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गुरुवार, 31 मई 2012

कब और कैसे?

   आज के समय की तकनीकी ने कुछ लोगों के लिए दिन रात काम करते रहना संभव बना दिया है। तकनीकी के कारण हमें काम करने के लिए कार्यस्थल पर ही रुकना आवश्यक नहीं है, हम अपना काम घर पर भी ला सकते हैं या अपने साथ अपनी छुट्टियों पर ले जा सकते हैं और उसे ज़ारी रख सकते हैं। जब तक बिजली उपलब्ध है, हमारा काम भी बिना रुके चलता रह सकता है।

   पिछली सर्दियों में बर्फबारी ने कई स्थानों और वहां के लोगों को ठहरा दिया। बर्फीले तूफनों से कई जगहों पर पेड़ और शाखाएं टूटकर गिर गए जिससे सड़कें रुक गईं और लोगों को घरों में रहना पड़ा। बिजली के तार भी गिर गए जिससे लोगों को ठंड और अन्धकार में समय बिताना पड़ा, और बिजली के अभाव में वे कुछ भी कर सकने की स्थिति में नहीं रहे।

   जब कभी कुछ ऐसा मेरे जीवन को बाधित करता है, तो मुझे एहसास होता है कि कार्य मेरे जीवन के लिए कितना आवश्यक है। यदि करने को कुछ ना हो तो मैं अपने आपको व्यर्थ और अयोग्य समझने लग जाता हूं। किंतु परमेश्वर नहीं चाहता कि हमारा कार्य हमारे लिये इतना आवश्यक हो जाए कि कोई बर्फीला तूफान या अन्य कोई प्राकृतिक आपदा ही हमें काम से रोकने पाए। परमेश्वर चाहता है कि हम सप्ताह में एक दिन समय निकालें और अपनी सांसारिक व्यस्तताओं से निकल कर उसकी ओर ध्यान दें, और अपने लिये फिर से सप्ताह भर के कार्य के लिए शक्ति पाएं। इसीलिये परमेश्वर ने इस्त्राएल को दी गई अपनी दस आज्ञाओं में एक आज्ञा अपने विश्राम दिन या सबत के दिन के विषय में दी जिस दिन परमेश्वर के लोगों, उनके सेवकों और उनके जानवरों को भी किसी प्रकार का कोई कार्य करना वर्जित था (निर्गमन २०:८-११; २३:१२)।

   चाहे नए नियम के इस काल में हम मसीही विश्वासी व्यवस्था के आधीन नहीं हैं, किंतु विश्राम का दिन और परमेश्वर का स्मरण हमारे लिये भी उतना ही आवश्यक है। सप्ताह में एक दिन अपने कार्य से विश्राम लेकर परमेश्वर की उपासना के लिए समर्पित कर देना ना केवल हमें स्वस्थ रखता है, हमारे पारिवारिक जीवन को भी बनाता है, और हमें परमेश्वर की आशीषों से भी भरता है; साथ ही हमें यह एहसास दिलाता रहता है कि कार्य हमारे जीवनों में परमेश्वर और उसकी आज्ञाकारिता से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है।

   परमेश्वर की ओर मुड़ने और विश्राम के लिये उसके विधान को मानने के लिये आप किस बात की प्रतीक्षा में हैं? क्या कोई प्रकृतिक आपदा या थके हुए मन और शरीर की व्याधि ही आपको विश्राम के लिए मजबूर कर सकगी? अपनी ही भलाई के लिए आप परमेश्वर के विधान को अपने जीवन में कब और कैसे लागू करेंगे? - डेव ब्रैनन


यदि कार्य की व्यस्तता से निकल कर विश्राम नहीं लेंगे तो किसी ’विश्राम’ द्वारा कार्य से ही निकाल दिए जाएंगे।

छ: दिन तक तो अपना काम काज करना, और सातवें दिन विश्राम करना, कि तेरे बैल और गदहे सुस्ताएं, और तेरी दासियों के बेटे और परदेशी भी अपना जी ठंडा कर सकें। - निर्गमन २३:१२

बाइबल पाठ: निर्गमन २०:१-१७
Exo 20:1  तब परमेश्वर ने ये सब वचन कहे,
Exo 20:2 कि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूं, जो तुझे दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल लाया है।
Exo 20:3  तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर कर के न मानना।
Exo 20:4  तू अपने लिये कोई मूर्ति खोद कर न बनाना, न किसी कि प्रतिमा बनाना, जो आकाश में, वा पृथ्वी पर, वा पृथ्वी के जल में है।
Exo 20:5 तू उनको दण्डवत्‌ न करना, और न उनकी उपासना करना, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला ईश्वर हूं, और जो मुझ से बैर रखते है, उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को भी पितरों का दण्ड दिया करता हूं,
Exo 20:6  और जो मुझ से प्रेम रखते और मेरी आज्ञाओं को मानते हैं, उन हजारों पर करूणा किया करता हूं।
Exo 20:7  तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना, क्योंकि जो यहोवा का नाम व्यर्थ ले वह उसको निर्दोष न ठहराएगा।
Exo 20:8  तू विश्राम दिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना।
Exo 20:9  छ: दिन तो तू परिश्रम कर के अपना सब काम काज करना;
Exo 20:10  परन्तु सातवां दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्राम दिन है। उस में न तो तू किसी भांति का काम काज करना, और न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरे पशु, न कोई परदेशी जो तेरे फाटकों के भीतर हो।
Exo 20:11  क्योंकि छ: दिन में यहोवा ने आकाश, और पृथ्वी, और समुद्र, और जो कुछ उन में है, सब को बनाया, और सातवें दिन विश्राम किया; इस कारण यहोवा ने विश्राम दिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया।
Exo 20:12  तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जिस से जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में तू बहुत दिन तक रहने पाए।
Exo 20:13  तू खून न करना।
Exo 20:14  तू व्यभिचार न करना।
Exo 20:15  तू चोरी न करना।
Exo 20:16  तू किसी के विरूद्ध झूठी साक्षी न देना।
Exo 20:17  तू किसी के घर का लालच न करना, न तो किसी की स्त्री का लालच करना, और न किसी के दास-दासी, वा बैल गदहे का, न किसी की किसी वस्तु का लालच करना।


एक साल में बाइबल: 

  • २ इतिहास १३-१४ 
  • यूहन्ना १२:१-२६

बुधवार, 30 मई 2012

यादगार

   प्रत्येक यादगार दिवस पर हम उन शहीदों को याद करते हैं जिन्होंने देश की सेवा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। अमेरिका में एक स्थान है जहां यह यादगार एक गंभीर और महत्वपूर्ण बात साल में केवल एक दिन नहीं वरन सारे साल बनी रहती है; यह स्थान है वॉशिंगटन के निकट स्थित आर्लिंगटन राष्ट्रीय कब्रिस्तान। यह वह स्थान है जहां उम्र के कारण जीवन समाप्त करने वाले बीते समय के युद्ध के वीरों और वर्तमान में संसार में स्थान स्थान पर चल रहे संघर्षों में काम आने वाले अमेरीकी सैनिकों को अन्तिम विदाई दी जाती है, और औसतन प्रतिदिन २५ अन्तिम संसकार किए जाते हैं।

   इस कब्रिस्तान की देख रेख और इन अन्तिम संसकारों का किया जाना अमेरिका की 3rd Infantry Regiment की एक टुकड़ी The Old Guard की ज़िम्मेदारी है। वे ही इन शहीदों के शवों को लेकर उनके अन्तिम स्थान तक ले जाते हैं और पूरे सैनिक सम्मान के साथ दफनाते हैं। इस टुकड़ी के सदस्य स्वतंत्रता की कीमत को कभी नज़रन्दाज़ नहीं कर सकते, क्योंकि प्रतिदिन यह उन्हें बार बार स्मरण हो आती है।

   प्रभु यीशु के विश्वासियों को प्रभु भोज उस यादगार के रूप में दिया गया है जो उन्हें स्मरण दिलाए कि पाप से उनकी स्वतंत्रता के लिए प्रभु यीशु को क्या कीमत चुकानी पड़ी। जब मसीही विश्वासी प्रभु भोज में सम्मिलित होते हैं तो वे अपने प्रभु की आज्ञा "...मेरे स्मरण के लिये यही किया करो" (१ कुरिन्थियों ११:२४) को पूरी करते हैं।

   प्रभु यीशु की मृत्यु के इस गंभीर स्मरण में एक आनन्द है, क्योंकि यह यादगार केवल स्पताह के एक दिन और प्रभु भोज की मेज़ तक ही सीमित नहीं है, यह विश्वासी के नए जन्म और जीवन का आधार है। हमें पापों से क्षमा देने वाले और उद्धारकर्ता प्रभु यीशु को समर्पित और उसकी आज्ञाकारिता का जीवन जी कर हम संसार को प्रतिदिन दिखा सकते हैं कि हम उसके बलिदान को भूले नहीं हैं। - बिल क्राउडर


मसीह की मृत्यु की याद मसीही विश्वासियों के लिये मसीह के लिये जीने की प्रेरणा है।

और धन्यवाद करके उसे तोड़ी, और कहा कि यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये है : मेरे स्मरण के लिये यही किया करो। - १ कुरिन्थियों ११:२४

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ११:२३-३२
1Co 11:23  क्‍योंकि यह बात मुझे प्रभु से पहुंची, और मैं ने तुम्हें भी पहुंचा दी, कि प्रभु यीशु ने जिस रात वह पकड़वाया गया रोटी ली।
1Co 11:24  और धन्यवाद कर के उसे तोड़ी, और कहा कि यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये है : मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।
1Co 11:25  इसी रीति से उस ने बियारी के पीछे कटोरा भी लिया, और कहा यह कटोरा मेरे लोहू में नई वाचा है: जब कभी पीओ, तो मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।
1Co 11:26 क्‍योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते, और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो।
1Co 11:27  इसलि्ये जो कोई अनुचित रीति से प्रभु की रोटी खाए, या उसके कटोरे में से पीए, वह प्रभु की देह और लोहू का अपराधी ठहरेगा।
1Co 11:28  इसलिये मनुष्य अपने आप को जांच ले और इसी रीति से इस रोटी में से खाए, और इस कटोरे में से पीए।
1Co 11:29 क्‍योंकि जो खाते-पीते समय प्रभु की देह को न पहिचाने, वह इस खाने और पीने से अपने ऊपर दण्‍ड लाता है।
1Co 11:30  इसी कारण तुम में से बहुत से निर्बल और रोगी हैं, और बहुत से सो भी गए।
1Co 11:31  यदि हम अपने आप में जांचते, तो दण्‍ड न पाते।
1Co 11:32  परन्‍तु प्रभु हमें दण्‍ड देकर हमारी ताड़ना करता है इसलिये कि हम संसार के साथ दोषी न ठहरें।


एक साल में बाइबल: 

  • २ इतिहास १०-१२ 
  • यूहन्ना ११:३०-५७

मंगलवार, 29 मई 2012

"कभी नहीं" - कभी नहीं!

   मैं अपने एक मित्र के साथ उस मार्ग पर चल रहा था जहां कभी बर्लिन की दीवार खड़ी हुई थी; उस ने मुझे बताया, "यह मेरे जीवन के ’कभी नहीं’ - कभी नहीं स्थानों में से एक है।" फिर उसने विस्तार से बताया कि जब जर्मनी कम्युनिस्ट पूर्वी और लोकतांत्रिक पश्चिमी भागों में विभाजित दो पृथक राष्ट्र हुआ करता था, तब बर्लिन भी पूर्वी और पश्चिमी भागों में विभाजित था और पश्चिमी से पूर्वी भाग में जाने के लिए लोगों को विशेष अनुमति के साथ चैकपॉइंट चार्ली नामक नाके से होकर निकलना पड़ता था। मेरे मित्र ने उन दिनों में पूर्वी जर्मनी में ताड़ना, दबाव और कठिनाईयों में जी रहे मसीही विश्वासियों को प्रोत्साहित करने के लिए इस नाके से होकर पूर्वी जर्मनी में कई चक्कर लगाए। ऐसा करते समय सीमा प्रहरियों ने उसे कई बार रोक कर उससे पूछताछ करी और उसे नाहक परेशान किया।

   १९८८ में मेरा वह मित्र अपने किशोर बच्चों को लेकर पश्चिमी बर्लिन आया और उन्हें बर्लिन की दीवार दिखाते हुए कहा, "इस दीवार को ध्यान से देखो; कुछ वर्षों बाद जब तुम अपने बच्चों को लेकर यहां आओगे, तब भी यह दिवार ऐसी ही खड़ी मिलेगी।" और इसके एक वर्ष के अन्दर ही वह दीवार गिरा दी गई, पूर्वी तथा पश्चिमी जर्मनी का विलय हो गया और वे फिर से एक राष्ट्र बन गए। जो असंभव लगता था वह देखते ही देखते अप्रत्याशित रीति से संभव हो गया।

   जब तरशीश के शाउल ने मसीही विश्वासियों का विरोध करना और उन पर हमले करना आरंभ किया था तो कोई सोच भी नहीं सकता था कि वह भी मसीह का चेला बन जाएगा। उस समय के लोगों के लिए यह "कभी नहीं" संभव होने वाली बात थी। परन्तु परमेश्वर के वचन बाइबल के प्रेरितों ९:१-९ में वर्णन है कि कैसे जब शाउल दमिशक से मसीही विश्वासियों को पकड़ कर लाने जा रहा था कि उन्हें बन्दीगृह में डाला जाए तो उसका प्रभु यीशु के साथ एक चकाचौन्ध कर देने वाला सामना हुआ। इस जीवन बदल देने वाली घटना के बाद, भूतपूर्व मसीह विरोधी शाउल प्रभु यीशु को पूर्णतः समर्पित पौलुस बन गया और कुछ ही समय में सभी यहूदी आराधानलयों और अन्य लोगों में प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर का पुत्र और जगत का उद्धारकर्ता होने का प्रचार करने लगा, जो उसके सब सुनने वालों के लिए एक बड़े अचंभे की बात थी।

   जब परमेश्वर द्वारा कठोर और असंभव प्रतीत होने वाले लोगों में परिवर्तन आने की बात आती है तो इस संभावना के लिए हमें कभी भी "कभी नहीं" नहीं बोलना चाहिए। - डेविड मैक्कैसलैंड


परमेश्वर द्वारा किए जाने के लिए किसी भी कार्य को कभी भी असंभव ना माने।


और वह तुरन्‍त आराधनालयों में यीशु का प्रचार करने लगा, कि वह परमेश्वर का पुत्र है। - प्रेरितों ९:२०

बाइबल पाठ: प्रेरितों ९:१-२२
Act 9:1   और शाऊल जो अब तक प्रभु के चेलों को धमकाने और घात करने की धुन में था, महायाजक के पास गया।
Act 9:2  और उस से दमिश्‍क के अराधनालयों के नाम पर इस अभिप्राय की चिट्ठियां मांगी, कि क्‍या पुरूष, क्‍या स्त्री, जिन्‍हें वह इस पंथ पर पाए उन्‍हें बान्‍ध कर यरूशलेम में ले आए।
Act 9:3  परन्‍तु चलते चलते जब वह दमिश्‍क के निकट पहुंचा, तो एकाएक आकाश से उसके चारों ओर ज्योति चमकी।
Act 9:4  और वह भूमि पर गिर पड़ा, और यह शब्‍द सुना, कि हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्‍यों सताता है?
Act 9:5   उस ने पूछा, हे प्रभु, तू कौन है? उस ने कहा, मैं यीशु हूं, जिसे तू सताता है।
Act 9:6  परन्‍तु अब उठकर नगर में जा, और जो कुछ करना है, वह तुझ से कहा जाएगा।
Act 9:7  जो मनुष्य उसके साथ थे, वे चुपचाप रह गए, क्‍योंकि शब्‍द तो सुनते थे, परन्‍तु किसी को देखते न थे।
Act 9:8  तब शाऊल भूमि पर से उठा, परन्‍तु जब आंखे खोलीं तो उसे कुछ दिखाई न दिया और वे उसका हाथ पकड़ के दमिश्‍क में ले गए।
Act 9:9   और वह तीन दिन तक न देख सका, और न खाया और न पीया।
Act 9:10  दमिश्‍क में हनन्याह नाम एक चेला था, उस से प्रभु ने दर्शन में कहा, हे हनन्याह! उस ने कहा, हां प्रभु।
Act 9:11  तब प्रभु ने उस से कहा, उठकर उस गली में जा जो सीधी कहलाती है, और यहूदा के घर में शाऊल नाम एक तारसी को पूछ ले, क्‍योंकि देख, वह प्रार्थना कर रहा है।
Act 9:12  और उस ने हनन्याह नाम एक पुरूष को भीतर आते, और अपने ऊपर हाथ रखते देखा है, ताकि फिर से दृष्‍टि पाए।
Act 9:13   हनन्याह ने उत्तर दिया, कि हे प्रभु, मैं ने इस मनुष्य के विषय में बहुतों से सुना है, कि इस ने यरूशलेम में तेरे पवित्र लोगों के साथ बड़ी बड़ी बुराईयां की हैं।
Act 9:14  और यहां भी इस को महायाजकों की ओर से अधिकार मिला है, कि जो लोग तेरा नाम लेते हैं, उन सब को बान्‍ध ले।
Act 9:15  परन्‍तु प्रभु ने उस से कहा, कि तू चला जा; क्‍योंकि यह, तो अन्यजातियों और राजाओं, और इस्‍त्राएलियों के साम्हने मेरा नाम प्रगट करने के लिये मेरा चुना हुआ पात्र है।
Act 9:16   और मैं उसे बताऊंगा, कि मेरे नाम के लिये उसे कैसा कैसा दुख उठाना पड़ेगा।
Act 9:17  तब हनन्याह उठकर उस घर में गया, और उस पर अपना हाथ रख कर कहा, हे भाई शाऊल, प्रभु, अर्थात यीशु, जो उस रास्‍ते में, जिस से तू आया तुझे दिखाई दिया था, उसी ने मुझे भेजा है, कि तू फिर दृष्‍टि पाए और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाए।
Act 9:18  और तुरन्‍त उस की आंखों से छिलके से गिरे, और वह देखने लगा और उठकर बपतिस्मा लिया, फिर भोजन करके बल पाया।
Act 9:19  और वह कई दिन उन चेलों के साथ रहा जो दमिश्‍क में थे।
Act 9:20  और वह तुरन्‍त आराधनालयों में यीशु का प्रचार करने लगा, कि वह परमेश्वर का पुत्र है।
Act 9:21  और सब सुनने वाले चकित होकर कहने लगे, क्‍या यह वही व्यक्ति नहीं है जो यरूशलेम में उन्‍हें जो इस नाम को लेते थे नाश करता था, और यहां भी इसी लिये आया या, कि उन्हें बान्‍ध कर महायाजकों के पास ले आए
Act 9:22  परन्‍तु शाऊल और भी सामर्थी होता गया, और इस बात का प्रमाण दे देकर कि मसीह यही है, दमिश्‍क के रहने वाले यहूदियों का मुंह बन्‍द करता रहा।


