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गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

कृपा



     जब मैंने कॉलेज समाप्त करके कार्य करना आरंभ किया, तो मेरे पास बहुत सीमित पैसा होता था, और मुझे प्रतिदिन की आवश्यकताओं के लिए भी बहुत सोच-समझ कर खर्च करना होता था – सप्ताह में अधिक-से-अधिक बीस डॉलर! एक दिन स्टोर से सामान जमा कर के, उस सामान की कीमत चुकाने की लाइन में खड़े होते समय मुझे लगा कि मैंने अपनी क्षमता से कुछ अधिक सामान एकत्रित कर लिया है, इसलिए जब पैसे चुकाने की मेरी बारी आई तो मैंने बिल बनाकर पैसे लेने वाले कैशियर से कहा, “जैसे ही बीस डॉलर हो जाएं, तो रुक जाना।” मैंने देखा कि मिर्ची के एक पैकट को छोड़, मैं बाकी सभी कुछ खरीद सकी थी।

     मैं स्टोर से बाहर निकल कर घर जाने को तैयार ही हो रही थी, कि एक आदमी मेरे पास आकर रुका, मुझे एक पैकेट पकड़ाते हुए बोला, “आपकी मिर्ची”, और मुझे पैकेट पकड़ा कर आगे बढ़ गया। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती या उसे धन्यवाद भी कह पाती, वह अनजान व्यक्ति आगे निकल चुका था।

     आज भी जब मैं भलाई के उसके उस कार्य को स्मरण करती हूँ तो मेरा मन भाव-विभोर हो जाता है, और मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में मत्ती 6 में दिए प्रभु यीशु के शब्द स्मरण हो आते हैं। जो लोग दिखावे के लिए निर्धनों को दान देते थे (पद 2), उन कपटियों की आलोचना करते हुए प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों को एक भिन्न मार्ग बताया। दान देने को अपना तथा अपनी दानवीरता की महिमा करवाने का अवसर बनाने के स्थान पर, प्रभु ने सिखाया कि उनका देना इतना गुप्त हो कि एक हाथ को दूसरे के कार्य के बारे में भी पता न चलने पाए (पद 3)।

     जैसा कि एक अनजान व्यक्ति की कृपा ने मुझे स्मरण दिलाया, देना कभी भी हमारी अपनी महिमा के लिए नहीं होना चाहिए। हमें केवल इसलिए देना है क्योंकि हमारे उदार परमेश्वर ने हमें बहुतायत से दिया है (2 कुरिन्थियों 9:6-11)। जब हम गुप्त में और उदारता से देते हैं, तो हम अपने प्रभु परमेश्वर के चरित्र को, उसकी कृपा को, प्रतिबिंबित करते हैं, और हमारे द्वारा महिमा परमेश्वर की होती है, जिसके योग्य केवल वही है (पद 11)। - मोनिका ब्रैंड्स

गुप्त में तथा उदारता से देना परमेश्वर की कृपा और उदारता को दर्शाता है।

हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देने वाले से प्रेम रखता है। - 2 कुरिन्थियों 9:7

बाइबल पाठ: मत्ती 6:1-4
मत्ती 6:1 सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्‍वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे।
मत्ती 6:2 इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके।
मत्ती 6:3 परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए।
मत्ती 6:4 ताकि तेरा दान गुप्‍त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों 16-18
  • लूका 7:1-30



बुधवार, 1 अप्रैल 2020

गवाही



     दस वर्ष तक मेरी बुआ, कैथी, अपने घर में अपने पिता (मेरे दादा) की देखभाल करती रहीं। जब वे अपना ध्यान रख सकते थे, तब वे उनके लिए पकाती थीं, और उनके कपड़े धोती, कमरे की सफाई करती थीं; और जब उनका स्वास्थ्य गिरने लगा तो उन्होंने एक नर्स होने की भूमिका को भी ले लिया। उनके द्वारा की गई सेवा, परमेश्वर के वचन में प्रेरित पौलुस द्वारा थिस्सलुनीकियों को लिखे गए शब्दों का वर्तमान समय का उदाहरण है। पौलुस ने परमेश्वर का धन्यवाद करते हुए लिखा, “और अपने परमेश्वर और पिता के साम्हने तुम्हारे विश्वास के काम, और प्रेम का परिश्रम, और हमारे प्रभु यीशु मसीह में आशा की धीरता को लगातार स्मरण करते हैं” (1 थिस्सलुनीकियों 1:3)।

