किसी मूर्ख और अयोग्य व्यक्ति को लुप्त हो चुके डोडो पक्षी की संज्ञा दी जाती है। डोडो पक्षी हिन्द महासागर के तीन द्वीपों ही में पाए जाते थे। वे देखने में बहुत भद्दे और भारीभरकम होते थे; पूंछ के नाम पर उनके परों का एक गुच्छा होता था और पंखों के नाम पर ठूंठ जैसे अंग जिन पर तीन या चार काले पर लगे होते थे। उनकी खूंटी जैसी बड़ी सी चोंच और बड़े बड़े बेडौल पैर होते थे। इन पक्षियों के खोजने वालों ने उनके संबंध में लिखा कि "हम इन्हें घृणित पक्षी बुलाते थे क्योंकि जितना अधिक इनके माँस को पकाओ, वह उतना ही अधिक कड़ा और बेस्वाद होता जाता था।" उन द्वीपों पर आकर बसने वालों ने इन निर्थक और अयोग्य लगने वाले असहाय पक्षियों का सफाया कर दिया।
लेकिन १९७७ में वैज्ञानिकों ने जाना कि उन्हीं द्वीपों में पाए जाने वाले बहुत ही सुन्दर कल्वेरिया वृक्षों के भी लुप्त होते जाने का कारण डोडो पक्षियों का ना होना है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कल्वेरिया पेड़ का बीज बहुत सख्त छिलके से ढका होता था, जिसे डोडो पक्षी खाते थे और उनके पेट तथा अंतड़ियों से होकर निकलने से बीज का बाहरी सख्त खोल हट जाता था और उसके पश्चात डोडो से बाहर आने पर बीज अंकुरित हो पाने के योग्य हो पाते थे। अब बाकि बचे हुए केवल १३ सुन्दर कल्वेरिया पेड़ों को बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक प्रयास किया और डोडो की जाति के समान एक अन्य पक्षी - टर्की को उन द्वीपों में लाया गया; प्रयोग सफल रहा और वे पेड़ लुप्त होने से बच गए।
जैसे परमेश्वर की प्रकृति में, वैसे ही परमेश्वर की मण्डली में, कुछ भी या कोई भी निर्थक और अयोग्य नहीं है; परमेश्वर कुछ व्यर्थ नहीं रचता। हम में से प्रत्येक उसके लिए आवश्यक है, चाहे हमें यह लगे या ना लगे, लेकिन अपनी मण्डली में उसने प्रत्येक को अपनी योजना के अनुसार तैयार करके रखा है।
मसीह की देह, उसकी मण्डली में प्रत्येक विश्वासी का अनन्त उद्देश्य है। - मार्ट डी हॉन
जो मनुष्यों की दृष्टि में अयोग्य प्रतीत होते हैं, वे अकसर परमेश्वर की दृष्टि में महान होते हैं।
परन्तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक करके देह में रखा है। - १ कुरिन्थियों १२:१८
बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों १२:१२-२७
1Co 12:12 क्योंकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस एक देह के सब अंग, बहुत होने पर भी सब मिलकर एक ही देह हैं, उसी प्रकार मसीह भी है।
1Co 12:13 क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम एक को एक ही आत्मा पिलाया गया।
1Co 12:14 इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं, परन्तु बहुत से हैं।
1Co 12:15 यदि पांव कहे: कि मैं हाथ नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं?
1Co 12:16 और यदि कान कहे कि मैं आंख का नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं?
1Co 12:17 यदि सारी देह आंख की होती तो सुनना कहां से होता? यदि सारी देह कान ही होती तो सूंघना कहां होता?
1Co 12:18 परन्तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक करके देह में रखा है।
1Co 12:19 यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहां होती?
1Co 12:20 परन्तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्तु देह एक ही है।
1Co 12:21 आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं।
1Co 12:22 परन्तु देह के वे अंग जो औरों से निर्बल देख पड़ते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं।
1Co 12:23 और देह के जिन अंगो को हम आदर के योग्य नहीं समझते हैं उन्ही को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं।
1Co 12:24 फिर भी हमारे शोभायमान अंगो को इस का प्रयोजन नहीं, परन्तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है, कि जिस अंग को घटी थी उसी को और भी बहुत आदर हो।
1Co 12:25 ताकि देह में फूट न पड़े, परन्तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्ता करें।
1Co 12:26 इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्द मनाते हैं।
1Co 12:27 इसी प्रकार तुम सब मिलकर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो।
1Co 12:12 क्योंकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस एक देह के सब अंग, बहुत होने पर भी सब मिलकर एक ही देह हैं, उसी प्रकार मसीह भी है।
1Co 12:13 क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम एक को एक ही आत्मा पिलाया गया।
1Co 12:14 इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं, परन्तु बहुत से हैं।
1Co 12:15 यदि पांव कहे: कि मैं हाथ नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं?
1Co 12:16 और यदि कान कहे कि मैं आंख का नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं?
1Co 12:17 यदि सारी देह आंख की होती तो सुनना कहां से होता? यदि सारी देह कान ही होती तो सूंघना कहां होता?
1Co 12:18 परन्तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक करके देह में रखा है।
1Co 12:19 यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहां होती?
1Co 12:20 परन्तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्तु देह एक ही है।
1Co 12:21 आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं।
1Co 12:22 परन्तु देह के वे अंग जो औरों से निर्बल देख पड़ते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं।
1Co 12:23 और देह के जिन अंगो को हम आदर के योग्य नहीं समझते हैं उन्ही को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं।
1Co 12:24 फिर भी हमारे शोभायमान अंगो को इस का प्रयोजन नहीं, परन्तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है, कि जिस अंग को घटी थी उसी को और भी बहुत आदर हो।
1Co 12:25 ताकि देह में फूट न पड़े, परन्तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्ता करें।
1Co 12:26 इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्द मनाते हैं।
1Co 12:27 इसी प्रकार तुम सब मिलकर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह ६२-६४
- १ तिमुथियुस १
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें