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बुधवार, 18 अगस्त 2010

धोखे से सावधान

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, ६ जून १९४४ को मित्र देशों की सम्मिलित सेना ने फ्रांस के नॉरमैण्डी शहर के निकट समुद्र तट पर नौसेना द्वारा बहुत बड़ा हमला किया। साथ ही वायुसेना ने हज़ारों छाताधारी सैनिक उस इलाके में उतारे गये। इन छाताधारी सैनिकों के साथ उन्होंने रबर के बने बहुत से पुतले भी, जिन्हें ’रूपर्ट’ नाम दिया गया था, शत्रु की सेना के पीछे उतारे, जिससे शत्रु को पीछे से हमले की गलतफहमी हो और वह असमंजस में पड़ जाए। पुतलों को अपने पीछे ज़मीन पर उतरते देख कई जर्मन चौकियों का ध्यान उनसे लड़ने की ओर चला गया जिससे उनकी सुरक्षा पंक्ति कमज़ोर हो गई और असली सैनिकों को पांव जमाने का अवसर मिल गया।

इस तरह के धोखे को हम दुशमन के इरादों को नाकाम करने और युद्ध लड़ने की एक जायज़ नीति कह सकते हैं, किंतु शैतान द्वारा हमें ऐसे ही किसी धोखे में फंसाना, कभी स्वीकार्य नहीं होना चाहिये। पौलुस ने समझाया कि, "यह कुछ अचम्भे की बात नहीं क्‍योंकि शैतान आप भी ज्योतिमर्य स्‍वर्गदूत का रूप धारण करता है" और "शैतान के सेवक भी धर्म के सेवकों का सा रूप धारण करते हैं" ( २ कुरिन्थियों ११:१४, १५)।

हमें सचेत रहना है! हमारा आत्मिक शत्रु सदा इस प्रयास में रहता है कि मसीह के अनुयायी झूठी शिक्षा और गलत सिद्धांतों को मानकर गलत रास्ते पर चल निकलें। परन्तु यदि हम अपना ध्यान प्रभु यीशु मसीह पर और उसके वचन की स्पष्ट शिक्षाओं पर केंद्रित रखते हैं तो प्रभु से हमें सही दिशा निर्देश मिलता रहेगा।

धोखे से सावधान, शैतान के ’रूपर्टों’ से सचेत रहो। - बिल क्राउडर


परमेश्वर का सत्य शैतान के झूठ को उजागर कर देता है।

यह कुछ अचम्भे की बात नहीं क्‍योंकि शैतान आप भी ज्योतिमर्य स्‍वर्गदूत का रूप धारण करता है। - २ कुरिन्थियों ११:१४, १५


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ११:३, ४, १२-१५

परन्‍तु मैं डरता हूं कि जैसे सांप ने अपनी चतुराई से हव्‍वा को बहकाया, वैसे ही तुम्हारे मन उस सीधाई और पवित्रता से जो मसीह के साथ होनी चाहिए कहीं भ्रष्‍ट न किए जाएं।
यदि कोई तुम्हारे पास आकर, किसी दूसरे यीशु को प्रचार करे, जिस का प्रचार हम ने नहीं किया: या कोई और आत्मा तुम्हें मिले, जो पहिले न मिला था, या और कोई सुसमाचार जिसे तुम ने पहिले न माना था, तो तुम्हारा सहना ठीक होता।
परन्‍तु जो मैं करता हूं, वही करता रहूंगा, कि जो लोग दांव ढूंढ़ते हैं, उन्‍हें मैं दांव न पाने दूं, ताकि जिस बात में वे घमण्‍ड करते हैं, उस में वे हमारे ही समान ठहरें।
क्‍योंकि ऐसे लोग झूठे प्रेरित, और छल से काम करने वाले, और मसीह के प्रेरितों का रूप धरने वाले हैं।
और यह कुछ अचम्भे की बात नहीं क्‍योंकि शैतान आप भी ज्योतिमर्य स्‍वर्गदूत का रूप धारण करता है।
सो यदि उसके सेवक भी धर्म के सेवकों का सा रूप धरें, तो कुछ बड़ी बात नहीं परन्‍तु उन का अन्‍त उन के कामों के अनुसार होगा।

एक साल में बाइबल:
  • भजन १००-१०२
  • १ कुरिन्थियों १

2 टिप्‍पणियां:

  1. जब चारो तरफ शैतान ही शैतान हो तो सावधानी का क्या फायदा ,यहाँ तो राक्षसी के रहमों करम पर पूरा देश और समाज है आज ...

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  2. श्रीमन जय कुमार जी,
    आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।
    चारों ओर फैली दुष्टता और अराजक्ता को देखकर निराश होना स्वाभाविक है। किंतु अन्धकार में ही ज्योति की आवश्यक्ता और कीमत पता लगती है।
    प्रभु यीशु ही इस तमस भरे संसार में संसार कि ज्योति है। वह कोई धर्म देने नहीं आया, वह इस अन्धकार में मार्ग बनकर आया, ताकि उसके जन न सिर्फ हर निराशा में आशा पाएं, वरन उसकी ज्योति से भरकर औरों को भी ज्योति तक ला सकें।
    संपर्कयीशु ब्लॉग (www.samparkyeshu.blogspot.com) पर आप इस के बारे में और पढ़ सकते हैं। - रोज की रोटी

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