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सोमवार, 10 मई 2010

बच्चों जैसा विश्वास

सपारिवार कैंपिंग के एक अवसर से लौटते समय, कार में केवल ६ वर्षीय टान्या और उसके पिता ही जगे हुए थे। कार की खिड़की में से पूर्णिमा के चमकते चांद को देखकर टान्या ने अपने पिता से पूछा "पापा, अगर मैं अपने पंजों के बल खड़े होकर अपने हाथ उपर बढ़ाउं तो क्या मैं चांद को छू पाउंगी?" उसके पिता ने उत्तर दिया, "नहीं, यह संभव नहीं लगता।" टान्या ने फिर प्रश्न किया, "क्या आप उस तक पहुंच सकते हैं?" पिता ने फिर उत्तर दिया, "नहीं, मैं भी नहीं कर सकता।" टान्या कुछ देर शांत रही, फिर बड़े विश्वास से बोली, "पापा, अगर आप मुझे अपने कंधों पर उठा लें तो यह संभव होगा।"

विश्वास? हां - बच्चे का विश्वास कि उसका पिता सब कुछ कर सकता है। लेकिन वास्तविक विश्वास का आधार हैं परमेश्वर की लिखित प्रतिज्ञाएं। इब्रानियों ११:१ में हम पढ़ते हैं, "विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय और अन्देखी वस्तुओं का प्रमाण है"। यीशु ने विश्वास के बारे में बहुत कुछ कहा, और सुसमाचारों में हम विश्वास रखने वालों के प्रति उसकी प्रतिक्रीया के बारे में पढ़ते हैं।

जब एक लकवे के मारे व्यक्ति को उसके मित्र यीशु के पास लाए, तो "उनका विश्वास देखकर" यीशु ने उसके पाप क्षमा करे और उसे चंगा किया (मत्ती ९:२-६)। जब सूबेदार ने यीशु से निवेदन किया कि "केवल मुख से कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जायेगा" तो यीशु ने अचंभा किया और कहा कि, "मैंने इस्त्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया" (मत्ती ८:८, १०)।

जब हम परमेश्वर पर विश्वास रखेंगे तो पायेंगे कि सब कुछ संभव है (लूका १८:२७)। - सिंडी हैस कैस्पर


बच्चे जैसा विश्वास स्वर्ग के दरवाज़ों को खोल देता है।


बाइबल पाठ: मत्ति ८:५-१०


जो मनुष्यों से नहीं हो सकता, वह परमेश्वर से हो सकता है। - लूका १८:२७


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १०-१२
  • यूहन्ना १:२९-५१

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