संगीतज्ञ लुइस आर्मस्ट्रोंग अपने मुस्कुराते हुए चेहरे, खरखराती हुई आवाज़, सफेद रुमाल और ट्रम्पेट बजाने में प्रवीणता के लिए विख्यात था। परन्तु उसका बचपन दुख और कमी-घटी का था। शिशु अवस्था में ही वह अपने पिता द्वारा त्यागा गया था और १२ वर्ष कि आयु में ही उसे बच्चों के सुधार गृह में भेजना पड़ गया था। आश्चर्य की बात यह है कि यही बात उसके जीवन की दिशा को निर्धारित करने वाली बन गयी।
संगीत शिक्षक पीटर डेविस उस सुधार गृह में नियमित रूप से जाया करते थे और बच्चों को संगीत वाद्य बजाना सिखाते थे। जल्द ही लुइस ने वहां बहुत अच्छे से कोर्नेट बजाने वाला बन गया और उसे उन बच्चों के बैण्ड का अगुवा बना दिया गया। वहां से उस के जीवन की दिशा ही बदल गई और वह विश्व-प्रसिद्ध ट्रम्पेट वादक और गायक बनने के मार्ग पर आ गया।
लुइस की कहानी मसीही माता-पिता के लिए एक उदाहरण हो सकती है। परमेश्वर के वचन में नीतिवचन २२:६ में लिखा है: "लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उसको चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा।" यह शिक्षा केवल नैतिक और आत्मिक बातों पर ही नहीं वरन जीवन के हर पहलु पर लागू होती है। साथ ही हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों की स्वाभाविक प्रतिभाएं उनकी रुचि और रुझान भी निर्धारित करते हैं; जैसे लुइस के जीवन में संगीत का थोड़ा सा प्रशिक्षण उसे प्रसिद्ध ट्रम्पेट वादक बनाने में सहायक हुआ।
जब हम अपने बच्चों को सप्रेम परमेश्वर के वचन से सिखाते हैं और परमेश्वर द्वारा उन्हें दी गई प्रतिभाओं को उभारने और बढ़ाने में उनके सहायक होते हैं तो जो परमेश्वर ने उनके लिए निर्धारित किया है और उनके जीवनों से चाहता है उन्हें उस दिशा में अग्रसर करने और बच्चों की क्षमता का समूचा लाभ उन के जीवनों में पहुँचाने में अपना योगदान देते हैं। - डेनिस फिशर
बच्चों को बचपन से ही सही मार्गदर्शन दें और उनके जीवनों को समाज के लिए उपयोगी बनाएं।
लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उसको चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा। - नीतिवचन २२:६
बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस ३:१०-१७
2Tim 3:10 पर तू ने उपदेश, चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दुख उठाने में मेरा साथ दिया।
2Tim 3:11 और ऐसे दुखों में भी जो अन्ताकिया और इकुनियुम और लुस्त्रा में मुझ पर पड़े थे और और दुखों में भी, जो मैं ने उठाए हैं; परन्तु प्रभु ने मुझे उन सब से छुड़ा लिया।
2Tim 3:12 पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे।
2Tim 3:13 और दुष्ट, और बहकाने वाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।
2Tim 3:14 पर तू इन बातों पर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की थी, यह जानकर दृढ़ बना रह; कि तू ने उन्हें किन लोगों से सीखा था
2Tim 3:15 और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है।
2Tim 3:16 हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।
2Tim 3:17 ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति ३९-४०
- मत्ती ११
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