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शनिवार, 19 जनवरी 2013

गिर जाने पर


   लोकप्रीय और प्रसिद्ध व्यक्तियों के द्वारा कोई बुराई करने के समाचार अब इतने आम हो गए हैं कि चाहे हम उन्हें पढ़-सुन कर निराश हों किंतु आश्चर्यचकित नहीं होते। किंतु जब किसी गणमान्य व्यक्ति या किसी मित्र के किसी अनैतिक कार्य अथवा असफलता का हमें पता चलता है तो हमारी प्रतिक्रीया कैसी होनी चाहिए; हमें क्या करना चाहिए?

   सबसे अच्छा तरीका है हम अपने आप को जांचें। लगभग एक शताब्दी पहले, प्रसिद्ध बाइबल शिक्षक ओस्वॉल्ड चैम्बर्स ने लंडन में अपने बाइबल कॉलेज के छात्रों को कहा था: "सदैव इस बात से सचेत रहो कि जहां कोई एक जन गिर गया है, वहीं कोई अन्य भी गिर सकता है, तुम भी! असुरक्षित सामर्थ कमज़ोर पड़ जाने का दोगुना कारण होती है।"

   चैम्बर्स के यह वचन दूसरों के पापों को देखकर स्वयं अपनी कमज़ोरियों के प्रति सचेत होने की परमेश्वर के वचन बाइबल में दी गई प्रेरित पौलुस की शिक्षा पर आधारित हैं। कुरिन्थुस की मण्डली को लिखी अपनी पहली पत्री में इस्त्राएलियों के पूर्वजों की अनाज्ञाकारिता की समीक्षा करने के पश्चात (१ कुरिन्थियों १०:१-५) पौलुस ने अपने पाठकों को सचेत किया कि वे उन बातों से सीखें और उनके से पापों में पड़ने से बचे रहें (पद ६-११)। उसकी शिक्षा का केंद्र बिंदु बीते समय के पाप नहीं वर्तमान समय का अहंकार था जो पाप में पड़ने का कारण बन सकता था, इसलिए पौलुस ने लिखा, "इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे; कि कहीं गिर न पड़े" (१ कुरिन्थियों १०:१२)।

   किसी दूसरे के पाप या कमज़ोरी पर दोषारोपण तथा निराशा में सिर हिलाना तो आम बात है, लेकिन सबसे अधिक लाभदायक वह सिर है जो इस स्वीकृति में हिलता है कि "हाँ! मुझ से भी यही पाप हो सकता है" और फिर परमेश्वर के सामने झुक कर हाथ प्रार्थना में बांध कर कहता है, "प्रभु उस पर दया कर और मुझे भी अपनी दया से इस पाप में पड़ने से बचाए रख।" - डेविड मैक्कैसलैंड


विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है। - नीतिवचन १६:१८

इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे; कि कहीं गिर न पड़े। - १ कुरिन्थियों १०:१२

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों १०:१-१३
1Cor 10:1  हे भाइयों, मैं नहीं चाहता, कि तुम इस बात से अज्ञात रहो, कि हमारे सब बाप दादे बादल के नीचे थे, और सब के सब समुद्र के बीच से पार हो गए।
1Cor 10:2  और सब ने बादल में, और समुद्र में, मूसा का बपितिस्मा लिया।
1Cor 10:3  और सब ने एक ही आत्मिक भोजन किया।
1Cor 10:4  और सब ने एक ही आत्मिक जल पीया, क्योंकि वे उस आत्मिक चट्टान से पीते थे, जो उन के साथ-साथ चलती थी; और वह चट्टान मसीह था।
1Cor 10:5  परन्तु परमेश्वर उन में के बहुतेरों से प्रसन्न न हुआ, इसलिये वे जंगल में ढेर हो गए।
1Cor 10:6 ये बातें हमारे लिये दृष्‍टान्‍त ठहरी, कि जैसे उन्होंने लालच किया, वैसे हम बुरी वस्‍तुओं का लालच न करें।
1Cor 10:7  और न तुम मूरत पूजने वाले बनों; जैसे कि उन में से कितने बन गए थे, जैसा लिखा है, कि लोग खाने-पीने बैठे, और खेलने-कूदने उठे।
1Cor 10:8  और न हम व्यभिचार करें; जैसा उन में से कितनों ने किया: एक दिन में तेईस हजार मर गये ।
1Cor 10:9  और न हम प्रभु को परखें; जैसा उन में से कितनों ने किया, और सांपों के द्वारा नाश किए गए।
1Cor 10:10  और न हम कुड़कुड़ाएं, जिस रीति से उन में से कितने कुड़कुड़ाए, और नाश करने वाले के द्वारा नाश किए गए।
1Cor 10:11 परन्तु यें सब बातें, जो उन पर पड़ी, दृष्‍टान्‍त की रीति पर भी: और वे हमारी चितावनी के लिये जो जगत के अन्‍तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं।
1Cor 10:12  इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे; कि कहीं गिर न पड़े।
1Cor 10:13  तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ४६-४८ 
  • मत्ती १३:१-३०

शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

खुली किताब


   मैं पेशे से एक लेखक हूँ और कभी न कभी कोई मित्र या जानकार मुझसे कहता रहता है कि "किसी दिन मैं भी एक पुस्तक लिखुँगा।" मेरा उत्तर होता है, "यह एक अच्छा लक्ष्य है, और मेरी शुभकामनाएं हैं कि आप अवश्य ही कोई पुस्तक लिखें। किंतु पुस्तक लिखने से बेहतर होता है जीवन का स्वयं पुस्तक होना।"

   मेरा यह कथन परमेश्वर के वचन में प्रेरित पौलुस की कही बात पर आधारित है। पौलुस ने कुरिन्थुस की मण्डली को लिखी अपनी दूसरी पत्री में उन्हें समझाया, "यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिस को हम ने सेवकों की नाईं लिखा; और जो सियाही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है" (२ कुरिन्थियों ३:३)।

   इंगलैंड के राजा जेम्स प्रथम के पादरी लुइस बेय्ली ने अपनी पुस्तक The Practice of Piety में लिखा: "जो अपनी लेखनी के द्वारा कुछ भला करना चाहता है, वह थोड़े ही समय में समझ जाएगा कि वह बहुत थोड़े से लोगों को ही प्रभावित कर पा रहा है। इसलिए भलाई करने तथा किसी को प्रभावित करने का सबसे सक्षम तरीका है उस भलाई का उदाहरण बनना। अपने आस-पास के लोगों को सिखाने के लिए हज़ार में से कोई एक जन पुस्तक लिखने की क्षमता रख सकता है, परन्तु प्रत्येक जन में यह क्षमता है कि वह अपने आस-पास के लोगों के लिए एक सजीव उदाहरण बन कर जी सकता है।"

   जो काम प्रभु यीशु अपने विश्वासियों के जीवन में करता है वह उनके जीवनों को ही उनके द्वारा लिखी जाने वाली किसी पुस्तक से कहीं अधिक प्रभावी बना देता है। परमेश्वर का जो वचन उनके हृदय की पट्टियों पर लिखा जाता है (यर्मियाह ३१:३३) वह संसार के सामने परमेश्वर के प्रेम और भलाई को प्रदर्शित करने की सामर्थ रखता है। चाहे आप अपने जीवन में एक भी पुस्तक ना लिखने पाएं, लेकिन एक मसीही विश्वासी होने के नाते आप स्वयं एक पुस्तक बन जाते हैं जिसमें होकर लोग परमेश्वर की शिक्षाओं को पढ़ते हैं, मसीह के प्रेम को समझते हैं। 

   सचेत रहिए, एक मसीही विश्वासी का जीवन खुली किताब है; लोग आपके जीवन से क्या पढ़ने पाते हैं? - डेविड रोपर


यदि कोई आपके जीवन को पुस्तक के समान पढ़े तो क्या उन पन्नों में मसीह यीशु को पाएगा?

यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिस को हम ने सेवकों की नाईं लिखा; और जो सियाही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है। - २ कुरिन्थियों ३:३

बाइबल पाठ: यर्मियाह ३१:३१-३४
Jer 31:31  फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आने वाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बान्धूंगा।
Jer 31:32  वह उस वाचा के समान न होगी जो मैं ने उनके पुरखाओं से उस समय बान्धी थी जब मैं उनका हाथ पकड़ कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया, क्योंकि यद्यपि मैं उनका पति था, तौभी उन्होंने मेरी वह वाचा तोड़ डाली।
Jer 31:33  परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बान्धूंगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूंगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है।
Jer 31:34  और तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पड़ेगा कि यहोवा को जानो, क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है कि छोटे से ले कर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्योंकि मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ४३-४५ 
  • मत्ती १२:२४-५०

गुरुवार, 17 जनवरी 2013

अन्धकार में मार्गदर्शन


   मैं सोचता था कि परमेश्वर यदि पहले से ही मुझे बात का परिणाम बता दे तो मुझे कार्य करना सरल हो जाएगा। मैं मानता हूँ कि परमेश्वर के वचन के वायदे के अनुसार सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं (रोमियों ८:२८), किंतु अन्धकार के समयों में मेरे लिए कार्य कर पाना अधिक सहज होगा यदि मैं पहले से जान सकूँ कि वह "भलाई" क्या है!

   परन्तु परमेश्वर अधिकांशतः हमें वह स्थान पहले से नहीं दिखाता जहां वह हमें ले कर जा रहा है; वह बस हमें उस पर और उस की योजनाओं पर विश्वास रखने को कहता है। यह अन्धकार में कार चलाने के समान है। कार चलाते हुए, हमारी कार की बत्ती की रौशनी हमारे गन्तव्य स्थान तक नहीं पहुँचती, उन बत्तियों की रौशनी में हम केवल लगभग १००-१५० फुट आगे का ही देखने पाते हैं; किंतु उस रौशनी की यह सीमा हमें आगे बढ़ने से नहीं रोकती। हम बत्ती पर भरोसा करते हुए, जितना दिख रहा है उसका आंकलन करते हुए आगे बढ़ते जाते हैं और बत्ती हमें क्रमशः आगे का मार्ग दिखाती चली जाती है, अन्ततः हम अपने लक्ष्य तक पहुँच जाते हैं।

   परमेश्वर का वचन बाइबल भी उस ज्योति के समान है जो अन्धकार में मार्ग दिखाती है - उतना जितने की हमें उस समय आवश्यकता है। परमेश्वर के वचन में उसके बच्चों के लिए परमेश्वर के आश्वासन और प्रतिज्ञाएं हैं जो उन्हें जीवन की निराशा और कटुता के गढ़हों में गिरने से बचाते हैं। परमेश्वर ने कहा है कि वह ना हमें कभी छोड़ेगा और ना कभी हमें त्यागेगा (इब्रानियों १३:५)। उसका वचन हमें आश्वस्त करता है कि जो योजनाएं वह हमारे लिए बना रहा है वे हमारे लाभ ही की हैं जिससे हमें एक अच्छा भविष्य मिल सके (यर्मियाह २९:११)। उसका वायदा है कि जो परीक्षाएं हम पर आती हैं वे हमारे नुकसान के लिए नहीं वरन हमारी उन्नति के लिए हैं (याकूब १:२-४)।

   इसलिए यदि अगली बार जीवन की किसी कठिनाई और परीक्षा में आपको लगे कि आप अन्धेरे में चल रहे हैं तो अपनी ज्योति - परमेश्वर के वचन पर भरोसा रखिए; उस परिस्थिति के लिए वही आपका मार्गदर्शन करेगा, सही राह दिखाएगा। - जो स्टोवैल


परमेश्वर के वचन की ज्योति में चलेंगे तो जीवन के मार्ग में ठोकर नहीं खाएंगे।

तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है। - भजन ११९:१०५

बाइबल पाठ: भजन ११९:१०५-११२
Ps 119:105  तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है।
Ps 119:106  मैं ने शपथ खाई, और ठाना भी है कि मैं तेरे धर्ममय नियमों के अनुसार चलूंगा।
Ps 119:107  मैं अत्यन्त दु:ख में पड़ा हूं; हे यहोवा, अपने वचन के अनुसार मुझे जिला।
Ps 119:108  हे यहोवा, मेरे वचनों को स्वेच्छाबलि जान कर ग्रहण कर, और अपने नियमों को मुझे सिखा।
Ps 119:109  मेरा प्राण निरन्तर मेरी हथेली पर रहता है, तौभी मैं तेरी व्यवस्था को भूल नहीं गया।
Ps 119:110  दुष्टों ने मेरे लिये फन्दा लगाया है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों के मार्ग से नहीं भटका।
Ps 119:111  मैं ने तेरी चितौनियों को सदा के लिये अपना निज भाग कर लिया है, क्योंकि वे मेरे हृदय के हर्ष का कारण हैं।
Ps 119:112  मैं ने अपने मन को इस बात पर लगाया है, कि अन्त तक तेरी विधियों पर सदा चलता रहूं।

एक साल में बाइबल: उत्पत्ति ४१-४२ मत्ती १२:१-२३

बुधवार, 16 जनवरी 2013

बच्चों की क्षमता


   संगीतज्ञ लुइस आर्मस्ट्रोंग अपने मुस्कुराते हुए चेहरे, खरखराती हुई आवाज़, सफेद रुमाल और ट्रम्पेट बजाने में प्रवीणता के लिए विख्यात था। परन्तु उसका बचपन दुख और कमी-घटी का था। शिशु अवस्था में ही वह अपने पिता द्वारा त्यागा गया था और १२ वर्ष कि आयु में ही उसे बच्चों के सुधार गृह में भेजना पड़ गया था। आश्चर्य की बात यह है कि यही बात उसके जीवन की दिशा को निर्धारित करने वाली बन गयी।

   संगीत शिक्षक पीटर डेविस उस सुधार गृह में नियमित रूप से जाया करते थे और बच्चों को संगीत वाद्य बजाना सिखाते थे। जल्द ही लुइस ने वहां बहुत अच्छे से कोर्नेट बजाने वाला बन गया और उसे उन बच्चों के बैण्ड का अगुवा बना दिया गया। वहां से उस के जीवन की दिशा ही बदल गई और वह विश्व-प्रसिद्ध ट्रम्पेट वादक और गायक बनने के मार्ग पर आ गया।

   लुइस की कहानी मसीही माता-पिता के लिए एक उदाहरण हो सकती है। परमेश्वर के वचन में नीतिवचन २२:६ में लिखा है: "लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उसको चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा।" यह शिक्षा केवल नैतिक और आत्मिक बातों पर ही नहीं वरन जीवन के हर पहलु पर लागू होती है। साथ ही हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों की स्वाभाविक प्रतिभाएं उनकी रुचि और रुझान भी निर्धारित करते हैं; जैसे लुइस के जीवन में संगीत का थोड़ा सा प्रशिक्षण उसे प्रसिद्ध ट्रम्पेट वादक बनाने में सहायक हुआ।

   जब हम अपने बच्चों को सप्रेम परमेश्वर के वचन से सिखाते हैं और परमेश्वर द्वारा उन्हें दी गई प्रतिभाओं को उभारने और बढ़ाने में उनके सहायक होते हैं तो जो परमेश्वर ने उनके लिए निर्धारित किया है और उनके जीवनों से चाहता है उन्हें उस दिशा में अग्रसर करने और बच्चों की क्षमता का समूचा लाभ उन के जीवनों में पहुँचाने में अपना योगदान देते हैं। - डेनिस फिशर


बच्चों को बचपन से ही सही मार्गदर्शन दें और उनके जीवनों को समाज के लिए उपयोगी बनाएं।

लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उसको चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा। - नीतिवचन २२:६

बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस ३:१०-१७
2Tim 3:10  पर तू ने उपदेश, चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दुख उठाने में मेरा साथ दिया।
2Tim 3:11 और ऐसे दुखों में भी जो अन्‍ताकिया और इकुनियुम और लुस्‍त्रा में मुझ पर पड़े थे और और दुखों में भी, जो मैं ने उठाए हैं; परन्तु प्रभु ने मुझे उन सब से छुड़ा लिया।
2Tim 3:12  पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे।
2Tim 3:13 और दुष्‍ट, और बहकाने वाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।
2Tim 3:14  पर तू इन बातों पर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की थी, यह जानकर दृढ़ बना रह; कि तू ने उन्हें किन लोगों से सीखा था
2Tim 3:15  और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है।
2Tim 3:16  हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।
2Tim 3:17  ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ३९-४० 
  • मत्ती ११

मंगलवार, 15 जनवरी 2013

स्वतंत्र


   सैन फ्रांसिस्को के अल्काट्रैज़ टापू पर स्थित और अब बन्द कर दिए गए कैदखाने के भ्रमण से लौटने के बाद वहां की कुछ अविस्मरणीय यादें मेरे साथ रह गईं। जब हम नौका से वहां पहुंचे तो मैं जान सका कि क्यों उस अधिकतम सुरक्षा प्राप्त स्थान को "चट्टान" कह कर संबोधित किया जाता था।

