ऑस्ट्रेलिया
के पर्थ शहर की घटना है,निकोलस टेलर नाम का एक व्यक्ति ट्रेन में चढ़ते समय फिसल कर
गिर गया, और उसकी टाँग प्लेटफॉर्म एवँ ट्रेन के डिब्बे के बीच में फंस गई। जब बहुत
प्रयास करने पर भी सुरक्षा अधिकारी उसकी टांग को बाहर नहीं निकाल सके, तो उन्होंने
वहाँ खड़े यात्रियों की सहायता ली, उन यात्रियों को पंक्ति बांधकर ट्रेन के डिब्बे
के साथ खड़ा किया, और उनसे कहा कि तीन के गिनती पर वे सब एक साथ उस डिब्बे को
प्लेटफॉर्म से दूर की ओर धकेलें। जब उन पचास के लगभग लोगों ने एक साथ मिलकर डिब्बे
को धकेला तो इतना स्थान बन गया कि निकोलस की टांग बाहर निकाली जा सके। सबके
सम्मिलित प्रयास के द्वारा वह संभव हो गया जो एक या दो लोगों के द्वारा संभव नहीं
हो पा रहा था।
प्रेरित
पौलुस ने मसीही विश्वासियों के एक साथ मिलकर काम करने की सामर्थ्य को पहचाना था,
और परमेश्वर के वचन बाइबल में संकलित उसके द्वारा विभिन्न मंडलियों को लिखी गई कई
पत्रियों में पौलुस ने मंडलियों से इस बात के लिए आग्रह भी किया। रोम के मसीही
विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में पौलुस उन से निवेदन करता है कि वे एक दूसरे को
वैसे ही ग्रहण करें जैसे कि प्रभु यीशु मसीह ने उन्हें ग्रहण किया है, “और धीरज,
और शान्ति का दाता परमेश्वर तुम्हें यह वरदान दे, कि मसीह यीशु के अनुसार आपस में एक मन रहो। ताकि तुम एक मन और एक मुंह हो
कर हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता परमेश्वर की बड़ाई करो”
(रोमियों 15:5-6)।
अन्य
मसीही विश्वासियों के साथ हमारी एकता हमें न केवल परमेश्वर की महानता को सँसार के
समक्ष प्रगट करने में सहायता करती है, वरन मसीही विश्वास के कारण हम पर आने वाले
सताव को सहने की सामर्थ्य तथा सहायता भी हमें प्रदान करती है। यह जानते हुए कि
फिलिप्पियों के मसीहियों को अपने विश्वास के कारण एक कीमत चुकानी पड़ेगी, पौलुस ने
उन्हें सचेत किया कि वे एकता के साथ परिस्थिति से जूझें, “केवल इतना करो कि
तुम्हारा चाल-चलन मसीह के सुसमाचार के योग्य हो कि चाहे मैं आकर तुम्हें देखूं,
चाहे न भी आऊं, तुम्हारे विषय में यह सुनूं,
कि तुम एक ही आत्मा में स्थिर हो, और एक चित्त
हो कर सुसमाचार के विश्वास के लिये परिश्रम करते रहते हो। और किसी बात में
विरोधियों से भय नहीं खाते यह उन के लिये विनाश का स्पष्ट चिन्ह है, परन्तु तुम्हारे लिये उद्धार का, और यह परमेश्वर की
ओर से है” (फिलिप्पियों 1:27-28)।
शैतान
हमें विभाजित करके पराजित करना चाहता है, परन्तु उसके ऐसे सभी प्रयास तब विफल हो
जाते हैं, जब हम परमेश्वर की सहायता से अपने एकता को बनाए रखते हैं: “और मेल के
बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्न करो” (इफिसियों 4:3)। - जेनिफर बेन्सन
शुल्ट
मसीह यीशु के साथ एक होने के कारण हम
मसीहियों में एकता होनी चाहिए।
मैं केवल इन्हीं के लिये बिनती नहीं करता,
परन्तु उन के लिये भी जो इन के वचन के द्वारा मुझ पर विश्वास करेंगे,
कि वे सब एक हों। जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूं, वैसे ही वे भी हम में हों,
इसलिये कि जगत प्रतीति करे, कि तू ही ने मुझे
भेजा। - यूहन्ना 17:20-21
बाइबल पाठ: रोमियों 15:1-7
Romans 15:1 निदान हम बलवानों को चाहिए,
कि निर्बलों की निर्बलताओं को सहें; न कि अपने
आप को प्रसन्न करें।
Romans 15:2 हम में से हर एक अपने पड़ोसी को
उस की भलाई के लिये सुधारने के निमित प्रसन्न करे।
Romans 15:3 क्योंकि मसीह ने अपने आप को
प्रसन्न नहीं किया, पर जैसा लिखा है, कि
तेरे निन्दकों की निन्दा मुझ पर आ पड़ी।
Romans 15:4 जितनी बातें पहिले से लिखी गईं,
वे हमारी ही शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं कि हम धीरज और पवित्र
शास्त्र की शान्ति के द्वारा आशा रखें।
Romans 15:5 और धीरज, और शान्ति का दाता परमेश्वर तुम्हें यह वरदान दे, कि
मसीह यीशु के अनुसार आपस में एक मन रहो।
Romans 15:6 ताकि तुम एक मन और एक मुंह हो
कर हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता परमेश्वर की बड़ाई करो।
Romans 15:7 इसलिये, जैसा
मसीह ने भी परमेश्वर की महिमा के लिये तुम्हें ग्रहण किया है, वैसे ही तुम भी एक दूसरे को ग्रहण करो।
एक साल में बाइबल:
- विलापगीत 3-5
- इब्रानियों 10:19-39
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