ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 3 नवंबर 2014

थमें और देखें


   आज के समय में यात्रा करने वालों के लिए अपने गन्तव्य पर पहुँचने का सबसे सरल और उपयोगी तरीका है जीपीएस का प्रयोग करना, लेकिन मैं और मेरे पति जे अभी भी पुराने तरीके के अनुसार, अर्थात नक्शे के सहारे ही यात्रा करते हैं। क्योंकि गाड़ी अधिकतर जे ही चलाते हैं, इसलिए नक्शे पर ध्यान रखने और उन्हें सही दिशा तथा मार्ग बताते रहने का कार्य मेरा होता है। यद्यपि मैं नक्शा पढ़ने और देखने में बुरी भी नहीं हूँ, तो भी चलती हुई गाड़ी में नक्शे पर सबसे अच्छा और छोटा मार्ग चुन पाना और फिर अपने पति को समय पर सही मोड़ मुड़ने या दिशा का निर्देश देना कई बार कठिन हो जाता है। इसलिए यह करने के लिए मुझे उनसे गाड़ी रुकवाकर अपनी स्थिति और दिशा निश्चित करने की आवश्यकता होती है। यात्रा में थोड़ी देर थम जाने के ये समय हमारी आने वाले यात्रा को सुगम और सरल बनाने के लिए सहायक और आवश्यक होते हैं। थोड़ा सा थम कर अपनी स्थिति और दिशा सुनिश्चित कर लेने से हम आगे कहीं भटक कर और भी अधिक समय गंवाने से बच जाते हैं।

   यही बात हमारे आत्मिक जीवन में भी लागू होती है। जब हम परमेश्वर द्वारा दिए गए कार्य की पूर्ति में उसके मार्ग पर चल रहे होते हैं तो यह भला होता है कि हम समय समय पर रुककर उससे सुनिश्चित कर लें कि हम सही दिशा में जा रहे हैं कि नहीं और हमारी वर्तमान स्थिति सही है कि नहीं। यदि हम ऐसा नहीं करेंगे तो बहुत संभव है कि हम अनचाहे स्थानों, परिस्थितियों और संबंधों में पड़कर मार्ग से भटक जाएंगे और अपने कार्य को भली भांति पूरा नहीं कर सकेंगे।

   संसार के फन्दों और प्रलभनों में पड़कर भटक जाने से बचने के लिए प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कई बार जो वे कर रहे हैं उससे थम जाने को कहा - "मत कुड़कुड़ाओ", "मूँह देखा न्याय मत करो", "शक मत करो विश्वास करो" (यूहन्ना 6:43; 7:24; 20:27) आदि। प्रभु यीशु का अनुसरण करने और उसकी सेवा को पूरा करते हुए हमें कई बार थम कर देख लेना चाहिए कि हम सही मार्ग पर हैं कि नहीं, क्योंकि शैतान अनेक रीति से हमें बहकाने, भटकाने और गिराने के प्रयासों में लगा रहता है, यहाँ तक कि ज्योतिर्मय स्वर्गदूत का रुप धारण करके भी (2 कुरिन्थियों 11:13-14)। जब जब हम अपने विचारों के अनुसार सही मार्ग पर चलते हुए थोड़ा थम कर प्रभु यीशु से अपने कार्य, अपनी स्थिति और दिशा के बारे में निर्देश लेते रहते हैं, तब ही हम सुनिश्चित रहते हैं कि हम सही मार्ग और सही दिशा में ही बढ़ रहे हैं। थोड़ी देर थमना और पुनःअवलोकन करना सीखें, आप भटकने और समय तथा सामर्थ बरबाद करने से बचे रहेंगे। - जूली ऐकैरमैन लिंक


परमेश्वर का मार्ग ही सही मार्ग है; अपने मार्ग को सुनिश्चित करते रहिए।

क्योंकि ऐसे लोग झूठे प्रेरित, और छल से काम करने वाले, और मसीह के प्रेरितों का रूप धरने वाले हैं। और यह कुछ अचम्भे की बात नहीं क्योंकि शैतान आप भी ज्योतिमर्य स्वर्गदूत का रूप धारण करता है। - 2 कुरिन्थियों 11:13-14

बाइबल पाठ: प्रेरितों 16:4-10
Acts 16:4 और नगर नगर जाते हुए वे उन विधियों को जो यरूशलेम के प्रेरितों और प्राचीनों ने ठहराई थीं, मानने के लिये उन्हें पहुंचाते जाते थे। 
Acts 16:5 इस प्रकार कलीसिया विश्वास में स्थिर होती गई और गिनती में प्रति दिन बढ़ती गई। 
Acts 16:6 और वे फ्रूगिया और गलतिया देशों में से हो कर गए, और पवित्र आत्मा ने उन्हें ऐशिया में वचन सुनाने से मना किया। 
Acts 16:7 और उन्होंने मूसिया के निकट पहुंचकर, बितूनिया में जाना चाहा; परन्तु यीशु के आत्मा ने उन्हें जाने न दिया। 
Acts 16:8 सो मूसिया से हो कर वे त्रोआस में आए। 
Acts 16:9 और पौलुस ने रात को एक दर्शन देखा कि एक मकिदुनी पुरूष खड़ा हुआ, उस से बिनती कर के कहता है, कि पार उतरकर मकिदुनिया में आ; और हमारी सहायता कर। 
Acts 16:10 उसके यह दर्शन देखते ही हम ने तुरन्त मकिदुनिया जाना चाहा, यह समझकर, कि परमेश्वर ने हमें उन्हें सुसमाचार सुनाने के लिये बुलाया है।

एक साल में बाइबल: 
  • यूहन्ना 4-6