     मेरी बुआ ने प्रेम और विश्वास के साथ सेवा की। उनके द्वारा प्रतिदिन की जाने वाली विश्वसनीय देखभाल उनके इस विश्वास का परिणाम थी कि परमेश्वर ने ही उन्हें इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए बुलाया है। उनका परिश्रम उनके पिता तथा परमेश्वर के प्रति उनके प्रेम से उत्पन्न हुआ था।

     वे आशा के साथ धैर्य भी रखती थीं। मेरे दादा एक बहुत दयालु व्यक्ति थे, परन्तु उनके गिरते हुए स्वास्थ्य के कारण होने वाले उनके हाल को देखना दुखदायी था। मेरी बुआ ने परिवार तथा मित्रों के लिए अपने समय को कम कर दिया, अपने आने-जाने को बहुत सीमित कर दिया, जिस से वे अपने पिता की देखभाल कर सकें। वे धैर्य रख सकीं क्योंकि उन्हें आशा थी कि परमेश्वर प्रत्येक दिन की जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए उन्हें सामर्थ्य प्रदान करेगा, और उन्हें उस स्वर्ग की भी आशा थी जहां जाने की प्रतीक्षा मेरे दादा कर रहे थे।

     हम चाहे किसी रिश्तेदार की देखभाल करें, किसी पड़ौसी की सहायता करें, या स्वयंसेवी होकर अपने समय को समर्पित करें, जिस भी कार्य के लिए परमेश्वर ने हमें बुलाया है, प्रोत्साहित होकर उसे प्रसन्नता से करें। हमारा परिश्रम हमारे विश्वास, प्रेम और आशा की प्रबल गवाही हो सकता है। - लीसा सामरा

मसीही जीवन की महिमा प्रेम देने में न कि लेने में; 
सेवा करने में न की लेने में; 
तथा औरों को देने, न कि उन से लेने में है।

मैं ने तुम्हें सब कुछ कर के दिखाया, कि इस रीति से परिश्रम करते हुए निर्बलों को सम्भालना, और प्रभु यीशु की बातें स्मरण रखना अवश्य है, कि उसने आप ही कहा है; कि लेने से देना धन्य है। - प्रेरितों 20:35

बाइबल पाठ: 1 थिस्सलुनीकियों 1: 1-10
1 थिस्स्लुनीकियों 1:1 पौलुस और सिलवानुस और तीमुथियुस की ओर से थिस्‍सलुनिकियों की कलीसिया के नाम जो परमेश्वर पिता और प्रभु यीशु मसीह में है। अनुग्रह और शान्‍ति तुम्हें मिलती रहे।
1 थिस्स्लुनीकियों 1:2 हम अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें स्मरण करते और सदा तुम सब के विषय में परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं।
1 थिस्स्लुनीकियों 1:3 और अपने परमेश्वर और पिता के साम्हने तुम्हारे विश्वास के काम, और प्रेम का परिश्रम, और हमारे प्रभु यीशु मसीह में आशा की धीरता को लगातार स्मरण करते हैं।
1 थिस्स्लुनीकियों 1:4 और हे भाइयो, परमेश्वर के प्रिय लोगों हम जानतें हैं, कि तुम चुने हुए हो।
1 थिस्स्लुनीकियों 1:5 क्योंकि हमारा सुसमाचार तुम्हारे पास न केवल वचन मात्र ही में वरन सामर्थ्य और पवित्र आत्मा, और बड़े निश्‍चय के साथ पहुंचा है; जैसा तुम जानते हो, कि हम तुम्हारे लिये तुम में कैसे बन गए थे।
1 थिस्स्लुनीकियों 1:6 और तुम बड़े क्‍लेश में पवित्र आत्मा के आनन्द के साथ वचन को मान कर हमारी और प्रभु की सी चाल चलने लगे।
1 थिस्स्लुनीकियों 1:7 यहां तक कि मकिदुनिया और अखया के सब विश्वासियों के लिये तुम आदर्श बने।
1 थिस्स्लुनीकियों 1:8 क्योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं।
1 थिस्स्लुनीकियों 1:9 क्योंकि वे आप ही हमारे विषय में बताते हैं कि तुम्हारे पास हमारा आना कैसा हुआ; और तुम कैसे मूरतों से परमेश्वर की ओर फिरे ताकि जीवते और सच्चे परमेश्वर की सेवा करो।
1 थिस्स्लुनीकियों 1:10 और उसके पुत्र के स्वर्ग पर से आने की बाट जोहते रहो जिसे उसने मरे हुओं में से जिलाया, अर्थात यीशु की, जो हमें आने वाले प्रकोप से बचाता है।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों 13-15
  • लूका 6:27-49