एक साल में बाइबल: 

  • २ इतिहास ७-९ 
  • यूहन्ना ११:१-२९

सोमवार, 28 मई 2012

उस के हाथों में

   सेडरविल्ल विश्वविद्यालय के २००२ के दीक्षांत समारोह में, उस वर्ष के स्नातकों को, जिनमें हमारी बेटी जूली भी थी, अपने संदेश में डॉ० पौल डिक्सन ने आगे के जीवन के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा: "तुम्हारे समय परमेश्वर के हाथों में हैं।" हम सब परिवारजन वहां उपस्थित थे और यह सुन रहे थे, तथा सोच रहे थे कि उन्होंने कितना सही कहा, स्नातकों को कितनी अच्छी बात बताई। उस समय हमें इस बात का ज़रा भी अन्देशा नहीं था कि ५ दिनों में ही हमारी एक और बेटी मेलिस्सा, एक कार दुर्घटना द्वारा पृथ्वी से स्वर्ग के लिए कूच कर जाएगी, और हम उस दिन के उस संदेश में भजन ३१:१५ से लेकर कही गए उस बात को एक नए संदर्भ में स्मरण करते रह जाएंगे।

   उसके बाद के वर्षों में हमने दुखते दिलों के अनुभवों द्वारा जाना है कि परमेश्वर ने अपनी रहस्यमयी इच्छा के अन्तर्गत कुछ लोगों के लिए एक छोटा जीवन काल निर्धारित किया है। मुझे कुछ उदाहरण स्मरण आते हैं; जैसे कि हीदर, एक मसीही विश्वासी युवती, जिसके पास सदा ही सब के लिए एक मधुर मुस्कान होती थी; उसकी ऊंगुली में एक घाव हुआ और सप्ताह भर ही में वह गंभीर संक्रमण के कारण चल बसी। या, मैग्गी, एक और युवा मसीही विश्वासी, खेलते समय उसकी गर्दन पर गेंद लगी और उसका जीवनांत हो गया। या, थौमस नाम का एक और किशोर, जो प्रभु यीशु से बहुत प्रेम करता था और मछली पकड़ने का शौक रखता था; एक दिन जब वह मछली पकड़ने के बाद अपनी साईकिल से घर वापस लौट रहा था तो एक कार द्वारा टक्कर मारे जाने से जाता रहा। इन सभी छोटी उम्र के विश्वासियों ने अपने छोटे से जीवन काल में अपने प्रभु और उस में अपने विश्वास तथा दूसरों के प्रति अपने प्रेम से एक ऐसी विरासत बना ली थी, कि जब उनका समया आया तो वे अपने प्रभु के सामने उपस्थित होने के लिए तैयार थे।

   भजनकार ने यह पहचानते हुए कि उसके जीवन का नियंत्रण केवल परमेश्वर के हाथों ही में है, कहा: "मैं ने तो तुझी पर भरोसा रखा है" (भजन ३१:१५)। क्या आपने अपना जीवन परमेश्वर के हाथों में समर्पित कर दिया है? क्या आपने उस पर पूर्ण रीति से भरोसा कर लिया है? क्या आप कभी भी, या अभी ही, उसके सामने उपस्थित होने और अपने जीवन का हिसाब देने के लिए तैयार हैं?

   आपसे यह हिसाब कभी भी अनायास ही मांगा जा सकता है, इसे नज़रंदाज़ मत कीजिए, इसकी तैयारी में विलंब मत कीजिए। प्रभुइ यीशु मसीह में विश्वास और पापों की क्षमा द्वारा अपना अनन्त्काल सुरक्षित कर लिजिए। - डेव ब्रैनन


सब लोगों के समय परमेश्वर के हाथों में हैं तथा सभी मसीही विश्वासियों की आत्माएं उसके हाथों में अनन्तकाल के लिए सुरक्षित हैं।

परन्तु हे यहोवा मैं ने तो तुझी पर भरोसा रखा है, मैं ने कहा, तू मेरा परमेश्वर है। मेरे दिन तेरे हाथ में हैं, तू मुझे मेरे शत्रुओं और मेरे सताने वालों के हाथ से छुड़ा। - भजन ३१:१४-१५

बाइबल पाठ: भजन ३१:१-१६
Psa 31:1  हे यहोवा मेरा भरोसा तुझ पर है, मुझे कभी लज्जित होना न पड़े; तू अपने धर्मी होने के कारण मुझे छुड़ा ले!
Psa 31:2  अपना कान मेरी ओर लगा कर तुरन्त मुझे छुड़ा ले!
Psa 31:3  क्योंकि तू मेरे लिए चट्टान और मेरा गढ़ है; इसलिए अपने नाम के निमित्त मेरी अगुवाई कर, और मुझे आगे ले चल।
Psa 31:4  जो जाल उन्होंने मेरे लिए बिछाया है उस से तू मुझ को छुड़ा ले, क्योंकि तू ही मेरा दृढ़ गढ़ है।
Psa 31:5  मैं अपनी आत्मा को तेरे ही हाथ में सौंप देता हूं; हे यहोवा, हे सत्यवादी ईश्वर, तू ने मुझे मोल लेकर मुक्त किया है।
Psa 31:6  जो व्यर्थ वस्तुओं पर मन लगाते हैं, उन से मैं घृणा करता हूं, परन्तु मेरा भरोसा यहोवा ही पर है।
Psa 31:7  मैं तेरी करूणा से मगन और आनन्दित हूं, क्योंकि तू ने मेरे दु:ख पर दृष्टि की है, मेरे कष्ट के समय तू ने मेरी सुधि ली है,
Psa 31:8  और तू ने मुझे शत्रु के हाथ में पड़ने नहीं दिया, तू ने मेरे पांवों को चौड़े स्थान में खड़ा किया है।
Psa 31:9  हे यहोवा, मुझ पर अनुग्रह कर क्योंकि मैं संकट में हूं; मेरी आंखे वरन मेरा प्राण और शरीर सब शोक के मारे घुले जाते हैं।
Psa 31:10  मेरा जीवन शोक के मारे और मेरी अवस्था कराहते कराहते घट चली है; मेरा बल मेरे अधर्म के कारण जाता रह, ओर मेरी हडि्डयां घुल गई।
Psa 31:11  अपने सब विरोधियों के कारण मेरे पड़ोसियों में मेरी नामधराई हुई है, अपने जान-पहिचान वालों के लिए डर का कारण हूं; जो मुझ को सड़क पर देखते है वह मुझ से दूर भाग जाते हैं।
Psa 31:12  मैं मृतक की नाईं लोगों के मन से बिसर गया, मैं टूटे बासन के समान हो गया हूं।
Psa 31:13  मैं ने बहुतों के मुंह से अपना अपवाद सुना, चारों ओर भय ही भय है! जब उन्होंने मेरे विरूद्ध आपस में सम्मति की तब मेरे प्राण लेने की युक्ति की।
Psa 31:14  परन्तु हे यहोवा मैं ने तो तुझी पर भरोसा रखा है, मैं ने कहा, तू मेरा परमेश्वर है।
Psa 31:15  मेरे दिन तेरे हाथ में हैं; तू मुझे मेरे शत्रुओं और मेरे सताने वालों के हाथ से छुड़ा।
Psa 31:16  अपने दास पर अपने मुंह का प्रकाश चमका; अपनी करूणा से मेरा उद्धार कर।


एक साल में बाइबल: 

  • २ इतिहास ४-६ 
  • यूहन्ना १०:२४-४२

रविवार, 27 मई 2012

पक्षपात

   रूथ रेचल पेशे से भोजनालयों, होटलों और रेस्टुरैंटों के स्तर, कार्य और व्यवस्था की समीक्षा करने वाली महिला थीं, जो देश के जाने माने अखबार "The New York Times" में प्रकाशित होने वाली अपनी प्रभावकारी समीक्षा और अलोचना के लिए जानी जाती थीं। अपनी रोचक पुस्तक "Garlic and Sapphires: the Secret Life of a Critic in Disguise" में रेचल अपने ६ वर्ष के अनुभवों को बताती हैं। क्योंकि उनकी आलोचनाओं और समीक्षाओं का व्यापक प्रभाव होता था, इसलिए बड़े बड़े और नामी होटलों तथा रेस्टुरैंटों ने उनकी तस्वीर लगा कर रखी हुई थी जिससे उनके कर्मचारी उन्हें पहचान लें और उनकी आव-भगत तथा सेवा में कोई कमी न रहे, और वे उनके बारे में अच्छे लेख लिख सकें।

   पहचाने जाने के कारण असामान्य ध्यान और सेवा मिलने से बचने और सच्ची समीक्षा लिख पाने के लिए रेचल ने एक कुशल उपाय लागू किया, वे भेष बदल कर होटलों और रेस्टुरैंटों में जाने लगीं, जिससे उनके साथ भी वहां के किसी सामान्य ग्राहक के समान ही बर्ताव हो सके। एक बार वे एक वृद्ध महिला बनकर गईं, और पाया कि रेस्टुरैंट में बैठाए जाने के लिए उन्हें लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ी, और फिर उनकी ओर कोई विशेष ध्यान भी नहीं दिया गया, उनके आग्रहों को अन्देखा किया गया।

   ऐसे पक्षपाती व्यवहार के विरुद्ध परमेश्वर का वचन बाइबल स्पष्ट निर्देश देती है। याकूब ने अपनी पत्री में लिखा: "हे मेरे भाइयों, हमारे महिमायुक्त प्रभु यीशु मसीह का विश्वास तुम में पक्षपात के साथ न हो। क्‍योंकि यदि एक पुरूष सोने के छल्ले और सुन्‍दर वस्‍त्र पहिने हुए तुम्हारी सभा में आए और एक कंगाल भी मैले कुचैले कपड़े पहिने हुए आए। और तुम उस सुन्‍दर वस्‍त्र वाले का मुंह देख कर कहो कि तू वहां अच्‍छी जगह बैठ; और उस कंगाल से कहो, कि तू यहां खड़ा रह, या मेरे पांव की पीढ़ी के पास बैठ। तो क्‍या तुम ने आपस में भेद भाव न किया और कुविचार से न्याय करने वाले न ठहरे?" (याकूब २:१-४)

   जब कोई व्यक्ति हमारे चर्च या मण्डली में आता है तो उसके साथ कैसे व्यवहार होता है? क्या हम धनवानों और प्रसिद्धी प्राप्त लोगों के प्रति पक्षपाती होते हैं? परमेश्वर की इच्छा है कि हम सब के साथ समान व्यवहार करें, सबके लिए बराबर चिंता करें, उन में एक समान रुचि दिखाएं, ना कि ऊपरी रीति से या बाहर से प्रतीत होने वाले उनके धन और सामाजिक स्तर के अनुसार।

   अपने प्रभु की आराधना और उपासना में हम सब को समान स्तर और रीति से स्वागत करें और उन्हें समानता के साथ सम्मिलित करें। - डेनिस फिशर


जब परमेश्वर हमें, जैसे हम हैं वैसे ही, अपने साथ सहभागी करता है, अपने निकट लाता है तो फिर दूसरों के साथ भेद-भाव करने वाले हम कौन होते हैं?

पर यदि तुम पक्षपात करते हो, तो पाप करते हो, और व्यवस्था तुम्हें अपराधी ठहराती है। - याकूब २:९

बाइबल पाठ: याकूब २:१-९
Jas 2:1   हे मेरे भाइयों, हमारे महिमायुक्त प्रभु यीशु मसीह का विश्वास तुम में पक्षपात के साथ न हो।
Jas 2:2  क्‍योंकि यदि एक पुरूष सोने के छल्ले और सुन्‍दर वस्‍त्र पहिने हुए तुम्हारी सभा में आए और एक कंगाल भी मैले कुचैले कपड़े पहिने हुए आए।
Jas 2:3  और तुम उस सुन्‍दर वस्‍त्र वाले का मुंह देख कर कहो कि तू वहां अच्‍छी जगह बैठ; और उस कंगाल से कहो, कि तू यहां खड़ा रह, या मेरे पांव की पीढ़ी के पास बैठ।
Jas 2:4  तो क्‍या तुम ने आपस में भेद भाव न किया और कुविचार से न्याय करने वाले न ठहरे?
Jas 2:5  हे मेरे प्रिय भाइयों सुनो? क्‍या परमेश्वर ने इस जगत के कंगालों को नहीं चुना कि विश्वास में धर्मी, और उस राज्य के अधिकारी हों, जिस की प्रतिज्ञा उस ने उन से की है जो उस से प्रेम रखते हैं?
Jas 2:6  पर तुम ने उस कंगाल का अपमान किया: क्‍या धनी लोग तुम पर अत्याचार नहीं करते और क्‍या वे ही तुम्हें कचहिरयों में घसीट घसीट कर नहीं ले जाते?
Jas 2:7  क्‍या वे उस उत्तम नाम की निन्‍दा नहीं करते जिस के तुम कहलाए जाते हो?
Jas 2:8  तौभी यदि तुम पवित्र शास्‍त्र के इस वचन के अनुसार, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख, सचमुच उस राज-व्यवस्था को पूरी करते हो, तो अच्‍छा करते हो।
Jas 2:9   पर यदि तुम पक्षपात करते हो, तो पाप करते हो, और व्यवस्था तुम्हें अपराधी ठहराती है।


एक साल में बाइबल: 

  • २ इतिहास १-३ 
  • यूहन्ना १०:१-२३

शनिवार, 26 मई 2012

ज़िम्मेदारी

   मेरा ऑस्ट्रेलियाई मित्र ग्रैहम अन्धा पैदा नहीं हुआ था, ९ वर्ष की आयु में घटित एक दुर्घटना के कारण वह अन्धा हो गया था। फिर भी वह अपने लिए कभी दुखी नहीं रहा; उसने अपना अध्ययन पूरा किया और एक फिज़्योथेरपिस्ट बना। वह जहां कहीं भी जाता था, अपने फिज़्योथेरपी के काम के साथ साथ वह यह बात अवश्य बांटता था कि प्रभु यीशु उसके लिए और उसके जीवन में क्या अर्थ रखते हैं। उसकी अन्तिम यात्रा थाइलैंड की थी और वहां भी वह फिज़ियोथैरिपी के साथ साथ प्रभु यीशु के सुसमाचार के प्रचार का कार्य करता रहा।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में राजाओं के वृतांत में हम चार कोढ़ियों के बारे में पढ़ते हैं। अराम की सेना ने उनके शहर को घेर रखा था, शहर के अन्दर खाने-पीने की सामग्री समाप्त हो चुकी थी और लोग बहुत क्लेष में थे। ये कोढ़ी अराम की छावनी की ओर चले, इस विचार से कि या तो वहां से कुछ खाने को मिलेगा या मौत मिलेगी जो भूखों मरने से बेहतर होगी। वहां पहुंच कर उन्होंने पाया कि अराम की सेना छावनी छोड़ कर भाग गई है और अपना सब सामान वहीं छावनी में छोड़ गई है। उन्होंने तुरंत वहां पड़ा भोजन किया और लूट जमा करने लगे, लेकिन थोड़ी ही देर में उन्हें कुछ ध्यान आया और: "तब वे आपस में कहने लगे, जो हम कर रहे हैं वह अच्छा काम नहीं है, यह आनन्द के समाचार का दिन है, परन्तु हम किसी को नहीं बताते। जो हम पौ फटने तक ठहरे रहें तो हम को दण्ड मिलेगा; सो अब आओ हम राजा के घराने के पास जाकर यह बात बतला दें" (२ राजा ७:९)। और उन्होंने जा कर शेष इस्त्राएलियों को यह समाचार दिया और लोग भूखों मरने से बच गए।

