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सोमवार, 25 जून 2012

सही लोग

   एक फिल्म "मिरेकल" १९८० में अमेरिका की बर्फीले मैदान पर खेले जाने वाले हॉकी के खेल में अप्रत्याशित स्वर्ण पदक की ओर बढ़ते दल की सच्ची कहानी दिखाती है। कहानी के आरंभ में दल के मुख्य प्रशिक्षक हर्ब ब्रुक्स को अपने दल के लिए खिलाड़ियों का चुनाव करते हुए दिखाया है। जब वह अपने सहायक प्रशीक्षक, क्रेग पैट्रिक को अपने द्वारा चुने हुए खिलाड़ियों की सूची देता है, तो क्रेग विस्मित होकर कहता है, "आप ने कुछ सबसे अच्छे खिलाड़ियों को तो चुना ही नहीं है।" तब ब्रुक उसको उत्तर देता है, "क्रेग, मैं सबसे अच्छे नहीं केवल सबसे सही खिलाड़ियों की तलाश में हूँ।"

   ब्रुक्स जानते थे कि किसी खिलाड़ी की व्यक्तिगत प्रतिभा, पूरे दल को केवल एक सीमा तक ही ले जा सकती है; किंतु अपनी प्रतिभा से ऊपर उठकर अपने प्रशीक्षक की इच्छा के अनुसार खेलना दल की सहयोग-भावना और एकमनता को बनाए रखने और जीतने का अवसर देने के लिए अनिवार्य है। ब्रुक के लिए पूरे दल की सफलता किसी की व्यक्तिगत प्रतिभा से अधिक महत्वपूर्ण थी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में परमेश्वर की सेवकाई के लिए दी गई बुलाहट के बारे में भी कुछ ऐसा ही ज़ोर है। परमेश्वर की योजना में, प्रत्येक मसीही विश्वासी को अपना अपना व्यक्तिगत कार्य तो करना है, परन्तु नतीजे सामूहिक हैं। प्रेरित पौलुस ने परमेश्वर की आत्मा के द्वारा मण्डली के सदस्यों को दिए जाने वाले विभिन्न आत्मिक वरदानों में के विष्य में लिखा, "किन्‍तु सब के लाभ पहुंचाने के लिये हर एक को आत्मा का प्रकाश दिया जाता है" (१ कुरिन्थियों १२:७)। जब हम परमेश्वर द्वारा हमें दी गई प्रतिभा का उसकी इच्छानुसार सदुपयोग करते हैं, तो उसके उद्देश्य पूरे होते हैं और उसे महिमा मिलती है।

   परमेश्वर की सेवकाई में महत्व व्यक्तिगत रीति से ना सबसे उत्तम होने का है, ना सबसे अधिक प्रतिभावान होने का और ना ही सबसे अधिक गुण्वन्त होने का है; महत्व है सही व्यक्ति होने का, ऐसा व्यक्ति जो व्यक्तिगत उपलब्धी और ख्याति के लिए महत्वकांक्षी ना हो वरन परमेश्वर की देह अर्थात उसकी मण्डली में परमेश्वर द्वारा निर्धारित स्थान पर ही विनम्रता और आज्ञाकारिता में रहने तथा मण्डली के अन्य लोगों के साथ मिलकर मण्डली के सामूहिक उत्थान के लिए कार्य करने को तत्पर और तैयार हो। - बिल क्राउडर


प्रभु यीशु की देह अर्थात उसकी मण्डली में कोई जन महत्वहीन नहीं है।

परन्‍तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्‍छा के अनुसार एक एक कर के देह में रखा है। - १ कुरिन्थियों १२:१८

बाइबल पाठ: - १ कुरिन्थियों १२:७-१८
1Co 12:7  किन्‍तु सब के लाभ पहुंचाने के लिये हर एक को आत्मा का प्रकाश दिया जाता है।
1Co 12:8  क्‍योंकि एक को आत्मा के द्वारा बुद्धि की बातें दी जाती हैं, और दूसरे को उसी आत्मा के अनुसार ज्ञान की बातें।
1Co 12:9   और किसी को उसी आत्मा से विश्वास और किसी को उसी एक आत्मा से चंगा करने का वरदान दिया जाता है।
1Co 12:10  फिर किसी को सामर्थ के काम करने की शक्ति और किसी को भविष्यद्वाणी की और किसी को अनेक प्रकार की भाषा और किसी को भाषाओं का अर्थ बताना।
1Co 12:11  परन्‍तु ये सब प्रभावशाली कार्य वही एक आत्मा करवाता है, और जिसे जो चाहता है वह बांट देता है।
1Co 12:12  क्‍योंकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस एक देह के सब अंग, बहुत होने पर भी सब मिल कर एक ही देह हैं, उसी प्रकार मसीह भी है।
1Co 12:13  क्‍योंकि हम सब ने क्‍या यहूदी हो, क्‍या युनानी, क्‍या दास, क्‍या स्‍वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम एक को एक ही आत्मा पिलाया गया।
1Co 12:14  इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं, परन्‍तु बहुत से हैं।
1Co 12:15  यदि पांव कहे कि मैं हाथ नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्‍या वह इस कारण देह का नहीं?
1Co 12:16  और यदि कान कहे कि मैं आंख का नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्‍या वह इस कारण देह का नहीं?
1Co 12:17  यदि सारी देह आंख की होती तो सुनना कहां से होता? यदि सारी देह कान ही होती तो सूंघना कहां होता?
1Co 12:18  परन्‍तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्‍छा के अनुसार एक एक कर के देह में रखा है।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब ३-४ 
  • प्रेरितों ७:४४-६०

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