मंगलवार, 31 मार्च 2020

संधर्ष



      लुईस कैरोल की सुविख्यात उपन्यास ‘एलिस इन वन्डरलैंड’ में एलिस पूछती है, “हमेशा के लिए कब तक का होता है?” व्हाईट रैबिट उत्तर देता है, “कभी कभी केवल एक सेकेंड के लिए।”

      मेरे भाई के अचानक हुए देहांत और उसकी शोकसभा के मध्य का समय भी हमें ऐसे ही बीतता प्रतीत हुआ। उसकी शोकसभा के होने का समय बहुत लंबा लग रहा था, और उसके कमी हमें खल रही थी, हमारे दुःख को बढ़ा रही थी। ऐसा लग रहा था मानो प्रत्येक सेकेंड हमेशा तक के लिए एक संघर्ष है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार, राजा दाऊद ने भी अपने एक भजन में ऐसी ही संघर्ष की भावना को व्यक्त किया, “हे परमेश्वर तू कब तक? क्या सदैव मुझे भूला रहेगा? तू कब तक अपना मुखड़ा मुझ से छिपाए रहेगा? मैं कब तक अपने मन ही मन में युक्तियां करता रहूं, और दिन भर अपने हृदय में दुखित रहा करूं, कब तक मेरा शत्रु मुझ पर प्रबल रहेगा?” (भजन 13:1-2)। दो ही पदों में दाऊद परमेश्वर से चार बार  पूछता है “कब तक”? कभी कभी जीवन के दुखों के संघर्ष ऐसे लगते हैं मानो उनका कभी अंत नहीं होगा।

      हमारे संघर्षों के ऐसे हृदयविदारक समय में हमारा परमेश्वर पिता हमें अपनी देखरेख और उपस्थिति का एहसास करवाता है। राजा दाऊद के सामान, हम भी खुले दिल से परमेश्वर के सम्मुख अपने दुःख और हानि की तकलीफ को लेकर जा सकते हैं, इस बात से आश्वस्त कि वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा, कभी नहीं त्यागेगा (इब्रानियों 13:5)। भजनकार का भी यही अनुभव था, किन्तु उसका विलाप भी विजय घोष में परिवर्तित हो गया: “परन्तु मैं ने तो तेरी करूणा पर भरोसा रखा है; मेरा हृदय तेरे उद्धार से मगन होगा।  मैं परमेश्वर के नाम का भजन गाऊंगा, क्योंकि उसने मेरी भलाई की है” (भजन 13:5-6)।

      हमारे संघर्षों के कभी न समाप्त होते प्रतीत होने वाले पलों में भी परमेश्वर की करुणा हमें थामे रहेगी, और हम उसके उद्धार में आनन्दित रह सकते हैं। - बिल कराउडर

दुःख और हानि के समयों में भी अनंत परमेश्वर हमारा सबसे उत्तम आश्वासन है।

तुम्हारा स्‍वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। इसलिये हम बेधड़क हो कर कहते हैं, कि प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है। - इब्रानियों 13:5-6

बाइबल पाठ: भजन 13
भजन संहिता 13:1 हे परमेश्वर तू कब तक? क्या सदैव मुझे भूला रहेगा? तू कब तक अपना मुखड़ा मुझ से छिपाए रहेगा?
भजन संहिता 13:2 मैं कब तक अपने मन ही मन में युक्तियां करता रहूं, और दिन भर अपने हृदय में दुखित रहा करूं, कब तक मेरा शत्रु मुझ पर प्रबल रहेगा?
भजन संहिता 13:3 हे मेरे परमेश्वर यहोवा मेरी ओर ध्यान दे और मुझे उत्तर दे, मेरी आंखों में ज्योति आने दे, नहीं तो मुझे मृत्यु की नींद आ जाएगी;
भजन संहिता 13:4 ऐसा न हो कि मेरा शत्रु कहे, कि मैं उस पर प्रबल हो गया; और ऐसा न हो कि जब मैं डगमगाने लगूं तो मेरे शत्रु मगन हों।
भजन संहिता 13:5 परन्तु मैं ने तो तेरी करूणा पर भरोसा रखा है; मेरा हृदय तेरे उद्धार से मगन होगा।
भजन संहिता 13:6 मैं परमेश्वर के नाम का भजन गाऊंगा, क्योंकि उसने मेरी भलाई की है।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों 11-12
  • लूका 6:1-26



सोमवार, 30 मार्च 2020

प्रार्थना



      मेरी एक सहेली ने, अपने कैंसर के इलाज के दौरान, एक बार देर रात मुझे फोन किया। वह फूट-फूट कर रो रही थी, और उसके साथ मैं भी रोने लग गई, तथा मन ही मन प्रार्थना करने लगी, ‘हे प्रभु ऐसे में मैं क्या करूं’। मेरी सहेली के रुन्दन ने मेरे दिल को बहुत दुखी किया; मैं उसकी पीड़ा को समाप्त नहीं कर सकती थी, न उसकी परिस्थिति को सुधार सकती थी, और न ही मुझे उसे प्रोत्साहित करने के लिए एक भी शब्द समझ में आ रहा था। परन्तु मैं उस को जानती थी जो ऐसे में हम दोनों की सहायता कर सकता था। अपनी सहेली के साथ रोते रोते, और लड़खड़ाती हुई प्रार्थना करते करते, मैं बारंबार फुसफुसा रही थी, “यीशु, यीशु, यीशु।”

      धीरे धीरे उसका रोना सिसकियों में बदल गया, और फिर उसके शांत होकर सांस लेते रहने की धीमी आवाज़ फोन पर आने लगी। उसके पति की आवाज़ ने मुझे चौंका दिया, उन्होंने कहा, “वो सो गयी है, अब हम कल बात करेंगे।” मैंने भी फोन रख दिया और अपने तकिए में आंसुओं के साथ प्रार्थना करते हुए मुंह छुपा लिया।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में मरकुस रचित सुसमाचार में एक व्यक्ति की कहानी बताई गयी जो अपने एक प्रीय जन की सहायता करना चाहता था। एक परेशान पिता अपने अस्वस्थ बेटे को प्रभु यीशु के पास लेकर आया (मरकुस 9:17)। प्रभु के सामने अपने परिस्थिति की असंभव प्रतीत होने वाली बातों को बताते हुए उसकी आवाज़ में संदेह प्रगट था (पद 20-22), किन्तु उसने स्वीकार किया कि प्रभु यीशु ही उसके अविश्वास का उपाय कर सकते हैं (पद 24)। प्रभु यीशु के उस परिस्थिति में प्रवेश कर के उसे अपने नियंत्रण में ले लेने के द्वारा, पिता और पुत्र, दोनों ने मुक्ति और शान्ति का अनुभव किया (पद 25-27)।

      जब भी प्रिय जन दुःख में होते हैं, तो यह स्वाभाविक होता है कि हमें लगे कि हम उनके हित में कुछ सही कार्य कर सकें और सही शब्द कह सकें। परन्तु प्रभु यीशु ही हैं जो वास्तव में हमारी सहायता कर सकते हैं। हम जब भी प्रार्थना में उसे पुकारते हैं, तो वह हमें उसमें विश्वास करने और उसकी उपस्थिति में भरोसा बनाए रखने के लिए सक्षम कर सकते हैं। - होक्टिल डिक्सन

यीशु का नाम वह सामर्थी प्रार्थना है जो हमें उसकी सामर्थी उपस्थिति में ले जाती है।

जब जिस समय मैं पुकारूंगा, उसी समय मेरे शत्रु उलटे फिरेंगे। यह मैं जानता हूं, कि परमेश्वर मेरी ओर है। - भजन 56:9