   अपनी शारीरिक अपंगताओं के बावजूद ग्राहम और उन कोढ़ियों, दोनो ही ने दूसरों के बारे में सोचा। जो उन्हें मिला था वे उसके लिए परमेश्वर की धन्यवादी थे और उन्होंने पहचाना कि यह उत्तम बात केवल अपने तक सीमित रखने के लिए नहीं है, इसे दूसरों के साथ बांटना उनकी ज़िम्मेदारी है, उनके लिए अनिवार्य है।

   क्या आप ने प्रभु यीशु के प्रेम को जाना है और उससे उद्धार पाया है? क्या आप के आस-पास ऐसा कोई है या आप किसी ऐसे को जानते हैं जिसे प्रभु यीशु के प्रेम और उद्धार की आवश्यक्ता है? उनके साथ प्रभु यीशु में पापों की क्षमा और उद्धार का सुसमाचार बांटना आपका दायित्व है, आपके लिए अनिवार्य है। सुसमाचार ना बांटने के लिए बहाने मत ढूंढिए, अपनी मजबूरियां मत गिनाईए; वरन इसके विपरीत प्रभु यीशु जो कुछ भी आपके जीवन में किया है उसी का वर्णन लोगों में कीजिए। प्रभु के साथ के अपने अनुभव को संसार के साथ बांटिए और आप पाएंगे कि आपके जीवन का एक नया उद्देश्य हो जाएगा; एक ऐसा उद्देश्य जिस की आशीष अनन्त काल तक रहेगी। - सी. पी. हीया


जब जो हमारे पास है हम उसके लिए धन्यवादी होते हैं तो हम उसे दूसरों के साथ बांटना भी चाहते हैं।


... यह आनन्द के समाचार का दिन है, परन्तु हम किसी को नहीं बताते। - २ राजा ७:९

बाइबल पाठ: २ राजा ७:३-११
2Ki 7:3  और चार कोढ़ी फाटक के बाहर थे; वे आपस में कहने लगे, हम क्यों यहां बैठे बैठे मर जाएं?
2Ki 7:4  यदि हम कहें, कि नगर में जाएं, तो वहां मर जाएंगे, क्योंकि वहां मंहगी पड़ी है, और जो हम यहीं बैठे रहें, तौभी मर ही जाएंगे। तो आओ हम अराम की सेना में पकड़े जाएं; यदि वे हम को जिलाए रखें तो हम जीवित रहेंगे, और यदि वे हम को मार डालें, तौभी हम को मरना ही है।
2Ki 7:5  तब वे सांझ को अराम की छावनी में जाने को चले, और अराम की छावनी की छोर पर पहुंच कर क्या देखा, कि वहां कोई नहीं है।
2Ki 7:6  क्योंकि प्रभु ने अराम की सेना को रथों और घोड़ों की और भारी सेना की सी आहट सुनाई थी, और वे आपस में कहने लगे थे कि, सुनो, इस्राएल के राजा ने हित्ती और मिस्री राजाओं को वेतन पर बुलवाया है कि हम पर चढ़ाई करें।
2Ki 7:7  इसलिए वे सांझ को उठ कर ऐसे भाग गए, कि अपने डेरे, घोड़े, गदहे, और छावनी जैसी की तैसी छोड़-छाड़ अपना अपना प्राण लेकर भाग गए।
2Ki 7:8  तो जब वे कोढ़ी छावनी की छोर के डेरों के पास पहुंचे, तब एक डेरे में घुस कर खाया पिया, और उस में से चान्दी, सोना और वस्त्र ले जा कर छिपा रखा; फिर लौट कर दूसरे डेरे में घुस गए और उस में से भी ले जा कर छिपा रखा।
2Ki 7:9  तब वे आपस में कहने लगे, जो हम कर रहे हैं वह अच्छा काम नहीं है, यह आनन्द के समाचार का दिन है, परन्तु हम किसी को नहीं बताते। जो हम पौ फटने तक ठहरे रहें तो हम को दण्ड मिलेगा; सो अब आओ हम राजा के घराने के पास जाकर यह बात बतला दें।
2Ki 7:10  तब वे चले और नगर के चौकीदारों को बुला कर बताया, कि हम जो अराम की छावनी में गए, तो क्या देखा, कि वहां कोई नहीं है, और मनुष्य की कुछ आहट नहीं है, केवल बन्धे हूए घोड़े और गदहे हैं, और डेरे जैसे के तैसे हैं।
2Ki 7:11  तब चौकीदारों ने पुकार के राजभवन के भीतर समाचार दिया।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास २८-२९ 
  • यूहन्ना ९:२४-४१

शुक्रवार, 25 मई 2012

संपूर्ण

   जौन स्टेईन्बैक का पुलिटज़र पुरुस्कार प्राप्त उपन्यास "The Grapes of Wrath" का कथानक २०वीं सदी के आरंभ में आई भीषण आर्थिक मंदी के समय में स्थित है। कहानी का आरंभ होता है मंदी की मार झेल रहे और अकाल ग्रस्त ओक्लाहोमा प्रांत के दृश्य से जहां फसल सूख रही है और खेत धूल होते जा रहे हैं। ऐसी विकट स्थिति में महिलाओं की नज़र अपने मर्दों पर टिकी थी कि वे इस कठिनाई को कैसे झेलते हैं; कहीं वे इस तनाव में टूट तो नहीं रहे। जब वे देखती हैं कि उनके आदमी मेहनत करने और जीवन यापन के लिए संघर्ष करने से पीछे नहीं हट रहे तो वे भी हिम्मत पाती हैं। स्टेईन्बैक ने इस संबंध में लिखा, "महिलाएं और बच्चे अपने अन्दर इस बात को जानते थे कि यदि उनके मर्द ’संपूर्ण’ रहेंगे तो वे फिर प्रत्येक दुर्भाग्य सहन कर सकते हैं।" यहां बात खुशी या संपन्नता या संतुष्टि की भी नहीं थी, बात थी अपने अन्दर, अपने जीवन में संपूर्ण होना। यही ’संपूर्णता’ हम सब के लिए आज भी बड़ी आवश्यक है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के किंग जेम्स अनुवाद में मूल भाषा में आए शब्द ’संपूर्ण’ का अकसर अनुवाद शरीर के किसी रोग की ’चंगाई’ पाने में किया गया है। उदाहरणस्वरूप, जब ३८ वर्ष से रोगावस्था में पड़े एक मनुष्य से प्रभु की बातचीत होती है तो प्रभु यीशु ने उससे पूछा, "क्या तू चंगा होना चाहता है?" (यूहन्ना ५:५-६); उस मनुष्य को शारीरिक व्याधि से चंगा करने के बाद प्रभु उसे आत्मिक रूप से भी स्वस्थ रहने के लिए चिताते हैं: "...देख, तू तो चंगा हो गया है; फिर से पाप मत करना, ऐसा न हो कि इस से कोई भारी विपत्ति तुझ पर आ पड़े" (यूहन्ना ५:१४)।

   यदि हम केवल प्रभु यीशु से वह चाहते हैं जो वह हमारे लिए कर सकता है, तो प्रभु के साथ हमारा संबंध बहुत सीमित रहेगा। जब हम अपने जीवन में स्वयं प्रभु यीशु ही को चाहेंगे तो उसकी उपस्थिति हमारे जीवनों में संपूर्णता को लेकर आएगी; क्योंकि केवल वह ही संपूर्ण है (कुलुस्सियों १:१९) और हमारी संपूर्णता उसकी चाह है (कुलुस्सियों १:२२)। - डेविड मैक्कैस्लैंड


एक टूटे और अधूरे जीवन को संपूर्णता केवल प्रभु यीशू ही दे सकते हैं।

...क्‍या तू चंगा [संपूर्ण] होना चाहता है? - यूहन्ना ५:५-६

बाइबल पाठ: यूहन्ना ५:१-१६
Joh 5:1  इन बातों के पीछे यहूदियों का एक पर्व हुआ और यीशु यरूशलेम को गया।
Joh 5:2  यरूशलेम में भेड़-फाटक के पास एक कुण्‍ड है जो इब्रानी भाषा में बेतहसदा कहलाता है, और उसके पांच ओसारे हैं।
Joh 5:3  इन में बहुत से बीमार, अन्‍धे, लंगड़े और सूखे अंगवाले (पानी के हिलने की आशा में) पड़े रहते थे।
Joh 5:4  (क्‍योंकि नियुक्ति समय पर परमेश्वर के स्‍वर्गदूत कुण्‍ड में उतर कर पानी को हिलाया करते थे: पानी हिलते ही जो कोई पहिले उतरता वह चंगा हो जाता था चाहे उसकी कोई बीमारी क्‍यों न हो।)
Joh 5:5   वहां एक मनुष्य था, जो अड़तीस वर्ष से बीमारी में पड़ा था।
Joh 5:6  यीशु ने उसे पड़ा हुआ देख कर और जान कर कि वह बहुत दिनों से इस दशा में पड़ा है, उस से पूछा, क्‍या तू चंगा होना चाहता है?
Joh 5:7  उस बीमार ने उस को उत्तर दिया, कि हे प्रभु, मेरे पास कोई मनुष्य नहीं, कि जब पानी हिलाया जाए, तो मुझे कुण्‍ड में उतारे, परन्‍तु मेरे पहुंचते पहुंचते दूसरा मुझ से पहिले उतर पड़ता है।
Joh 5:8   यीशु ने उस से कहा, उठ, अपनी खाट उठा कर चल फिर।
Joh 5:9  वह मनुष्य तुरन्‍त चंगा हो गया, और अपनी खाट उठा कर चलने फिरने लगा।
Joh 5:10  वह सब्‍त का दिन था। इसलिए यहूदी उस से, जो चंगा हुआ था, कहने लगे, कि आज तो सब्‍त का दिन है, तुझे खाट उठानी उचित नहीं।
Joh 5:11  उस ने उन्‍हें उत्तर दिया, कि जिस ने मुझे चंगा किया, उसी ने मुझ से कहा, अपनी खाट उठा कर चल फिर।
Joh 5:12  उन्‍होंने उस से पूछा वह कौन मनुष्य है जिस ने तुझ से कहा, खाट उठाकर चल फिर?
Joh 5:13  परन्‍तु जो चंगा हो गया था, वह नहीं जानता था वह कौन है; क्‍योंकि उस जगह में भीड़ होने के कारण यीशु वहां से हट गया था।
Joh 5:14  इन बातों के बाद वह यीशु को मन्‍दिर में मिला, तब उस न उस से कहा, देख, तू तो चंगा हो गया है; फिर से पाप मत करना, ऐसा न हो कि इस से कोई भारी विपत्ति तुझ पर आ पड़े।
Joh 5:15   उस मनुष्य ने जा कर यहूदियों से कह दिया, कि जिस ने मुझे चंगा किया, वह यीशु है।
Joh 5:16  इस कारण यहूदी यीशु को सताने लगे, क्‍योंकि वह ऐसे ऐसे काम सब्‍त के दिन करता था।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास २५-२७ 
  • यूहन्ना ९:१-२३

गुरुवार, 24 मई 2012

बच्चों का ध्यान

   कई वर्षों तक कॉलेज के प्राध्यापक रहे डेविड होलक्विस्ट नामक ७७ वर्षीय वृद्ध की मृत्योपरांत, उनकी यादगार सभा में परमेश्वर के वचन बाइबल से पढ़ा गया लूका १८ का भाग कुछ असाधारण लगा क्योंकि बाइबल का वह खंड बच्चों से संबंधित है। किंतु जो लोग डेविड को जानते थे वे पास्टर कि बात से सहमत थे कि यह खंड डेविड की इस यादगार सभा में उनके लिए बिलकुल उपयुक्त है; क्योंकि डेविड को बच्चों से बहुत प्यार था; अपने बच्चों से भी और दूसरों के बच्चों से भी।

   डेविड बच्चों के लिए गुब्बारों से जानवरों के आकार बनाते थे, उनके लिए कठपुतलियां बनाते थे और कठपुतलियों के माध्यम से बच्चों तक मसीही संदेश पहुंचाते थे। जब चर्च के किसी कार्यक्रम की योजना बन रही होती थी तो सदा ही उनका प्रश्न होता था कि बच्चों के लिए क्या किया जाएगा? उनको चिंता रहती थी कि ना केवल व्यसक वरन किसी न किसी रीति से बच्चे भी चर्च की गतिविधियों और परमेश्वर की आराधना में भाग ले सकें।

   लूका के १८ अध्याय में हम प्रभु यीशु मसीह के बच्चों के प्रति ध्यान को पाते हैं। जब लोग बच्चों को प्रभु यीशु के पास लाने लगे तो चेलों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, कि व्यस्त प्रभु को बच्चे परेशान ना करें। किंतु प्रभु बच्चों से परेशान नहीं थे, वरन इसके विपरीत उन्होंने चेलों की यह बात पसन्द नहीं आई; उन्हों ने चेलों से कहा: "...बालकों को मेरे पास आने दो, और उन्‍हें मना न करो: क्‍योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है" (लूका १८:१६)। इसी वृतांत को लिखते हुए मरकुस ने लिखा है कि प्रभु ने बच्चों को अपनी गोद में बैठाया और उन्हें आशीष दी (मरकुस १०:१४-१६)।

   क्यों ना हम बच्चों के प्रति अपने रवैये को जांच लें और अपने प्रभु की इच्छा के अनुरूप और डेविड होलक्विस्ट के उदाहरण के समान उनका ध्यान रखें, उन्हें परमेश्वर की आराधना के लिए प्रोत्साहित करें, बच्चों को किसी रीति से प्रभु के निकट लाने के माध्यम बनें। आखिरकर हमारे प्रभु ने स्वयं ही कहा है कि परमेश्वर का राज्य उन्हीं का है जो बच्चों के समान हैं। - ऐनी सेटास


परमेश्वर छोटे बच्चों के विष्य में बड़ी चिन्ता रखता है।

यीशु न बच्‍चों को पास बुला कर कहा, बालकों को मेरे पास आने दो, और उन्‍हें मना न करो: क्‍योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है। - लूका १८:१६

बाइबल पाठ: मरकुस १०:१३-१६
Mar 10:13  फिर लोग बालकों को उसके पास लाने लगे, कि वह उन पर हाथ रखे, पर चेलों ने उनको डांटा।
Mar 10:14 यीशु ने यह देख क्रुध होकर उन से कहा, बालकों को मेरे पास आने दो और उन्‍हें मना न करो, क्‍योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है।
Mar 10:15  मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो कोई परमेश्वर के राज्य को बालक की नाई ग्रहण न करे, वह उस में कभी प्रवेश करने न पाएगा।
Mar 10:16 और उस ने उन्‍हें गोद में लिया, और उन पर हाथ रखकर उन्‍हें आशीष दी।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास २२-२४ 
  • यूहन्ना ८:२८-५९

बुधवार, 23 मई 2012

उच्चतम संदेशवाहन तकनीक

   संदेशवाहन और सूचनाओं के आदान-प्रदान में हमारा संसार उच्च-तकनीक का प्रयोग कर रहा है और उसमें दिन प्रतिदिन और भी सुधार तथा उन्नति करता जा रहा है। केवल वैज्ञानिक स्तर पर ही नहीं, आम आदमी और सामन्य संपर्क में भी यह बात लागू है। मोबाइल फोन, एस.एम.एस. संदेशों, इंटरनैट, ट्विटर और फेस्बुक जैसे माध्यमों के द्वारा आज के लोग जैसे आपस में सम्पर्क बनाए रखते हैं और सूचनाओं का त्वरित आदान-प्रदान होता रहता है, उससे कुछ लोगों को लग सकता है कि परमेश्वर का वचन बाइबल पुराने ज़माने की बात है। परन्तु सत्य यह है कि बाइबल में जो संदेशवाहन की क्षमता है, वह आज के नवीनतम तथा सबसे उन्नत संदेशवाहन प्रौद्यग्की द्वारा भी संभव नहीं है।

   ज़रा कलपना कीजिए, जब और जैसी आपकी आवश्यक्ता है, उसी के अनुसार इस सृष्टि के सृष्टिकर्ता से आपको एक व्यक्तिगत संदेश मिलता है, उस के वचन से, उस के किसी जन के द्वारा, जिस से आप जानने पाते हैं कि अब आगे आप को क्या करना है। संसार और विज्ञान कितनी भी उन्नति कर ले, किसी का मन पढ़कर उसको सही व्यक्तिगत मार्गदर्शन देना, जो आने वाली परिस्थितियों और बीती हुई बातों, दोनों का ध्यान रखता हो और उन में सही तालमेल बनाता हो, किसी भी उच्च से उच्च तकनीक के लिए कभी संभव नहीं है।

   परमेश्वर के वचन के प्रचारक या पास्टर को किसी न किसी उपस्थित श्रोता से यह बात अकसर सुनने को मिलती है कि "जो आज आपने संदेश दिया, वह मेरे ही लिए था, मुझे इसी मार्गदर्शन कि आवश्यक्ता थी।" किसी रीति से संदेश के दिये जाने के समय, परमेश्वर के वचन ने उस श्रोता के मन से बातें कीं, उसकी दुविधा में उसे सही मार्ग दिखाया, उसके प्रश्नों का उत्तर दिया, उसके असमंजस को दूर किया। जब प्रचारक या पास्टर वह संदेश तैयार कर रहा था और दे रहा था तब उसे उस व्यक्ति और उस की समस्या के बारे में पता भी नहीं था, किंतु परमेश्वर जो सब कुछ और सबको जानता है, उसने अपने वचन द्वारा सम्भव किया कि वह संदेश उस व्यक्ति तक पहुंचे और उसका मार्गदर्शन करे। हम मसीही विश्वासी जो परमेश्वर के वचन बाइबल के अध्ययन में समय बिताते हैं, इस बात को भली भांति जानते हैं कि समय समय पर परमेश्वर का जीवता वचन हम से हमारी आवश्यक्ता के अनुसार बातें करता है; हम सब ने यह अनुभव किया है। परमेश्वर ने हर एक मनुष्य को उसके वचन को समझने के योग्य बनाया है, आवश्यक्ता है उस वचन को मानने और विश्वास के साथ ग्रहण करने की। परमेश्वर का पवित्र आत्मा प्रत्येक मसीही विश्वासी के साथ उसे सिखाने के लिए उपलब्ध रहता है।

   इस बात में हर्षित और आनन्दित हों कि इस वैज्ञानिक युग में उच्चतम संदेशवाहन तकनीक और क्षमता हम मसीही विश्वासियों को सेंतमेंत और अति सहज रीति से उपलब्ध है: "परन्‍तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्‍तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं" (१ कुरिन्थियों २:१२)। - जो स्टोवैल


बाइबल प्राचीन अवश्य है, परन्तु उसके सत्य सदा नए रहते हैं।


हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्‍तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं। - १ कुरिन्थियों २:१२

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों २:१-१६
1Co 2:1   और हे भाइयों, जब मैं परमेश्वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया।
1Co 2:2  क्‍योंकि मैं ने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह, वरन क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूं।
1Co 2:3   और मैं निर्बलता और भय के साथ, और बहुत थरथराता हुआ तुम्हारे साथ रहा।
1Co 2:4  ओर मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभाने वाली बातें नहीं परन्‍तु आत्मा और सामर्थ का प्रमाण था।
1Co 2:5  इसलिए कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्‍तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो।
1Co 2:6  फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं: परन्‍तु इस संसार का और इस संसार के नाश होने वाले हाकिमों का ज्ञान नहीं।
1Co 2:7  परन्‍तु हम परमेश्वर का वह गुप्‍त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिए ठहराया।
1Co 2:8  जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्‍योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते।
1Co 2:9  परन्‍तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिए तैयार की हैं।
1Co 2:10  परन्‍तु परमेश्वर ने उन को अपने आत्मा के द्वारा हम पर प्रगट किया, क्‍योंकि आत्मा सब बातें, वरन परमेश्वर की गूढ़ बातें भी जांचता है।
1Co 2:11   मनुष्यों में से कौन किसी मनुष्य की बातें जानता है, केवल मनुष्य की आत्मा जो उस में है? वैसे ही परमेश्वर की बातें भी कोई नहीं जानता, केवल परमेश्वर का आत्मा।
1Co 2:12  परन्‍तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्‍तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं।
1Co 2:13  जिन को हम मनुष्यों के ज्ञान की सिखाई हुई बातों में नहीं, परन्‍तु आत्मा की सिखाई हुई बातों में, आत्मिक बातें आत्मिक बातों से मिला मिलाकर सुनाते हैं।
1Co 2:14  परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्‍योंकि वे उस की दृष्‍टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्‍हें जान सकता है क्‍योंकि उन की जांच आत्मिक रीति से होती है।
1Co 2:15  आत्मिक जन सब कुछ जांचता है, परन्‍तु वह आप किसी से जांचा नहीं जाता।
1Co 2:16  क्‍योंकि प्रभु का मन किस ने जाना है, कि उसे सिखलाए परन्‍तु हम में मसीह का मन है।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास १९-२१ 
  • यूहन्ना ८:१-२७

मंगलवार, 22 मई 2012

आपूर्ति

   चील के बच्चे अभी एक सप्ताह के भी नहीं हुए थे, वे रोएंदार परों की गेंद के समान दिखाई देते थे, उनका स्वरूप अभी ठीक से बना भी नहीं था लेकिन वे भोजन के लिए आपस में लड़ने लगे थे। अभी उनमें इतनी ताकत भी नहीं थी कि अपने सिर कुछ सैकिंड के लिए ही संभाल कर सीधे रख सकें, लेकिन वे एक दूसरे पर अपनी छोटी सी चोंच से प्रहार करने से नहीं रुक रहे थे। अभी उनकी आंखें खुली भी नहीं थीं और वे एक दुसरे को देख भी नहीं सकते थे, लेकिन अपने स्वार्थ के आगे एक को दूसरे की उपस्थिति स्वीकार नहीं थी। जब भी उनके माता-पिता उनके लिए भोजन लाते, तो तुरंत ही वे एक दुसरे को दबा कर उस भोजन को अकेले ही हड़प करने के प्रयासों में लग जाते थे। यदि भोजन की उपलब्धता में कोई कमी होती, या माता-पिता एक को दे रहे और दूसरे को नज़रंदाज़ कर रहे होते तो उनका व्यवहार समझा जा सकता था; किंतु ऐसा बिलकुल नहीं था। माता-पिता दोनो के लिए बहुतायत से भोजन ला कर दोनों को खिला रहे थे, उनकी ओर से कोई भेदभाव नहीं था, लेकिन उन चूज़ों में इस बात का कोई एहसास नहीं था। उनकी हर क्रीया केवल अपने स्वार्थ से ही वशीभूत और निर्देषित थी।

   चील के उन लालची और स्वार्थी चूज़ों को देख कर मुझे लोगों में विद्यमान ऐसी ही स्वार्थी भावना और मूर्खता स्मरण हो आई, जो अपने लिए हर वह वस्तु पाने की लालसा रखते हैं जो किसी और के लिए है (याकूब ४:१-५)। हमारे आपसी विवाद और झगड़ों का एक बहुत बड़ा कारण है हमारा लालच और आपसी द्वेष। जो परमेश्वर ने किसी दूसरे के लिए रखी है, हम वही वस्तु पाना चाहते हैं, फिर चाहे वह हमारे परिवार, संबंधी, मित्र या पड़ौसी के पास हो या उसके लिए हो। हम यह भूल जाते हैं कि परमेश्वर ने हम में से प्रत्येक के लिए कुछ न कुछ भला रखा है, और वह हमें देता है। हमें किसी दूसरे की वस्तु का लालच करने या उसके कारण दूसरे से द्वेष रखने की आवश्यक्ता नहीं है। जो हमारा है, वह परमेश्वर हमें अवश्य ही देगा, कुछ पाने के लिए किसी दूसरे का हक छीनने या उसका नुकसान करने की कोई आवश्यक्ता नहीं है।

   हमारे परमेश्वर पिता के पास हम सब के लिए बहुतायत से है, और हमारा भला भी केवल उस से ही होगा जो परमेश्वर ने हमारे किए निर्धारित किया है; बाकी सब हमारे लिए व्यर्थ है। व्यर्थ कड़ुवाहट में पड़ने की बजाए अपने लिए परमेश्वर की आपूर्ति पर विश्वास रखिए और उसी में आनन्दित रहिए। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हमारी आवश्यक्ताएं कितनी भी हों, वे कभी भी परमेश्वर की आपूर्ति की क्षमता से अधिक नहीं हो सकतीं।


...क्योंकि जगत और जो कुछ उस में है वह मेरा है। - भजन ५०:१२

बाइबल पाठ: याकूब ४:१-१०
Jas 4:1  तुम में लड़ाइयां और झगड़े कहां से आ गए? क्‍या उन सुख-विलासों से नहीं जो तुम्हारे अंगों में लड़ते-भिड़ते हैं?
Jas 4:2  तुम लालसा रखते हो, और तुम्हें मिलता नहीं; तुम हत्या और डाह करते हो, और कुछ प्राप्‍त नहीं कर सकते; तुम झगड़ते और लड़ते हो; तुम्हें इसलिए नहीं मिलता, कि मांगते नहीं।
Jas 4:3  तुम मांगते हो और पाते नहीं, इसलिए कि बुरी इच्‍छा से मांगते हो, ताकि अपने भोग विलास में उड़ा दो।
Jas 4:4  हे व्यभिचारिणयों, क्‍या तुम नहीं जानतीं, कि संसार से मित्रता करनी परमेश्वर से बैर करना है? सो जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आप को परमेश्वर का बैरी बनाता है।
Jas 4:5  क्‍या तुम यह समझते हो, कि पवित्र शास्‍त्र व्यर्थ कहता है जिस आत्मा को उस ने हमारे भीतर बसाया है, क्‍या वह ऐसी लालसा करता है, जिस का प्रतिफल डाह हो?
Jas 4:6   वह तो और भी अनुग्रह देता है; इस कारण यह लिखा है, कि परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है।
Jas 4:7  इसलिए परमेश्वर के आधीन हो जाओ, और शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा।
Jas 4:8  परमेश्वर के निकट आओ, तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा: हे पापियों, अपने हाथ शुद्ध करो; और हे दुचित्ते लोगों अपने हृदय को पवित्र करो।
Jas 4:9 दुखी होओ, और शोक करा, और रोओ; तुम्हारी हंसी शोक से और तुम्हारा आनन्‍द उदासी से बदल जाए।
Jas 4:10  प्रभु के साम्हने दीन बनो, तो वह तुम्हें शिरोमणि बनाएगा।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास १६-१८ 
  • यूहन्ना ७:२८-५३

सोमवार, 21 मई 2012

स्वार्थ


   १९७० के दशक में उस समय के प्रसिद्ध गायक दल बीटल्स (The Beatles) ने यह दिखाने के उद्देश्य से कि उनके संगीत की रचना कैसे होती है, अपने दल के सदस्यों और उनके कार्यों पर एक चलचित्र (documentary) बनाना आरंभ किया। परन्तु जब चलचित्र बना तब बजाए यह दिखाने के कि उनके संगीत की रचना कैसे होती थी, जो सामने आया वह था उनमें से प्रत्येक का स्वार्थ और आपसी कलह। दल का हर सदस्य दल की उन्नति के लिए नहीं वरन अपनी ही उन्नति की चाह और महत्वकांक्षाओं से भरा हुआ था, और अपने स्वार्थ में होकर ही कार्य कर रहा था। इस चलचित्र के बनने के कुछ समय पश्चात ही यह प्रसिद्ध संगीत दल टूट कर बिखर गया; कारण था स्वार्थ से उपजा आपसी विवाद और टूटी मित्रता।

   स्वार्थ, मानव संबंधों को बिगाड़ने वाली एक बहुत पुरानी समस्या रही है। प्रथम ईसवीं में प्रेरित पौलुस को भय था कि फिलिप्पी की मण्डली भी इसी व्याधि का शिकार न बन जाए। वह भली भांति जानता था कि जब व्यक्तिगत उन्नति की भावना, मण्डली की सामूहिक उन्नति की लालसा पर भारी पड़ने लगती है तो शीघ्र ही लोगों के रवैये भी एक दूसरे के प्रति फूट और द्वेष के हो जाते हैं, और मण्डली पतन की ओर चल निकलती है।
   इस खतरनाक प्रवृति को पनपने से रोकने के लिए पौलुस ने उन्हें अपनी पत्री में लिखा: "विरोध या झूठी बड़ाई के लिए कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्‍छा समझो। हर एक अपने ही हित की नहीं, वरन दूसरों के हित की भी चिन्‍ता करे" (फिलिप्पियों २:३-४)।

   आज यदि आपके जीवन पर एक चलचित्र बनाया जाए तो वह क्या प्रगट करेगा; स्वार्थी या निस्वार्थी जीवन? हम मसीही विश्वासियों को विशेषकर इस बात में बहुत सावधान रहना है और अपने प्रभु यीशु के जीवन के अनुरूप अपने जीवनों में भी औरों के लिए निस्वार्थ चिंता प्रगट करनी है। निस्वार्थ भावना द्वारा ही हम चर्च और परिवारों में टूटना और बिखरना रोक सकेंगे और सामूहिक उन्न्ति की राह पर अग्रसर हो सकेंगे। - बिल क्राउडर


जो मन दुसरों के हित की भावना से भरा रहता है वह कभी स्वार्थ द्वारा नष्ट नहीं हो सकता।

विरोध या झूठी बड़ाई के लिए कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्‍छा समझो। - फिलिप्पियों २:३

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों २:१-११
Php 2:1  सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।
Php 2:2  तो मेरा यह आनन्‍द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।
Php 2:3  विरोध या झूठी बड़ाई के लिए कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्‍छा समझो।
Php 2:4  हर एक अपने ही हित की नहीं, वरन दूसरों के हित की भी चिन्‍ता करे।
Php 2:5  जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो।
Php 2:6  जिस ने परमेश्वर के स्‍वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्‍तु न समझा।
Php 2:7  वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
Php 2:8   और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
Php 2:9  इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्‍ठ है।
Php 2:10  कि जो स्‍वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे हैं वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।
Php 2:11  और परमेश्वर पिता की महिमा के लिए हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास १३-१५ 
  • यूहन्ना ७:१-२७


रविवार, 20 मई 2012

उपयुक्त भेंट

   मुझे जान कर बहुत प्रसन्नता हुई कि मेरे एक मित्र ने मेरे पड़ौसी को, जो उसका भी मित्र था, परमेश्वर के वचन बाइबल की एक प्रति भेंट करी। किंतु कुछ समय बाद मैंने जाना कि उस पड़ौसी ने बाइबल पढ़ना बन्द कर दिया क्योंकि वह समझ नहीं पाई कि परमेश्वर कैन द्वारा लाई गई भेंट अस्वीकार करने का अन्याय कैसे कर सकता है? उनका तर्क था कि कैन तो किसान था, इसलिए स्वाभाविक है कि जो उसकी उपज थी, वह उसी को परमेश्वर के पास लेकर आएगा। फिर क्यों परमेश्वर को कैन की भेंट स्वीकार नहीं हुई; क्या इसलिए कि वह जीव-जन्तु नहीं वरन खेती की उपज थी?

   बहुत से अन्य लोगों के समान, मेरे उस पड़ौसी ने भी वास्तविकता को समझे बिना ही एक गलत धारणा बना ली और उस के आधार पर निर्णय ले लिया। ऐसा नहीं है कि परमेश्वर को साग-पात पसन्द नहीं, वरन बात यह थी कि कैन अपनी भेंट के पीछे अपनी गलत प्रवृति और मनसाएं छिपाने का प्रयास कर रहा था। भेंट अस्वीकार करने से जब कैन क्रोधित हुआ तब परमेश्वर ने कैन से कहा, "यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी और होगी, और तू उस पर प्रभुता करेगा" (उत्पत्ति ४:७)। कैन अपने अन्दर से परमेश्वर के प्रति पूर्णतः समर्पित हुए बिना ही बाहरी क्रियाओं और विधि-विधानों के आडम्बर द्वारा परमेश्वर को प्रसन्न करना चाह रहा था, जिसे परमेश्वर जानता था और जो परमेश्वर को स्वीकार नहीं था।

   यही गलती आज भी बहुत से लोग परमेश्वर के साथ अपने संबंध के विषय में करते हैं। उनके मन ना तो परमेश्वर को समर्पित होते हैं और ना ही वे सच्चे मन से परमेश्वर की उपासना करते हैं; वे केवल रीति-रिवाज़ों के पालन और विधि-विधानों की पूर्ति के द्वारा परमेश्वर को बाध्य करना चाहते हैं कि वह उनसे प्रसन्न हो और उन्हें आशीष दे। वे बाहर से धर्मी दिखते हैं परन्तु उनके मन परमेश्वर से दूर और अपनी ही लालसाओं को समर्पित रहते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में यहूदा ने अपनी पत्री में ऐसे लोगों के विषय में कैन के उदाहरण के साठ लिखा: "उन पर हाय! कि वे कैन की सी चाल चले, और मजदूरी के लिए बिलाम की नाईं भ्रष्‍ट हो गए हैं: और कोरह की नाईं विरोध करके नाश हुए हैं" (यहूदा १:११)। हम चाहे जितने जोश के साथ परमेश्वर के नाम में भले कार्य करें, उसका स्तुतिगान करें, उसके नाम में दान-पुण्य इत्यादि करें, किंतु यदि हमारा मन परमेश्वर में नहीं है तो सब व्यर्थ है, कुछ भी परमेश्वर को स्वीकारीय नहीं है।

   विचार कीजिए, क्या वास्तव में परमेश्वर आपकी प्राथमिकता है? क्या वह आप के लिए आपकी योजनाओं और लालसाओं से अधिक महत्वपूर्ण है? क्या वह उस बात से, उस पाप से अधिक रोचक तथा वांछनीय है जो आप को भरमा कर उससे दूर ले जाता है?

