जब मैं कॉलेज में थी तो उस स्मय मेरे पास्टर थे हॉवर्ड सगडेन जिन्होंने अनेक विस्मरणीय उपदेश दिए हैं। इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी उनका एक उपदेश जिसका शीर्षक था, "परन्तु परमेश्वर..." आज भी मुझे रुक कर सोचने पर बाध्य कर देता है, जब भी मैं परमेश्वर के वचन बाइबल में इन शब्दों को पढ़ती हूँ। ये बाइबल से लिए गए कुछ पद हैं जो मुझे प्रोत्साहित करते हैं और स्मरण दिलाते हैं कि आवश्यकता पड़ने पर परमेश्वर मानव कार्यों में धार्मिकता से अपने बच्चों के पक्ष में हस्तक्षेप करता है:
- यद्यपि तुम लोगों ने मेरे लिये बुराई का विचार किया था; परन्तु परमेश्वर ने उसी बात में भलाई का विचार किया, जिस से वह ऐसा करे, जैसा आज के दिन प्रगट है, कि बहुत से लोगों के प्राण बचे हैं। - उत्पत्ति 50:20
- वे अधोलोक की मानों भेड़- बकरियां ठहराए गए हैं; मृत्यु उनका गड़ेरिया ठहरी; और बिहान को सीधे लोग उन पर प्रभुता करेंगे; और उनका सुन्दर रूप अधोलोक का कौर हो जाएगा और उनका कोई आधार न रहेगा। परन्तु परमेश्वर मेरे प्राण को अधोलोक के वश से छुड़ा लेगा, क्योंकि वही मुझे ग्रहण कर अपनाएगा। - भजन 49:14-15
- मेरे हृदय और मन दोनों तो हार गए हैं, परन्तु परमेश्वर सर्वदा के लिये मेरा भाग और मेरे हृदय की चट्टान बना है। - भजन 73:26
- किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे। परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। - रोमियों 5:7-8
- परन्तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ीं वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिये तैयार की हैं। परन्तु परमेश्वर ने उन को अपने आत्मा के द्वारा हम पर प्रगट किया; क्योंकि आत्मा सब बातें, वरन परमेश्वर की गूढ़ बातें भी जांचता है। - 1 कुरिन्थियों 2:9-10
जब कभी आप निराश हों तो परमेश्वर के वचन बाइबल से "परन्तु परमेश्वर..." वाले कुछ पद पढ़कर उन पर मनन कीजिए, और आप सुनिश्चित हो जाएंगे कि परमेश्वर अपने बच्चों के जीवनों में संलग्न रहता है, उनके लिए हस्तक्षेप करता है। - जूली ऐकैरमैन लिंक
हमारे जीवनों में परमेश्वर का संलग्न तथा सक्रीय होना हमारे लिए उसके प्रेम का आशवासन एवं प्रमाण है।
जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ, कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है, कि हम उसके द्वारा जीवन पाएं। प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर ने प्रेम किया; पर इस में है, कि उसने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा। - 1 यूहन्ना 4:9-10
बाइबल पाठ: रोमियों 5:8-11
Romans 5:8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
Romans 5:9 सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे?
Romans 5:10 क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे?
Romans 5:11 और केवल यही नहीं, परन्तु हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जिस के द्वारा हमारा मेल हुआ है, परमेश्वर के विषय में घमण्ड भी करते हैं।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह 16-18
बहुत सुन्दर सार्थक चिंतन प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक चिंतन प्रस्तुति ..
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