बाइबल पाठ: मरकुस 9:14-29
मरकुस 9:14 और जब वह चेलों के पास आया, तो देखा कि उन के चारों ओर बड़ी भीड़ लगी है और शास्त्री उन के साथ विवाद कर रहें हैं।
मरकुस 9:15 और उसे देखते ही सब बहुत ही आश्चर्य करने लगे, और उस की ओर दौड़कर उसे नमस्‍कार किया।
मरकुस 9:16 उसने उन से पूछा; तुम इन से क्या विवाद कर रहे हो?
मरकुस 9:17 भीड़ में से एक ने उसे उत्तर दिया, कि हे गुरू, मैं अपने पुत्र को, जिस में गूंगी आत्मा समाई है, तेरे पास लाया था।
मरकुस 9:18 जहां कहीं वह उसे पकड़ती है, वहीं पटक देती है: और वह मुंह में फेन भर लाता, और दांत पीसता, और सूखता जाता है: और मैं ने चेलों से कहा कि वे उसे निकाल दें परन्तु वह निकाल न सके।
मरकुस 9:19 यह सुनकर उसने उन से उत्तर देके कहा: कि हे अविश्वासी लोगों, मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूंगा और कब तक तुम्हारी सहूंगा? उसे मेरे पास लाओ।
मरकुस 9:20 तब वे उसे उसके पास ले आए: और जब उसने उसे देखा, तो उस आत्मा ने तुरन्त उसे मरोड़ा; और वह भूमि पर गिरा, और मुंह से फेन बहाते हुए लोटने लगा।
मरकुस 9:21 उसने उसके पिता से पूछा; इस की यह दशा कब से है?
मरकुस 9:22 उसने कहा, बचपन से: उसने इसे नाश करने के लिये कभी आग और कभी पानी में गिराया; परन्तु यदि तू कुछ कर सके, तो हम पर तरस खाकर हमारा उपकार कर।
मरकुस 9:23 यीशु ने उस से कहा; यदि तू कर सकता है, यह क्या बात है; विश्वास करने वाले के लिये सब कुछ हो सकता है।
मरकुस 9:24 बालक के पिता ने तुरन्त गिड़िगड़ाकर कहा; हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूं, मेरे अविश्वास का उपाय कर।
मरकुस 9:25 जब यीशु ने देखा, कि लोग दौड़कर भीड़ लगा रहे हैं, तो उसने अशुद्ध आत्मा को यह कहकर डांटा, कि हे गूंगी और बहिरी आत्मा, मैं तुझे आज्ञा देता हूं, उस में से निकल आ, और उस में फिर कभी प्रवेश न कर।
मरकुस 9:26 तब वह चिल्लाकर, और उसे बहुत मरोड़ कर, निकल आई; और बालक मरा हुआ सा हो गया, यहां तक कि बहुत लोग कहने लगे, कि वह मर गया।
मरकुस 9:27 परन्तु यीशु ने उसका हाथ पकड़ के उसे उठाया, और वह खड़ा हो गया।
मरकुस 9:28 जब वह घर में आया, तो उसके चेलों ने एकान्‍त में उस से पूछा, हम उसे क्यों न निकाल सके?
मरकुस 9:29 उसने उन से कहा, कि यह जाति बिना प्रार्थना किसी और उपाय से निकल नहीं सकती।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों 9-10
  • लूका 5:17-39



रविवार, 29 मार्च 2020

स्मरण



      कुछ वर्ष पहले की बात है, मैंने अपने बेटों के साथ कुछ समय इडाहो में एक नदी के किनारे खेत में स्थित, सूने और खाली पड़े हुए घर में बिताया। अब वहां कोई नहीं रहता था, सब लोग उसे छोड़ कर जा चुके थे। एक दिन उस घर के आस-पास घूमते हुए मुझे एक पुरानी कब्र दिखाई दी, जिस पर लकड़ी का एक चिन्ह लगा हुआ था, किन्तु काठ के पुराने हो जाने के साथ ही उस पर जो कुछ भी लिखा गया था वह मिट गया था। कोई था जो कभी वहां रहा करता था, परन्तु अब उसका देहांत हो चुका था, और अब उसका कोई स्मरण शेष नहीं था। वह कब्र मुझे दुखदायी लगी। वापस आने के बाद मैंने उस पुराने खेत और स्थान के बारे में जानकारी लेने के लिए कई घंटे बिताए और वहां के इतिहास के बारे में पढ़ा, परन्तु वहां दफनाए गए व्यक्ति के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं मिली।

      कहा जाता है कि हम में से सबसे उत्तम लोगों का स्मरण लगभग 100 वर्ष तक  रहता है; शेष को शीघ्र ही भुला दिया जाता है। पिछली पीढ़ियों की स्मृतियाँ, कब्र पर लगे उसे चिन्ह की लिखावट के समान ही, वे शीघ्र ही धूमिल हो जाती हैं। फिर भी परमेश्वर के परिवार में होने के कारण हम मसीही विश्वासियों की विरासत आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचती रहती है; हमने परमेश्वर तथा औरों से कैसे और कैसा प्रेम किया, उसकी स्मृति बनी रहती है। परमेश्वर के वचन बाइबल में मलाकी 3:16-17 में लिखा है, “तब यहोवा का भय मानने वालों ने आपस में बातें की, और यहोवा ध्यान धर कर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके साम्हने एक पुस्तक लिखी जाती थी। सेनाओं का यहोवा यह कहता है, कि जो दिन मैं ने ठहराया है, उस दिन वे लोग मेरे वरन मेरे निज भाग ठहरेंगे, और मैं उन से ऐसी कोमलता करूंगा जैसी कोई अपने सेवा करने वाले पुत्र से करे।

      पौलुस ने दाऊद के लिए लिखा कि उसने अपने समय में परमेश्वर की सेवा की और जाता रहा (प्रेरितों 13:36)। परन्तु परमेश्वर की ओर से दाऊद, और पौलुस, दोनों को आज भी स्मरण किया जाता है, उनके जीवनों, कार्यों, और लेखों से शिक्षाएं ली जाती हैं। वैसे ही हम भी आज अपने समय में परमेश्वर की सेवा करें और भविष्य में हमारे स्मरण किए जाने को परमेश्वर पर छोड़ दें। - डेविड एच. रोपर

प्रभु के लिए जीवन व्यतीत करने का एक स्थाई स्मरण बना रहता है।

क्योंकि दाऊद तो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार अपने समय में सेवा कर के सो गया; और अपने बाप दादों में जा मिला; और सड़ भी गया। - प्रेरितों के काम 13:36

बाइबल पाठ: यशायाह 49:14-16
यशायाह 49:14 परन्तु सिय्योन ने कहा, यहोवा ने मुझे त्याग दिया है, मेरा प्रभु मुझे भूल गया है।
यशायाह 49:15 क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपने दूधपिउवे बच्चे को भूल जाए और अपने जन्माए हुए लड़के पर दया न करे? हां, वह तो भूल सकती है, परन्तु मैं तुझे नहीं भूल सकता।
यशायाह 49:16 देख, मैं ने तेरा चित्र हथेलियों पर खोदकर बनाया है; तेरी शहरपनाह सदैव मेरी दृष्टि के साम्हने बनी रहती है।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों 7-8
  • लूका 5:1-16



शनिवार, 28 मार्च 2020

सताव



      जब अट्ठारह वर्षीय सैमी ने प्रभु यीशु मसीह को अपना व्यक्तिगत उद्धारकर्ता ग्रहण किया, तो उसके परिवार ने उसका तिरस्कार किया क्योंकि वे लोग एक भिन्न मत को मानने वाले थे। परन्तु मसीही विश्वासियों के समाज ने उसका स्वागत किया, उसे प्रोत्साहन दिया, और उसकी शिक्षा के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध करवाए। बाद में जब एक पत्रिका में उसकी गवाही छपी तो उस पर किया जाने वाला सताव और बढ़ गया।

      परन्तु सैमी ने अपने परिवार जनों से मिलना नहीं छोड़ा। जब भी संभव होता था, वह उन लोगों से मिलने जाता था और अपने पिता के साथ बातचीत करता था, यद्यपि उसके भाई-बहन पारिवारिक मामलों में भाग लेने से उसे रोकते थे। जब उसके पिता बीमार पड़े, तो सैमी ने परिवार के अन्य लोगों के दुर्व्यवहार की अनदेखी करते हुए अपने पिता की देखभाल की, और प्रार्थनाएँ कीं, कि उसके पिता स्वस्थ हो सकें। जब परमेश्वर ने उसके पिता को चंगा किया, उसके बाद से परिवार जनों का रवैया सैमी के प्रति ठीक होने लगा। समय के साथ, उसके प्रेम-व्यवहार की गवाही ने उसके प्रति परिवार जनों के व्यवहार को नम्र किया, और उन में से कुछ प्रभु यीशु के बारे में सुनने के लिए तैयार हो गए।

      प्रभु यीशु मसीह का अनुयायी बनाकर उनके पीछे चल निकलने से हमें कठिनाइयां तो होंगी। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पतरस ने लिखा, “क्योंकि यदि कोई परमेश्वर का विचार कर के अन्याय से दुख उठाता हुआ क्‍लेश सहता है, तो यह सुहावना है” (1 पतरस 2:19)। जब भी हम पर हमारे मसीही विश्वास के कारण सताव और परेशानियां आती हैं, तो ऐसा इस कारण होता है क्योंकि, “और तुम इसी के लिये बुलाए भी गए हो क्योंकि मसीह भी तुम्हारे लिये दुख उठा कर, तुम्हें एक आदर्श दे गया है, कि तुम भी उसके चिन्ह पर चलो” (पद 21)।

      जब लोगों ने प्रभु यीशु का अपमान किया, उन पर लांछन लगाए, तब “वह गाली सुन कर गाली नहीं देता था, और दुख उठा कर किसी को भी धमकी नहीं देता था, पर अपने आप को सच्चे न्यायी के हाथ में सौपता था” (पद 23)। सताव सहने और सही व्यवहार बनाए रखने में प्रभु यीशु ही हमारे उदाहरण हैं; स्ताव की तथा अन्य सभी परिस्थितियों में भी, हम प्रभु यीशु की ओर मार्गदर्शन, सहायता, और सामर्थ्य के लिए मुड़ सकते हैं। - लौरेंस दर्मानी

जब भी हम मसीह के लिए सताव झेलते हैं, 
वह हमारे साथ होकर हमें संभाले रहता है।

पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे। - 2 तीमुथियुस 3:12

बाइबल पाठ: 1 पतरस 2:11-23
1 पतरस 2:11 हे प्रियों मैं तुम से बिनती करता हूं, कि तुम अपने आप को परदेशी और यात्री जान कर उन सांसारिक अभिलाषाओं से जो आत्मा से युद्ध करती हैं, बचे रहो।
1 पतरस 2:12 अन्यजातियों में तुम्हारा चालचलन भला हो; इसलिये कि जिन जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जान कर बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देख कर; उन्‍हीं के कारण कृपा दृष्टि के दिन परमेश्वर की महिमा करें।
1 पतरस 2:13 प्रभु के लिये मनुष्यों के ठहराए हुए हर एक प्रबन्‍ध के आधीन में रहो, राजा के इसलिये कि वह सब पर प्रधान है।
1 पतरस 2:14 और हाकिमों के, क्योंकि वे कुकिर्मयों को दण्‍ड देने और सुकिर्मयों की प्रशंसा के लिये उसके भेजे हुए हैं।
1 पतरस 2:15 क्योंकि परमेश्वर की इच्छा यह है, कि तुम भले काम करने से निर्बुद्धि लोगों की अज्ञानता की बातों को बन्‍द कर दो।
1 पतरस 2:16 और अपने आप को स्‍वतंत्र जानो पर अपनी इस स्‍वतंत्रता को बुराई के लिये आड़ न बनाओ, परन्तु अपने आप को परमेश्वर के दास समझ कर चलो।
1 पतरस 2:17 सब का आदर करो, भाइयों से प्रेम रखो, परमेश्वर से डरो, राजा का सम्मान करो।
1 पतरस 2:18 हे सेवकों, हर प्रकार के भय के साथ अपने स्‍वामियों के आधीन रहो, न केवल भलों और नम्रों के, पर कुटिलों के भी।
1 पतरस 2:19 क्योंकि यदि कोई परमेश्वर का विचार कर के अन्याय से दुख उठाता हुआ क्‍लेश सहता है, तो यह सुहावना है।
1 पतरस 2:20 क्योंकि यदि तुम ने अपराध कर के घूंसे खाए और धीरज धरा, तो उस में क्या बड़ाई की बात है? पर यदि भला काम कर के दुख उठाते हो और धीरज धरते हो, तो यह परमेश्वर को भाता है।
1 पतरस 2:21 और तुम इसी के लिये बुलाए भी गए हो क्योंकि मसीह भी तुम्हारे लिये दुख उठा कर, तुम्हें एक आदर्श दे गया है, कि तुम भी उसके चिन्ह पर चलो।
1 पतरस 2:22 न तो उसने पाप किया, और न उसके मुंह से छल की कोई बात निकली।
1 पतरस 2:23 वह गाली सुन कर गाली नहीं देता था, और दुख उठा कर किसी को भी धमकी नहीं देता था, पर अपने आप को सच्चे न्यायी के हाथ में सौपता था।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों 4-6
  • लूका 4:31-44