   जब आपकी भेंट सच्चे और समर्पित मन के साथ परमेश्वर के सम्मुख प्रस्तुत की जाएगी तब ही वह ऐसी उपयुक्त भेंट होगी जिसे परमेश्वर कभी अस्वीकार नहीं करेगा। उस सर्वोच्च और सर्वोत्तम को आपकी संपत्ति की नहीं आपके मन कि लालसा है; एक टूटा और पिसा हुआ मन ही परमेश्वर के लिए उपयुक्त भेंट है; "क्योकि तू मेलबलि में प्रसन्न नहीं होता, नहीं तो मैं देता; होमबलि से भी तू प्रसन्न नहीं होता। टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता" (भजन ५१:१६-१७)। - जो स्टोवैल


अपने प्रति समर्पित हृदय की भेंट को परमेश्वर कभी अस्वीकार नहीं करता।

यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी और होगी, और तू उस पर प्रभुता करेगा। - उत्पत्ति ४:७

बाइबल पाठ: उत्पत्ति ४:१-७
Gen 4:1  जब आदम अपनी पत्नी हव्वा के पास गया तब उस ने गर्भवती होकर कैन को जन्म दिया और कहा, मैं ने यहोवा की सहायता से एक पुरूष पाया है।
Gen 4:2  फिर वह उसके भाई हाबिल को भी जन्मी, और हाबिल तो भेड़-बकरियों का चरवाहा बन गया, परन्तु कैन भूमि की खेती करने वाला किसान बना।
Gen 4:3 कुछ दिनों के पश्चात्‌ कैन यहोवा के पास भूमि की उपज में से कुछ भेंट ले आया।
Gen 4:4  और हाबिल भी अपनी भेड़-बकरियों के कई एक पहिलौठे बच्चे भेंट चढ़ाने ले आया और उनकी चर्बी भेंट चढ़ाई; तब यहोवा ने हाबिल और उसकी भेंट को तो ग्रहण किया,
Gen 4:5  परन्तु कैन और उसकी भेंट को उस ने ग्रहण न किया। तब कैन अति क्रोधित हुआ, और उसके मुंह पर उदासी छा गई।
Gen 4:6  तब यहोवा ने कैन से कहा, तू क्यों क्रोधित हुआ? और तेरे मुंह पर उदासी क्यों छा गई है?
Gen 4:7  यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी और होगी, और तू उस पर प्रभुता करेगा।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास १०-१२ 
  • यूहन्ना ६:४५-७१

शनिवार, 19 मई 2012

व्यक्तिगत विश्वास

   बचपन में मेरा पालन-पोषण सिंगापुर में हुआ था और मुझे स्मरण है कि मेरे कई मित्रों को उनके ग़ैर-मसीही माता-पिता द्वारा घरों से इस लिए निकाल बाहर कर दिया गया क्योंकि उन्होंने मसीह यीशु में विश्वास किया। मेरे इन मित्रों को अपने विश्वास के कारण दुखः उठाना पड़ा, किंतु इससे उनका विश्वास और सुदृढ़ हुआ। उनकी तुलना में, मेरा जन्म और पालन-पोषण एक मसीही परिवार में हुआ, इसलिए मुझे उनके समान दुखः तो नहीं उठाने पड़े, किंतु अपने मसीही विश्वास से संबंधित बातों के लिए मुझे भी व्यक्तिगत निर्णय लेने पड़े और फिर उन पर बने रहना पड़ा।

   जो इस्त्राएली यहोशू के साथ, परमेश्वर द्वारा वाचा में दिए गए कनान देश में आए थे, उन्होंने परमेश्वर के महान और सामर्थी कार्य देखे थे और उस पर विश्वास किया था (न्यायियों २:७)। परन्तु उनकी अगली पीढ़ी ही के बारे में लिखा है कि "....तब उसके बाद जो दूसरी पीढ़ी हुई उसके लोग न तो यहोवा को जानते थे और न उस काम को जो उस ने इस्राएल के लिये किया था" (न्यायियों २:१०)। इसका परिणाम यह हुआ कि वे शीघ्र ही अपने परमेश्वर और विश्वास से हट गए और अन्य देवी-देवताओं की उपासना करने लगे (न्यायियों २:१२)। उस पीढ़ी ने अपने पितरों के विश्वास को व्यक्तिगत रीति से अपना विश्वास नहीं बनाया था, इसलिए वे विश्वास में स्थिर नहीं रह सके।

   कोई भी पीढ़ी अपनी पिछली पीढ़ी के विश्वास के आधार पर ही स्थिर नहीं रह सकती; सबको एक नए और ताज़ा व्यक्तिगत विश्वास में आना अनिवार्य है। जब कठिनाईयों और मुसीबतों का सामना करना पड़ता है तो जो विश्वास व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित नहीं है, वह लड़खड़ा जाएगा और ठोकर खाएगा; किंतु जिस के पास विश्वास के व्यक्तिगत अनुभव हैं वह स्थिर भी रहेगा और उन परिस्थितियों में से और दृढ़ भी होकर निकलेगा। जो दूसरी, तीसरी, चौथी या अन्य किसी पीढ़ी के मसीही हैं उनके पास विश्वास की एक बहुत अच्छी विरासत तो है, लेकिन उन्हें भी मसीह में व्यक्तिगत विश्वास की उतनी ही आवश्यक्ता है जितनी कि किसी नए विश्वासी को।

   मसीही विश्वास का एक नया और ताज़ा अनुभव लीजिए, परमेश्वर के वचन के अध्ययन में व्यक्तिगत रुचि दिखाईए। आप अपने व्यक्तिगत विश्वास के आधार पर ही अपने प्रभु के लिए प्रभावशाली जीवन व्यतीत कर सकते हैं। - सी.पी.हिया


यदि आपका विश्वास व्यक्तिगत नहीं है तो सच्चा और खरा भी नहीं है।


और उस पीढ़ी के सब लोग भी अपने अपने पितरों में मिल गए; तब उसके बाद जो दूसरी पीढ़ी हुई उसके लोग न तो यहोवा को जानते थे और न उस काम को जो उस ने इस्राएल के लिए किया था। - न्यायियों २:१०

बाइबल पाठ: न्यायियों २:६-१३
Jdg 2:6  जब यहोशू ने लोगों को विदा किया था, तब इस्राएली देश को अपने अधिकार में कर लेने के लिए अपने अपने निज भाग पर गए।
Jdg 2:7  और यहोशू के जीवन भर, और उन वृद्ध लोगों के जीवन भर जो यहोशू के मरने के बाद जीवित रहे और देख चुके थे कि यहोवा ने इस्राएल के लिए कैसे कैसे बड़े काम किए हैं, इस्राएली लोग यहोवा की सेवा करते रहे।
Jdg 2:8  निदान यहोवा का दास नून का पुत्र यहोशू एक सौ दस वर्ष का होकर मर गया।
Jdg 2:9  और उसको तिम्नथेरेस में जो एप्रैम के पहाड़ी देश में गाश नाम पहाड़ की उत्तर अलंग पर है, उसी के भाग में मिट्टी दी गई।
Jdg 2:10 और उस पीढ़ी के सब लोग भी अपने अपने पितरों में मिल गए; तब उसके बाद जो दूसरी पीढ़ी हुई उसके लोग न तो यहोवा को जानते थे और न उस काम को जो उस ने इस्राएल के लिए किया था।
Jdg 2:11  इसलिए इस्राएली वह करने लगे जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है, और बाल नाम देवताओं की उपासना करने लगे;
Jdg 2:12 वे अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा को, जो उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया था, त्यागकर पराए देवताओं की उपासना करने लगे, और उन्हें दण्डवत्‌ किया, और यहोवा को रिस दिलाई।
Jdg 2:13  वे यहोवा को त्याग कर के बाल देवताओं और अशतोरेत देवियों की उपासना करने लगे।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास ७-९ 
  • यूहन्ना ६:२२-४४

शुक्रवार, 18 मई 2012

विजयी जीवन

   सन १९३५ में अमेरिका के टेक्सस प्रांत के एक छोटे और अज्ञात अश्वेत विद्यार्थियों के कॉलेज से वादविवाद प्रतियोगिता में भाग लेने आए दल ने अप्रत्याशित रीति से दक्षिण कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से आए और राष्ट्रीय स्तर पर विजयी श्वेत विद्यार्थियों के दल को हरा दिया। यह एक अन्जान और असंभावित की, किसी जाने माने और बलवंत पर अप्रत्याशित विजय का अद्भुत उदाहरण था।

   इस्त्राएल के इतिहास में हम ऐसी कई घटनाएं पाते हैं जहां परमेश्वर की सहायता से वे अपने विरोधियों पर, जो उन से अधिक और शक्तिशाली थे, विजयी रहे। ऐसी ही एक घटना है छोटे लड़के दाऊद और दैत्याकार फिल्स्तीनी योद्धा गोलियत की, जिसका विवरण हमें परमेश्वर के वचन बाइबल में १ शमूएल १७ अध्याय में मिलता है। इस्त्राएल और फलिस्तीनीयों के सेनाएं एलाह कि घाटी में आमने-सामने थीं; इस्त्राएली उनका सामना करने से घबारा रहे थे क्योंकि ९’ ९" का एक फिल्स्तीनी योद्धा उन्हें ललकारता था, और वे उसके डील-डौल को देखकर उसका सामना करने से डरते थे।

   इस स्थिति में दाऊद नाम का एक इस्त्राएली लड़का अपने भाईयों की, जो इस्त्राएली सेना में थे, खोज-खबर लेने और उन्हें भोजन का सामान देने के लिए आया। उसने जब इस्त्राएल की डरी हुई सेना और गोलियत की ललकार तथा उसके द्वारा की जाने वाली परमेश्वर की निन्दा को सुना, तो उसने इस्त्राएल के राजा शाउल से अनुमति मांगी कि गोलियत का सामना करे। राजा शाउल ने बड़े हिचकिचाते हुए उसे अनुमति दी और दाऊद अपने गोफन, पांच चिकने पत्थर और परमेश्वर में अपने दृढ़ विश्वास के साथ गोलियत के सामने जा खड़ा हुआ। उसने गोफन में एक पत्थर लगाकर उसने फिल्स्ती के माथे पर दे मारा, जिससे वह गिर गया और दाउद ने फिर उसी की तलवार लेकर उसका काम तमाम कर दिया। अपने दैत्याकार योद्धा का अनजाम देखकर फिल्स्तीनी सेना के पांव उखड़ गए, और वे इस्त्राएलियों के सामने से भाग खड़े हुए और इस्त्राएलियों को एक बड़ी विजय मिली।

   हम सब अपने अपने जीवनों में कई दैत्याकार समस्याओं का सामना करते हैं, जैसे चिंता, शक, भय, पाप, अपराध-बोध इत्यादि और हमें लगता है कि इन पर विजयी होने कि सामर्थ हम में नहीं है। किंतु परमेश्वर पर अपने दृढ़ विश्वास और सच्चे समर्पण के द्वारा हमारा भी इन सभी बातों पर विजयी होना संभव है। हमें आवश्यक्ता है साहस के साथ कदम आगे बढ़ाने और अपने इन दैत्यों का परमेश्वर के नाम में सामना करने को तैयार होने की, अपनी रणभूमि में जाकर खड़ा होने की। वहीं परमेश्वर हमारी सहायता करेगा, हमें जयवंत करेगा। - मार्विन विलियम्स


अपने प्रबल बैरियों का सामना करने और उन पर जयवन्त होने की सामर्थ हमें परमेशवर ही से मिलती है।


फिर दाऊद ने कहा, यहोवा जिस ने मुझ सिंह और भालू दोनों के पंजे से बचाया है, वह मुझे उस पलिश्ती के हाथ से भी बचाएगा। शाऊल ने दाऊद से कहा, जा, यहोवा तेरे साथ रहे। - १ शमूएल १७:३७

बाइबल पाठ: १ शमूएल १७:३२-५२
1Sa 17:32  तब दाऊद ने शाऊल से कहा, किसी मनुष्य का मन उसके कारण कच्चा न हो, तेरा दास जाकर उस पलिश्ती से लड़ेगा।
1Sa 17:33  शाऊल ने दाऊद से कहा, तू जाकर उस पलिश्ती के विरूद्ध नहीं युद्ध कर सकता क्योंकि तू तो लड़का ही है, और वह लड़कपन ही से योद्धा है।
1Sa 17:34  दाऊद ने शाऊल से कहा, तेरा दास अपने पिता की भेड़ बकरियां चराता था, और जब कोई सिंह वा भालू झुंड में से मेम्ना उठा ले गया,
1Sa 17:35  तब मैं ने उसका पीछा करके उसे मारा, और मेम्ने को उसके मुंह से छुड़ाया; और जब उस ने मुझ पर चढ़ाई की, तब मैं ने उसके केश को पकड़ कर उसे मार डाला।
1Sa 17:36  तेरे दास ने सिंह और भालू दोनों को मार डाला और वह खतनारहित पलिश्ती उनके समान हो जाएगा, क्योंकि उस ने जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारा है।
1Sa 17:37  फिर दाऊद ने कहा, यहोवा जिस ने मुझ सिंह और भालू दोनों के पंजे से बचाया है, वह मुझे उस पलिश्ती के हाथ से भी बचाएगा। शाऊल ने दाऊद से कहा, जा, यहोवा तेरे साथ रहे।
1Sa 17:38  तब शाऊल ने अपने वस्त्र दाऊद को पहिनाए, और पीतल का टोप उसके सिर पर रख दिया, और झिलम उसको पहिनाया।
1Sa 17:39  और दाऊद ने उसकी तलवार वस्त्र के ऊपर कसी, और चलने का यत्न किया; उस ने तो उनको न परखा था। इसलिये दाऊद ने शाऊल से कहा, इन्हें पहिने हुए मुझ से चला नहीं जाता, क्योंकि मैं ने नहीं परखा। और दाऊद ने उन्हें उतार दिया।
1Sa 17:40  तब उस ने अपनी लाठी हाथ में ले नाले में से पांच चिकने पत्थर छांटकर अपनी चरवाही की थैली, अर्थात अपने झोले में रखे और अपना गोफन हाथ में लेकर पलिश्ती के निकट चला।
1Sa 17:41  और पलिश्ती चलते चलते दाऊद के निकट पहुंचने लगा, और जो जन उसकी बड़ी ढाल लिए था वह उसके आगे आगे चला।
1Sa 17:42  जब पलिश्ती ने दृष्टि कर के दाऊद को देखा, तब उसे तुच्छ जाना क्योंकि वह लड़का ही था, और उसके मुख पर लाली झलकती यी, और वह सुन्दर था।
1Sa 17:43  तब पलिश्ती ने दाऊद से कहा, क्या मैं कुत्ता हूं, कि तू लाठी लेकर मेरे पास आता है? तब पलिश्ती अपने देवताओं के नाम लेकर दाऊद को कोसने लगा।
1Sa 17:44  फिर पलिश्ती ने दाऊद से कहा, मेरे पास आ, मैं तेरा मांस आकाश के पक्षियों और वन पशुओं को दे दूंगा।
1Sa 17:45  दाऊद ने पलिश्ती से कहा, तू तो तलवार और भाला और सांग लिए हुए मेरे पास आता है, परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूं, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तू ने ललकारा है।
1Sa 17:46  आज के दिन यहोवा तुझ को मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझ को मारूंगा, और तेरा सिर तेरे धड़ से अलग करूंगा; और मैं आज के दिन पलिश्ती सेना की लोथें आकाश के पक्षियों और पृथ्वी के जीव जन्तुओं को दे दूंगा, तब समस्त पृथ्वी के लोग जान लेंगे कि इस्राएल में एक परमेश्वर है।
1Sa 17:47  और यह समस्त मण्डली जान लेगी की यहोवा तलवार वा भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता, इसलिये कि संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा।
1Sa 17:48  जब पलिश्ती उठ कर दाऊद का साम्हना करने के लिये निकट आया, तब दाऊद सेना की ओर पलिश्ती का साम्हना करने के लिये फुर्ती से दौड़ा।
1Sa 17:49  फिर दाऊद ने अपनी थैली में हाथ डाल कर उस में से एक पत्थर निकाला, और उसे गोफन में रख कर पलिश्ती के माथे पर ऐसा मारा कि पत्थर उसके माथे के भीतर घुस गया, और वह भूमि पर मुंह के बल गिर पड़ा।
1Sa 17:50  यों दाऊद ने पलिश्ती पर गोफन और एक ही पत्थर के द्वारा प्रबल होकर उसे मार डाला; परन्तु दाऊद के हाथ में तलवार न थी।
1Sa 17:51  तब दाऊद दौड़ कर पलिश्ती के ऊपर खड़ा हुआ, और उसकी तलवार पकड़ कर मियान से खींची, और उसको घात किया, और उसका सिर उसी तलवार से काट डाला। यह देख कर कि हमारा वीर मर गया पलिश्ती भाग गए।
1Sa 17:52  इस पर इस्राएली और यहूद पुरूष ललकार उठे, और गत और एक्रोन से फाटकों तक पलिश्तियों का पीछा करते गए, और घायल पलिश्ती शारैम के मार्ग में और गत और एक्रोन तक गिरते गए।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास ४-६ 
  • यूहन्ना ६:१-२१