   अन्दर भ्रमण करते समय, मैंने वहां के चर्चित "बड़े घर" के अन्दर रौशनी की किरणों को मोटी सलाखों लगी खिड़कियों से होकर आते हुए देखा। फिर एक के बाद एक कोठरियों की कतारों को देखा जिनमें कई कुख्यात अपराधी कैद रखे गए थे। लेकिन एक अन्य बात ने एक बहुत गहरी छाप मुझ पर छोड़ी - एक खाली कोठरी में प्रवेश करने पर मैंने वहां की एक दिवार पर लिखा हुआ देखा "यीशु" और एक अन्य कोठरी की ताक में एक बाइबल रखी हुई थी। इन दोनों बातों ने मुझसे शांत भाव से सबसे बड़ी स्वतंत्रता के बारे में बातें कीं।

   प्रेरित पौलुस भी, जब वह कैदखाने की कोठरी में पड़ा अपने मृत्यु दण्ड के पूरा किए जाने की प्रतीक्षा कर रहा था तो इस स्वतंत्रता के बारे में जानता था। अपने आप को "मसीह का कैदी" जानकर उसने अपने कैद के समय का उपयोग अन्य कैदियों तक पाप से अनन्त काल की क्षमा पाने तथा परमेश्वर के परिवार का सदस्य बनने और मसीह में स्वतंत्र होने के सुसमाचार को पहुंचाने के लिए बिताया।

   सलाखें लगे दरवाज़े और खिड़कियां एक प्रकार की कैद के प्रतीक हैं। शरीर में लकवे का रोगी होना, अपरिहार्य दरिद्रता, लंबे अर्से की बेरोज़गारी इत्यादि एक अन्य प्रकार की कैद के प्रतीक हैं। संभव है कि आप किसी अन्य प्रकार की कैद सहन कर रहे हों। इनमें से कोई भी कैद वांछनीय नहीं है - लेकिन जिसने मसीह के प्रेम और उससे मिलने वाली सामर्थ को जान लिया है वह मसीह का कैदी होने के बदले में मसीह के बिना स्वतंत्र रहने की कल्पना भी नहीं कर सकता क्योंकि मसीह की कैद ही जीवन की वास्तविक स्वतंत्रता है। - मार्ट डी हॉन


मसीह के नियंत्रण में रहना ही स्वतंत्रता में रहना है।

मैं अपने बच्‍चे उनेसिमुस के लिये जो मुझ से मेरी कैद में जन्मा है तुझ से बिनती करता हूं। - फिलेमॉन १:१०

बाइबल पाठ: फिलेमॉन १:४-१६
Phlm 1:4  मैं तेरे उस प्रेम और विश्वास की चर्चा सुन कर, जो सब पवित्र लोगों के साथ और प्रभु यीशु पर है।
Phlm 1:5  सदा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं; और अपनी प्रार्थनाओं में भी तुझे स्मरण करता हूं।
Phlm 1:6  कि तेरा विश्वास में सहभागी होना तुम्हारी सारी भलाई की पहिचान में मसीह के लिये प्रभावशाली हो।
Phlm 1:7 क्योंकि हे भाई, मुझे तेरे प्रेम से बहुत आनन्द और शान्‍ति मिली, इसलिये, कि तेरे द्वारा पवित्र लोगों के मन हरे भरे हो गए हैं।
Phlm 1:8  इसलिये यद्यपि मुझे मसीह में बड़ा हियाव तो है, कि जो बात ठीक है, उस की आज्ञा तुझे दूं।
Phlm 1:9  तौभी मुझ बूढ़े पौलुस को जो अब मसीह यीशु के लिये कैदी हूं, यह और भी भला जान पड़ा कि प्रेम से बिनती करूं।
Phlm 1:10  मैं अपने बच्‍चे उनेसिमुस के लिये जो मुझ से मेरी कैद में जन्मा है तुझ से बिनती करता हूं।
Phlm 1:11  वह तो पहिले तेरे कुछ काम का न था, पर अब तेरे और मेरे दोनों के बड़े काम का है।
Phlm 1:12  उसी को अर्थात जो मेरे हृदय का टुकड़ा है, मैं ने उसे तेरे पास लौटा दिया है।
Phlm 1:13  उसे मैं अपने ही पास रखना चाहता था कि तेरी ओर से इस कैद में जो सुसमाचार के कारण है, मेरी सेवा करे।
Phlm 1:14  पर मैं ने तेरी इच्छा बिना कुछ भी करना न चाहा कि तेरी यह कृपा दबाव से नहीं पर आनन्द से हो।
Phlm 1:15  क्योंकि क्या जाने वह तुझ से कुछ दिन तक के लिये इसी कारण अलग हुआ कि सदैव तेरे निकट रहे।
Phlm 1:16  परन्तु अब से दास की नाईं नहीं, वरन दास से भी उत्तम, अर्थात भाई के समान रहे जो शरीर में भी और विशेष कर प्रभु में भी मेरा प्रिय हो।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ३६-३८ 
  • मत्ती १०:२१-४२

