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रविवार, 5 अक्टूबर 2014

प्रभावी से प्रभावहीन


   इंटरनेट पर प्रकाशित होने वाली पत्रिका 24/7 Wall St में एक विचित्र सुची प्रकाशित हुई जिसका शीर्षक था The 100 Least Powerful People in the World (संसार के सबसे कम प्रभाव रखने वाले 100 लोग)। इस सूची में जिनके नाम आए वे कभी व्यवसाय जगत के उच्च अधिकारी, खेल जगत में ख्याति प्राप्त, राजनितिज्ञ और अन्य प्रसिद्धि प्राप्त लोग थे। इन सब लोगों में एक बात सामान्य थी - कभी वे सभी बहुत प्रभावी हुआ करते थे, परन्तु अब उनका प्रभाव जाता रहा था। कुछ तो परिस्थितियों के शिकार हो गए, कुछ ने गलत निर्णय लिए, कुछ नैतिक पतन में चले गए, कुछ लापरवाह हो गए - कारण चाहे भिन्न थे परन्तु परिणाम एक ही था, वे सब अति प्रभावी से प्रभावहीन हो गए।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी इसी संदर्भ में 1 कुरिन्थियों 10 अध्याय में प्रेरित पौलुस इस्त्राएल के इतिहास से उदाहरण लेकर एक गंभीर उदाहरण प्रस्तुत करता है। जब मूसा उन इस्त्राएलियों को मिस्त्र के दासत्व से निकाल कर परमेश्वर द्वारा वाचा किए हुए कनान देश की ओर लेकर चला, तो उस यात्रा में परमेश्वर की सामर्थ को प्रकट देखने वाले तथा उस की ही सामर्थ से छुड़ाए गए वे लोग बारंबार परमेश्वर से विमुख होने लगे (पद 1-5)। वे मूर्तिपूजा, अनैतिकता एवं व्यभिचार और कुड़कुड़ाने तथा ऐसी ही अनेक बातों में पड़ने से अपने पतन की ओर चल निकले (पद 6-10)। उनके जीवनों के उदाहरण को प्रस्तुत करके पौलुस सभी के लिए यह चेतावनी देता है: "इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे; कि कहीं गिर न पड़े" (1 कुरिन्थियों 10:12)। साथ ही में पौलुस सभी मसीही विश्वासियों को यह आश्वासन भी देता है कि परमेश्वर उन्हें कभी उनकी सामर्थ के बाहर किसी परीक्षा में पड़ने नहीं देगा, और हर परीक्षा के साथ बचने का मार्ग भी देगा (पद 13)। 

    हम सब मसीही विश्वासियों को परमेश्वर की ओर से यह सामर्थ दी गई है कि अपने मसीही विश्वास द्वारा अन्य लोगों को मसीह यीशु के लिए प्रभावित करें, उनमें प्रभावी बने। परमेश्वर की यह सामर्थ, मार्गदर्शन और सहायता हमें जीवन की अद्भुत ऊँचाईयों पर ले जा सकती है। लेकिन यदि हम सावधान नहीं रहे और वही गलतियाँ दोहराने लगे जो उन 100 लोगों ने, या उन इस्त्राएलियों ने करीं थीं, तो उनके समान ही हमारा भी प्रभावी से प्रभावहीन हो जाना निश्चित है। यह कितना दुखदायी होगा कि संसार के नश्वर और अल्पकालीन सुख पाने की लालसा में किसी ऐसी परीक्षा में, जिसका सामना करने और जिससे बच निकलने की सामर्थ परमेश्वर ने हमें प्रदान करी हुई है, गिर कर हम अपने अविनाशी तथा अनन्त सुख को क्षतिग्रस्त कर लें। - डेविड मैक्कैसलैंड


परीक्षा आने पर बचने का सबसे उत्तम उपाय है परमेश्वर की शरण में भाग जाना।

इसलिये हे प्रियो तुम लोग पहिले ही से इन बातों को जान कर चौकस रहो, ताकि अधर्मियों के भ्रम में फंस कर अपनी स्थिरता को हाथ से कहीं खो न दो। - 2 पतरस 3:17

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 10:1-13
1 Corinthians 10:1 हे भाइयों, मैं नहीं चाहता, कि तुम इस बात से अज्ञात रहो, कि हमारे सब बाप दादे बादल के नीचे थे, और सब के सब समुद्र के बीच से पार हो गए। 
1 Corinthians 10:2 और सब ने बादल में, और समुद्र में, मूसा का बपितिस्मा लिया। 
1 Corinthians 10:3 और सब ने एक ही आत्मिक भोजन किया। 
1 Corinthians 10:4 और सब ने एक ही आत्मिक जल पीया, क्योंकि वे उस आत्मिक चट्टान से पीते थे, जो उन के साथ-साथ चलती थी; और वह चट्टान मसीह था। 
1 Corinthians 10:5 परन्तु परमेश्वर उन में के बहुतेरों से प्रसन्न न हुआ, इसलिये वे जंगल में ढेर हो गए। 
1 Corinthians 10:6 ये बातें हमारे लिये दृष्‍टान्‍त ठहरी, कि जैसे उन्होंने लालच किया, वैसे हम बुरी वस्‍तुओं का लालच न करें। 
1 Corinthians 10:7 और न तुम मूरत पूजने वाले बनों; जैसे कि उन में से कितने बन गए थे, जैसा लिखा है, कि लोग खाने-पीने बैठे, और खेलने-कूदने उठे। 
1 Corinthians 10:8 और न हम व्यभिचार करें; जैसा उन में से कितनों ने किया: एक दिन में तेईस हजार मर गये । 
1 Corinthians 10:9 और न हम प्रभु को परखें; जैसा उन में से कितनों ने किया, और सांपों के द्वारा नाश किए गए। 
1 Corinthians 10:10 और न कुड़कुड़ाएं, जिस रीति से उन में से कितने कुड़कुड़ाए, और नाश करने वाले के द्वारा नाश किए गए। 
1 Corinthians 10:11 परन्तु यें सब बातें, जो उन पर पड़ी, दृष्‍टान्‍त की रीति पर भी: और वे हमारी चितावनी के लिये जो जगत के अन्‍तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं। 
1 Corinthians 10:12 इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे; कि कहीं गिर न पड़े। 
1 Corinthians 10:13 तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको।

एक साल में बाइबल: 
  • हबक्कुक 1-3


सोमवार, 10 जनवरी 2011

पाप का गणित

मैंने कैद में पड़े हुए कैदियों को शोकित होकर अपने सिर हिलाते और यह कहते देखा है कि "मैंने कभी नहीं सोचा था कि बात इस हद तक बिगड़ जाएगी।" जब उन्होंने छोटे छोटे अपराध करने शुरू किये तो बड़े या गंभीर अपराधों में पड़ने का उनका कोई इरादा नहीं था। लेकिन एक के बाद दूसरा अपराध होता गया, वे अपराध के जीवन में फंसते चले गए और अब वे आत्मग्लानि के साथ बन्दीगृह में पड़े हैं।

इन लोगों ने कभी यह नहीं पहचाना कि पाप में सदा पतन ही होता है और उसकी गंभीरता बद से बदतर ही होती है। जब हम जीवन के एक पहलू में परमेश्वर के नियमों को तोड़ते हैं तो जैसे गणित के जोड़ और गुणा के सिद्धांत जीवन में कम करने लग जाते हैं। शीघ्र ही पाप बढ़कर जीवन के अन्य पहलूओं में भी अपने प्रभाव डालने लगता है।

यह सोचना मूर्खता है कि हम बस एक छोटा प्रीय पाप पाल कर रख सकते हैं। वह एक पाप बढ़ता और फैलता रहेगा और हमें पतन की ओर अग्रसर रखेगा जब तक कि हम उसे पूरी तरह अपने से दूर नहीं कर देते। इसीलिये प्रभु यीशु ने पाप करने वाला हाथ काट कर फेंकने और पाप करने वाली आंख निकालने की बात कही (मत्ती १८:८, ९)। ऐसे कठोर शब्द रूपक प्रयोग करने में प्रभु का उद्देश्य यही समझाना था कि पाप को दूर रखने के लिये जो कुछ बन पड़े वह करो।

हम पाप के साथ खिलवाड़ करने का जोखिम नहीं उठा सकते। पौलुस ने रोमियों की पत्री के पहले अध्याय में तीन बार लिखा परमेश्वर ने पाप में बने रहने वालों को उनके दुष्कर्मों पर छोड़ दिया। वह पाप के पतन को उसका समय पूरा होने तक छोड़ देता है ताकि न केवल पापी को पश्चाताप का पूरा अवसर मिले, वरन न्याय को भी पूरा अवसर मिले और जब न्याय का समय आए तो उससे बचने का कोई बहाना न रहे।

हम प्रभु यीशु पर विश्वास करके पाप के इस अव्श्यंभावी गणित से बच सकते हैं। आज और अभी हमारे जीवन के किसी भी पाप से बचने के लिये उसकी सामर्थ काफी है। नहीं तो एक समय आएगा जब हमें उसके न्याय का सामना करना पड़ेगा और तब कोई और बचाव का मार्ग या उपाय नहीं होगा। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


कोई भी अचानक ही दुष्ट नहीं हो जाता।

यदि तेरा हाथ या तेरा पांव तुझे ठोकर खिलाए, तो काट कर फेंक दे। - मत्ती १८:८


बाइबल पाठ: मत्ती १८:६-९

पर जो कोई इन छोटों में से जो मुझ पर विश्वास करते हैं एक को ठोकर खिलाए, उसके लिये भला होता, कि बड़ी चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाता, और वह गहिरे समुद्र में डुबाया जाता।
ठोकरों के कारण संसार पर हाय! ठोकरों का लगना अवश्य है, पर हाय उस मनुष्य पर जिस के द्वारा ठोकर लगती है।
यदि तेरा हाथ या तेरा पांव तुझे ठोकर खिलाए, तो काट कर फेंक दे। टुण्‍डा या लंगड़ा होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये इस से भला है, कि दो हाथ या दो पांव रहते हुए तू अनन्‍त आग में डाला जाए।
और यदि तेरी आंख तुझे ठोकर खिलाए, तो उसे निकालकर फेंक दे।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति २५-२६
  • मत्ती ८:१-१७