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सोमवार, 29 दिसंबर 2014

सीमाएं


   मैं इतने वर्षों से लोगों के मध्य कार्य कर रहा हूँ लेकिन आज तक मैं किसी ऐसे व्यक्ति से नहीं मिला हूँ जिसका जीवन परमेश्वर की आज्ञाकारिता के कारण अव्यवस्थित या परेशानियों से भरा हुआ हो। लेकिन आज के इस समय में जब व्यक्तिगत स्वतंत्रता एक अटल, अपरिवर्तनीय अधिकार के रूप में देखी जाती है, परमेश्वर के नियमों के अनुसार जीवन संचालित करने की बात करना उस व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला करने के समान देखा जाता है। जो कोई परमेश्वर की सीमाओं के पक्ष में बोलता है उसे लोग अपने जीवन की सीमाओं से बाहर रखना चाहते हैं। लेकिन व्यक्तिगत स्वतंत्रता के इस उन्माद में हमें इस बात को नज़रन्दाज़ नहीं करना चाहिए कि हमारा समाज जीवन की व्यर्थता और निराशा की बढ़ती हुई भावना से भी ग्रसित होता जा रहा है।

   लेकिन परमेश्वर के लोगों का परमेश्वर की सीमाओं के प्रति एक अलग नज़रिया होना चाहिए। परमेश्वर के वचन बाइबल के भजनकार के समान हमें यह मानकर चलना चाहिए कि आशीषित जीवन परमेश्वर के नियमों में आनन्दित रहने से ही होता है, ना कि उनके साथ रहने, खड़े होने, चलने से जो परमेश्वर के विरुद्ध रहते हैं (भजन 1:1-2)। प्रभु यीशु मसीह का प्रत्येक विश्वासी यह समझ लेगा कि परमेश्वर के नियम हमारे जीवन से आनन्द चुरा लेने के लिए नहीं वरन जीवन को आनन्द से भर देने के लिए हैं। वे नियम परमेश्वर की बुद्धिमता द्वारा लगाए गए बाड़े हैं जो हमें लापरवाही के जीवन द्वारा आने वाले छल और परेशानियों से बचा कर रखते हैं।

   इसलिए अगली बार जब आपके सामने परमेश्वर की सीमाओं को लाँघने का प्रलोभन आए, तो ऐसा करने से पहले उन सीमाओं के अन्दर आपको रखने के पीछे परमेश्वर के प्रेम भरे उद्देश्य पर थोड़ा विचार अवश्य कर लीजिएगा। सीमाओं के लिए कुड़कुड़ाएं नहीं वरन उनके लिए, उनके कारण जीवन में मिलने वाली आशीषों के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करें। - जो स्टोवैल


परमेश्वर की सीमाएं आपको उसकी आशीषों के दायरे में बनाए रखती हैं।

क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं! क्या ही धन्य हैं वे जो उसकी चितौनियों को मानते हैं, और पूर्ण मन से उसके पास आते हैं! - भजन 119:1-2

बाइबल पाठ: भजन 1
Psalms 1:1 क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है! 
Psalms 1:2 परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। 
Psalms 1:3 वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है।
Psalms 1:4 दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है। 
Psalms 1:5 इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे; 
Psalms 1:6 क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • प्रकाशितवाक्य 13-15