गुरुवार, 17 मई 2012

परमेश्वर की कलाकृति

   कुछ समय पहले मैं जापानी कला ओरिगैमी सीखने गया, जो काग़ज़ को मोड़ कर उससे विभिन्न आकार बनाने की कला है। हमें यह कला सिखाने वाले एक जापानी मसीही विश्वासी भाई हितोशिरो अकेही थे। हमें ओरिगैमी कला के बारे में सिखाने के साथ साथ वे अपने जीवन के अनुभव भी हमारे साथ बांटते जा रहे थे।

   अपने जीवन के बारे में उन्होंने बताया कि वे ११ भाईयों में सबसे छोटे हैं, और दूसरे विश्वयुद्ध में उनके पिता के देहांत के बाद उनकी माता ही ने उन की परवरिश करी। जीवन के कई कठिन उतार-चढ़ाव देखने के बाद उनका परिवार मसीही मिशनरियों के संपर्क में आया और उनके परिवार के कई लोग मसीही विश्वासी हो गए।

   उनके निर्देशों के अनुसार जैसे जैसे मैं एक साधारण और सामन्य काग़ज़ को लेकर मोड़ता जा रहा था और इस प्रक्रिया से एक नया सुन्दर आकार बनता जा रहा था, मैं सोचने लगा कि परमेश्वर भी ऐसे ही हमारे साधारण से जीवनों को लेकर उन्हें भी एक नया आकार देता है। पहले वह परिस्थितियों के द्वारा हमें नम्र और लचीला करता है, और हमें अपनी निकटता में लाता है, हमें अपने ऊपर निर्भर करना सिखाता है जिस से कि हम नए आकार में ढाले जाने के लिए तैयार हो सकें। फिर अपने अनुग्रह में वह जीवन के घुमाव-फिराव और उतार-चढ़ाव के द्वारा हमारे जीवनों को अपने पुत्र और हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के स्वरूप की समानता में लाता जाता है (रोमियों ८:२९)।

   क्या आपके जीवन में कोई अप्रत्याशित मोड़ आया है? विस्मित और निराश ना हों; स्मरण रखें "क्‍योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्‍हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया" (इफिसीयों २:१०)। प्रत्येक मसीही विश्वासी परमेश्वर की अपूर्ण कलाकृति है जिसपर उसका कार्य अभी ज़ारी है।

   जीवन की परिस्थितियां परमेश्वर के औज़ार हैं जिनके द्वारा वह हमें अपने पुत्र और हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के स्वरूप में ढालता जा रहा है। - डेनिस फिशर


मसीही विश्वासी परमेश्वर के हाथों में कार्यरत कलाकृति हैं।


क्‍योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्‍हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया। - इफिसीयों २:१०

बाइबल पाठ: रोमियों ८:२२-३३
Rom 8:22  क्‍योंकि हम जानते हैं, कि सारी सृष्‍टि अब तक मिल कर करहाती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।
Rom 8:23   और केवल वही नहीं पर हम भी जिन के पास आत्मा का पहिला फल है, आप ही अपने में करहाते हैं; और लेपालक होने की, अर्थात अपनी देह के छुटकारे की बाट जोहते हैं।
Rom 8:24  आशा के द्वारा तो हमारा उद्धार हुआ है परन्‍तु जिस वस्‍तु की आशा की जाती है जब वह देखने में आए, तो फिर आशा कहां रही? क्‍योंकि जिस वस्‍तु को कोई देख रहा है उस की आशा क्‍या करेगा?
Rom 8:25  परन्‍तु जिस वस्‍तु को हम नहीं देखते, यदि उस की आशा रखते हैं, तो धीरज से उस की बाट जोहते भी हैं।
Rom 8:26  इसी रीति से आत्मा भी हमारी र्दुबलता में सहायता करता है, क्‍योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए, परन्‍तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।
Rom 8:27  और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्‍या है क्‍योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्‍छा के अनुसार बिनती करता है।
Rom 8:28  और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्‍पन्न करती है, अर्थात उन्‍हीं के लिये जो उस की इच्‍छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
Rom 8:29  क्‍योंकि जिन्‍हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्‍हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्‍वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
Rom 8:30  फिर जिन्‍हें उन से पहिले से ठहराया, उन्‍हें बुलाया भी, और जिन्‍हें बुलाया, उन्‍हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्‍हें धर्मी ठहराया, उन्‍हें महिमा भी दी है।
Rom 8:31  सो हम इन बातों के विषय में क्‍या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
Rom 8:32  जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्‍तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्‍योंकर न देगा?
Rom 8:33  परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहराने वाला है।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास १-३ 
  • यूहन्ना ५:२५-४७

बुधवार, 16 मई 2012

दृढ़ संकल्प


   मूडी बाइबल संस्थान में सेवा करने का एक बड़ा लाभ था उस संस्थान से अध्ययन कर के निकलने और फिर अपनी सेवकाई के द्वारा प्रभु यीशु मसीह के लिए संसार पर छाप छोड़ने वाले लोगों के उत्साहवर्धक जीवनों के बारे में सुनते और जानते रहना। उन लोगों के त्याग, अथक परिश्रम और उद्धार के सुसमाचार के प्रचार के लिए उत्साह की उनकी जीवन गाथाएं बहुत प्रेर्णादायक होती थीं। एक ऐसी ही सच्ची कहानी है मेरी बेथुने की।

   १९वीं सदी के अंतिम भाग में, अफ्रीका में मिशनरी बनकर जाने के उद्देश्य से, अश्वेत रंग की मेरी मैक्लिओड बेथुने ने दो वर्ष मूडी बाइबल संस्थान में लगाए। लेकिन जब वे अपना अध्ययन पूरा कर चुकीं तो किसी भी मिशनरी संस्था ने उन्हें मिशनरी कार्य के लिए लेने और भेजने में रुचि नहीं दिखाई। उनका अफ्रीका में सेवकाई के लिए जाने का सपना पूरा नहीं हो सका। किंतु इससे प्रभु यीशु की सेवकाई के लिए उनके संकल्प में कोई कमी नहीं आई। अपने प्रति मिशनरी संस्थाओं की उदासीनता से हतोसाहित हुए बिना उन्होंने फ्लोरिडा में अश्वेत महिलाओं के लिए एक छोटा बाइबल स्कूल खोला, जो आते समय में बढ़ कर बेथुने-कोल्मैन कॉलेज बन गया और अमेरिका के इतिहास में महिलाओं के दर्जे में परिवर्तन और सुधार लाने में उनकी और इस कॉलेज की बहुत महत्वपुर्ण भूमिका रही।

   अमेरिका को मेरी बेथुने की यह धरोहर टूटे सपनों के बावजुद अपने प्रभु की सेवकाई में कोई कमी ना आने देने के दृढ संकल्प का नतीजा थी। उन्हें निश्चय था कि परमेश्वर ने उन्हें "मेल मिलाप की सेवकाई" (२ कुरिन्थियों ५:१८) सौंपी है, और इस सेवाकाई की पूर्ति के लिए उन्हें परिस्थितियों से हार मान लेना स्वीकार नहीं था।

   प्रभु की सेवकाई की यह पुकार, केवल मेरी बेथुने के लिए ही नहीं, प्रत्येक मसीही विश्वासी के लिए है। हम सब को संसार के पास मसीह का यह सन्देश पहुंचाना है कि मसीह में होकर हमारा मेल मिलाप परमेश्वर के साथ संभव है, मसीह यीशु में होकर इसके लिए मार्ग सब के लिए उपलब्ध है।

   आप जहां भी हैं, वहीं पर मसीह के लिए प्रभावी होने का कोई माध्यम खोजिए और अपने उद्धारकर्ता प्रभु के लिए संसार पर अपनी छाप छोड़िए। प्रभु की सामर्थ से यह आपके द्वारा भी हो सकता है! - जो स्टोवैल


जो एक गुण परमेश्वर अपने लोगों में ढूंढ़ता है वह है उसकी सेवकाई करने वाला समर्पित मन।

और सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं, जिस ने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है। - २ कुरिन्थियों ५:१८

बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ५:१६-२१
2Co 5:16  सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे, और यदि हम ने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था, तौभी अब से उस को ऐसा नहीं जानेंगे। 
2Co 5:17 सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। 
2Co 5:18  और सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं, जिस ने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल मिलाप कर लिया, और मेल मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है। 
2Co 5:19  अर्थात परमेश्वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया, और उन के अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उस ने मेल मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है।
2Co 5:20  सो हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो। 
2Co 5:21  जो पाप से अज्ञात था, उसी को उस ने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में होकर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं।


एक साल में बाइबल: 

  • २ राजा २४-२५ 
  • यूहन्ना ५:१-२४


मंगलवार, 15 मई 2012

वचन

   मई २००९ में ८७ वर्ष की आयु में चार्ल्स हेवर्ड अपनी मृत्योपरांत अपने बच्चों और नाती-पोतों के लिए एक अद्भुत विरासित छोड़कर गए। चार्ल्स और उनकी पत्नी विर्जीनिया ने भारत और दक्षिण अफ्रीका में बहुत वर्ष मिशनरी कार्य किया था। फिर ७३ वर्ष की आयु में उन्होंने परमेश्वर के वचन बाइबल के खंडों से चुन कर बाइबल के पदों को स्मरण करना आरंभ किया। उनका उद्देश्य था कि वे अपने जीवन का अन्त अपने मन-मस्तिष्क को परमेश्वर के वचन से भली भांति भरकर कर सकें।

   उन्होंने इस के लिए कुलुस्सियों ३:१६ को अपना आधार बनाया और अपनी इस योजना का नाम रखा ’संपुर्ण बाइबल स्मरण योजना’। स्मरण करने के लिए उन्होंने पुराने नियम की प्रत्येक पुस्तक में से कम से कम एक पद, नए नियम की विवरणात्मक पुस्तकों में से कम से कम एक पद और नए नियम की पत्रीयों के प्रत्येक अध्याय में से कम से कम एक या अधिक पद चुने और उन्हें याद किया। उनकी यह स्मरण सूची उत्पत्ति १५:६ "उस ने यहोवा पर विश्वास किया और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे में धर्म गिना" से आरंभ हुई और प्रकाशितवाक्य २२:१७ "...जो प्यासा हो, वह आए और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले" पर समाप्त हुई।

   कुल मिलाकर चार्ल्स ने बाइबल के २३९ पद कंठस्थ कर लिए। चार्ल्स का यह कार्य मुझे भजनकार द्वारा लिखी बात को स्मरण दिलाता है: "मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरूद्ध पाप न करूं" (भजन ११९:११)। जैसे इस भजन के १५, १६ पद में भजनकार लिखता है, चार्ल्स ने भी वैसे ही परमेश्वर के वचन के मनन और स्मरण में आनन्द पाया।

   परमेश्वर के वचन को अपने मन में भर लेने से बढ़कर उत्तम हमारे लिए और क्या हो सकता है? - सिंडी हैस कैसपर


परमेश्वर के वचन को मन में बसा लेना उत्तम फल्दायी वृक्षों के बीज बोने के समान है जो आते समय में अपने अच्छे फलों से आपको तृप्त करते रहेंगे।

मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; - कुलुस्सियों ३:१६

बाइबल पाठ: भजन ११९:९-१६
Psa 119:9  जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से।
Psa 119:10  मैं पूरे मन से तेरी खोज में लगा हूं, मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे!
Psa 119:11  मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरूद्ध पाप न करूं।
Psa 119:12  हे यहोवा, तू धन्य है; मुझे अपनी विधियां सिखा!
Psa 119:13  तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन, मैं ने अपने मुंह से किया है।
Psa 119:14  मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानों सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूं।
Psa 119:15  मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूंगा।
Psa 119:16  मैं तेरी विधियों से सुख पाऊंगा, और तेरे वचन को न भूलूंगा।


एक साल में बाइबल: 

  • २ राजा २२-२३ 
  • यूहन्ना ४:३१-५४

सोमवार, 14 मई 2012

खामोशी में विश्वास

   एक पत्रिका एवं अखबारों में लेख लिखने वाले व्यक्ति, जो मोरगैनस्टर्न ने अपने एक लेख में सिनेमा के अभिनेताओं के संबंध में लेख लिखा; अपने लेख में उन दृश्यों के बारे में जहां कलाकारों को या उनके चेहरों और भावों को निकट से दिखाया जाता है, उन्होंने लिखा: "ये अभिनेता कुछ विशिष्ट क्षणों में बिल्कुल निष्क्रीय रहते हुए भी बहुत कुछ कह जाते हैं। वे जानते हैं कि उनकी निष्क्रीयता के उन पलों में भी हम दर्शकों का ध्यान पुरी तरह उन पर केंद्रित रहता है, क्योंकि अपने अनुभवों द्वारा हम उन की कार्य क्षमता को जानते हैं।" यह निष्क्रीयता और खामोशी, जिसे हम अभिनय में अति प्रभावी मानते हैं, और जिसके प्रभावी प्रयोग के लिए हम इन कलाकारों की प्रशंसा करते हैं, वही बात परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों और परमेश्वर द्वारा इसे प्रयोग किए जाने पर हमारे लिए बहुत निराशाजनक और कुण्ठित करने वाली क्यों हो जाती है?

   यदि हमें अपनी प्रार्थनाओं और बातों का उत्तर तुरंत या शीघ्र ना मिले तो क्यों यह हमारे लिए परेशानी की बात और परमेश्वर पर हमारे विश्वास पर प्रश्न चिन्ह बन जाती है? जब प्रभु यीशु का मित्र लाज़र जिससे प्रभु प्रेम करता था, बीमार होकर गंभीर अवस्था में पहुँचा तो उसकी बहिनों ने प्रभु के पास सन्देश भेजा। किंतु लिखा है कि, "जब उस ने सुना, कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहां दो दिन और ठहर गया" (यूहन्ना ११:६)। फिर जब प्रभु लाज़र के घर पहुँचा तब तक लाज़र मर चुका था, लोग लाज़र के प्रति प्रभु के प्रेम पर बातें बना रहे थे, लाज़र कि बहिनें भी निराश थीं।

   परमेश्वर के वचन के इस खंड पर प्रसिद्ध बाइबल टीकाकार ओस्वॉल्ड चैम्बर्स ने लिखा: "क्या परमेश्वर ने आपको अपना मौन सौंपा है - मौन जो किसी बड़े सत्य से भरा है?....बैतनिय्याह में लाज़र के घर में छाए उस मौन के बारे में सोचिए; क्या आपके जीवन में भी परमेश्वर की ओर कुछ ऐसा ही है?...परमेश्वर की खामोशी इस बात का चिन्ह है कि वह आपको कोई गहरी समझ दे रहा है, आपके जीवन में कुछ अद्भुत करने जा रहा है। यदि परमेश्वर ने आपके जीवन में मौन साधा हुआ है तो उसकी स्तुति कीजिए क्योंकि उसकी खामोशी आपसे बहुत कुछ कह रही, वह अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आपको उपयोग करने जा रहा है।"

   परमेश्वर की खामोशी में भी उस पर से अपना ध्यान मत हटाएं क्योंकि जैसे लाज़र के साथ, वैसे ही आपके साथ भी, अपने समय और योजना में वह कलपना से परे कुछ अद्भुत करने जा रहा है। - डेविड मैक्कैसलैंड


परमेश्वर में सच्चा विश्वास तब भी दृढ़ रहता है जब परमेश्वर खामोश होता है।


जब उस ने सुना, कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहां दो दिन और ठहर गया। - यूहन्ना ११:६

बाइबल पाठ: यूहन्ना ११:१-११, २४-२७, ३७-४१
Joh 11:1  मरियम और उस की बहिन मरथा के गांव बैतनिय्याह का लाजर नाम एक मनुष्य बीमार था।
Joh 11:2  यह वही मरियम थी जिस ने प्रभु पर इत्र डाल कर उसके पांवों को अपने बालों से पोंछा था, इसी का भाई लाजर बीमार था।
Joh 11:3  सो उस की बहिनों ने उसे कहला भेजा, कि हे प्रभु, देख, जिस से तू प्रीति रखता है, वह बीमार है।
Joh 11:4 यह सुन कर यीशु ने कहा, यह बीमारी मृत्यु की नहीं, परन्‍तु परमेश्वर की महिमा के लिये है, कि उसके द्वारा परमेश्वर के पुत्र की महिमा हो।
Joh 11:5  और यीशु मरथा और उस की बहन और लाजर से प्रेम रखता था।
Joh 11:6  सो जब उस ने सुना, कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहां दो दिन और ठहर गया।
Joh 11:7  फिर इस के बाद उस ने चेलों से कहा, कि आओ, हम फिर यहूदिया को चलें।
Joh 11:8 चेलों ने उस से कहा, हे रब्‍बी, अभी तो यहूदी तुझे पत्थरवाह करना चाहते थे, और क्‍या तू फिर भी वहीं जाता है?
Joh 11:9  यीशु ने उत्तर दिया, क्‍या दिन के बारह घंटे नहीं होते यदि कोई दिन को चले, तो ठोकर नहीं खाता है, क्‍योंकि इस जगत का उजाला देखता है।
Joh 11:10 परन्‍तु यदि कोई रात को चले, तो ठोकर खाता है, क्‍योंकि उस में प्रकाश नहीं।
Joh 11:11 उस ने ये बातें कहीं, और इस के बाद उन से कहने लगा, कि हमारा मित्र लाजर सो गया है, परन्‍तु मैं उसे जगाने जाता हूं।
Joh 11:25  यीशु ने उस से कहा, पुनरूत्थान और जीवन मैं ही हूं, जा कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।
Joh 11:26 और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्‍तकाल तक न मरेगा, क्‍या तू इस बात पर विश्वास करती है?
Joh 11:27  उस ने उस से कहा, हां हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूं, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आने वाला था, वह तू ही है।
Joh 11:37 परन्‍तु उन में से कितनों ने कहा, क्‍या यह जिस ने अन्‍धे की आंखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता?
Joh 11:38  यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था।
Joh 11:39 यीशु ने कहा, पत्थर को उठाओ: उस मरे हुए की बहिन मरथा उस से कहने लगी, हे प्रभु, उस में से अब तो र्दुगंध आती है क्‍योंकि उसे मरे चार दिन हो गए।
Joh 11:40 यीशु ने उस से कहा, क्‍या मैं ने तुझ से न कहा कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी।
Joh 11:41 तब उन्‍होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आंखें उठा कर कहा, हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं कि तू ने मेरी सुन ली है।
Joh 11:42 और मैं जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्‍तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उन के कारण मैं ने यह कहा, जिस से कि वे विश्वास करें, कि तू ने मुझे भेजा है।
Joh 11:43 यह कह कर उस ने बड़े शब्‍द से पुकारा, कि हे लाजर, निकल आ।
Joh 11:44 जो मर गया था, वह कफन से हाथ पांव बन्‍धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ था; यीशु ने उन से कहा, उसे खोलकर जाने दो।
Joh 11:45  तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे, और उसका यह काम देखा था, उन में से बहुतों ने उस पर विश्वास किया।


एक साल में बाइबल: 

  • २ राजा १९-२१ 
  • यूहन्ना ४:१-३०

रविवार, 13 मई 2012

सदा स्मरण रखो

   भूलना की समस्या हम सब के साथ रहती है, चाहे थोड़ी हो या अधिक। प्रातः जब मैं काम पर निकलता हूँ तो मेरी पत्नी घर के कुछ काम बताते हुए कहती है, ’....करना मत भूलना’; फिर दिन में फोन करके याद दिलाती है, ’तुम भूले तो नहीं ना?’ बार बार स्मरण दिलाकर वह निश्चित करती है कि उन महत्वपूर्ण बातों को मैं भूलूँ नहीं।

   परमेश्वर भी हमारे लिए आवश्यक तथ्यों को बार दोहराता है जिस से हम उन्हें स्मरण रख सकें। परमेश्वर के वचन बाइबल मे व्यवस्थाविवरण २४ अध्याय में दो बार परमेश्वर इस्त्राएलियों को स्मरण दिलाता है कि वे मिस्त्र की ग़ुलामी में थे और परमेश्वर ही ने उन्हें स्वतंत्र कराया (पद १८, २२)। अपने नबी मूसा के द्वारा परमेश्वर ने अपनी प्रजा से कहा: "और इस को स्मरण रखना कि तू मिस्र में दास था, और तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे वहां से छुड़ा लाया है; इस कारण मैं तुझे यह आज्ञा देता हूं।" (व्यवस्थाविवरण २४:१८)।

   परमेश्वर द्वारा दासत्व से छुड़ाए जाने के कारण, परमेश्वर के प्रति परमेश्वर के लोगों की कुछ ज़िम्मेदारियां थीं, जिनके पूरा करने के लिए मूसा ने लिखा "...इस कारण मैं तुझे यह आज्ञा देता हूं।" जो आज्ञा परमेश्वर ने उन्हें, इस संदर्भ में पूरी करने के लिए दी थी, वह हमें इस से अगले कुछ पदों (१९-२१) में मिलती है। उस आज्ञा का सार है कि उन्हें ज़रूरतमन्द और गरीब लोगों की आवश्यक्ताओं का ध्यान रखना था, अपने खेत और उपज में से उन की सहायता के लिए कुछ छोड़ना था।

   जैसे इस्त्राएली मिस्त्र के दासत्व से परमेश्वर द्वारा छुड़ाए गए थे, वैसे ही हम पाप के दासत्व से प्रभु यीशु के कलवरी के क्रूस पर बलिदान और मृतकों में से पुनरुत्थान द्वारा छुड़ाए गए हैं। हम से भी परमेश्वर का वचन अनेक बार कहता है कि उदारता और भलाई करना ना भूलें। इब्रानियों १३:१६ में लिखा है: "पर भलाई करना, और उदारता न भूलो, क्‍योंकि परमेश्वर ऐसे बलिदानों से प्रसन्न होता है।" - एलबर्ट ली

    इसी से संबंधित कुछ और पद, पढ़ने और जीवन में लागू करने के लिए हैं: रोमियों १२:१-१३; १ कुरिन्थियों १२:१-११; २ कुरिन्थियों ९:६-८; तीतुस ३:१४


कुछ पाने से संतुष्टि मिलती है; परन्तु संतृप्ति बांटने से मिलती है।


और भलाई करें, और भले कामों में धनी बनें, और उदार और सहायता देने में तत्‍पर हों। - १ तिमुथियुस ६:१८

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण २४:१७-२२
Deu 24:17  किसी परदेशी मनुष्य वा अनाथ बालक का न्याय न बिगाड़ना, और न किसी विधवा के कपड़े को बन्धक रखना;
Deu 24:18  और इस को स्मरण रखना कि तू मिस्र में दास था, और तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे वहां से छुड़ा लाया है; इस कारण मैं तुझे यह आज्ञा देता हूं।
Deu 24:19  जब तू अपने पके खेत को काटे, और एक पूला खेत में भूल से छूट जाए, तो उसे लेने को फिर न लौट जाना; वह परदेशी, अनाथ, और विधवा के लिये पड़ा रहे, इसलिये कि परमेश्वर यहोवा तेरे सब कामों में तुझ को आशीष दे।
Deu 24:20  जब तू अपने जलपाई के वृक्ष को झाड़े, तब डालियों को दूसरी बार न झाड़ना; वह परदेशी, अनाथ, और विधवा के लिये रह जाए।
Deu 24:21  जब तू अपनी दाख की बारी के फल तोड़े, तो उसका दाना दाना न तोड़ लेना; वह परदेशी, अनाथ और विधवा के लिये रह जाए।
Deu 24:22  और इसको स्मरण रखना कि तू मिस्र देश में दास था, इस कारण मैं तुझे यह आज्ञा देता हूं।


एक साल में बाइबल: 

  • २ राजा १७-१८ 
  • यूहन्ना ३:१९-३६

शनिवार, 12 मई 2012

दायित्व

   समुद्र तट पर कुछ किशोर खेलने में लगे हुए थे कि उनका ध्यान पास ही में पानी में पलटी हुई एक नाव की ओर गया। उन्होंने तुरंत अपना खेल बन्द किया और पानी में पलटी हुई नाव को सीधा करने में लगे लोगों की सहायता करने के लिए उनके पास गए। जब वे उस नाव पर पहुंचे तो पता चला कि जिनकी नाव पलटी थी और जो लोग उसे वापस सीधा करने के प्रयास में लगे थे वे सभी व्यावसायिक नाविक थे और समुद्र तट पर सैलानियों को नौका विहार कराते थे। उन अनुभावी नाविकों और अनुभवहीन किशोरों ने मिल कर जब ज़ोर लगाया तो वे नाव को सीधा कर सके।

   समुद्र तट पर घटी इस घटना से मेरा ध्यान चर्च में घटित हो सकने वाली संभावाना की ओर गया। कई बार चर्च के कार्यों और प्रबंधन को करने में लगे अनुभवी लोगों, जैसे पास्टर और अगुवों के सामने कुछ ऐसी समस्याएं आ जाती हैं जिनका निवारण करने में वे असमर्थ रहते हैं। ऐसे में चर्च के सामन्य सदस्यों का दायित्व है कि वे इन ’अनुभवी’ लोगों की सहायता करें जिस से समस्या का समाधान हो सके।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के प्रेरितों ६ में एक ऐसी ही स्थिति का उल्लेख है। मण्डली के कुछ लोगों को लगा कि उनकी उपेक्षा हो रही है और इससे मण्डली में तनाव होने लगा। मण्डली के अगुवों ने समस्या का अध्ययन किया और पहचाना कि समाधान के लिए सामान्य लोगों की सहायता आवश्यक है। उन्होंने मण्डली में से सात लोगों को नामान्कित किया और इन सात लोगों की सहायता से अगुवे उस समस्या को सुलझा सके और मण्डली का कार्य सुचारू रीति से आगे बढ़ सका।

   प्रत्येक मसीही विश्वासी का यह दायित्व है कि वह मण्डली के कार्यों और ज़िम्मेदारियों के निर्वाह में सहयोग दे। मण्डली का कार्य सुचारू रूप से चलाने के लिए अनुभवी पास्टर तथा अगुवों और मण्डली के सामान्य लोगों को एक साथ मिल कर कार्य करना आवश्यक है। - डेव ब्रैनन


परस्पर सहयोग के साथ किया गया कार्य मेहनत घटा देता है और प्रभाव बढ़ा देता है।

जिस को जो वरदान मिला है, वह उसे परमेश्वर के नाना प्रकार के अनुग्रह के भले भण्‍डारियों की नाईं एक दूसरे की सेवा में लगाए। - १ पतरस ४:१०

बाइबल पाठ: प्रेरितों ६:१-७
Act 6:1  उन दिनों में जब चेले बहुत होते जाते थे, तो यूनानी भाषा बोलने वाले इब्रानियों पर कुड़कुड़ाने लगे, कि प्रति दिन की सेवकाई में हमारी विधवाओं की सुधि नहीं ली जाती।
Act 6:2 तब उन बारहों ने चेलों की मण्‍डली को अपने पास बुलाकर कहा, यह ठीक नहीं कि हम परमेश्वर का वचन छोड़ कर खिलाने पिलाने की सेवा में रहें।
Act 6:3 इसलिये हे भाइयो, अपने में से सात सुनाम पुरूषों को जो पवित्र आत्मा और बुद्धि से परिपूर्ण हों, चुन लो, कि हम उन्‍हें इस काम पर ठहरा दें।
Act 6:4 परन्‍तु हम तो प्रार्थना में और वचन की सेवा में लगे रहेंगे।
Act 6:5 यह बात सारी मण्‍डली को अच्‍छी लगी, और उन्‍होंने स्‍तिुफनुस नाम एक पुरूष को जो विश्वास और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण था, और फिलप्‍पुस और प्रखुरूस और नीकानोर और तीमोन और परिमनास और अन्‍ताकी वाला नीकुलाउस को जो यहूदी मत में आ गया था, चुन लिया।
Act 6:6 और इन्‍हें प्रेरितों के साम्हने खड़ा किया और उन्‍होंने प्रार्थना कर के उन पर हाथ रखे।
Act 6:7 और परमेश्वर का वचन फैलता गया और यरूशलेम में चेलों की गिनती बहुत बढ़ती गई, और याजकों का एक बड़ा समाज इस मत के अधीन हो गया।


एक साल में बाइबल: 

  • २ राजा १५-१६ 
  • यूहन्ना ३:१-१८

शुक्रवार, 11 मई 2012

ईमानदारी

   हास्य चित्रकार स्कौट एडम्स अपने हास्य चित्र श्रंखला ’डिलबर्ट’ के लिए प्रसिद्ध हैं जिसमें मनोरम्जक रीति से कार्य क्षेत्र में सामान्यतः देखने को मिलने वाली व्यर्थ बातों को उजागर किया जाता है। उन्होंने १९९० में इस हास्य चित्र श्रंखला से संबंधित एक पुस्तक भी लिखी "The Dilbert Principle" जिसमें उन्होंने प्रौद्योकी, नेतृत्व तथा प्रबंधन संबंधी अधिकारियों की सनक और अयोग्य प्रबंधकों पर परिहास किया है। बहुत से लोगों को उस पुस्तक में गिए गए उदहरणों और चित्रणों को अपने प्रतिदिन के जीवन और अनुभवों के साथ ताल-मेल देखने के द्वारा अच्छा मनोरंजन मिला है।

   अपनी उस पुस्तक में स्कौट एडम्स कर्मचारियों द्वारा आलसीपन और दिखावे के कार्यों के विषय में लिखते हैं: "कामचोर होने की कला मैंने इस कला के विशेषज्ञों से सीखी है। नौ वर्ष के अनुभव के बाद, किसी कार्य में लगे बिना ही व्यस्त दिखाई देने के बारे में जो कुछ सीखने का हो सकता है वह मैं ने सीख लिया है।"

   किंतु अपने कार्य और स्वामियों के प्रति व्यवहार के संबंध में मसीही विश्वासियों के पास एक बहुत श्रेष्ठ उद्देश्य और बुलाहट है। परमेश्वर का वचन बाइबल विश्वासियों को प्रोत्साहित करती है कि अपने अधिकारियों के प्रति आदर का रवैया बनाए रखें, और अपने कार्य में ईमानदार रहें, किसी मनुष्य को प्रसन्न करने के लिए नहीं वरन अपने प्रभु यीशु और परमेश्वर को प्रसन्न करने के उद्देश्य से: "हे दासो, जो लोग शरीर के अनुसार तुम्हारे स्‍वामी हैं, अपने मन की सीधाई से डरते, और कांपते हुए, जैसे मसीह की, वैसे ही उन की भी आज्ञा मानो। और मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये सेवा न करो, पर मसीह के दासों की नाईं मन से परमेश्वर की इच्‍छा पर चलो" (इफिसीयों ६:५-६)।

   कार्य के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी के लिए सही रवैया ईमानदार मन से आता है, जहां हम किसी मनुष्य को नहीं वरन अपने प्रभु यीशु को अपना स्वामी मान कर उसके लिए प्रत्येक कार्य करते हैं। जब हम पूरी ईमानदारी के साथ अपने कार्यक्षेत्र की ज़िम्मेदारियों को निभाते हैं और अपने सांसारिक स्वामी के प्रति ईमानदार और खरे रहते हैं, तो इससे हम अपने प्रभु को भी प्रसन्न करते हैं। - डेनिस फिशर


आपका स्वामी चाहे कोई भी हो, अन्ततः आप परमेश्वर को ही जवाबदेह हैं।


और मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाई दिखाने के लिये सेवा न करो, पर मसीह के दासों की नाईं मन से परमेश्वर की इच्‍छा पर चलो। - इफिसीयों ६:६


बाइबल पाठ: इफिसीयों ६:१-६
Eph 6:1 हे बालकों, प्रभु में अपने माता पिता के आज्ञाकारी बनो, क्‍योंकि यह उचित है।
Eph 6:2  अपनी माता और पिता का आदर कर (यह पहिली आज्ञा है, जिस के साथ प्रतिज्ञा भी है)।
Eph 6:3  कि तेरा भला हो, और तू धरती पर बहुत दिन जीवित रहे।
Eph 6:4 और हे बच्‍चे वालों अपने बच्‍चों को रिस न दिलाओ परन्‍तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो।
Eph 6:5 हे दासो, जो लोग शरीर के अनुसार तुम्हारे स्‍वामी हैं, अपने मन की सीधाई से डरते, और कांपते हुए, जैसे मसीह की, वैसे ही उन की भी आज्ञा मानो।
Eph 6:6 और मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये सेवा न करो, पर मसीह के दासों की नाईं मन से परमेश्वर की इच्‍छा पर चलो।


एक साल में बाइबल: 

  • २ राजा १३-१४ 
  • यूहन्ना २

गुरुवार, 10 मई 2012

स्वर्ग का एहसास

   कुछ समय पहले मेरी पत्नी की मुलाकात एक महिला से हुई जिसे यात्रा में सहायता की आवश्यक्ता थी। मेरी पत्नी को लगा कि यह बात परमेश्वर की ओर से है, और उसने उस महिला को अपनी कार में बैठा लिया। यात्रा के दौरान हुई बातचीत में उस महिला ने बताया कि वह भी एक मसीही विश्वासी है लेकिन मादक पदार्थों की लत से निकलने के लिए जूझ रही है। मेरी पत्नी ने प्रेम और आदर के साथ इस दुखी महिला की बातें सुनीं और उस के साथ बातचीत भी करी, उस के विश्वास को बढ़ाया। उस दुखी जन को उसकी हर परिस्थिति में उसके साथ बनी हुई परमेश्वर कि उपस्थिति का तथा स्वर्ग का एहसास कराने के साथ, मेरी पत्नी ने उसे एक अच्छे भविष्य की आशा भी दी।

   जब परमेश्वर ने मूसा को अपने निर्देशों के अनुसार एक पवित्र स्थान बनाने के लिए कहा, तो उसका एक उद्देश्य यह भी था कि उसके लोग उन के मध्य उस की उपस्थिति के एहसास के साथ रहें। बाद में जब राजा सुलेमान ने परमेश्वर के मन्दिर को बनवाया, तो उस के द्वारा भी लोगों को अपने बीच परमेश्वर के निवास के एहसास होता था (१ राजा ५-८)। फिर परमेश्वर का वह सिद्ध पवित्र स्थान, प्रभु यीशु मनुष्यों बीच डेरा करने आया (यूहन्ना १:१४)। इन सभी पवित्र स्थानों के द्वारा परमेश्वर की इच्छा रही है कि उसके जन सदा उनके साथ उसकी उपस्थिति के एहसास में जीवन बिताएं। जब प्रभु यीशु का स्वर्गारोहण हुआ तो उन्होंने अपने पवित्र आत्मा को अपने अनुयायियों के साथ रहने को भेजा ( यूहन्ना १४:१६-१७), जिस से उनके अनुयायी परमेश्वर के निवास स्थान और मन्दिर बन कर रहें (१ कुरिन्थियों ३:१६; ६:१९)।

   आज परमेश्वर के मन्दिर और निवास स्थान होने के कारण हम मसीही विश्वासियों को परमेश्वर की ओर से यह ज़िम्मेवारी सौंपी गई है कि हम इस पाप और अशांति से भरे संसार को परमेश्वर की उपस्थिति का एहसास कराएं। हमारे जीवनों में और हमारे जीवनों के द्वारा वे स्वर्ग का एहसास कर सकें, स्वर्ग के खोजी हो सकें और प्रभु यीशु को समर्पण द्वारा वे भी परमेश्वर के मन्दिर बनें। - मार्विन विलियम्स


वह मसीही विश्वासी जो दूसरों के लिए छोटे छोटे कार्य करने को तैयार है, परमेश्वर के लिए बड़े बड़े कार्य कर सकता है।
क्‍या तुम नहीं जानते, कि तुम परमेश्वर का मन्‍दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है? - १ कुरिन्थियों ३:१६
बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ३:११-१७; ६:१५-२०
1Co 3:11  क्‍योंकि उस नेव को छोड़ जो पड़ी है, और वह यीशु मसीह है कोई दूसरी नेव नहीं डाल सकता।
1Co 3:12  और यदि कोई इस नेव पर सोना या चान्‍दी या बहुमोल पत्थर या काठ या घास या फूस का रद्दा रखता है।
1Co 3:13  तो हर एक का काम प्रगट हो जाएगा, क्‍योंकि वह दिन उसे बताएगा; इसलिये कि आग के साथ प्रगट होगा: और वह आग हर एक का काम परखेगी कि कैसा है?
1Co 3:14   जिस का काम उस पर बना हुआ स्थिर रहेगा, वह मजदूरी पाएगा।
1Co 3:15  और यदि किसी का काम जल जाएगा, तो हानि उठाएगा; पर वह आप बच जाएगा परन्‍तु जलते जलते।
1Co 3:16  क्‍या तुम नहीं जानते, कि तुम परमेश्वर का मन्‍दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है?
1Co 3:17  यदि कोई परमेश्वर के मन्‍दिर को नाश करेगा तो परमेश्वर उसे नाश करेगा, क्‍योंकि परमेश्वर का मन्‍दिर पवित्र है, और वह तुम हो।
1Co 6:15  क्‍या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह मसीह के अंग हैं सो क्‍या मैं मसीह के अंग लेकर उन्‍हें वेश्या के अंग बनाऊं कदापि नहीं।

1Co 6:16  क्‍या तुम नहीं जानते, कि जो कोई वेश्या से संगति करता है, वह उसके साथ एक तन हो जाता है क्‍योंकि वह कहता है, कि वे दोनों एक तन होंगे।
1Co 6:17   और जो प्रभु की संगति में रहता है, वह उसके साथ एक आत्मा हो जाता है।
1Co 6:18  व्यभिचार से बचे रहो: जितने और पाप मनुष्य करता है, वे देह के बाहर हैं, परन्‍तु व्यभिचार करने वाला अपनी ही देह के विरूद्ध पाप करता है।
1Co 6:19  क्‍या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्‍दिर है जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो?
1Co 6:20   कयोंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिये अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो।
एक साल में बाइबल: 
  • २ राजा १०-१२ 
  • यूहन्ना १:२९-५१

बुधवार, 9 मई 2012

सुरक्षा स्थल

   जब चीन के नैनजिन्ग प्रांत में युद्ध से अत्याचार होने लगे तो आम नागरिकों को भी बहुत कष्टों का सामना करना पड़ा। महिलाएं भी इन अत्याचारों से अछूती नहीं थीं, बहुत सी महिलाओं को मार डाला गया या उन्हें हिंसा को झेलना पड़ा। इस भीषण परिस्थिति में एक मिशनरी अध्यापिका, मिन्नी वौट्रिन ने, चीनी महिलाओं को हिंसा और अत्याचार से बचाने के लिए अद्भुत साहस के कार्य करे। मिन्नी ने चीनी नागरिकों, अन्य मिशनरीयों, डाक्टरों और व्यापारियों के साथ मिल कर, जिस कॉलेज में वह अध्यापिका थी, उसे एक सुरक्षा स्थल बना लिया जहां हज़ारों स्त्रियों और लड़कियों ने शरण पाई और युद्ध के अत्यचारों से बच सके।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम दो पात्रों को देखते हैं - रूथ और उसकी सास नाओमी; उन्हें भी एक सुरक्षा स्थल की आवश्यक्ता थी। बहुत वर्ष पहले देश में पड़े अकाल के कारण नाओमी के परिवार ने अपना वह इलाका छोड़ दिया था और परदेश में जाकर रहने लगे थे। परदेश में ही नाओमी के दोनो पुत्रों ने शादियां करीं, किंतु वहीं नाओमी का पति और उसके दोनो पुत्र चल बसे। एक बहु तो अपने देश में ही रह गई, दुसरी बहु रूथ, अपनी सास के साथ वापस देश में आ गए। अब इन दोनो विधवाओं को अपनी गुज़र-बसर करने के लिए फसल काटे जाने के बाद खेतों में बचे पड़े अनाज को बीन कर काम चलाना पड़ता था। उनके लिए अब बचाव का एक ही उपाए था कि कोई ’छुड़ाने वाला कुटुंबी’ मिल जाए और उन्हें स्वीकार कर ले - एक ऐसा जन जो नाओमी के परिवार से संबंधित हो और रूथ को ब्याह कर अपने घर लेने को तैयार हो।

   बोआज़ एक ऐसा कुटुंबी था। उसने नाओमी के प्रति रूथ के प्रेम और त्याग को जाना था और वह उसके परमेश्वर के प्रति प्रेम (रूथ २:१२), तथा भले चरित्र और स्वभाव से भी प्रभावित था। बोआज़ ने सभी विधियों का निर्वाह करते हुए रूथ को उसकी उस दयनीय दशा से ’छुड़ा’ लिया और आदर के साथ अपनी पत्नी बना कर अपने घर ले आया। बोआज़ का घर उनके लिए सुरक्षा स्थल बन गया और नाओमी तथा रूथ को संरक्षण मिला। बोआज़ और रूथ का परपोता दाउद हुआ, जो इस्त्राएल का सबसे प्रीय राजा बना, और फिर जिसके वंश में संसार के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु का जन्म हुआ।

   हमारा एकमात्र शरण स्थान तो प्रभु ही (भजन ४६:१), लेकिन वह हम में होकर अपने कार्य करता है। वह चाहता है कि हम उसके लिए लोगों के ’सुरक्षा स्थल’ बनें, जहां पाप और दुख में पड़े लोगों को सांत्वना मिले, तकलीफों से राहत मिले और उद्धारकर्ता परमेश्वर प्रभु के बारे में वे जान सकें, उद्धार पा सकें और अपने अनन्त काल के सुरक्षा स्थल - प्रभु यीशु में आश्रय पा सकें। - डेनिस फिशर


जो प्रेम प्रदर्शित करते हैं वे प्रेम करते भी हैं। - शेक्सपीयर
 
यहोवा तेरी करनी का फल दे, और इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जिसके पंखों के तले तू शरण लेने आई है तुझे पूरा बदला दे। - रूथ २:१२
 
बाइबल पाठ: रूथ २:१-१२
Rth 2:1  नाओमी के पति एलीमेलेक के कुल में उसका एक बड़ा धनी कुटुम्बी था, जिसका नाम बोअज था।
Rth 2:2  और मोआबिन रूत ने नाओमी से कहा, मुझे किसी खेत में जाने दे, कि जो मुझ पर अनुग्रह की दृष्टि करे, उसके पीछे पीछे मैं सिला बीनती जाऊं। उस ने कहा, चली जा, बेटी।
Rth 2:3  सो वह जाकर एक खेत में लवने वालों के पीछे बीनने लगी, और जिस खेत में वह संयोग से गई थी वह एलीमेलेक के कुटुम्बी बोअज का था।
Rth 2:4  और बोअज बेतलेहेम से आकर लवने वालों से कहने लगा, यहोवा तुम्हारे संग रहे, और वे उस से बोले, यहोवा तुझे आशीष दे।
Rth 2:5  तब बोअज ने अपने उस सेवक से जो लवने वालों के ऊपर ठहराया गया था पूछा, वह किस की कन्या है।
Rth 2:6  जो सेवक लवने वालों के ऊपर ठहराया गया था उस ने उत्तर दिया, वह मोआबिन कन्या है, जो नाओमी के संग मोआब देश से लौट आई है।
Rth 2:7  उस ने कहा था, मुझे लवने वालों के पीछे पीछे पूलों के बीच बीनने और बालें बटोरने दे। तो वह आई, और भोर से अब तक यहीं है, केवल थोड़ी देर तक घर में रही थी।
Rth 2:8  तब बोअज ने रूत से कहा, हे मेरी बेटी, क्या तू सुनती है? किसी दूसरे के खेत में बीनने को न जाना, मेरी ही दासियों के संग यहीं रहना।
Rth 2:9  जिस खेत को वे लवतीं हों उसी पर तेरा ध्यान बन्धा रहे, और उन्हीं के पीछे पीछे चला करना। क्या मैं ने जवानों को आज्ञा नहीं दी, कि तुझ से न बोलें? और जब जब तुझे प्यास लगे, तब तब तू बरतनों के पास जाकर जवानों का भरा हुआ पानी पीना।
Rth 2:10  तब वह भूमि तक झुक कर मुंह के बल गिरी, और उस से कहने लगी, क्या कारण है कि तू ने मुझ परदेशिन पर अनुग्रह की दृष्टि कर के मेरी सुधि ली है?
Rth 2:11  बोअज ने उत्तर दिया, जो कुछ तू ने पति मरने के पीछे अपनी सास से किया है, और तू किस रीति अपने माता पिता और जन्मभूमि को छोड़ कर ऐसे लोगों में आई है जिनको पहिले तू ने जानती थी, यह सब मुझे विस्तार के साथ बताया गया है।
Rth 2:12  यहोवा तेरी करनी का फल दे, और इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जिसके पंखों के तले तू शरण लेने आई है तुझे पूरा बदला दे।
 
एक साल में बाइबल: 
  • २ राजा ७-९ 
  • यूहन्ना १:१-२८

मंगलवार, 8 मई 2012

व्याव्हारिक प्रेम

   आयर्लैंड के डबलिन शहर में स्थित चेस्टर बीट्टी पुस्तकालय में बाइबल के प्राचीन लेखों और भागों का संग्रह है। वहां रखे हुए एक छोटे से टुकड़े पर यूहन्ना रचित सुसमाचार के १९वें अध्याय का एक अंश है। इस अंश पर उस समय का विवरण दर्ज है जब प्रभु यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था, और उन्होंने अपनी माँ को संबोधित करके उनके प्रति अपने प्रेम और चिंता को व्यक्त किया था। उस अंश पर लिखे शब्द उस अध्याय के २६ पद से हैं जहां हम पढ़ते हैं, "यीशु ने अपनी माता, और उस चेले को, जिससे वह प्रेम करता था, पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा, हे नारी, देख यह तेरा पुत्र है।"

   परमेश्वर के वचन के उस प्राचीन अंश को देखते हुए मुझे एक नया एहसास हुआ को प्रभु यीशु का प्रेम अपनी माता और अपने मित्र के प्रति कितना स्पष्ट और प्रत्यक्ष था। बड़े ही साफ रीति से उन्होंने संसार के सामने इस प्रेम और चिंता को प्रस्तुत किया, यह कह कर कि अब उन के बाद उनका मित्र युहन्ना ही उनकी माता की देखभाल करेगा। वहां क्रूस पर लटके हुए, उस बेबयान पीड़ा में भी प्रभु ने अपने चेले और मित्र युहन्ना से कहा, "’यह तेरी माता ह’, और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया" (पद २७)।

   आज का यह दिन उपयुक्त समय कि आप अपनी माँ के प्रति अपने प्रेम को प्रत्यक्ष रूप में प्रकट करें, यदि वे संसार में उपस्थित हैं; अन्यथा उन के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करें। अपने प्रेम को, किसी न किसी रूप में, व्यावाहारिक बनाएं। - बिल क्राउडर


अब्राहम लिंकन ने कहा: "परमेश्वर मेरी माँ पर आशीष दें; मैं जो कुछ भी हूँ, या हो सकता हूँ, उस सब के लिए मैं उसका ऋणी हूँ।"
यीशु ने अपनी माता, और उस चेले को, जिससे वह प्रेम करता था, पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा, हे नारी, देख यह तेरा पुत्र है। - यूहन्ना १९:२६
बाइबल पाठ: यूहन्ना १९:२५-३०
Joh 19:25 परन्‍तु यीशु के क्रूस के पास उस की माता और उस की माता की बहिन मरियम, क्‍लोपास की पत्‍नी और मरियम मगदलीनी खड़ी थीं।
Joh 19:26  यीशु ने अपनी माता, और उस चेले को, जिससे वह प्रेम करता था, पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा, हे नारी, देख यह तेरा पुत्र है।
Joh 19:27  तब उस चेले से कहा, यह तेरी माता है, और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया।
Joh 19:28 इस के बाद यीशु ने यह जान कर कि अब सब कुछ हो चुका, इसलिये कि पवित्र शास्‍त्र की बात पूरी हो कहा, मैं प्यासा हूं।
Joh 19:29 वहां एक सिरके से भरा हुआ बर्तन धरा था, सो उन्‍होंने सिरके के भिगोए हुए इस्‍पंज को जूफे पर रख कर उसके मुंह से लगाया।
Joh 19:30  जब यीशु ने वह सिरका लिया, तो कहा पूरा हुआ और सिर झुकाकर प्राण त्याग दिए।
एक साल में बाइबल: 
  • २ राजा ४-६ 
  • लूका २४:३६-५३