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गुरुवार, 14 सितंबर 2017

कार्यकारी शब्द


   कॉलेज में मेरी कक्षा के उस छात्र का वह ईमेल सहायता की शीघ्र कार्यवाही के निवेदन से भरा था। सेमेस्टर का अन्त आ रहा था, और उसे यह एहसास हुआ था कि खेलों में भागीदारी के लिए उसे कुछ बेहतर अंक चाहिएं। अब वह क्या कर सकता था? उसने अपने कुछ गृहकार्य पूरे नहीं किए थे, इसलिए मैंने उसे अवसर दिया कि वह दो दिन में उन कार्यों को पूरा कर के आँकलन के लिए सौंप दे जिससे उन कार्यों पर मिलने वाले अंकों से उसके कुल अंक सुधर सकें। उसका प्रत्युत्तर था: "बहुत धन्यवाद। मैं यह काम पूरा कर के दे दूँगा।" दो दिन भी बीत गए परन्तु उसकी ओर से कोई कार्य आँकलन के लिए सौंपा नहीं गया। उस युवक ने अपने शब्दों की पुष्टि अपने कार्यों से नहीं की।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी हम पाते हैं कि प्रभु यीशु मसीह ने एक ऐसे ही युवक के बारे में बताया था। उस युवक के पिता ने उससे कहा कि वह जाकर उसकी दाख़ की बारी [अँगूरों का खेत] में कुछ काम करे। उस युवक ने वह कार्य करने के लिए पिता को आश्वस्त किया (मत्ती 21:30), परन्तु जाकर काम नहीं किया। वह केवल बात कहना जानता था, उन शब्दों के अनुरूप कार्य करना नहीं। इस दृष्टांत पर टिप्पणी करते हुए प्रसिध्द बाइबल टीकाकार, मैथ्यु हेनरी ने कहा, "कलियाँ और फूल, फल नहीं होते हैं।" जब तक हमारे शब्दों की कलियाँ और फूल, जिन से होने वाले कार्य की प्रत्याशा होती है, उस प्रत्याशा के अनुरूप कार्यों के फल नहीं लाते हैं, वे खोखले और निरर्थक हैं। इस दृष्टांत को सुनाने में प्रभु यीशु का आश्य मुख्यतः उस समय के उन धर्मगुरुओं के प्रति था जो परमेश्वर के बारे में बड़ी-बड़ी बातें तो बोलते थे, परन्तु स्वयं उन बातों के आज्ञाकरी नहीं थे, अपने पापों से पश्चाताप नहीं करते थे। परन्तु प्रभु यीशु के शब्द आज हमारे लिए भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। बिना खोखले दावे किए, जब हम अपने शब्दों को कार्यकारी करते हैं (1 यूहन्ना 3:18), तब हम अपने प्रभु परमेश्वर तथा उद्धारकर्ता का आदर करते हैं।

   खोखले तथा निर्थक शब्दों की अपेक्षा परमेश्वर के प्रति अपने वास्तव में कार्यकारी शब्दों के द्वारा हम उसके प्रति अपने प्रेम, आदर और श्रध्दा को कहीं अधिक सार्थक रीति से दिखा सकते हैं। - डेव ब्रैनन


शब्द फूल होते हैं, तो अनुरूप कार्य फल।

हे बालकों, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें। - 1 यूहन्ना 3:18

बाइबल पाठ: मत्ती 21:28-32
Matthew 21:28 तुम क्या समझते हो? किसी मनुष्य के दो पुत्र थे; उसने पहिले के पास जा कर कहा; हे पुत्र आज दाख की बारी में काम कर। 
Matthew 21:29 उसने उत्तर दिया, मैं नहीं जाऊंगा, परन्तु पीछे पछता कर गया। 
Matthew 21:30 फिर दूसरे के पास जा कर ऐसा ही कहा, उसने उत्तर दिया, जी हां जाता हूं, परन्तु नहीं गया। 
Matthew 21:31 इन दोनों में से किस ने पिता की इच्छा पूरी की? उन्होंने कहा, पहिले ने: यीशु ने उन से कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि महसूल लेने वाले और वेश्या तुम से पहिले परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करते हैं। 
Matthew 21:32 क्योंकि यूहन्ना धर्म के मार्ग से तुम्हारे पास आया, और तुम ने उस की प्रतीति न की: पर महसूल लेने वालों और वेश्याओं ने उस की प्रतीति की: और तुम यह देखकर पीछे भी न पछताए कि उस की प्रतीति कर लेते।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन 19-21
  • 2 कुरिन्थियों 7