ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 1 मई 2020

प्रतीक्षा



     प्रति मई दिवस (मई 1) के दिन, इंगलैंड के ऑक्सफ़ोर्ड में, बसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करने के लिए एक भीड़ तड़के प्रातः एकत्रित होती है। प्रातः 6:00 बजे, मैग्डालैन कॉलेज की संगीत मंडली मैग्डालैन मीनार से गीत गाती है। हज़ारों प्रतीक्षा करते हैं कि अंधेरी रात गीतों और घंटियों के बजने के साथ समाप्त होगी और दिन निकलेगा।

     उन लोगों के समान मैं भी प्रतीक्षा करती हूँ, अपनी प्रार्थनाओं का उत्तर आने का, परमेश्वर से मार्गदर्शन मिलने का। यद्यपि मैं उस समय को तो नहीं जानती हूँ जब मेरी प्रतीक्षा समाप्त होगी, फिर भी मैं एक आशा के साथ प्रतीक्षा करती हूँ। परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 130 में, भजनकार एक घोर परेशानी में होने, ऐसी परिस्थिति का सामना करने का, जो सबसे काली रात के समान थी, लिखता है। अपनी उन परेशानियों के मध्य में, वह परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखने और उस पहरेदार के समान सचेत रहने, जिसे पौ फटने की घोषणा करने का दायित्व दिया गया है, का निर्णय लेता है, “पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, हां, पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, उस से भी अधिक मैं यहोवा को अपने प्राणों से चाहता हूं” (भजन 130:6)।

     भजनकार को परमेश्वर की विश्वासयोग्यता के प्रकट होने के भरोसे से आशा मिलती है और उस अन्धकार को सहने की सामर्थ्य भी। समस्त पवित्र शास्त्र में दी गई परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के आधार पर, उसे प्रतीक्षा करते रहने में भी आशा बनी रहती है, यद्यपि उसने अभी भोर की पहली किरणों को देखा नहीं है।

     यदि आप किसी काली रात में हैं, तो प्रोत्साहित हो जाएं। भोर आने वाली है – चाहे इस जीवन अथवा स्वर्ग में! इस बीच में, आशा न छोड़ें, प्रभु के छुटकारे की प्रतीक्षा करें। वह विश्वासयोग्य है। - लीसा सामरा

चाहे अन्धकार हो अथवा उजाला, परमेश्वर पर सदा भरोसा किया जा सकता है।

परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों के समान उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। - यशायाह 40:31

बाइबल पाठ: भजन 130:1-6
भजन संहिता 130:1 हे यहोवा, मैं ने गहिरे स्थानों में से तुझ को पुकारा है!
भजन संहिता 130:2 हे प्रभु, मेरी सुन! तेरे कान मेरे गिड़गिड़ाने की ओर ध्यान से लगे रहें!
भजन संहिता 130:3 हे याह, यदि तू अधर्म के कामों का लेखा ले, तो हे प्रभु कौन खड़ा रह सकेगा?
भजन संहिता 130:4 परन्तु तू क्षमा करने वाला है? जिस से तेरा भय माना जाए।
भजन संहिता 130:5 मैं यहोवा की बाट जोहता हूं, मैं जी से उसकी बाट जोहता हूं, और मेरी आशा उसके वचन पर है;
भजन संहिता 130:6 पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, हां, पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, उस से भी अधिक मैं यहोवा को अपने प्राणों से चाहता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजाओं 10-11
  • लूका 21:20-38



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें