सूरजमुखी के फूल सारे संसार
के सभी स्थानों में कहीं पर भी अंकुरित हो जाते हैं। मधुमक्खियाँ इन के पराग को एक
से दूसरे स्थान पर पहुँचाती हैं, और
पौधे सड़कों के किनारे, मैदानों में,
छज्जों के नीचे, घास के मैदानों में,
कहीं भी उग आते हैं। किन्तु फसल के समान उपयोगी होने के लिए, सूरजमुखी को अच्छी भूमि
की आवश्यकता होती है। किसानी की एक पुस्तक में लिखा है कि सूरजमुखी की खेती के लिए
अच्छी भूमि जिसमें पानी बह जाता हो, जो थोड़ी अम्लीय हो, जिसमें अच्छी मात्रा में जैविक खाद या प्राकृतिक उर्वरक डाला गया हो, चाहिए होती है। ऐसी भूमि में सूरजमुखी के अच्छे स्वादिष्ट बीज, अच्छा तेल, और किसान के लिए अच्छी आमदनी प्राप्त
होती है।
हमें भी अपनी आत्मिक उन्नति
के लिए “अच्छी भूमि” की आवश्यकता होती है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु
मसीह ने एक बीज बोने वाले के दृष्टांत के द्वारा सिखाया कि परमेश्वर का वचन रूपी पत्थरीली
या झाड़ियों से भरी भूमि में भी अंकुरित हो सकता है (लूका 8:6-7); किन्तु वह फलवंत
केवल “पर अच्छी भूमि में के वे हैं, जो वचन सुनकर भले और उत्तम मन में
सम्हाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं” (लूका 8:15) भूमि में ही होता है।
सूरजमुखी के छोटे पौधे भी
अपनी बढ़ोतरी के लिए धीरजवंत होते हैं। वे दिन भर सूरज की दिशा में घूमते रहते हैं, और परिपक्व होने पर सूरजमुखी के फूल
भी सूरज की ओर स्थाई रीति से हो जाते हैं, जिससे फूल गर्म रह
सके, उसकी ओर मधुमक्खियाँ आकर्षित हों,
और पराग को अधिक से अधिक मात्रा में एक से दूसरे फूल पर ले जाया जा सके। और इससे
फिर बहुतायत की फसल होती है।
जैसे कि सूरजमुखी की खेती
करने वाले उन फूलों के लिए अच्छी भूमि और खाद आदि उपलब्ध करवाते हैं, हम भी अपने जीवन में परमेश्वर के वचन
के बीज को फलवंत होने देने के लिए निरंतर प्रभु की ओर अपना ध्यान लगाए रखने के
द्वारा एक अच्छा वातावरण उपलब्ध करवा सकते हैं। प्रतिदिन परमेश्वर के साथ ईमानदारी
से बने रहने, और उसके मार्गों पर ध्यानपूर्वक चलते रहने से हम
उससे आवश्यक ऊर्जा और मार्गदर्शन प्राप्त कर के अपने आत्मिक जीवनों में परिपक्व और
प्रभु के लिए फलवंत हो सकते हैं। - पेट्रीशिया रेबोन
हे प्रभु मुझे अपने लिए फलवंत एवं उपयोगी बनाएँ।
उसने उन को उत्तर दिया, कि अच्छे बीज का बोने वाला मनुष्य का पुत्र है। खेत संसार
है, अच्छा बीज राज्य के सन्तान, और जंगली बीज दुष्ट के सन्तान हैं। - मत्ती 13:37-38
बाइबल पाठ: लूका 8:11-15
लूका 8:11 दृष्टान्त यह है; बीज तो परमेश्वर का वचन है।
लूका 8:12 मार्ग के किनारे के वे हैं, जिन्होंने सुना; तब शैतान आकर उन के
मन में से वचन उठा ले जाता है, कि कहीं ऐसा न हो कि वे विश्वास कर के उद्धार पाएं।
लूका 8:13 चट्टान पर के वे हैं, कि जब सुनते हैं, तो आनन्द से वचन को
ग्रहण तो करते हैं, परन्तु जड़ न पकड़ने से वे थोड़ी देर तक विश्वास रखते हैं, और परीक्षा के समय बहक
जाते हैं।
लूका 8:14 जो झाड़ियों में गिरा, सो वे हैं, जो सुनते हैं, पर बड़े होते होते चिन्ता
और धन और जीवन के सुख विलास में फंस जाते हैं, और उन का फल नहीं पकता।
लूका 8:15 पर अच्छी भूमि में के वे हैं, जो वचन सुनकर भले और
उत्तम मन में सम्हाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं।
एक साल में बाइबल:
- भजन 4-6
- प्रेरितों 17:16-34
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