गोएथे के उपन्यास ’डॉकटर फॉस्टस’ में जैसे फॉस्टस अपनी आत्मा शैतान को बेचता है, हम मान सकते हैं कि यह काल्पनिक कहानीयों में ही होता है। चाहे हमें यह किस्से-कहानीयों की बात लगे, लेकिन आत्मा बेचने की कई घटनाएं हो चुकी हैं।
’वायर्ड’ पत्रिका ने यह समाचार छापा कि २९ वर्षीय विश्व्विद्यालय के एक प्रशीक्षक ने अपनी अमर आत्मा १,३२५ अमेरीकी डॉलर में बेच दी। उसका कहना है कि, "अमेरिका में आप वास्तविक अथवा आलंकारिक रूप से अपनी आत्मा बेच सकते हैं और उसके लिये पुरुस्कृत हो सकते हैं"। यह विसम्य की बात है कि खरीदने वाला, खरीदी हुई आत्मा को प्राप्त कैसे करेगा!
हम वास्तविक रूप में अपनी आत्मा बेच नहीं सकते पर उसे खोकर कुछ और प्राप्त कर सकते हैं। हमें यीशु के प्रश्न पर विचार करना चाहिये "मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा?" (मत्ती १६:२६)। आज के समय का हमारा उत्तर, यीशु के ज़माने के लोगों के उत्तर से कुछ ज़्यादा भिन्न नहीं होगा: जगत, शरीर और शैतान। हमें आकर्षित करके वश में करने वाली लालसाएं, वासनओं की बेरोकटोक तृप्ति, बदले की भावना, सांसारिक सफलता और वस्तुओं की प्राप्ति आदि कई लोगों लिये अनन्त काल के स्वर्गीय जीवन की उपेक्षा कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गए हैं।
संसार की किसी भी चीज़ की तुलना परमेश्वर के प्रेम और क्षमा से नहीं की जा सकती। यदि संसार के सुख-विलास का प्रेम आपको मसीह यीशु में विश्वास करने से रोक रहे हैं तो एक बार फिर विचार कर लीजिए - यह सब आपके अमर आत्मा से अधिक मूल्यवान नहीं हैं। - डेविड एगनर
मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा? - मत्ती १६:२६
एक साल में बाइबल:
’वायर्ड’ पत्रिका ने यह समाचार छापा कि २९ वर्षीय विश्व्विद्यालय के एक प्रशीक्षक ने अपनी अमर आत्मा १,३२५ अमेरीकी डॉलर में बेच दी। उसका कहना है कि, "अमेरिका में आप वास्तविक अथवा आलंकारिक रूप से अपनी आत्मा बेच सकते हैं और उसके लिये पुरुस्कृत हो सकते हैं"। यह विसम्य की बात है कि खरीदने वाला, खरीदी हुई आत्मा को प्राप्त कैसे करेगा!
हम वास्तविक रूप में अपनी आत्मा बेच नहीं सकते पर उसे खोकर कुछ और प्राप्त कर सकते हैं। हमें यीशु के प्रश्न पर विचार करना चाहिये "मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा?" (मत्ती १६:२६)। आज के समय का हमारा उत्तर, यीशु के ज़माने के लोगों के उत्तर से कुछ ज़्यादा भिन्न नहीं होगा: जगत, शरीर और शैतान। हमें आकर्षित करके वश में करने वाली लालसाएं, वासनओं की बेरोकटोक तृप्ति, बदले की भावना, सांसारिक सफलता और वस्तुओं की प्राप्ति आदि कई लोगों लिये अनन्त काल के स्वर्गीय जीवन की उपेक्षा कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गए हैं।
संसार की किसी भी चीज़ की तुलना परमेश्वर के प्रेम और क्षमा से नहीं की जा सकती। यदि संसार के सुख-विलास का प्रेम आपको मसीह यीशु में विश्वास करने से रोक रहे हैं तो एक बार फिर विचार कर लीजिए - यह सब आपके अमर आत्मा से अधिक मूल्यवान नहीं हैं। - डेविड एगनर
यीशु ही वह जल स्त्रोत है जोप प्यासी आत्मा को तृप्त कर सकता है।
बाइबल पाठ: मत्ती १६:२४-२८मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा? - मत्ती १६:२६
एक साल में बाइबल:
- १ इतिहास २५-२७
- यूहन्ना ९:१-२३
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