ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

प्रेम


   मैं अपने पति के साथ एक सार्वजनिक स्थान पर थी, और लोगों ने ऊपर आसमान की ओर देखना आरंभ कर दिया। वहाँ ऊपर एक छोटा वायु-यान धुँआ छोड़ रहा था और उस वायु-यान का चालक उस धुएं से कुछ अक्षर बना रहा था। हमारे देखते देखते उसने लिखा "मैं आपसे प्रेम करता हूँ", और नीचे हमारे आस-पास के अधिकांश लोग अटकलें लगाने लगे कि वह आगे क्या लिखेगा। किसी ने सोचा कि वह किसी प्रेमी द्वारा प्रेम का प्रकटिकरण होगा; या संभवतः आस-पास के किसी मकान में कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका से पूछने वाला है कि क्या वह उससे विवाह करेगी। हम देखते रहे और उस चालक ने लिखा "मैं आपसे प्रेम करता हूँ यीशु" - वह वायु-यान चालक प्रभु यीशु के प्रति अपने प्रेम को सभी लोगों को दिखा रहा था।

   मेरा एक मित्र अपनी सभी प्रार्थनाओं का अन्त, "प्रभु मैं आपसे प्रेम करता हूँ" कहकर करता है। उसका कहना है कि यह जानते हुए कि मेरे लिए प्रभु यीशु ने क्या कुछ किया है, मैं यह बात कहे बिना रह नहीं पाता। परमेश्वर के वचन बाइबल में रोमियों को लिखी गई अपनी पत्री के छठे अध्याय में प्रेरित पौलुस प्रभु यीशु द्वारा हमारे लिए करी गई बातों में से कुछ का वर्णन करता है, जिनके कारण वह हमारे प्रेम का हकदार है: प्रभु यीशु हमारे ही पापों के लिए क्रूस पर मारा गया और गाड़ा गया, वह हमारे ही लिए मृतकों में से तीसरे दिन फिर से जी उठा। उसके इस कार्य के द्वारा ही अब जो कोई स्वेच्छा से उसमें विश्वास लाकर उसे अपना जीवन समर्पित करता है वह एक नया जीवन प्राप्त करता है (पद 4) और उसे फिर पाप की आधीनता या मृत्यु का भय नहीं रहता (पद 6, 9), और एक दिन हम सभी मसीही विश्वासी उसके साथ अनन्त जीवन बिताने के लिए मृत्कों मे से जी उठेंगे (पद 8)।

   इसलिए इसमें कोई विचित्र लगने वाली या आश्चर्यचकित करने वाली बात नहीं कि हम जिन्होंने प्रभु यीशु को जाना है, उसे अपना उद्धारकर्ता स्वीकार किया है, उसे अपना जीवन समर्पित किया है, उससे मिली पापों की क्षमा और अनन्त जीवन के लिए उससे कहते हैं, "प्रभु मैं आपसे प्रेम करता हूँ"। - ऐनी सेटास


हमारे प्रति प्रेम दिखाने के लिए प्रभु यीशु हमारे लिए मर गया; उसके प्रति प्रेम दिखाने के लिए हमें उसके लिए जीना है।

और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा। - 2 कुरिन्थियों 5:15

बाइबल पाठ: रोमियों 6:1-11
Romans 6:1 सो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो? 
Romans 6:2 कदापि नहीं, हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उस में क्योंकर जीवन बिताएं? 
Romans 6:3 क्या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उस की मृत्यु का बपतिस्मा लिया 
Romans 6:4 सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें। 
Romans 6:5 क्योंकि यदि हम उस की मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएंगे। 
Romans 6:6 क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें। 
Romans 6:7 क्योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा। 
Romans 6:8 सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी। 
Romans 6:9 क्योंकि यह जानते हैं, कि मसीह मरे हुओं में से जी उठ कर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की। 
Romans 6:10 क्योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया; परन्तु जो जीवित है, तो परमेश्वर के लिये जीवित है। 
Romans 6:11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 7-9
  • लूका 9:18-36



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें