१९८६ की गर्मियों में Black Sea में दो पानी के जहाज़ों की टक्कर से कई लोगों की मृत्यु हो गई। यह दुर्घटना और भी दुखदाई हो गई जब जाँचकर्ताओं ने दुर्घटना के कारण का पता लगाया। दुर्घटना न तो रडार प्रणाली की असफलता से हुई और न ही वहाँ घना कोहरा था। पता लगा कि दोनो जहाज़ों के कप्तानों को एक दूसरे की स्थिति का पता था और वे दोनो ही बचाव के लिए समय रहते अपना मार्ग बदल सकते थे, लेकिन दोनों ही ने ऐसा नहीं किया, क्योंकि दोनो में से कोई भी अपने घमंड के कारण अपना मार्ग छोड़ने की बजाए दूसरे से मार्ग छोड़ने की उम्मीद कर रहे थे।
इससे भी अधिक नुकसान मानवीय संबंधों में ऐसे ही स्वार्थ, घमंड और जलन से होती है। हम संसार की समस्याओं के लिए राजनैतिक, धार्मिक या विचारधारा के मतभेदों को दोष देते हैं, लेकिन याकूब बताता है कि इसका मूल कारण है घमंड और स्वार्थ। घमंड ही ने प्रधान स्वर्गदूत लूसिफर को स्वर्ग से गिराकर शैतान बना दिया। पश्चताप न करने और क्षमा न मांगने के कारण ही हमारे आदि माता-पिता - आदम और हव्वा में होकर पाप आज मनुष्य जाति में विनाश कर रहा है।
घमंड, ईर्ष्या और स्वार्थ को बड़ा विनाश उत्पन्न करने से रोकने का एक ही मार्ग है कि हम उस समझबूझ का प्रयोग करें जो ऊपर से आता है, क्योंकि "जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है" (याकूब ३:१७)।
इसी "ज्ञान" से मृदु भाव और एकता और आपसी सहनशीलता संभव होगी। - मार्ट डी हॉन
इसलिये कि जहां डाह और विरोध होता है, वहां बखेड़ा और हर प्रकार का दुष्कर्म भी होता है। - याकूब ३:१६
बाइबल पाठ: याकूब ३:१४-४:६
Jas 3:14 पर यदि तुम अपने अपने मन में कड़वी डाह और विरोध रखते हो, तो सत्य के विरोध में घमण्ड न करना, और न तो झूठ बोलना।
Jas 3:15 यह ज्ञान वह नहीं, जो ऊपर से उतरता है वरन सांसारिक, और शारीरिक, और शैतानी है।
Jas 3:16 इसलिये कि जहां डाह और विरोध होता है, वहां बखेड़ा और हर प्रकार का दुष्कर्म भी होता है।
Jas 3:17 पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है।
Jas 3:18 और मिलाप कराने वालों के लिये धामिर्कता का फल मेल-मिलाप के साथ बोया जाता है।
Jas 4:1 तुम में लड़ाइयां और झगड़े कहां से आ गए? क्या उन सुख-विलासों से नहीं जो तुम्हारे अंगों में लड़ते-भिड़ते हैं?
Jas 4:2 तुम लालसा रखते हो, और तुम्हें मिलता नहीं; तुम हत्या और डाह करते हो, ओर कुछ प्राप्त नहीं कर सकते, तुम झगड़ते और लड़ते हो तुम्हें इसलिये नहीं मिलता, कि मांगते नहीं।
Jas 4:3 तुम मांगते हो और पाते नहीं, इसलिये कि बुरी इच्छा से मांगते हो, ताकि अपने भोग विलास में उड़ा दो।
Jas 4:4 हे व्यभिचारिणयों, क्या तुम नहीं जानतीं, कि संसार से मित्रता करनी परमेश्वर से बैर करना है सो जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आप को परमेश्वर का बैरी बनाता है।
Jas 4:5 क्या तुम यह समझते हो, कि पवित्र शास्त्र व्यर्थ कहता है जिस आत्मा को उस ने हमारे भीतर बसाया है, क्या वह ऐसी लालसा करता है, जिस का प्रतिफल डाह हो?
Jas 4:6 वह तो और भी अनुग्रह देता है; इस कारण यह लिखा है, कि परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है।
एक साल में बाइबल:
इससे भी अधिक नुकसान मानवीय संबंधों में ऐसे ही स्वार्थ, घमंड और जलन से होती है। हम संसार की समस्याओं के लिए राजनैतिक, धार्मिक या विचारधारा के मतभेदों को दोष देते हैं, लेकिन याकूब बताता है कि इसका मूल कारण है घमंड और स्वार्थ। घमंड ही ने प्रधान स्वर्गदूत लूसिफर को स्वर्ग से गिराकर शैतान बना दिया। पश्चताप न करने और क्षमा न मांगने के कारण ही हमारे आदि माता-पिता - आदम और हव्वा में होकर पाप आज मनुष्य जाति में विनाश कर रहा है।
घमंड, ईर्ष्या और स्वार्थ को बड़ा विनाश उत्पन्न करने से रोकने का एक ही मार्ग है कि हम उस समझबूझ का प्रयोग करें जो ऊपर से आता है, क्योंकि "जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है" (याकूब ३:१७)।
इसी "ज्ञान" से मृदु भाव और एकता और आपसी सहनशीलता संभव होगी। - मार्ट डी हॉन
कुछ मुसीबतें लोगों द्वारा अपनी मन मर्ज़ी करने की ठान लेने से होती हैं, तो कुछ अन्य मुसीबतें लोगों को मन मर्ज़ी करने देने से होती हैं।
इसलिये कि जहां डाह और विरोध होता है, वहां बखेड़ा और हर प्रकार का दुष्कर्म भी होता है। - याकूब ३:१६
बाइबल पाठ: याकूब ३:१४-४:६
Jas 3:14 पर यदि तुम अपने अपने मन में कड़वी डाह और विरोध रखते हो, तो सत्य के विरोध में घमण्ड न करना, और न तो झूठ बोलना।
Jas 3:15 यह ज्ञान वह नहीं, जो ऊपर से उतरता है वरन सांसारिक, और शारीरिक, और शैतानी है।
Jas 3:16 इसलिये कि जहां डाह और विरोध होता है, वहां बखेड़ा और हर प्रकार का दुष्कर्म भी होता है।
Jas 3:17 पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है।
Jas 3:18 और मिलाप कराने वालों के लिये धामिर्कता का फल मेल-मिलाप के साथ बोया जाता है।
Jas 4:1 तुम में लड़ाइयां और झगड़े कहां से आ गए? क्या उन सुख-विलासों से नहीं जो तुम्हारे अंगों में लड़ते-भिड़ते हैं?
Jas 4:2 तुम लालसा रखते हो, और तुम्हें मिलता नहीं; तुम हत्या और डाह करते हो, ओर कुछ प्राप्त नहीं कर सकते, तुम झगड़ते और लड़ते हो तुम्हें इसलिये नहीं मिलता, कि मांगते नहीं।
Jas 4:3 तुम मांगते हो और पाते नहीं, इसलिये कि बुरी इच्छा से मांगते हो, ताकि अपने भोग विलास में उड़ा दो।
Jas 4:4 हे व्यभिचारिणयों, क्या तुम नहीं जानतीं, कि संसार से मित्रता करनी परमेश्वर से बैर करना है सो जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आप को परमेश्वर का बैरी बनाता है।
Jas 4:5 क्या तुम यह समझते हो, कि पवित्र शास्त्र व्यर्थ कहता है जिस आत्मा को उस ने हमारे भीतर बसाया है, क्या वह ऐसी लालसा करता है, जिस का प्रतिफल डाह हो?
Jas 4:6 वह तो और भी अनुग्रह देता है; इस कारण यह लिखा है, कि परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है।
एक साल में बाइबल:
- १ शमूएल १७-१८
- लूका ११:१-२८
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