ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 15 सितंबर 2019

परिवार



      मैं मध्य-पूर्व के इलाके में थी, और मुझे एक मोबाइल फोन खरीदने की आवश्यकता पड़ी। फोन के विक्रेता ने मुझ से कुछ विशष्ट प्रश्न पूछे – मेरा नाम, मेरी राष्ट्रीयता, मेरा पता। फिर फ़ार्म के भरते समय उसने मुझ से मेरे पिता का नाम पूछा, जिससे मैं चकित हुई, और सोचने लगी कि मेरे पिता के नाम की जानकारी भरने का मेरी संस्कृति में कोई विशेष महत्व नहीं है, परन्तु यहाँ पर, मेरी पहचान को स्थापित करने के लिए वह अनिवार्य था। कुछ संस्कृतियों में वंशावली का बहुत महत्व होता है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि इस्राएलियों के लिए भी वंशावली का बहुत महत्व था। उन्हें इस बात का घमण्ड था कि वे कुल-पिता अब्राहम की संतान थे, और उन्हें लगता था कि अब्राहम का वंशज होने के नाते वे परमेश्वर की सन्तान भी ठहरते थे। उनकी समझ के अनुसार, उनकी मानवीय वंशावली, उन्हें परमेश्वर के आत्मिक परिवार से जोड़ देती थी।

      जब प्रभु यीशु मसीह पृथ्वी पर आए और यहूदियों के साथ रहते और संवाद करते थे, तो प्रभु यीशु ने उन यहूदियों को बताया कि उनकी यह धारणा गलत है। वे यहूदी यह तो कह सकते थे कि अब्राहम उनका सांसारिक मूल-पिता है; परन्तु यदि वे प्रभु यीशु पर विश्वास नहीं करते, जिन्हें परमेश्वर पिता ने पृथ्वी पर भेजा था, तो फिर वे लोग परमेश्वर के परिवार के सदस्य नहीं हो सकते थे।

      यही बात आज भी वैसे ही लागू होती है। हम अपने सांसारिक परिवार और माता-पिता को तो नहीं चुन सकते हैं, परन्तु हम यह निर्णय अवश्य ले सकते हैं कि हम किस आत्मिक परिवार के सदस्य बनेंगे। यदि हम प्रभु यीशु मसीह में विश्वास लाएंगे तो परमेश्वर हमें अपनी सन्तान होने का अधिकार देता है (यूहन्ना 1:12)।

      आज आप अपने आत्मिक पिता और परिवार के बारे में क्या कह सकते हैं – वे कौन हैं? क्या आपने प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास किया है? यदि नहीं तो अपने पापों की क्षमा और परमेश्वर के परिवार का सदस्य बनने के लिए आज ही प्रभु यीशु पर विश्वास करें। - कीला ओकोआ

परमेश्वर प्रभु यीशु के विश्वासियों का अनन्त-काल के लिए आत्मिक पिता है।

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: यूहन्ना 8:39-47
John 8:39 उन्होंने उन को उत्तर दिया, कि हमारा पिता तो इब्राहीम है: यीशु ने उन से कहा; यदि तुम इब्राहीम के सन्तान होते, तो इब्राहीम के समान काम करते।
John 8:40 परन्तु अब तुम मुझ ऐसे मनुष्य को मार डालना चाहते हो, जिसने तुम्हें वह सत्य वचन बताया जो परमेश्वर से सुना, यह तो इब्राहीम ने नहीं किया था।
John 8:41 तुम अपने पिता के समान काम करते हो: उन्होंने उस से कहा, हम व्यभिचार से नहीं जन्मे; हमारा एक पिता है अर्थात परमेश्वर।
John 8:42 यीशु ने उन से कहा; यदि परमेश्वर तुम्हारा पिता होता, तो तुम मुझ से प्रेम रखते; क्योंकि मैं परमेश्वर में से निकल कर आया हूं; मैं आप से नहीं आया, परन्तु उसी ने मुझे भेजा।
John 8:43 तुम मेरी बात क्यों नहीं समझते? इसलिये कि मेरा वचन सुन नहीं सकते।
John 8:44 तुम अपने पिता शैतान से हो, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। वह तो आरम्भ से हत्यारा है, और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उस में है ही नहीं: जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्‍वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है, वरन झूठ का पिता है।
John 8:45 परन्तु मैं जो सच बोलता हूं, इसीलिये तुम मेरी प्रतीति नहीं करते।
John 8:46 तुम में से कौन मुझे पापी ठहराता है? और यदि मैं सच बोलता हूं, तो तुम मेरी प्रतीति क्यों नहीं करते?
John 8:47 जो परमेश्वर से होता है, वह परमेश्वर की बातें सुनता है; और तुम इसलिये नहीं सुनते कि परमेश्वर की ओर से नहीं हो।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन 22-24
  • 2 कुरिन्थियों 8



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें