मेरा एक सहकर्मी, जो कैंसर से बच कर आया है,
अपने डेस्क पर कांच का एक क्रूस सदा रखता है। उसे यह क्रूस उसके समान एक अन्य
कैंसर से बच कर आए उसके एक मित्र ने दिया था, जिससे वह हर बात को क्रूस में से
होकर देख सके। वह कांच का क्रूस उसे सदा परमेश्वर के प्रेम और उसके लिए परमेश्वर
के भले उद्देश्यों को स्मरण दिलाता है।
यह हम सभी मसीही विश्वासियों के लिए एक चुनौतीपूर्ण
विचार है, विशेषकर कठिन परिस्थितियों में; क्योंकि हमारे लिए परमेश्वर के प्रेम पर
ध्यान केन्द्रित रखने से अधिक सरल अपनी ही समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित रखना होता
है।
परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि
प्रेरित पौलुस का जीवन निःसंदेह क्रूस के दृष्टिकोण को सामने रखकर व्यतीत किया गया
जीवन था। पौलुस ने अपने दुःख और सताव के समय के लिए कहा, “सताए तो जाते हैं;
पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं,
पर नाश नहीं होते” (2 कुरिन्थियों 4:9)।
उसका विश्वास था कि कठिन समयों में भी परमेश्वर हम में होकर और हमारे लिए कार्य कर
रहा है, “क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण
और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है। और हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु
अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैं, क्योंकि देखी हुई
वस्तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी
रहती हैं” (2 कुरिन्थियों 4:17-18)।
अनदेखी वस्तुओं को देखते रहने का अर्थ यह
नहीं है कि हम अपनी समस्याओं का आंकलन कम या हलका करके करें। इस खंड पर अपनी
व्याख्या में पॉल बार्नेट इसे समझाता है, “हमारे लिए परमेश्वर के उद्देश्यों पर आधारित
भरोसा तो होना ही है ... दूसरी ओर हमें यह भी गंभीर बोध रहता है कि जिस आशा में हम
जीते हुए कराहते हैं उसके साथ दुःख भी मिला हुआ है।”
प्रभु यीशु ने क्रूस पर हमारे लिए अपना जीवन
बलिदान कर दिया। उसका प्रेम बहुत गहरा और बलिदान से भरा हुआ है। जब हम क्रूस के
दृष्टिकोण से जीवन को देखते हैं, तो हमें उसका यही प्रेम और विश्वासयोग्यता दिखाई
देती है, और उसका क्रूस हम में एक भरोसा उत्पन्न करता और बढ़ाता रहता है। - एनी सेटास
हर बात को क्रूस
के दृष्टिकोण से देखें।
क्योंकि क्रूस
की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार
पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ्य है। - 1 कुरिन्थियों 1:18
बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों
4:8-18
2 कुरिन्थियों
4:8 हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं
पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं
होते।
2 कुरिन्थियों
4:9 सताए तो जाते हैं; पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते।
2 कुरिन्थियों
4:10 हम यीशु की मृत्यु को अपनी देह में हर समय लिये फिरते हैं; कि यीशु का जीवन भी हमारी देह में प्रगट हो।
2 कुरिन्थियों
4:11 क्योंकि हम जीते जी सर्वदा यीशु के कारण मृत्यु के हाथ में सौंपे जाते हैं कि
यीशु का जीवन भी हमारे मरणहार शरीर में प्रगट हो।
2 कुरिन्थियों
4:12 सो मृत्यु तो हम पर प्रभाव डालती है और जीवन तुम पर।
2 कुरिन्थियों
4:13 और इसलिये कि हम में वही विश्वास की आत्मा है, (जिस के
विषय मे लिखा है, कि मैं ने विश्वास किया, इसलिये मैं बोला) सो हम भी विश्वास करते हैं, इसी
लिये बोलते हैं।
2 कुरिन्थियों
4:14 क्योंकि हम जानते हैं, जिसने प्रभु यीशु को जिलाया,
वही हमें भी यीशु में भागी जानकर जिलाएगा, और
तुम्हारे साथ अपने साम्हने उपस्थित करेगा।
2 कुरिन्थियों
4:15 क्योंकि सब वस्तुएं तुम्हारे लिये हैं, ताकि अनुग्रह
बहुतों के द्वारा अधिक हो कर परमेश्वर की महिमा के लिये धन्यवाद भी बढ़ाए।
2 कुरिन्थियों
4:16 इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी
मनुष्यत्व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्व
दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।
2 कुरिन्थियों
4:17 क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण और
अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है।
2 कुरिन्थियों
4:18 और हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते
हैं, क्योंकि देखी हुई वस्तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं।
एक साल में बाइबल:
- भजन 23-25
- प्रेरितों 21:18-40
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