मैं पेशे से एक लेखक हूँ और कभी न कभी कोई मित्र या जानकार मुझसे कहता रहता है कि "किसी दिन मैं भी एक पुस्तक लिखुँगा।" मेरा उत्तर होता है, "यह एक अच्छा लक्ष्य है, और मेरी शुभकामनाएं हैं कि आप अवश्य ही कोई पुस्तक लिखें। किंतु पुस्तक लिखने से बेहतर होता है जीवन का स्वयं पुस्तक होना।"
मेरा यह कथन परमेश्वर के वचन में प्रेरित पौलुस की कही बात पर आधारित है। पौलुस ने कुरिन्थुस की मण्डली को लिखी अपनी दूसरी पत्री में उन्हें समझाया, "यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिस को हम ने सेवकों की नाईं लिखा; और जो सियाही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है" (२ कुरिन्थियों ३:३)।
इंगलैंड के राजा जेम्स प्रथम के पादरी लुइस बेय्ली ने अपनी पुस्तक The Practice of Piety में लिखा: "जो अपनी लेखनी के द्वारा कुछ भला करना चाहता है, वह थोड़े ही समय में समझ जाएगा कि वह बहुत थोड़े से लोगों को ही प्रभावित कर पा रहा है। इसलिए भलाई करने तथा किसी को प्रभावित करने का सबसे सक्षम तरीका है उस भलाई का उदाहरण बनना। अपने आस-पास के लोगों को सिखाने के लिए हज़ार में से कोई एक जन पुस्तक लिखने की क्षमता रख सकता है, परन्तु प्रत्येक जन में यह क्षमता है कि वह अपने आस-पास के लोगों के लिए एक सजीव उदाहरण बन कर जी सकता है।"
जो काम प्रभु यीशु अपने विश्वासियों के जीवन में करता है वह उनके जीवनों को ही उनके द्वारा लिखी जाने वाली किसी पुस्तक से कहीं अधिक प्रभावी बना देता है। परमेश्वर का जो वचन उनके हृदय की पट्टियों पर लिखा जाता है (यर्मियाह ३१:३३) वह संसार के सामने परमेश्वर के प्रेम और भलाई को प्रदर्शित करने की सामर्थ रखता है। चाहे आप अपने जीवन में एक भी पुस्तक ना लिखने पाएं, लेकिन एक मसीही विश्वासी होने के नाते आप स्वयं एक पुस्तक बन जाते हैं जिसमें होकर लोग परमेश्वर की शिक्षाओं को पढ़ते हैं, मसीह के प्रेम को समझते हैं।
सचेत रहिए, एक मसीही विश्वासी का जीवन खुली किताब है; लोग आपके जीवन से क्या पढ़ने पाते हैं? - डेविड रोपर
यदि कोई आपके जीवन को पुस्तक के समान पढ़े तो क्या उन पन्नों में मसीह यीशु को पाएगा?
यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिस को हम ने सेवकों की नाईं लिखा; और जो सियाही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है। - २ कुरिन्थियों ३:३
बाइबल पाठ: यर्मियाह ३१:३१-३४
Jer 31:31 फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आने वाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बान्धूंगा।
Jer 31:32 वह उस वाचा के समान न होगी जो मैं ने उनके पुरखाओं से उस समय बान्धी थी जब मैं उनका हाथ पकड़ कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया, क्योंकि यद्यपि मैं उनका पति था, तौभी उन्होंने मेरी वह वाचा तोड़ डाली।
Jer 31:33 परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बान्धूंगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूंगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है।
Jer 31:34 और तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पड़ेगा कि यहोवा को जानो, क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है कि छोटे से ले कर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्योंकि मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति ४३-४५
- मत्ती १२:२४-५०
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