सोमवार, 14 जनवरी 2013

भला या बुरा?


   क्या वास्तव में जीवन की बातों तथा परिस्थितियों को भला या बुरा कर के आंकने की क्षमता हम में है? 

   उदाहरणस्वरूप, मान लीजिए कि आप परिवार के साथ यात्रा पर निकलने को हैं और आपकी कार खराब हो जाती है। जब कार को वर्कशॉप में ले जाते हैं तो मिस्त्री उसे देखकर कहता है, "अच्छा हुआ कि आप इसे लेकर यात्रा पर नहीं निकले; इसमें कभी भी आग लग सकती थी!" आप की पारिवारिक यात्रा का संभव ना हो पाना बुरा था या परमेश्वर द्वारा आप को तथा आप के परिवार को इस प्रकार बचाना भला था?

   या, मान लीजिए कि आप चाहते हैं कि आपकी पुत्री खेल तथा दौड़ में आगे बढ़े, किंतु उसकी रुचि गाने तथा संगीत वाद्य बजाने में है। आप कुंठित होते हैं क्योंकि वह आप की इच्छानुसार नहीं वरन अपनी पसन्द अनुसार चल रही है। किंतु वह संगीत में अच्छी प्रवीणता प्राप्त करती है और उसे संगीत में आगे के प्रशीक्षण के लिए छात्रवृत्ति भी मिल जाती है। उस में होकर आप की इच्छाओं का पूरा ना होना क्या बुरा था, या यश पाने के लिए परमेश्वर द्वारा उसको ऐसे मार्ग में ले चलना जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की थी भला है?

   कई बार यह जानना कठिन होता है कि परमेश्वर कैसे कार्य कर रहा है। उसके भेद हमारी समझ से परे होते हैं और हमारी जीवन यात्रा, हमारे नियंत्रण से बाहर, कुछ अनपेक्षित रास्तों पर होकर निकलती है। संभवतः परमेश्वर हमें एक बेहतर मार्ग दिखा रहा है।

   जब बुरे या भले का भेद समझना कठिन हो, तो आज के बाइबल पाठ के भजनकार के समान, जो बुरा प्रतीत होता है उसमें से भी भला उत्पन्न करने वाले हमारे परमेश्वर पिता के प्रेम पर अपना विश्वास बनाए रखें (पद ५) क्योंकि अपने विश्वासियों के प्रति परमेश्वर का प्रेम कभी घटता नहीं, टलता नहीं; भजनकार के समान ही सदैव परमेश्वर की स्तुति और आराधना में लगे रहें (पद ६)। - डेव ब्रैनन


हम परिस्थितियों को तो नियंत्रित नहीं कर सकते परन्तु उनके प्रति अपनी प्रतिक्रीया को अवश्य ही निर्धारित कर सकते हैं।

परन्तु मैं ने तो तेरी करूणा पर भरोसा रखा है; मेरा हृदय तेरे उद्धार से मगन होगा। - भजन १३:५

