मेरे लड़कपन में जितनी अच्छी रीति से पास्टर फ्रांसिस एलेन मुझे जानते थे, शायद ही कोई ओर वैसा मुझे जानता होगा। वे बहुत जोशीले प्रचारक और कोमलता तथा परमेश्वर के प्रेम के सजीव उदाहरण थे और वे ही मुझे मसीह यीशु के निकट ले कर आए थे। मेरे साथ उनके संपर्क के आरंभिक समय में ही उन्होंने पहचान लिया था कि मुझ में, अपेक्षा से अधिक कठिन परिश्रम करने तथा कहे गए से अधिक कर देने के द्वारा लोगों से उनका समर्थन या स्वीकृति "खरीदने" की प्रवृत्ति है।
उन्होंने मुझे समझाया कि परिश्रम करने के मेरे ये गुण दूसरों की सहायता हेतु उपयोग करने के लिए बहुत भले हैं, लेकिन इनका प्रयोग दूसरों से, विशेषतयाः परमेश्वर से, स्वीकृति पाने के लिए कभी नहीं करना चाहिए। इसे समझाने के लिए उन्होंने मुझ से परमेश्वर के वचन बाइबल में से मत्ती 11:30 पढ़ने के लिए कहा, जहाँ प्रभु यीशु ने वायदा किया है "क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हल्का है" - एक ऐसा कथन जो इतना सरल है कि कभी कभी उसपर विश्वास करना कठिन होता है। फिर उन्होंने मुझ से एक और खण्ड पढ़ने के लिए कहा - मीका 6:6-8; और मेरे वह खण्ड पढ़ने के बाद वे बोले, "अब मुझे बताओ कि क्या तुम परमेश्वर को कुछ ऐसा दे सकते हो जो उसके पास नहीं है या उसके लिए कुछ ऐसा कर सकते हो जो उसके लिए करना कठिन है?" स्वाभविक था कि मेरा उत्तर था, "नहीं"।
फिर उन्होंने आगे समझाया, हम परमेश्वर को किसी रीति से "खरीद" नहीं सकते अर्थात उसे अपने लिए कुछ करने को बाध्य नहीं कर सकते - परमेश्वर का हमारे प्रति प्रेम उसका स्वाभाविक गुण है जिसके फलस्वरूप वह अपने बड़े अनुग्रह में होकर हमसे बर्ताव करता है, ना कि हमारे किसी "धार्मिकता" या "भलाई के कार्यों" से मजबूर होकर। इसलिए हमारा प्रत्युत्तर क्या होना चाहिए? वही जो मीका 6:8 में लिखा है: "हे मनुष्य, वह तुझे बता चुका है कि अच्छा क्या है; और यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले?"
मीका 6 अध्याय हमारे लिए स्मरण के लिए रहे कि परमेश्वर का अनुग्रह हमारे प्रति बिना किसी "कीमत" के है; तथा उस अनुग्रह के प्रत्युत्तर में उसके प्रति विश्वासयोग्यता का जीवन व्यतीत करना हमारी कृतज्ञता की प्रतिक्रिया है ना कि उसकी "कीमत" चुकाना। - रैंडी किलगोर
भले काम उद्धार पाने का कारण नहीं परिणाम हैं।
हम तो सब के सब अशुद्ध मनुष्य के से हैं, और हमारे धर्म के काम सब के सब मैले चिथड़ों के समान हैं। हम सब के सब पत्ते की नाईं मुर्झा जाते हैं, और हमारे अधर्म के कामों ने हमें वायु की नाईं उड़ा दिया है। - यशायाह 64:6
बाइबल पाठ: मीका 6:1-8
Micah 6:1 जो बात यहोवा कहता है, उसे सुनो : उठ कर, पहाड़ों के सामने वादविवाद कर, और टीले भी तेरी सुनने पाएं।
Micah 6:2 हे पहाड़ों, और हे पृथ्वी की अटल नेव, यहोवा का वादविवाद सुनो, क्योंकि यहोवा का अपनी प्रजा के साथ मुकद्दमा है, और वह इस्राएल से वादविवाद करता है।
Micah 6:3 हे मेरी प्रजा, मैं ने तेरा क्या किया, और क्या कर के मैं ने तुझे उकता दिया है?
Micah 6:4 मेरे विरुद्ध साक्षी दे! मैं तो तुझे मिस्र देश से निकाल ले आया, और दासत्व के घर में से तुझे छुड़ा लाया; और तेरी अगुवाई करने को मूसा, हारून और मरियम को भेज दिया।
Micah 6:5 हे मेरी प्रजा, स्मरण कर, कि मोआब के राजा बालाक ने तेरे विरुद्ध कौन सी युक्ति की? और बोर के पुत्र बिलाम ने उसको क्या सम्मत्ति दी? और शित्तिम से गिल्गाल तक की बातों का स्मरण कर, जिस से तू यहोवा के धर्म के काम समझ सके।
Micah 6:6 मैं क्या ले कर यहोवा के सम्मुख आऊं, और ऊपर रहने वाले परमेश्वर के सामने झुकूं? क्या मैं होमबलि के लिये एक एक वर्ष के बछड़े ले कर उसके सम्मुख आऊं?
Micah 6:7 क्या यहोवा हजारों मेढ़ों से, वा तेल की लाखों नदियों से प्रसन्न होगा? क्या मैं अपने अपराध के प्रायश्चित्त में अपने पहिलौठे को वा अपने पाप के बदले में अपने जन्माए हुए किसी को दूं?
Micah 6:8 हे मनुष्य, वह तुझे बता चुका है कि अच्छा क्या है; और यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले?
एक साल में बाइबल:
- न्यायियों 9-12
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