एक नई वैबसाईट आपकी सहायता करती है कि आप अपने किसी सहकर्मी तक वह सन्देश पहुंचा सकें जो आप व्यक्तिगत तौर पर उससे कहने में घबराते हैं, जैसे "मुंह स्वच्छ रखने वाली गोली का प्रयोग तुम्हारे लिये लाभकारी होगा", या "तुम्हारे मोबाइल फोन की आवाज़ बहुत उंची है", या "तुम सदा बहुत तेज़ इत्र प्रयोग करते हो" आदि। आप इन और ऐसे अन्य मुद्दों का सामना बेनाम होकर कर स्कते हैं क्योंकि वह वैबसाईट आपके लिये आपके सहकर्मी को आपका सन्देश एक बेनाम ई-मेल द्वारा भेज देगी।
दूसरों को उनकी वह बातें बताने में संकोच करना, जिनसे हमें परेशानी होती है, स्वभाविक बात है। परन्तु जब बात आती है सहविश्वासियों से उनके जीवन में पाये जाने वाले पाप के विष्य में बात करने की, तो यह और भी गंभीर बात हो जाती है। चाहे हम कितना ही चाहें कि यह बात हम बेनाम होकर कर सकें, किंतु यह हमें प्रत्यक्ष ही करना है। ऐसा करने के लिये गलतियों ६:१-५ कुछ सुझाव देता है। दूसरों से उनके पाप के बारे में बात करने के लिये, सबसे पहली और अनिवार्य बात है कि हम स्वयं परमेश्वर के निकट हों, तथा उस दूसरे से जो पाप में है, हम अपने आप को श्रेष्ठ जता के अपनी बड़ाई न करें। फिर हमें उस परिस्थिति को इस तरह आंकना है कि हम किसी पर दोष लगा कर उसे नीचा दिखाने वाले नहीं वरन उसे सहारा देकर सुधार तक लाने वाले बनें। नम्रता का आत्मा हम में सदा बना रहना है, इस भय में कि कभी हम भी ऐसी ही किसी परीक्षा में गिर सकते हैं।
प्रभु यीशु ने भी पापों के प्रति व्यक्तिगत व्यवहार के लिये कुछ निर्देश दिये - मत्ती ७:१-५, १८:१५-२०।
परमेश्वर की सामर्थ द्वारा हम हिम्मत और सहनुभूति सहित दूसरों को उनके पापों का सामना करवा सकते हैं और उन्हें पुनः परमेश्वर के निकट ला सकते हैं। - ऐने सेटास
तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो। - गलतियों ६:२
बाइबल पाठ: गलतियों ६:१-५
हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो।
तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।
क्योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है, तो अपने आप को धोखा देता है।
पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्ड करने का अवसर होगा।
क्योंकि हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाएगा।
एक साल में बाइबल:
दूसरों को उनकी वह बातें बताने में संकोच करना, जिनसे हमें परेशानी होती है, स्वभाविक बात है। परन्तु जब बात आती है सहविश्वासियों से उनके जीवन में पाये जाने वाले पाप के विष्य में बात करने की, तो यह और भी गंभीर बात हो जाती है। चाहे हम कितना ही चाहें कि यह बात हम बेनाम होकर कर सकें, किंतु यह हमें प्रत्यक्ष ही करना है। ऐसा करने के लिये गलतियों ६:१-५ कुछ सुझाव देता है। दूसरों से उनके पाप के बारे में बात करने के लिये, सबसे पहली और अनिवार्य बात है कि हम स्वयं परमेश्वर के निकट हों, तथा उस दूसरे से जो पाप में है, हम अपने आप को श्रेष्ठ जता के अपनी बड़ाई न करें। फिर हमें उस परिस्थिति को इस तरह आंकना है कि हम किसी पर दोष लगा कर उसे नीचा दिखाने वाले नहीं वरन उसे सहारा देकर सुधार तक लाने वाले बनें। नम्रता का आत्मा हम में सदा बना रहना है, इस भय में कि कभी हम भी ऐसी ही किसी परीक्षा में गिर सकते हैं।
प्रभु यीशु ने भी पापों के प्रति व्यक्तिगत व्यवहार के लिये कुछ निर्देश दिये - मत्ती ७:१-५, १८:१५-२०।
परमेश्वर की सामर्थ द्वारा हम हिम्मत और सहनुभूति सहित दूसरों को उनके पापों का सामना करवा सकते हैं और उन्हें पुनः परमेश्वर के निकट ला सकते हैं। - ऐने सेटास
लोगों को वापस सही मार्ग पर लाने के लिये पहले उनके साथ चलिये और तब मार्गदर्शन कीजिए।
तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो। - गलतियों ६:२
बाइबल पाठ: गलतियों ६:१-५
हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो।
तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।
क्योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है, तो अपने आप को धोखा देता है।
पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्ड करने का अवसर होगा।
क्योंकि हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाएगा।
एक साल में बाइबल:
- भजन ७०, ७१
- रोमियों ८:२२-३९
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