शुक्रवार, 27 मार्च 2020

बढ़ाने वाला



      एक दिन सड़क से हमारे घर अन्दर आने वाले रास्ते के किनारे पर दिखने वाले कुछ पीले रंग ने मेरा ध्यान आकर्षित किया, वहां दो बड़े पत्थरों के बीच छः नर्गिस के फूल खिल रहे थे। न तो मैंने उनको वहां लगाया था, न ही उन्हें कोई खाद डाली, न उनकी देखभाल की या पानी डाला, इसलिए मुझे समझ नहीं आया कि हमारे आँगन में वे फूल कैसे उग आए।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु ने बीज के अंकुरित होने और बढ़ने के दृष्टांत के द्वारा आत्मिक बढ़ोतरी के रहस्य को समझाया। प्रभु ने परमेश्वर के राज्य की भूमि पर डाले गए बीज से तुलना की (मरकुस 4:26)। जिसने बीज डाला उसने भूमि को तैयार करने के लिए जो कुछ आवश्यक था वह किया होगा। परन्तु प्रभु यीशु ने कहा, की वह बीज अंकुरित हुआ और बढ़ा, चाहे वह बीज बोने वाला उसके उगने और बढ़ने की प्रक्रिया को समझ सका अथवा नहीं (पद 27-28); और अंततः भूमि के स्वामी को उस फसल से लाभ पहुंचा (पद 29)। वह लाभ उसके द्वारा कुछ करने या न करने पर, या भूमि के अन्दर बीजों में होने वाले परिवर्तनों एवं प्रक्रियाओं की समझ रखने पर निर्भर नहीं था।

      जैसे मेरे आँगन में वे नर्गिस के फूल खिलने लगे, वैसे ही प्रभु यीशु द्वारा दिए गए दृष्टान्त में वे बीज भी विकसित होते गए, परमेश्वर के समय, और परमेश्वर द्वारा बढ़ाए जाने के अनुसार। हम चाहे व्यक्तिगत आत्मिक उन्नति की बात करें, या मसीह के आगमन तक चर्च की बढ़ोतरी होते रहने की बात करें, प्रभु के रहस्यमय कार्य हमारी योग्यताओं या उसके कार्यों के विषय हमारी समझ पर निर्भर नहीं करते हैं। फिर भी परमेश्वर हमें आमंत्रित करता है कि हम उस बढ़ाने वाले परमेश्वर को जानें, उसकी सेवा, और उसकी स्तुति और आराधना करें, तथा जिस आत्मिक परिपक्वता को वह हमारे अन्दर बढ़ाता है, उसके लाभ को लें तथा औरों तक पहुंचाएं। - क्सोक्टिल डिक्सन

उसके लोगों तथा राज्य की बढ़ोतरी होने की महिमा परमेश्वर ही की है।

मैं ने लगाया, अपुल्लोस ने सींचा, परन्तु परमेश्वर ने बढ़ाया। इसलिये न तो लगाने वाला कुछ है, और न सींचने वाला, परन्तु परमेश्वर जो बढ़ाने वाला है। - 1 कुरिन्थियों 3:6-7

बाइबल पाठ: मरकुस 4:26-29
मरकुस 4:26 फिर उसने कहा; परमेश्वर का राज्य ऐसा है, जैसे कोई मनुष्य भूमि पर बीज छींटे।
मरकुस 4:27 और रात को सोए, और दिन को जागे और वह बीज ऐसे उगे और बढ़े कि वह न जाने।
मरकुस 4:28 पृथ्वी आप से आप फल लाती है पहिले अंकुर, तब बाल, और तब बालों में तैयार दाना।
मरकुस 4:29 परन्तु जब दाना पक जाता है, तब वह तुरन्त हंसिया लगाता है, क्योंकि कटनी आ पहुंची है।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों 1-3
  • लूका 4:1-30