बाइबल पाठ: मत्ती ७:१ -२१
दोष मत लगाओ कि तुम पर भी दोष न लागाया जाए। - मत्ती ७:१
They truly lead who lead by love
And humbly serve the Lord;
Their lives will bear the Spirit's fruit
And magnify His Word. - D. De Haan
दुसरों पर दोष लगाने में धीरे और सवयं पर दोष लगाने में फुरतीले बनो।
एक साल में बाइबल:
दोष मत लगाओ कि तुम पर भी दोष न लागाया जाए। - मत्ती ७:१
लोगों से "अपने काम से मतलब रखो" कहने के लिये यीशु की बातों का हवाला देने से अच्छा और क्या उपाय हो सकता है? जो लोग बाइबल बहुत कम पढ़ते हैं वे मत्ती ७:१ जल्दी प्रयोग करते हैं, खासकर जब वे किसी विरोधी का मुंह बन्द करना चाहते हैं - "दोष मत लगाओ कि तुम पर भी दोष न लागाया जाए"।
यदि उसके संदर्भ में देखें तो यह वाक्य हमें दोष लगाने से मना नहीं करता, परन्तु गलत दोष नहीं लगाना है। सर्वप्रथम, हमें पहले सव्यं को जांचना है। यीशु ने कहा "पहली अपनी आंख में से लट्ठा निकाल ले, तब तू अपने भाई की आंख के तिनके को भली भांति देखकर निकाल सकेगा" (पद ५)। उसने फिर कहा, "झूठे भविष्यद्वक्ताओं से सावधान रहो" (पद १५); दोनो ही बातें ’जांचने’ से संबंध रखती हैं। इसके लिये सही निर्णय करना है - हमें झूठ और सच की पहचान होनी ज़रूरी है।
यीशु ने निर्णय करने के उचित उपाय के लिये फल के रूपक का प्रयोग किया: "उनके फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे"(पद २०)। हम स्वयं को और लोगों को भी उनसे उत्पन्न फलों की गुणवत्ता से पहचान सकते हैं। यह फल बाह्य स्वरूप और सौन्दर्य जैसे सांसारिक मूल्यों के आधार पर नहीं पहचाना जाता (पद १५)। उसकी जांच स्वर्गिय मूल्यों पर की जानी चाहिये - हम में उत्पन्न आत्मा के फल से, जैसे प्रेम, आनन्द, मेल आदि (गलतियों ५:२२)।
हम तो चेहरा देखकर निर्णय करते हैं पर्न्तु परमेश्वर हमारे फलों से हमारा निर्णय करते हैं और हमें भी ऐसा ही करना चाहिये। - Julie Ackerman Link
यदि उसके संदर्भ में देखें तो यह वाक्य हमें दोष लगाने से मना नहीं करता, परन्तु गलत दोष नहीं लगाना है। सर्वप्रथम, हमें पहले सव्यं को जांचना है। यीशु ने कहा "पहली अपनी आंख में से लट्ठा निकाल ले, तब तू अपने भाई की आंख के तिनके को भली भांति देखकर निकाल सकेगा" (पद ५)। उसने फिर कहा, "झूठे भविष्यद्वक्ताओं से सावधान रहो" (पद १५); दोनो ही बातें ’जांचने’ से संबंध रखती हैं। इसके लिये सही निर्णय करना है - हमें झूठ और सच की पहचान होनी ज़रूरी है।
यीशु ने निर्णय करने के उचित उपाय के लिये फल के रूपक का प्रयोग किया: "उनके फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे"(पद २०)। हम स्वयं को और लोगों को भी उनसे उत्पन्न फलों की गुणवत्ता से पहचान सकते हैं। यह फल बाह्य स्वरूप और सौन्दर्य जैसे सांसारिक मूल्यों के आधार पर नहीं पहचाना जाता (पद १५)। उसकी जांच स्वर्गिय मूल्यों पर की जानी चाहिये - हम में उत्पन्न आत्मा के फल से, जैसे प्रेम, आनन्द, मेल आदि (गलतियों ५:२२)।
हम तो चेहरा देखकर निर्णय करते हैं पर्न्तु परमेश्वर हमारे फलों से हमारा निर्णय करते हैं और हमें भी ऐसा ही करना चाहिये। - Julie Ackerman Link
They truly lead who lead by love
And humbly serve the Lord;
Their lives will bear the Spirit's fruit
And magnify His Word. - D. De Haan
दुसरों पर दोष लगाने में धीरे और सवयं पर दोष लगाने में फुरतीले बनो।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति २३, २४;
- मत्ती ७
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