिया से हो कर जाना अवश्य था। - यूहन्ना ४:४

बाइबल पाठ: यूहन्ना ४:७-२६
John 4:7  इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई: यीशु ने उस से कहा, मुझे पानी पिला।
John 4:8  क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे।
John 4:9  उस सामरी स्त्री ने उस से कहा, तू यहूदी हो कर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों मांगता है? (क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते)।
John 4:10  यीशु ने उत्तर दिया, यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है; मुझे पानी पिला तो तू उस से मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता।
John 4:11  स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कूआं गहिरा है: तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहां से आया?
John 4:12  क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिसने हमें यह कूआं दिया; और आप ही अपने सन्तान, और अपने ढोरों समेत उस में से पीया?
John 4:13  यीशु ने उसको उत्तर दिया, कि जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा।
John 4:14  परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।
John 4:15  स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, वह जल मुझे दे ताकि मैं प्यासी न होऊं और न जल भरने को इतनी दूर आऊं।
John 4:16  यीशु ने उस से कहा, जा, अपने पति को यहां बुला ला।
John 4:17  स्त्री ने उत्तर दिया, कि मैं बिना पति की हूं: यीशु ने उस से कहा, तू ठीक कहती है कि मैं बिना पति की हूं।
John 4:18  क्योंकि तू पांच पति कर चुकी है, और जिस के पास तू अब है वह भी तेरा पति नहीं; यह तू ने सच कहा है।
John 4:19  स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, मुझे ज्ञात होता है कि तू भविष्यद्वक्ता है।
John 4:20  हमारे बाप दादों ने इसी पहाड़ पर भजन किया: और तुम कहते हो कि वह जगह जहां भजन करना चाहिए यरूशलेम में है।
John 4:21  यीशु ने उस से कहा, हे नारी, मेरी बात की प्रतीति कर कि वह समय आता है कि तुम न तो इस पहाड़ पर पिता का भजन करोगे न यरूशलेम में।
John 4:22  तुम जिसे नहीं जानते, उसका भजन करते हो; और हम जिसे जानते हैं उसका भजन करते हैं; क्योंकि उद्धार यहूदियों में से है।
John 4:23  परन्तु वह समय आता है, वरन अब भी है जिस में सच्चे भक्त पिता का भजन आत्मा और सच्चाई से करेंगे, क्योंकि पिता अपने लिये ऐसे ही भजन करने वालों को ढूंढ़ता है।
John 4:24  परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसके भजन करने वाले आत्मा और सच्चाई से भजन करें।
John 4:25  स्त्री ने उस से कहा, मैं जानती हूं कि मसीह जो ख्रीस्‍तुस कहलाता है, आने वाला है; जब वह आएगा, तो हमें सब बातें बता देगा।
John 4:26  यीशु ने उस से कहा, मैं जो तुझ से बोल रहा हूं, वही हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति १६-१७ 
  • मत्ती ५:२७-४८