बाइबल पाठ: भजन १३
Ps 13:1  हे परमेश्वर तू कब तक? क्या सदैव मुझे भूला रहेगा? तू कब तक अपना मुखड़ा मुझ से छिपाए रहेगा?
Ps 13:2  मैं कब तक अपने मन ही मन में युक्तियां करता रहूं, और दिन भर अपने हृदय में दुखित रहा करूं, कब तक मेरा शत्रु मुझ पर प्रबल रहेगा?
Ps 13:3  हे मेरे परमेश्वर यहोवा मेरी ओर ध्यान दे और मुझे उत्तर दे, मेरी आंखों में ज्योति आने दे, नहीं तो मुझे मृत्यु की नींद आ जाएगी;
Ps 13:4  ऐसा न हो कि मेरा शत्रु कहे, कि मैं उस पर प्रबल हो गया; और ऐसा न हो कि जब मैं डगमगाने लगूं तो मेरे शत्रु मगन हों।
Ps 13:5  परन्तु मैं ने तो तेरी करूणा पर भरोसा रखा है; मेरा हृदय तेरे उद्धार से मगन होगा।
Ps 13:6  मैं परमेश्वर के नाम का भजन गाऊंगा, क्योंकि उसने मेरी भलाई की है।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ३३-३५ 
  • मत्ती १०:१-२०

रविवार, 13 जनवरी 2013

विश्वास


   कई बार कुछ लोग जो परमेश्वर के नाम से कोई सेवकाई करते हैं, इसे परमेश्वर के साथ किए गई एक ठेके के रूप में देखते हैं - क्योंकि मैंने अपना समय, सामर्थ और धन परमेश्वर के नाम पर कार्य करने में व्यय किया है इसलिए प्रत्युत्तर में परमेश्वर को मेरी विशेष देखभाल करनी चाहिए।

   किंतु मेरा मित्र डगलस ऐसा नहीं है। उसका जीवन परमेश्वर के वचन के पात्र अय्युब के समान ही है जिसने अपने परिवार, संपदा और स्वास्थ्य की भारी हानि उठाने और उस दशा में मित्रों द्वारा अपमानित होने पर भी परमेश्वर से अपने विश्वास को टलने नहीं दिया। डगलस ने भी अपनी सेवकाई की असफलता, कैंसर से अपनी पत्नि की मृत्यु, नशे में धुत एक वाहन चालक द्वारा अपने आप तथा अपने एक बच्चे को लगी चोटें सही हैं। किंतु डगलस की सलाह रहती है, "परमेश्वर को अपने जीवन की परिस्थितियों से मत आंको।"

   जब कठिनाईयां आती हैं और शंकाएं उत्पन्न होती हैं तो मैं परमेश्वर के वचन बाइबल में रोमियों ८ अध्याय की ओर अकसर मुड़ता हूँ। रोमियों की पत्री के लेखक पौलुस ने यहां प्रश्न उठाया: "कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?" (रोमियों ८:३५); इस एक वाक्य में पौलुस ने अपनी सेवकाई के जीवन का सारांश प्रस्तुत कर दिया। उसने सुसमाचार प्रचार के लिए बहुत क्लेष उठाए, लेकिन उसका विश्वास था कि चाहे इन क्लेषों में कोई भी बात अपने आप में भली नहीं है, किंतु परमेश्वर इन क्लेष की बातों से भी भलाई उत्पन्न कर सकता है। उसने कठिनाईयों और क्लेषों से भी आगे उस प्रेमी परमेश्वर को देखना सीख लिया था जो एक दिन सब को सब बातों का योग्य प्रतिफल देगा। पौलुस ने आगे लिखा: "क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी" (रोमियों ८:३८-३९)।

   ऐसा विश्वास निराशाओं पर जयवंत होने में बहुत सहायक होता है, क्योंकि तब हम जीवन को अपनी योजनाओं की सफलता या असफलता की दृष्टि से नहीं वरन परमेश्वर की योजनाओं की दृष्टि से देखने लगते हैं। - फिलिप यैन्सी


और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा। - फिलिप्पियों १:६

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों ८:२८

बाइबल पाठ: रोमियों ८:२८-३९
Rom 8:28  और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
Rom 8:29  क्योंकि जिन्हें उसने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
Rom 8:30  फिर जिन्हें उसने पहिले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।
Rom 8:31  सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
Rom 8:32  जिसने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?
Rom 8:33  परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उन को धर्मी ठहराने वाला है।
Rom 8:34  फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।
Rom 8:35  कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेष, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
Rom 8:36  जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं।
Rom 8:37  परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।
Rom 8:38  क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई,
Rom 8:39  न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ३१-३२ 
  • मत्ती ९:१८-३८