छोटी बच्ची अलीसा, जो अभी ६ वर्ष ही की है और जिसने अभी केवल पढ़ना सीखना ही आरंभ किया है, अपने माता-पिता तथा दादा-दादी को रोज़ सुबह अपनी अपनी बाइबल पढ़ते देखती थी। एक प्रातः उसकी दादी ने उठने पर पाया कि अलीसा घर में सब से पहले ही उठ गई थी, और सोफे पर अपनी बाइबल एवं प्रार्थना तथा मनन से संबंधित एक पुस्तक लिए बैठी हुई थी। वह बच्ची भी, जैसा वह अपने परिवार में देखती आई थी, दिन के आरंभ में परमेश्वर के साथ समय बिताने के उदाहरण का अनुसरण करना चाहती थी।
परमेश्वर के वचन बाइबल में हम एक युवा पास्टर तिमुथियुस का उल्लेख पाते हैं, जिसके पास इफिसुस के चर्च की बड़ी ज़िम्मेदारियाँ थीं। उसे मसीही विश्वासियों को प्रभु यीशु मसीह तथा मसीही जीवन और विश्वास के बारे में सिखाना होता था, आराधना की तैयारी तथा नेतृत्व करना होता था, गलत शिक्षाओं तथा धारणाओं के झूठ को उजागर कर लोगों को उनसे बच कर रहना समझाना होता था। अनुभवी तथा बुज़ुर्ग प्रेरित पौलुस ने उसे इस इलाके के चर्चों के संचालन की ज़िम्मेदारी उसे सौंपी थी और इस कार्य से संबंधित निर्देश भी दिए थे। पौलुस ने ही तिमुथियुस को समझाया था कि उसे अपने व्यक्तिगत जीवन के उदाहरण के प्रति कैसा सचेत रहना है; अपनी पत्री में पौलुस ने तिमुथियुस को लिखा, "कोई तेरी जवानी को तुच्छ न समझने पाए; पर वचन, और चाल चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में विश्वासियों के लिये आदर्श बन जा" (१ तिमुथियुस ४:१२)।
पौलुस ने उसे आगे लिखा, "जब तक मैं न आऊं, तब तक पढ़ने और उपदेश और सिखाने में लौलीन रह" तथा " इन बातों पर स्थिर रह, क्योंकि यदि ऐसा करता रहेगा, तो तू अपने, और अपने सुनने वालों के लिये भी उद्धार का कारण होगा" (१ तिमुथियुस ४:१३, १६)। तिमुथियुस के लिए यह आवश्यक था कि वह स्वयं अपने आत्मिक जीवन और शिक्षाओं पर ध्यान देता रहे और उन में दृढ़ बना रहे; तब ही वह दूसरों के लिए अच्छा आदर्श बना रह सकता था।
हम सब के आस-पास लोग हैं जो हमें देख रहे हैं और हमारे जीवन उन पर प्रभाव डाल रहे हैं। इसलिए हमें ऐसे जीवन बिताने का यत्न करते रहना चाहिए जो दूसरों को परमेश्वर की निकटता में लाएं; फिर वे लोग भी अपने जीवनों के द्वारा औरों को परमेश्वर की निकटता में लाने वाले हो सकेंगे। जो शिक्षा पौलुस ने तिमुथियुस को समझाई और सिखाई, वही प्रत्येक मसीही विश्वासी को अनुसर्णीय बनाने के लिए उपयोगी तथा आवश्यक है। - ऐनी सेटस
श्रेष्ठ उदाहरण श्रेष्ठ परमर्श से कहीं अधिक लाभकारी होता है।
बाइबल पाठ: १ तिमुथियुस ४:१२-१६
1Ti 4:12 कोई तेरी जवानी को तुच्छ न समझने पाए; पर वचन, और चाल चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में विश्वासियों के लिये आदर्श बन जा।
1Ti 4:13 जब तक मैं न आऊं, तब तक पढ़ने और उपदेश और सिखाने में लौलीन रह।
1Ti 4:14 उस वरदान से जो तुझ में है, और भविष्यद्वाणी के द्वारा प्राचीनों के हाथ रखते समय तुझे मिला था, निश्चिन्त न रह।
1Ti 4:15 उन बातों को सोचता रह, ताकि तेरी उन्नति सब पर प्रगट हो। अपनी और अपने उपदेश की चौकसी रख।
1Ti 4:16 इन बातों पर स्थिर रह, क्योंकि यदि ऐसा करता रहेगा, तो तू अपने, और अपने सुनने वालों के लिये भी उद्धार का कारण होगा।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति २७-२८
- मत्ती ८:१८-३४
Very Nice post
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