छुटपन
में जब मेरे बेटा अगली कक्षा में गया, तो वह “मुझे मेरी शिक्षिका जीवन भर के लिए
चाहिए” कहकर बहुत रोया। हमें उसे समझना पड़ा कि शिक्षकों का बदलना जीवन का भाग है।
हम यह विचार कर सकते हैं कि क्या ऐसा कोई संबंध है जो जीवन भर बना रहता है?
परमेश्वर
के वचन बाइबल में याकूब ने पाया कि ऐसा संबंध है। उसका जीवन बहुत से नाटकीय
परिवर्तनों से होकर निकला, और इस उथल-पुथल भरे जीवन मार्ग में उसे अपने प्रिय जनों
को भी गंवाना पड़ा। अपने जीवन के अन्त समय के निकट उसने प्रार्थना की, “परमेश्वर
जिसके सम्मुख मेरे बापदादे इब्राहीम और इसहाक (अपने को जानकर ) चलते थे वही परमेश्वर
मेरे जन्म से ले कर आज के दिन तक मेरा चरवाहा बना है ; और वही दूत मुझे सारी बुराई से छुड़ाता आया है, वही
अब इन लड़कों को आशीष दे; और ये मेरे और मेरे बापदादे
इब्राहीम और इसहाक के कहलाएं; और पृथ्वी में बहुतायत से
बढ़ें” (उत्पत्ति 48:15-16)।
याकूब
एक चरवाहा रहा था, इसलिए उसने परमेश्वर के साथ अपने संबंध को चरवाहे के, उसकी
भेड़ों के साथ संबंध के समान देखा। भेड़ के जन्म लेने के समय से लेकर, उसके बढ़ने और
फिर बूढ़े होने तक चरवाहा दिन-रात उसकी देखभाल करता रहता है। वह दिन में उसका
मार्गदर्शन तथा रात में उसकी रक्षा करता है। दाऊद भी एक चरवाहा रहा था, और उसका भी
यही मानना था; साथ ही उसने यह कहकर कि “निश्चय भलाई और करूणा जीवन भर मेरे साथ
साथ बनी रहेंगी; और मैं यहोवा के धाम में सर्वदा वास
करूंगा” (भजन 23:6) परमेश्वर के साथ अनन्त के संबंध को
प्रगट किया।
शिक्षक
बदलना जीवन का भाग है। परन्तु हमारे अच्छे चरवाहे, हमारे प्रभु परमेश्वर ने हमसे
वायदा किया है कि हमारे पृथ्वी के जीवन भर वह हमारे साथ रहेगा (मत्ती 28:20), और
जब यहाँ का जीवन समाप्त हो जाएगा तो वह हमें अपने साथ अनन्तकाल के लिए ले लेगा। यह
कितना अच्छा है कि प्रभु परमेश्वर के साथ हमारा कभी समाप्त न होने वाला अनन्तकाल
का संबंध है। - कीला ओकोआ
परमेश्वर हमें कभी नहीं छोड़ता है।
यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जा कर
सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम
से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव
तुम्हारे संग हूं। - मत्ती 28: 18-20
बाइबल पाठ: उत्पत्ति 48:8-16
Genesis 48:8 तब इस्राएल को यूसुफ के पुत्र
देख पड़े, और उसने पूछा, ये कौन हैं?
Genesis 48:9 यूसुफ ने अपने पिता से कहा,
ये मेरे पुत्र हैं, जो परमेश्वर ने मुझे यहां
दिए हैं: उसने कहा, उन को मेरे पास ले आ कि मैं उन्हें
आशीर्वाद दूं।
Genesis 48:10 इस्राएल की आंखे बुढ़ापे के
कारण धुन्धली हो गई थीं, यहां तक कि उसे कम सूझता था। तब
यूसुफ उन्हें उनके पास ले गया ; और उसने उन्हें चूमकर गले
लगा लिया।
Genesis 48:11 तब इस्राएल ने यूसुफ से कहा,
मुझे आशा न थी, कि मैं तेरा मुख फिर देखने
पाऊंगा: परन्तु देख, परमेश्वर ने मुझे तेरा वंश भी दिखाया
है।
Genesis 48:12 तब यूसुफ ने उन्हें अपने
घुटनों के बीच से हटाकर और अपने मुंह के बल भूमि पर गिर के दण्डवत की।
Genesis 48:13 तब यूसुफ ने उन दोनों को
लेकर, अर्थात एप्रैम को अपने दाहिने हाथ से, कि वह इस्राएल के बाएं हाथ पड़े, और मनश्शे को अपने
बाएं हाथ से, कि इस्राएल के दाहिने हाथ पड़े, उन्हें उसके पास ले गया।
Genesis 48:14 तब इस्राएल ने अपना दहिना
हाथ बढ़ाकर एप्रैम के सिर पर जो छोटा था, और अपना बायां हाथ
बढ़ाकर मनश्शे के सिर पर रख दिया; उसने तो जान बूझकर ऐसा
किया; नहीं तो जेठा मनश्शे ही था।
Genesis 48:15 फिर उसने यूसुफ को आशीर्वाद
देकर कहा, परमेश्वर जिसके सम्मुख मेरे बापदादे इब्राहीम और
इसहाक (अपने को जानकर ) चलते थे वही परमेश्वर मेरे जन्म से ले कर आज के दिन तक
मेरा चरवाहा बना है ;
Genesis 48:16 और वही दूत मुझे सारी बुराई
से छुड़ाता आया है, वही अब इन लड़कों को आशीष दे; और ये मेरे और मेरे बापदादे इब्राहीम और इसहाक के कहलाएं; और पृथ्वी में बहुतायत से बढ़ें।
एक साल में बाइबल:
- 1 शमूएल 10-12
- लूका 9:37-62
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